इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

Be Mains Ready

  • 03 Dec 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    प्रश्न. अभिरुचि एवं अभिवृत्ति सिविल सेवकों में लोक सेवा मूल्यों के विकास हेतु एक-दूसरे के पूरक हैं। टिप्पणी कीजिये। (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • अभिरुचि तथा अभिवृत्ति पद को परिभाषित कीजिये।
    • संक्षेप में इन दोनों के मध्य अंतर स्पष्ट कीजिये।
    • उचित उदाहरणों का प्रयोग करते हुए यह बताएँ कि कैसे ये एक-दूसरे की पूरक हैं।
    • उचित निष्कर्ष दीजिये।
    • अभिरुचि: किसी व्यक्ति की उन विशेषताओं का ऐसा संयोजन है जो बताता है कि यदि व्यक्ति को उचित वातावरण तथा प्रशिक्षण मिले तो वह उस विशेष क्षेत्र में सफल होने के लिये आवश्यक योग्यताओं को प्राप्त करने की कितनी क्षमता रखता है। इससे व्यक्ति के भविष्य में प्रदर्शन करने का आकलन किया जा सकता है।
    • अभिवृत्ति: एक ऐसी मन:स्थिति है जहाँ किसी विषय के प्रति विचार या विचारों का समूह उपस्थित होता है। इसमें एक मूल्यांकन की स्थिति (नकारात्मक, सकारात्मक तथा तटस्थ) उपस्थित होती है जहाँ भावनात्मक घटक के विशेष तरीके से कार्य करने की प्रवृत्ति विद्यमान होती है।

    अभिरुचि व अभिवृत्ति के मध्य अंतर निम्नवत् हैं-

    • अभिवृत्ति कुछ अनुभूतियों के साथ मौजूद क्षमताओं एवं कौशल से संबंधित है जबकि अभिरुचि कौशल, क्षमता तथा ज्ञान अर्जित करने की संभावित क्षमता है।
    • जहाँ अभिवृत्ति किसी व्यक्ति, वस्तु, घटना अथवा विचार के प्रति सकारात्मक, नकारात्मक अथवा तटस्थ भाव है वहीं अभिरुचि कुछ विशेष प्रकार के कार्य करने की क्षमता है जो कि विशेष योग्यता, कौशल अथवा ज्ञान की आवश्यकता को प्रतिबिंबित करती है।

    लोक सेवा के मूल्यों के विकास में अभिरुचि एवं अभिवृत्ति एक-दूसरे के पूरक के रूप में

    • अभिरुचि अथवा अभिवृत्ति में किसी एक की उपस्थिति पर्याप्त नहीं हो सकती इसलिये अभिरुचि के उचित अनुप्रयोग हेतु सही अभिवृत्ति की आवश्यकता होती है। तकनीकी रूप से प्रतिभावान सिविल सेवक जिसके पास कि सही अभिवृत्ति का अभाव है, वह स्वपोषक एवं निठुर (करुणा की अनुपस्थिति) या भ्रष्टाचारी (सत्यनिष्ठा व ईमानदारी के प्रति कमज़ोर अभिवृत्ति) हो सकता है।
    • अभिवृत्ति एवं अभिरुचि आमतौर पर एक-दूसरे को सुदृढ़ बनाती हैं। लोक कल्याण के अपने जनादेश को पूरा करने के लिये एक सिविल सेवक को इन दोनों ही मापदंडों पर खरा उतरना चाहिये। एक सिविल सेवक के पास दोनों ही मूल्यों का होना आवश्यक है ताकि वह किसी भी जटिल, बहुआयामी तथा गत्यात्मक परिस्थिति के लिये प्रतिव्रिया देने की स्थिति में रहे।
    • एक सकारात्मक अभिवृत्ति समाज के कल्याण हेतु अपनी अभिरुचि का प्रयोग करने में एक सिविल सेवक को निर्देशित करती है, उसका मार्गदर्शन करती है जिसकी पुष्टि निम्नलिखित उदाहरणों के माध्यम से की जा सकती है-
      • हाल ही में एक आई.ए.एस. अधिकारी ने स्वेच्छा से राहत सामग्री एकत्रित करके केरल के बाढ़ पीड़ितों की सहायता की क्योंकि उस अधिकारी के पास लोगों के बीच पहुँचकर उनकी सहायता करने की अभिवृत्ति विद्यमान थी। तथा उसने अपनी जनसेवा अभिरुचि के आधार पर इसका समतामूलक वितरण सुनिश्चित किया।
      • एक अन्य उदाहरण के रूप में केरल के एक आई.ए.एस. अधिकारी ने कई नई पहलें, जैसे- कंपेसिनेट कोझिकोड, ऑपरेशन सुलेमानी, प्रीडम कैफे, तेरे मेरे बीच में इत्यादि प्रारंभ कीं जिसने प्रशासन के नवीन युग में प्रवेश करने के लिये ज़िला प्रशासन और नागरिकों के बीच अंतर को सोशल मीडिया तथा प्रौद्योगिकी के अनुकूलतम प्रयोग के माध्यम से पाटने का प्रयास किया।

    इस प्रकार देखा जाए तो एक सफल प्रशासक के लिये समाज सेवा करने हेतु अभिवृत्ति एवं अभिरुचि दोनों की आवश्यकता होती है किंतु इनका महत्त्व केस-दर-केस अलग-अलग हो सकता है। सकारात्मक अभिवृत्ति तथा अभिरुचि एक सिविल सेवक के लिये आवश्यक गुणों, जैसे- भावनात्मक बुद्धिमत्ता, नेतृत्व क्षमता, टीम भावना, समानुभूति, करुणा इत्यादि की पोषक होती हैं।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow