लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली न्यूज़

सामाजिक न्याय

विश्वभर में अपराध संबंधी हत्याओं की स्थिति

  • 09 Jul 2019
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ और अपराध कार्यालय (United Nations Office on Drugs and Crime - UNODC) द्वारा मानव हत्याओं पर एक अध्ययन प्रकाशित किया गया है।

मुख्य बिंदु:

  • दुनियाभर में मानव हत्याओं की दर में कमी आई है, परंतु यह गिरावट अभी भी अपर्याप्त है और इसके सहारे सतत् विकास लक्ष्य संख्या- 16 को प्राप्त करना मुश्किल है।

सतत् विकास लक्ष्य संख्या- 16 का उद्देश्य शांतिपूर्ण और समावेशी समितियों को बढ़ावा देने के साथ-साथ सभी स्तरों पर इन्हें प्रभावी व जवाबदेहपूर्ण बनाना है, ताकि सभी के लिये न्याय सुनिश्चित किया जा सके।

  • अध्ययन के अनुसार, दुनियाभर के तमाम देशों में हत्याओं के कारण मरने वाले लोगों की संख्या सशस्त्र संघर्षों (Armed Conflicts) के कारण मरने वाले लोगों की संख्या से 5 गुना अधिक है।
  • UNODC के मुताबिक, वर्ष 2017 में दुनियाभर में जानबूझकर की गई मानव हत्याओं (Intentional Homicide) के कारण 4,64,000 लोगों की मृत्यु हुई थी।
  • मानव हत्या संबंधी इन आँकड़ों में सबसे अधिक लगभग 37.4 प्रतिशत, अमेरिका में हुई थी ।
  • इसके अतिरिक्त अन्य क्षेत्रों कि स्थिति निम्नलिखित थी :
    • अफ्रीका : 35.1 प्रतिशत
    • एशिया : 22.5 प्रतिशत
    • यूरोप : 4.7 प्रतिशत
    • ओशिनिया : 0.2 प्रतिशत
  • उपरोक्त हत्याओं (Homicide) की तुलना में सशस्त्र संघर्षों में मरने वाले लोगों की संख्या मात्र 89,000 थी।
  • जान-बूझकर की गई हत्या के मामले में मारे गए कुल लोगों में से 95 प्रतिशत पुरुष थे।
  • रिपोर्ट के अनुसार, विश्व स्तर पर 15–29 वर्ष की आयु के युवा पुरुषों में हत्या का खतरा सबसे अधिक होता है। जबकि किसी भी उम्र की महिलाओं में इस प्रकार का कोई भी खतरा सबसे कम होता है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, संसाधनों की दुर्लभता और उनके उपयोग को लेकर संघर्ष इन हत्याओं का प्रमुख कारण है।

रिपोर्ट में भारत की स्थिति:

  • भारत के संदर्भ में वर्ष 2009 से वर्ष 2015 के बीच यहाँ होने वाली कुल हत्याओं में 10 प्रतिशत की कमी आई है।
  • भारत के मुख्यतः उत्तरी राज्यों में हत्या की दर में वृद्धि देखने को मिली है, जबकि कुछ दक्षिणी राज्यों (विशेषतः आंध्र प्रदेश) में यह दर काफी कम है।
  • रिपोर्ट में भारत में घरेलू हिंसा के मामलों में वृद्धि को भी उल्लेखित किया गया है।

स्रोत : हिंदुस्तान टाइम्स

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2