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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

सौर ऊर्जा से बदलेगी देश के ग्रामीण स्वास्थ्य की तस्वीर

  • 12 Dec 2017
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

छत्तीसगढ़ राज्य ने सौर ऊर्जा के ज़रिये अपने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को नवजीवन प्रदान किया है। हाल ही में ऊर्जा के क्षेत्र में कार्यरत गैर सरकारी संगठन Council for Energy, Environment and Water (CEEW) ने छत्तीसगढ़ राज्य के 15 ज़िलों के सौर ऊर्जा से चलने वाले 83 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों समेत 147 केंद्रों का आकलन करने के बाद एक रिपोर्ट प्रकाशित करके यह जानकारी दी है।

“Powering Primary Healthcare through Solar in India: Lessons from Chhattisgarh” नामक शीर्षक से प्रकाशित इस रिपोर्ट में बताया गया है कि जिन ग्रामीण इलाकों के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में सौर ऊर्जा प्रणाली स्थापित की गई, उन इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं में आश्चर्यजनक सुधार हुआ है। 

छत्तीसगढ़ में इस पहल की आवश्यकता क्यों पड़ी?

  • छत्तीसगढ़ की नवजात शिशु मृत्यु दर शेष ग्रामीण भारत की तुलना में अधिक है।
  • छत्तीसगढ़ के जिन जिलों के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र विद्युतीकृत नहीं थे, उन जिलों में नवजात शिशु मृत्यु दर तथा 5 वर्ष के कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर अधिक और रोगों से पूर्णतः प्रतिरक्षित बच्चों की संख्या बहुत कम थी।  

इस पहल के क्या परिणाम देखने को मिले?

  • सौर ऊर्जा द्वारा संचालित केंद्रों ने अन्य केंद्रों की अपेक्षा 50% ज़्यादा मरीज भर्ती किये अर्थात् इन स्वास्थ्य केंद्रों ने रोगियों को संस्थागत इलाज़ के लिये प्रेरित किया।
  • उच्च नवजात शिशु मृत्यु दर वाले इस राज्य में सौर ऊर्जा द्वारा संचालित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों ने पहले की तुलना में लगभग दुगुने बच्चों का सुरक्षित प्रसव कराने में सफलता दर्ज की।
  • सौर ऊर्जा द्वारा संचालित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में से 90% के बिजली खर्च में कमी आई है। साथ ही जनरेटर के लिये इस्तेमाल होने वाले डीज़ल के खर्च में भी कमी आई है। 

राष्ट्रीय स्तर पर ऐसी पहल की आवश्यकता क्यों?

  • भारत के लगभग 4.6% प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र विद्युतीकृत नहीं है।
  • ग्रामीण भारत में प्रत्येक दूसरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या तो अविद्युतीकृत है या उसमें बिजली की अनियमित आपूर्ति है।
  • प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में सौर ऊर्जा प्रणाली स्थापित करने से एक कार्बन-न्यून, जलवायु-हितैषी राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा तंत्र के निर्माण में सहयोग मिलेगा।
  • इमरजेंसी स्वास्थ्य सेवाओं जैसे-प्रसव, नवजात शिशु देखभाल आदि के लिये अबाध बिजली आपूर्ति करने में सौर ऊर्जा कारगर सिद्ध होगी। 

क्या करने की आवश्यकता है?

  • सबसे पहले देश के स्वास्थ्य सुरक्षा तंत्र की बिजली तक वास्तविक पहुँच की पहचान करने की आवश्यकता है।
  • स्थानीय मौसम, रोगों की स्थिति, इलाके की भौगोलिकता तथा बिजली की उपलब्धता के साथ-साथ PHC’s (primary health centres) की ज़रूरतों के अनुकूल सौर प्रणाली स्थापित करने की संभावनाएँ तलाशी जानी चाहिये।
  • “स्वास्थ्य के लिये सौर ऊर्जा” के सिद्धांत को राष्ट्रीय प्राथमिकता बनाना होगा। सभी PHC’s को सौर-चालित बनाकर 160 MW ऊर्जा का उत्पादन विकेंद्रीकृत रूप से किया जाना संभव है।

निष्कर्ष

छत्तीसगढ़ से सीख लेकर राष्ट्रीय स्तर पर भी ऊर्जा लक्ष्यों की प्राप्ति के साथ-साथ ग्रामीण स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर किया जा सकता है। इससे देश के स्वास्थ्य तंत्र की ऊर्जा तक पहुँच, ऊर्जा-सुरक्षा तथा संसाधनों के प्रबंधन के प्रयासों को बल दिया जा सकता है।

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