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भारतीय अर्थव्यवस्था

कोयले से मेथनॉल का उत्पादन

  • 11 Sep 2021
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये

मेथनॉल, प्राकृतिक गैस, COP 21 (पेरिस समझौता), भारतीय मानक ब्यूरो,  भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण, EV (इलेक्ट्रिक वाहन)

मेन्स के लिये: 

कोयले से मेथनॉल का उत्पादन, नीति आयोग का मेथनॉल अर्थव्यवस्था कार्यक्रम

चर्चा में क्यों?

हाल ही में पहला स्वदेशी रूप से डिज़ाइन किया गया उच्च राख कोयला गैसीकरण आधारित मेथनॉल उत्पादन संयंत्र हैदराबाद में स्थापित किया गया है।

  • इसके साथ ही सरकारी स्वामित्व वाली इंजीनियरिंग फर्म भेल (भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड) ने उच्च राख वाले भारतीय कोयले से मेथनॉल बनाने की दक्षता का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया है।

प्रमुख बिंदु 

  • परिचय:
    • मेथनॉल का उपयोग मोटर ईंधन के रूप में जहाज़ के इंजनों को ऊर्जा प्रदान करने और पूरी दुनिया में स्वच्छ ऊर्जा की प्राप्ति हेतु किया जाता है। हालाँकि दुनिया भर में मेथनॉल उत्पादन का अधिकांश हिस्सा प्राकृतिक गैस से प्राप्त होता है, जो अपेक्षाकृत आसान प्रक्रिया है।
    • चूँकि भारत में प्राकृतिक गैस का अधिक भंडार नहीं है, आयातित प्राकृतिक गैस से मेथनॉल का उत्पादन करने से विदेशी मुद्रा का बहिर्वाह होता है और उच्च कीमतों के कारण यह अलाभकारी है।
    • इसका सबसे अच्छा विकल्प भारत में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध कोयले का उपयोग करना है। हालाँकि भारतीय कोयले के उच्च राख प्रतिशत के कारण अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अधिकांश सुलभ तकनीक मेथनॉल उत्पादन हेतु पर्याप्त नहीं होगी।
    • इस मुद्दे को हल करने के लिये भेल ने 1.2 TPD फ्लूइडाइज़्ड बेड गैसीफायर का उपयोग करके उच्च राख वाले भारतीय कोयले से 0.25 TPD (टन प्रतिदिन) मेथनॉल बनाने की सुविधा का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया।
      • उत्पादित कच्चे मेथनॉल की शुद्धता 98 और 99.5% के बीच होती है।
    • यह नीति आयोग के 'मेथनॉल इकॉनमी' कार्यक्रम का हिस्सा है जिसका उद्देश्य भारत के तेल आयात बिल, ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन को कम करना और कोयला भंडार तथा नगरपालिका के ठोस कचरे को मेथनॉल में परिवर्तित करना है।
    • साथ ही यह आंतरिक क्षमता भारत के कोयला गैसीकरण मिशन और हाइड्रोजन मिशन के लिये कोयले से हाइड्रोजन उत्पादन में सहायता करेगी।

नीति आयोग का मेथनॉल अर्थव्यवस्था कार्यक्रम:

  • मेथनॉल के बारे में: मेथनॉल एक कम कार्बन, हाइड्रोजन वाहक ईंधन है जो उच्च राख वाले कोयले, कृषि अवशेषों, थर्मल पावर प्लांटों से CO2 और प्राकृतिक गैस से उत्पन्न होता है। COP 21 (पेरिस समझौता) के लिये भारत की प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिये यह सबसे अच्छा मार्ग है।
  • पेट्रोल और डीज़ल की तुलना में मेथनॉल: हालाँकि पेट्रोल और डीज़ल की तुलना में सीमित ऊर्जा परिक्षमता के साथ मेथनॉल, इन दोनों ईंधनों को परिवहन क्षेत्र (सड़क, रेल और समुद्री), ऊर्जा क्षेत्र (बॉयलर, प्रोसेस हीटिंग मॉड्यूल सहित ट्रैक्टर और वाणिज्यिक वाहन) तथा खुदरा खाना पकाने (एलपीजी [आंशिक रूप से], मिट्टी तेल और लकड़ी के चारकोल की जगह) जैसे क्षेत्रों में रूपांतरित कर सकता है। 
  • पर्यावरण और आर्थिक प्रभाव: 
    • गैसोलीन में 15% मेथनॉल के सम्मिश्रण से गैसोलीन/कच्चे तेल के आयात में कम- से-कम 15% की कमी हो सकती है। इसके अलावा इससे पार्टिकुलेट मैटर, NOx और SOx के मामले में GHG उत्सर्जन में 20% की कमी आएगी, जिससे शहरी वायु गुणवत्ता में सुधार होगा।
    • मेथनॉल अर्थव्यवस्था मेथनॉल उत्पादन/अनुप्रयोग और वितरण सेवाओं के माध्यम से करीब 50 लाख रोज़गार सृजित करेगी।
    • इसके अतिरिक्त LPG में 20% DME (डाय-मिथाइल ईथर, मेथनॉल का एक उत्पाद) को मिलाकर सालाना 6000 करोड़ रुपए की बचत की जा सकती है। इससे उपभोक्ता को प्रति सिलेंडर 50-100 रुपए की बचत करने में मदद मिलेगी।
  • पहलें:
    • भारतीय मानक ब्यूरो ने LPG के साथ 20% DME सम्मिश्रण को अधिसूचित किया है और सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा M-15, M-85, M-100 मिश्रणों के लिये एक अधिसूचना जारी की गई है।
    • अक्तूबर 2018 में असम पेट्रोकेमिकल्स ने एशिया का पहला कनस्तर-आधारित मेथनॉल खाना पकाने के ईंधन कार्यक्रम का शुभारंभ किया। यह पहल एक स्वच्छ, लागत प्रभावी और प्रदूषण मुक्त खाना पकाने के प्रावधान की दिशा में प्रयास करने के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
    • इज़रायल के साथ एक संयुक्त उद्यम में उच्च राख कोयले पर आधारित पाँच मेथनॉल संयंत्र, पाँच DME संयंत्र और 20 MMT/वर्ष की क्षमता वाले एक प्राकृतिक गैस आधारित मेथनॉल उत्पादन संयंत्र की स्थापना की योजना बनाई गई है।
    • समुद्री ईंधन के रूप में मेथनॉल का उपयोग करने हेतु भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के लिये कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा तीन नावों और सात मालवाहक जहाज़ो का निर्माण किया जा रहा है।

आगे की राह 

  • भारत के पास 125 बिलियन टन प्रमाणित कोयला भंडार और 500 मिलियन टन बायोमास के साथ हर साल उत्पन्न होने वाले वैकल्पिक फीडस्टॉक और ईंधन के आधार पर ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने की एक बड़ी क्षमता है।
  • हालाँकि मेथनॉल पर सरकार द्वारा EV (इलेक्ट्रिक वाहन) की तरह ध्यान नहीं दिया जाता है। मेथनॉल अर्थव्यवस्था को समग्र रूप से लागू करने के लिये महत्त्वपूर्ण कार्य करने की आवश्यकता है।
  • मेथनॉल आधारित प्रौद्योगिकी का विकास ऊर्जा आयात करने वाले भारत को ऊर्जा निर्यातक देश में बदल सकता है।

स्रोत: पीआईबी

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