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Sambhav-2023

  • 05 Dec 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 1 संस्कृति

    दिवस 23

    प्रश्न- 1. कृषि के बाद हस्तशिल्प सबसे बड़े रोजगार सृजकों में से एक है लेकिन इसमें कुछ चुनौतियाँ विद्यमान हैं। चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

    प्रश्न- 2. यूनेस्को की मूर्त विश्व विरासत स्थलों (WHS) की सूची में भारत के मूर्त विरासत स्थलों को शामिल करने से कुछ अन्य लाभों के साथ-साथ इसकी विशिष्ट स्थिति को बनाए रखने में भी मदद मिलती है। चर्चा कीजिये। (150 शब्द)

    उत्तर

    उत्तर 1:

    दृष्टिकोण:

    • हस्तशिल्प के बारे में संक्षिप्त जानकारी देते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
    • हस्तशिल्प क्षेत्र के महत्व पर चर्चा कीजिये।
    • हस्तशिल्प क्षेत्र से संबंधित चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।
    • आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    हस्तशिल्प के अंतर्गत ऐसी वस्तुएँ शामिल होती हैं जिनका निर्माण बड़े पैमाने पर उत्पादन विधियों और उपकरणों के बजाय सरल उपकरणों का उपयोग करके हाथ से किया जाता है। इन वस्तुओं को विशिष्ट कार्य या उपयोग के साथ-साथ सजावट के लिये तैयार किया जाता है।

    हथकरघा और हस्तशिल्प उद्योग, दशकों से भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ रहा है। भारत में इसके अंतर्गत लकड़ी के सामान, कलात्मक धातु के सामान, हाथ से बने कपड़े, कशीदाकारी के सामान, जरी के सामान, नकली आभूषण, मूर्तियाँ, मिट्टी के बर्तन, काँच की वस्तुओं और अगरबत्ती आदि का उत्पादन होता है।

    हस्तशिल्प क्षेत्र का महत्व:

    • सबसे बड़ा रोज़गार सृजक: यह कृषि के बाद सबसे बड़े रोज़गार सृजनकर्त्ताओं में से एक है जो देश की ग्रामीण और शहरी आबादी की आजीविका का प्रमुख साधन है।
    • पर्यावरण-हितैषी: यह क्षेत्र आत्मनिर्भर व्यवसाय मॉडल पर कार्य करता है जिसमें शिल्पकार अक्सर अपने स्वयं के कच्चे माल का उत्पादन करते हैं। शून्य-अपशिष्ट होने के कारण यह पर्यावरण के अनुकूल होता है।
    • हमारी परंपरा की समृद्ध कला के लिये महत्त्वपूर्ण : हमारी परंपरा, विरासत और संस्कृति, पारंपरिक कौशल और लोगों की जीवन शैली और इतिहास से जुड़ी प्रतिभाओं की समृद्ध कला के लिये हस्तशिल्प महत्वपूर्ण हैं। उदाहरण के लिये, जीआई टैग के तहत विभिन्न उत्पादों को मान्यता प्रदान किया जाना।
    • कम लागत: हस्तशिल्प उद्योग में कम पूंजी निवेश से ही रोजगार के अवसर प्राप्त होते हैं और यह विदेशों से प्राप्त होने वाली आय का एक प्रमुख माध्यम बन गया है।

    हस्तशिल्प क्षेत्र से संबंधित चुनौतियाँ:

    • राष्ट्रव्यापी बाजार में कम प्रभाव: स्थानीय कारीगरों को विभिन्न समुदायों के साथ संबंध स्थापित करने में कठिनाई हो रही है। कुछ संगठन इन्हें व्यापक स्तर तक प्रसारित होने में मदद कर रहे हैं लेकिन इनके शिल्प कौशल को संभावित खरीददारों तक पहुँचाने की आवश्यकता है।
    • बाजार की नवीनतम प्रवृत्ति के बारे में जागरूकता का अभाव: हस्तशिल्प, सटीकता की कला है। इसमें कुशल शिल्प कौशल और वर्षों के अभ्यास की आवश्यकता होती है। भारतीय कारीगर हाथ से बने अद्वितीय उत्पादों को तैयार करने में कुशल होने के बावजूद नवीन प्रवृत्तियों के अनुरूप बने रहने के लिये संघर्ष कर रहे हैं। इसका कारण नई तकनीकी प्रवृत्तियों को अपनाने के लिये वित्तीय क्षमता की कमीं या अपर्याप्त प्रशिक्षण हो सकता है।
    • धन का अभाव: व्यवसाय मॉडल हेतु ऋण तक पहुँच नहीं होने से इनके व्यवसाय में अस्थिरता बनी रहती है।
    • प्रौद्योगिकी का निम्न स्तर: इनका नई और उन्नत तकनीक तक पहुँच का अभाव होता है जिससे बाजार में इनके उत्पादों की लागत बढ़ जाती है। इसके अलावा इस क्षेत्र के हस्तनिर्मित उत्पाद, मशीन से होने वाले बड़े पैमाने के उत्पादों से कम प्रतिस्पर्धी होते हैं।
    • खराब संस्थागत ढाँचा: हस्तशिल्प उत्पादन ज्यादातर गांवों में संकेंद्रित है और यहाँ के लोग सहकारी समितियों के जैसे अच्छी तरह से संगठित नहीं होते हैं जिससे इनके संचालन का क्षेत्र भी सीमित होता है।

    आगे की राह:

    • भारतीय शिल्प क्षेत्र में उचित समर्थन और व्यावसायिक वातावरण से एक अरब डॉलर का बाज़ार बनने की संभावना है।
    • शिल्प कौशल के आंतरिक मूल्य की संवृद्धि हेतु एक व्यवस्थित दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है जिससे उत्पाद डिज़ाइन और निर्माण के लिये नए रास्ते खुलने के साथ नए बाज़ारों तक पहुंँच प्राप्त होगी ।
    • साथ ही ऑनलाइन दृश्यता और परिचालन क्षमता के लिये ई-कॉमर्स पर ध्यान देना एक महत्त्वपूर्ण सफलता कारक साबित होगा क्योंकि इससे इस क्षेत्र को और प्रोत्साहन मिलेगा।
    • वैश्वीकरण के वर्तमान समय में हस्तशिल्प क्षेत्र में घरेलू और वैश्विक बाज़ारों में व्यापक अवसर हैं। लेकिन इसके लिये कारीगरों की अनिश्चित स्थिति के संदर्भ में उनके उत्थान के लिये उचित हस्तक्षेप की आवश्यकता है। सरकार ने पहले से ही ऐसे उपायों को अपनाकर काफी प्रगति की है जिससे हस्तशिल्प उत्पादों को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाकर शिल्पकारों की स्थिति में सुधार किया जा सके।

    उत्तर 2:

    दृष्टिकोण:

    • यूनेस्को के मूर्त विश्व विरासत स्थलों (WHS) की सूची के बारे में संक्षिप्त जानकारी देते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
    • यूनेस्को के मूर्त विश्व विरासत स्थलों (WHS) की सूची में किसी स्थल को शामिल करने से होने वाले लाभों पर चर्चा कीजिये।
    • उचित निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    विश्व विरासत स्थल (WHS) का दर्जा देने के माध्यम से, संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (" UNESCO ") द्वारा उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्य वाले सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत स्थलों की पहचान करने के साथ इनके संरक्षण को प्रोत्साहित किया जाता है।

    मुख्य भाग:

    यूनेस्को के मूर्त विश्व विरासत स्थलों (WHS) की सूची में किसी स्थल को शामिल करने से निम्नलिखित लाभ होते हैं:

    • वित्तपोषण: WHS का दर्जा मिल जाने से प्राप्त होने वाले वित्तपोषण से इन स्थलों के संरक्षण स्तर में सुधार होता है और इसकी लोकप्रियता बढ़ने से स्थानीय स्तर पर इनके विकास को बढ़ावा मिलता है। WHS का दर्जा मिल जाने से इसकी योजना प्रणाली पर तो मामूली प्रभाव पड़ता है लेकिन वित्तपोषण पर इसका महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
    • पर्यटन: WHS का दर्जा मिल जाने से होने वाले 'ब्रांडिंग प्रभाव' के कारण लोग अधिक आकर्षित होते हैं। इसके मामूली प्रभाव (0-3%) से संबंधित उदहारण मौजूद हैं इससे कम लोकप्रिय स्थलों को प्रोत्साहन मिलता है।
    • शिक्षा एवं जागरूकता: WHS का दर्जा प्राप्त होने से हमें किसी स्थल की पुरानी परंपरा और संस्कृति के बारे में जानने को मिलेगा।
    • सामाजिक पूँजी: WHS से स्थानीय समुदाय के बीच समन्वय के अवसरों से होने वाली वृद्धि से सामाजिक एकता और सामंजस्य को बढ़ावा मिलता है।
    • सहभागिता: WHS का दर्जा प्राप्त होने से आवश्यक परामर्श के माध्यम से साझेदारी गतिविधि को बढ़ावा मिलने से प्रबंधन बेहतर होता है। इससे स्वच्छ और स्वस्थ परिवेश के साथ-साथ रोजगार के अवसरों में वृद्धि के कारण स्थानीय निवासियों और आगंतुकों को अप्रत्यक्ष रूप से लाभ होता है।
    • युद्ध के दौरान सुरक्षा: जिनेवा कन्वेंशन के तहत युद्ध के दौरान ऐसे स्थल विनाश या दुरुपयोग के खिलाफ संरक्षित हो जाते हैं।

    निष्कर्ष:

    विश्व विरासत स्थल के रूप में शामिल किये जाने वाले किसी स्थल के लाभों को ध्यान में रखते हुए, हम यह कह सकते हैं कि विश्व विरासत स्थल का दर्जा किसी विशिष्ट स्थल के संरक्षण के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर लोगों को आर्थिक लाभ प्रदान करने में निर्णायक है।

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