लखनऊ शाखा पर UPPCS जीएस फाउंडेशन का पहला बैच 4 दिसंबर से शुरूCall Us
ध्यान दें:

Be Mains Ready

  • 25 Dec 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    समकालीन अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में अंतर्राष्ट्रीय कानून और संधियाँ नैतिक मार्गदर्शन के स्रोत के रूप में कार्य करती हैं। आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये। (250 शब्द)

    उत्तर

    दृष्टिकोण

    • अंतर्राष्ट्रीय कानूनों और संँधियों को नैतिक मार्गदर्शन के स्रोत के रूप में कार्य करने वाले तथ्यों के रूप में संक्षेप में प्रस्तुत कीजिये।
    • समकालीन अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में इसके महत्त्व और कमियों को स्पष्ट कीजिये।
    • निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय

    हाइपरकनेक्टेड विश्व जो कि आज एक वैश्विक गांँव में तब्दील हो चुका है के लिये अंतर्राष्ट्रीय कानून और संधियांँ समकालीन अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में शामिल नैतिक मुद्दों को संबोधित करने के लिये नैतिक मार्गदर्शन के स्रोत के रूप में कार्य करती हैं।

    प्रारूप

    अंतर्राष्ट्रीय कानूनों और संधियों में नैतिकता

    • मानव अधिकारों और जाति, लिंग, भाषा या धर्म के रूप में भेद किये बिना सभी के लिये मौलिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करने हेतु संयुक्त राष्ट्र चार्टर में नागरिकों के मानवाधिकारों को कायम रखने की प्रतिबद्धता व्यक्त की गई तथा आर्थिक, सामाजिक, स्वास्थ्य एवं संबंधित समस्याओं, सार्वभौमिक सम्मान’ व उनके पालन के लिये जीवन के उच्च स्तर को प्राप्त करने से संबंधित सिद्धांतों के व्यापक समूह की रूपरेखा प्रस्तुत की गई।
    • 10 दिसंबर, 1948 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपनाई गई मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (यूडीएचआर) को पहली बार मौलिक मानवाधिकारों हेतु सार्वभौमिक रूप से स्वीकार किया गया।
    • जिनेवा सम्मेलनों में चार संधियाँ और तीन अतिरिक्त प्रोटोकॉल शामिल हैं जो युद्ध में घायलों के लिये मानवीय उपचार हेतु अंतर्राष्ट्रीय कानूनी मानकों को स्थापित करते हैं।
    • वर्ष 1951 का शरणार्थी सम्मेलन शरणार्थी को परिभाषित करता है तथा शरण देने वाले व्यक्तियों के अधिकारों और शरण देने वाले राष्ट्रों की ज़िम्मेदारियों को निर्धारित करता है।
    • UNFCCC के तहत पेरिस जलवायु समझौता जलवायु संकल्प में CBDR (सामान्य लेकिन विभेदित ज़िम्मेदारी) सिद्धांत को अपनाकर जलवायु न्याय को सुनिश्चित करता है।
    • विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) और इसके ट्रिप्स समझौते ने वैश्विक व्यापार एवं बौद्धिक संपदा अधिकारों में शामिल नैतिक मुद्दों को संबोधित किया है।
    • चार प्रमुख वैश्विक समूहों (Global Commons) जिनमें समुद्री के कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCLOS), वायुमंडल, अंटार्कटिका, बाहरी अंतरिक्ष शामिल हैं, में नैतिक मुद्दों को संबोधित करने के लिये कई कानून और संधियाँ हैं।

    अंतर्राष्ट्रीय नैतिकता के मानकों की सीमाएंँ

    • निरस्त्रीकरण: - अमेरिका जैसे देश ईरान जैसे देशों को परमाणु हथियार विकसित करने से रोकने के लिये आर्थिक और अन्य प्रतिबंध लगाते हैं। प्रश्न यह है कि किसी देश के अपने स्वयं के परमाणु शस्त्रों को त्यागे बिना दूसरों पर प्रतिबंध लगाना कहाँ की नैतिक है।
    • मानवीय हस्तक्षेप: नैतिक प्रश्न उठाया जाता है कि क्या किसी देश द्वारा दूसरे देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करना सही है।
    • जलवायु परिवर्तन: देश अभी भी CBDR के मुद्दे पर विभाजित हैं।
    • बाह्य अंतरिक्ष: देशों द्वारा अंतरिक्ष में अधिकाधिक उपग्रह प्रक्षेपित करने की होड़ लगी है परंतु किसी भी देश की रूचि अंतरिक्ष मलबे के निपटरन में नहीं है।
    • बौद्धिक संपदा अधिकार: आईपीआर की प्रतिबंधात्मक धाराएंँ गरीब और विकासशील देशों को नई तकनीकों एवं जीवनरक्षक दवाओं का उपयोग करने से वंचित करती हैं। जिससे वाणिज्यिक लाभ बनाम हयुमेन कॉज के मध्य नैतिक मुद्दा उत्पन्न होता है।
    • व्यापार वार्ता/दोहा दौर: क्या विकासशील देशों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अपेक्षाकृत उच्च रियायतों की मांग करना नैतिक रूप से उचित है।
    • इंटरनेशनल फंडिंग और विकास के लिये मदद कुछ ऐसी शर्तों के साथ दिये जाते हैं जो नैतिक रूप से गलत हो सकती हैं। जैसे- वर्ष 1991 में आर्थिक संकट को रोकने के लिये IMF द्वारा भारत को वित्त सहायता आर्थिक उदारीकरण (एलपीजी सुधार) की शर्त के साथ प्रदान की गई थी।

    निष्कर्ष

    वैश्विक जटिल समस्याओं जैसे- आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, गरीबी और असमानता को दूर करने तथा वैश्विक शांति को नष्ट होने से बचाने के लिये अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति में सार्वभौमिक नैतिक व्यवहार स्थापित करने की आवश्यकता है।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2