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  • 30 Aug 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 3 आंतरिक सुरक्षा

    दिवस-39. आतंकवाद और संगठित अपराध (जैसे हथियारों और मादक पदार्थों की तस्करी) के बीच गठबंधन ने भारत की आंतरिक सुरक्षा को किस प्रकार प्रभावित किया है और इस गठबंधन को तोड़ने के लिये क्या रणनीतियाँ हैं? (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • संगठित अपराध और आतंकवाद के साथ इसके संबंध को परिभाषित करते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
    • भारत की आंतरिक सुरक्षा पर आतंकवाद और संगठित अपराध के प्रभावों की चर्चा कीजिये।
    • आतंकवाद-संगठित अपराध के बीच गठबंधन को बाधित वाली रणनीतियों पर चर्चा कीजिये।
    • तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।

    संगठित अपराध का आशय सीमा पार संचालित समूहों या नेटवर्क द्वारा व्यवस्थित और योजनाबद्ध आपराधिक गतिविधियाँ में शामिल होने से है जिनका लक्ष्य अवैध तरीकों से वित्तीय लाभ उठाना तथा सामाजिक कमज़ोरियों का फायदा उठाना होता है। उदाहरण के लिये हथियारों की तस्करी, मादक पदार्थों की तस्करी और मानव तस्करी जैसी गतिविधियाँ इस श्रेणी में आती हैं।

    आतंकवाद और संगठित अपराध (विशेष रूप से हथियारों व मादक पदार्थों की तस्करी के माध्यम से) के एकीकरण ने भारत की आंतरिक सुरक्षा को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने वर्ष 2020 के दौरान भारत में आतंकवाद से संबंधित 5,125 घटनाएँ दर्ज कीं, जो इस मुद्दे की गंभीरता पर ज़ोर देती हैं।

    भारत की आंतरिक सुरक्षा पर आतंकवाद तथा संगठित अपराध के अंतर्संबंध का प्रभाव:

    • सुरक्षा खतरे में वृद्धि: आतंकवाद और संगठित अपराध के अंतर्संबंध ने भारत में समग्र सुरक्षा खतरे को बढ़ा दिया है।
      • उदाहरण: लश्कर-ए-तैयबा (LeT) द्वारा वर्ष 2008 में किये गए मुंबई हमलों में तस्करी के हथियारों और विस्फोटकों का उपयोग शामिल था, जो आतंकवाद तथा हथियारों की तस्करी के बीच संबंध को दर्शाता है।
    • आतंकवादी गतिविधियों को वित्तपोषण: संगठित अपराध नेटवर्क अक्सर नशीली दवाओं के व्यापार और जबरन वसूली जैसी अवैध गतिविधियों के माध्यम से आतंकवादी संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं।
      • उदाहरण: वर्ष 2019 में भारत सरकार ने आतंकवाद के वित्तपोषण तथा इसको बढ़ावा देने में शामिल होने के कारण जमात-ए-इस्लामी जम्मू और कश्मीर (JeIJK) पर प्रतिबंध लगा दिया।
    • सीमा पार घुसपैठ: आतंकवादी समूह अक्सर सीमा पार घुसपैठ के लिये संगठित अपराध मार्गों का उपयोग करते हैं, जिससे भारत की सीमाओं पर सुरक्षा चुनौतियाँ बढ़ जाती हैं।
      • उदाहरण: संसद में साझा किये गए आधिकारिक आँकड़ों से पता चलता है कि पिछले कुछ वर्षों में जम्मू-कश्मीर में नशीली दवाओं के दुरुपयोग की व्यापकता में काफी वृद्धि हुई है, जिससे इस क्षेत्र में लगभग 10 लाख लोग प्रभावित हुए हैं।
    • समानांतर अर्थव्यवस्थाएँ: संगठित अपराध से अवैध राजस्व उत्पन्न होने के साथ औपचारिक संस्थान कमज़ोर एवं अस्थिर होते हैं।
      • उदाहरण: भारत में नक्सली समूह जबरन वसूली और अवैध गतिविधियों के माध्यम से अपने विद्रोह को वित्त पोषित करते हैं, जिससे गंभीर सुरक्षा खतरा उत्पन्न होता है।
    • ड्रग्स और आतंकवाद का समन्वय: अवैध नशीली दवाओं का व्यापार आतंकवादी संगठनों के लिये वित्तपोषण का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है, भारत नशीली दवाओं की तस्करी के लिये पारगमन और गंतव्य बिंदु के रूप में कार्य करता है।
      • उदाहरण: गोल्डन क्रिसेंट क्षेत्र (अफगानिस्तान, पाकिस्तान व ईरान) नशीले पदार्थों का एक प्रमुख स्रोत है और इस क्षेत्र से नशीले पदार्थ अक्सर आतंकवादी समूहों से होते हुए भारत में आते हैं।
    • सीमावर्ती क्षेत्रों में अस्थिरता: सीमावर्ती क्षेत्रों में आतंकवाद तथा संगठित अपराध के समन्वय से अस्थिरता पैदा हुई है, जिससे शासन और विकास के लिये चुनौतियाँ उत्पन्न हुई हैं।
      • उदाहरण: भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में इस तरह का अभिसरण देखा गया है, जहाँ विद्रोही समूह मादक पदार्थों तथा हथियारों की तस्करी में लगे हुए हैं।
    • कानून प्रवर्तन के लिये चुनौतियाँ: आतंकवाद-अपराध गठजोड़ का मुकाबला करने के लिये कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सुरक्षा और आपराधिक दोनों पहलुओं को हल करने की आवश्यकता है, जिसके लिये समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है।
      • उदाहरण: केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) और राज्य पुलिस बल अक्सर आतंकी संबंधों वाले आपराधिक नेटवर्क को नष्ट करने के लिये सहयोग करते हैं।

    आतंकवाद एवं संगठित अपराध के बीच गठजोड़ को बाधित करने वाली रणनीतियाँ:

    • सीमा पर निगरानी बढ़ाना: सीमा पार से हथियारों और मादक पदार्थों की तस्करी पर अंकुश लगाने के लिये सीमा सुरक्षा को मज़बूत करना।
      • उदाहरण: जम्मू और कश्मीर में ऑपरेशन "ऑल आउट" के कारण सीमा पर निगरानी बढ़ गई, जिससे आतंकवादी समूहों द्वारा घुसपैठ के प्रयासों में कमी आई।
    • खुफिया जानकारी साझा करना और समन्वय बढ़ाना: आतंकवाद और संगठित अपराध दोनों के संबंध में खुफिया जानकारी साझा करने के लिये राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ सहयोग करना।
      • उदाहरण: भारत, सीमा पार आतंकवाद और संगठित अपराध जैसी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिये नेपाल एवं बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों के साथ खुफिया जानकारी साझा करता है।
    • साइबर इंटेलिजेंस और निगरानी: गठजोड़ का समर्थन करने वाले डिजिटल संचार और वित्तीय लेनदेन का पता लगाने के लिये ऑनलाइन गतिविधियों की निगरानी करना।
      • उदाहरण: राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) ने आतंकवादी समूहों और वित्तीय लेनदेन के बीच संबंधों को उजागर करने के लिये संचार चैनलों की निगरानी पर बल दिया।
    • संयुक्त अभियान: गठजोड़ वाले तत्वों के खिलाफ लक्षित अभियानों के क्रम में विभिन्न कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच प्रयासों का समन्वय करना।
      • उदाहरण: भारतीय सेना, केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF) तथा स्थानीय पुलिस के बीच संयुक्त अभियान से आतंकवादियों और अपराधियों की गतिविधियों में कमी आई है।
    • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: हथियारों, दवाओं और धन के अंतर्राष्ट्रीय प्रवाह को बाधित करने के लिये पड़ोसी देशों एवं अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग करना।
      • उदाहरण: INTERPOL और क्षेत्रीय तंत्र के साथ भारत के सहयोग ने अंतर्राष्ट्रीय अपराधियों के खिलाफ संयुक्त कार्रवाई को बेहतर किया है।
    • वित्तीय ट्रैकिंग और फ्रीज़िंग: भारत ने आतंकवाद और आपराधिक गतिविधियों का समर्थन करने वाले अवैध धन प्रवाह को लक्षित करने के लिये अपने मनी-लॉन्ड्रिंग विरोधी कानूनों तथा प्रवर्तन तंत्र को मज़बूत किया है।
      • उदाहरण: भारतीय अधिकारियों ने आतंक के वित्तपोषण और संगठित अपराध में शामिल व्यक्तियों एवं संस्थाओं से जुड़ी संपत्तियों तथा बैंक खातों को सीज़ किया है।
    • विधायी सुधार:
      • उदाहरण: आतंकवाद और संगठित अपराध दोनों में ही शामिल व्यक्तियों या समूहों से संबंधित प्रावधानों को शामिल करने के लिये गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम में संशोधन किया गया है।
    • सामुदायिक समन्वय और डी-रेडिकलाइज़ेशन: कट्टरपंथ को रोकने और आतंकवादी तथा आपराधिक गतिविधियों के लिये स्थानीय समर्थन पर अंकुश लगाने के लिये समुदायों को शामिल करना।
      • उदाहरण: जम्मू और कश्मीर में "ऑपरेशन अमन" पहल, कट्टरपंथ का मुकाबला करने के लिये सामुदायिक पहुँच पर केंद्रित है।

    राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद और वैश्विक अपराध के कारण बढ़ती कमज़ोरियों को रेखांकित करते हुए व्यापक सुरक्षा दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया है। विशेषज्ञों द्वारा निर्देशित भारत की बहुमुखी रणनीतियाँ आतंकवाद और संगठित अपराध के बीच संबंध को खत्म करने, आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा एक सुरक्षित भविष्य के निर्माण में आवश्यक हैं।

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