ध्यान दें:

Be Mains Ready

  • 21 Aug 2019 रिवीज़न टेस्ट्स भूगोल

    निम्नलिखित में से प्रत्येक का लगभग 150 शब्दों में उत्तर दीजिये:

    a. पटल विरूपण का आशय स्पष्ट कीजिये।

    b. वृहत् संचलन एवं अपरदन में अंतर को स्पष्ट कीजिये।

    (a)

    प्रश्न विच्छेद

    • पटल विरूपण की चर्चा कीजिये।

    हल करने का दृष्टिकोण

    • भूमिका।

    • पटल विरूपण को परिभाषित कीजिये।

    • पटल विरूपण में सम्मिलित प्रक्रियाओं को समझाइये।

    पृथ्वी का भूदृश्य अंतर्जनित और बहिर्जनिक बलों द्वारा उत्पन्न भौतिक दबाव तथा रासायनिक क्रियाओं के कारण परिवर्तनशील है। पटल विरूपण अंतर्जनित भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ हैं।

    पटल विरूपण से आशय उस प्रक्रिया से है जिसमें पृथ्वी की पर्पटी में झुकाव, वलन, भ्रंश या विभंग पैदा होता है तथा धरातल पर असमानताएँ उत्पन्न होती हैं। यह प्रक्रिया पृथ्वी के अंदर बहुत ही धीमी गति से कार्य करती है तथा इसका प्रभाव दीर्घकाल में दिखाई देता है। यह क्षैतिज एवं लंबवत् दोनों दिशाओं में कार्य करता है। क्षैतिज बल से जहाँ धरातल पर संपीडन, तनाव एवं अपरूपण होता है वहीं, लंबवत् बल से उन्मज्जन एवं निमज्जन की प्रक्रिया घटित होती है। इनमें निम्नलिखित प्रक्रियाएँ सम्मिलित हैं:

    • तीक्ष्ण वलन के माध्यम से पर्वत निर्माण तथा भू-पर्पटी की लंबी एवं संकीर्ण पट्टियों को प्रभावित करने वाली पवर्तनी प्रक्रियाएँ।
    • अपेक्षाकृत छोटे स्थानीय संचलन के कारण उत्पन्न भूकंप।
    • धरातल के बडे़ भाग के उत्थान या विकृति में संलग्न महाद्वीपीय रचना संबंधी प्रक्रियाएँ।
    • पर्पटी प्लेट के क्षैतिज संचलन में प्लेट विवर्तनिकी की भूमिका।

    (b)

    प्रश्न विच्छेद

    • वृहत् संचलन एवं अपरदन में अंतर को बताना है।

    हल करने का दृष्टिकोण

    • वृहत् संचलन एवं अपदन को परिभाषित कीजिये।

    • इनमें अंतर को बताइये।

    वृहत् संचलन एवं अपरदन अनाच्छादन से संबंधित प्रक्रियाएँ हैं। ये प्रक्रियाएँ एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में भिन्न-भिन्न होती हैं। इनको प्रभावित करने वाले मुख्य कारक तापमान और वर्षण हैं। कभी-कभी वृहत् संचलन को अपरदन के अंतर्गत मान लिया जाता है, जो गलत है। वृहत संचलन के अंतर्गत वे सभी संचलन आते हैं, जिनमें शैलों का वृहत् मलबा गुरुत्वाकर्षण के सीधे प्रभाव के कारण ढाल के अनुरूप स्थानांतरित होता है। अपरदन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें धरातलीय सतह जल, वायु एवं हिमानी द्वारा घर्षित होती है। अपरदन के अंतर्गत शैलों के मलबे की प्राप्ति एवं उनके परिवहन को सम्मिलित किया जाता है।

    वृहत् संचलन एवं अपरदन में अंतर:

    • वृहत् संचलन का प्रेरक बल जहाँ गुरुत्वाकर्षण है, वहीं अपरदन गतिज ऊर्जा का परिणाम है।
    • वृहत् संचलन में मलबे के स्थानांतरण में भू-आकृतिक कारकों (जल, हिमानी) की प्रत्यक्ष भूमिका नहीं होती है, वहीं अपरदन में भू-आकृतिक कारक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
    • वृहत् संचलन की भू-निम्नीकरण में जहाँ सीमित भूमिका होती है, वहीं अपरदन धरातल पर होने वाले परिवर्तनों का मुख्य आधार है।
    • वृहत् संचलन अपक्षयित ढालों पर अनपक्षयित ढालों की अपेक्षा बहुत अधिक सक्रिय रहता है, वहीं अपरदन के लिये ऐसी कोई अनिवार्यता नहीं है।

    निष्कर्षत: वृहत् संचलन एवं अपरदन अलग-अलग प्रक्रियाएँ हैं किंतु ये सामूहिक रूप से धरातल पर भू-संतुलन को स्थापित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2