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Mains Marathon

  • 30 Aug 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 2 सामाजिक न्याय

    दिवस-39. मैनुअल स्कैवेंजिंग की समस्या को हल करने में कानून और नीतिगत ढाँचे की भूमिका पर चर्चा करते हुए इस प्रथा को समाप्त करने हेतु उठाए गए उपायों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन कीजिये। (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • मैनुअल स्कैवेंजिंग के अर्थ के बारे में संक्षेप में बताते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
    • मैनुअल स्कैवेंजिंग की व्यापकता के कारणों पर चर्चा कीजिये।
    • इसे हल करने के लिये नीतियों और कानून की प्रभावशीलता पर चर्चा कीजिये।
    • उचित निष्कर्ष लिखिये।

    मैनुअल स्कैवेंजिंग से तात्पर्य सार्वजनिक क्षेत्रों, शुष्क शौचालयों से मानव मल की सफाई के साथ-साथ सेप्टिक टैंक, गटर और सीवर की सफाई से जुड़े कार्य करने से है।

    मैनुअल स्कैवेंजिंग की व्यापकता के कारण:

    • जाति-आधारित भेदभाव: राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग (NCSK) की रिपोर्ट के अनुसार जाति-आधारित मानदंड और भेदभाव कई व्यक्तियों को पीढ़ीगत व्यवसाय के रूप में मैला ढोने के लिये मज़बूर करते हैं।
    • विकल्पों और कौशल की कमी: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के एक अध्ययन में पाया गया है कि गरीबी और वैकल्पिक रोज़गार विकल्पों की कमी के कारण हाथ से मैला ढोने की प्रथा को बढ़ावा मिलता है।
    • अपर्याप्त स्वच्छता अवसंरचना: सामाजिक-आर्थिक और जातिगत जनगणना 2011 से पता चला है कि अपर्याप्त स्वच्छता सुविधाओं के कारण बड़ी संख्या में परिवार अभी भी शौचालयों की सफाई के लिये हाथ से मैला ढोने पर निर्भर हैं।
    • अज्ञानता और सामाजिक कलंक: वॉटरएड इंडिया द्वारा किये गए एक अध्ययन में जागरूकता की कमी और सामाजिक कलंक को हाथ से मैला ढोने की प्रथा के उन्मूलन में बाधाओं के रूप में संदर्भित किया गया है।

    भारत में मैनुअल स्कैवेंजिंग को हल करने में कानून और नीतिगत ढाँचे की भूमिका:

    • मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोज़गार का निषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम (PEMSR), 2013: यह अधिनियम व्यापक रूप से मैनुअल स्कैवेंजिंग पर प्रतिबंध लगाता है, इसके विभिन्न रूपों को परिभाषित करता है और प्रभावित व्यक्तियों के लिये पुनर्वास उपायों को अनिवार्य बनाता है।
      • प्रभावशीलता: इस अधिनियम के बावजूद, सभी मैला ढोने वालों की पहचान और पुनर्वास में चुनौतियों के कारण मैला ढोने की घटनाएँ होती रहती हैं। वर्ष 2020 में प्रतिबंध के बावजूद, विभिन्न राज्यों में हाथ से मैला ढोने की घटनाएँ सामने आईं, जो मज़बूत प्रवर्तन की आवश्यकता का संकेत देती हैं।
    • हाथ से मैला ढोने वालों के पुनर्वास के लिये राष्ट्रीय योजना (NSRMS): इस योजना का उद्देश्य हाथ से मैला ढोने वालों के पुनर्वास के लिये वैकल्पिक आजीविका, कौशल विकास और वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
      • प्रभावशीलता: NSRMS के तहत वैकल्पिक व्यवसायों में प्रशिक्षण देकर कुछ मैनुअल स्कैवेंजरों का पुनर्वास किया गया है। हालाँकि सभी प्रभावित व्यक्तियों की पहचान करने में चुनौतियों के कारण इसकी पहुँच सीमित रही है। पूर्व में मैला ढोने वालों को NSRMS के तहत सिलाई और ड्राइविंग जैसे व्यवसायों में प्रशिक्षित किया गया है।
    • सीवरों और सेप्टिक टैंकों की मशीनीकृत सफाई: मशीनीकरण का उद्देश्य सीवरों और सेप्टिक टैंकों की मैन्युअल सफाई को समाप्त करना है, जिससे मानव जोखिम कम हो सके।
      • प्रभावशीलता: मशीनीकरण से इस कार्य में प्रत्यक्ष मानव भागीदारी में कमी आई है लेकिन अभी भी इससे संबंधित चुनौतियाँ बनी हुई हैं। बेंगलुरु और दिल्ली जैसे शहरों में मानव जोखिम को कम करने के लिये सीवर-सफाई करने वाले रोबोट तैनात किये गए हैं।
    • जन जागरूकता अभियान: यह अभियान हाथ से मैला ढोने के खतरों के बारे में जागरूकता बढ़ाने, सामाजिक धारणाओं को बदलने और ऐसी घटनाओं की रिपोर्टिंग को प्रोत्साहित करने में सहायक है।
      • प्रभावशीलता: सार्वजनिक जागरूकता के कारण हाथ से मैला ढोने की घटनाओं की रिपोर्टिंग में वृद्धि हुई है, जो प्रवर्तन की आवश्यकता पर प्रकाश डालती है। सफाई कर्मचारी संगठन हाथ से मैला ढोने वालों के अधिकारों की वकालत करने वाले अभियानों में सबसे आगे रहे हैं।
    • सर्वोच्च न्यायालय का हस्तक्षेप: सर्वोच्च न्यायालय ने मैनुअल स्कैवेंजिंग से संबंधित कानूनों के कार्यान्वयन की निगरानी, अनुपालन और पुनर्वास सुनिश्चित करने के लिये हस्तक्षेप किया है।
      • वर्ष 2014 में सर्वोच्च न्यायालय ने उचित कार्यान्वयन पर ज़ोर देते हुए पूरे भारत में मैनुअल स्केवेंजरों की पहचान और पुनर्वास का आदेश दिया।
    • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की पहल: NHRC मैनुअल स्कैवेंजिंग से संबंधित कानूनों के कार्यान्वयन की निगरानी करता है और रिपोर्ट की गई घटनाओं पर स्वत: कार्रवाई करता है।
      • प्रभावशीलता: NHRC के हस्तक्षेपों से हाथ से मैला ढोने की घटनाओं को उजागर किया गया है और अधिकारियों को सुधारात्मक कार्रवाई करने के लिये प्रेरित किया गया है।
    • स्वच्छता के बुनियादी ढाँचे पर ध्यान: आधुनिक स्वच्छता सुविधाओं के निर्माण पर ज़ोर देने वाली नीतियों का उद्देश्य हाथ से मैला ढोने की आवश्यकता को खत्म करना है।
      • प्रभावशीलता: बेहतर स्वच्छता सुविधाओं से हाथ से मैला ढोने की आवश्यकता कम हो जाती है, लेकिन दूरदराज़ क्षेत्रों तक इसका लाभ पहुँँचाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। स्वच्छ भारत अभियान खुले में शौच को खत्म करने और हाथ से मैला ढोने की घटनाओं को कम करने के लिये शौचालयों के निर्माण को बढ़ावा देता है।
    • अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन और प्रतिबद्धताएँ: अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के कन्वेंशन संख्या 183 जैसे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता हाथ से मैला ढोने की प्रथा को समाप्त करने के प्रति इसके समर्पण को पुष्ट करती है।
      • प्रभावशीलता: अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताएँ, सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान और इसके अंतर्राष्ट्रीय समर्थन हेतु आधार तैयार करती हैं। भारत ने वैश्विक स्तर पर इस मुद्दे को हल करने की अपनी प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए वर्ष 2013 में ILO के कन्वेंशन संख्या 183 की पुष्टि की।

    मैला ढोने की प्रथा के खिलाफ लड़ाई में परिवर्तनकारी प्रयास आशा की किरण बनकर उभर रहे हैं। सुलभ इंटरनेशनल जैसे संगठन द्वारा पुराने शौचालयों को आधुनिक सुविधाओं से संपन्न किया गया है। केरल का 'बैंडिकूट ('Bandicoot') ऐप इस दिशा में प्रौद्योगिकी की क्षमता को प्रदर्शित करता है जबकि राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त और विकास निगम सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन लाने पर केंद्रित है।

    कड़े दंड की व्यवस्था से कानूनी प्रणाली के प्रवर्तन को बल मिलता है इस संदर्भ में पंजाब के नशा मुक्ति केंद्र अनुकूलन एवं सकारात्मक योगदान का प्रतीक हैं। सिर पर मैला ढोने की प्रथा को समाप्त करने के प्रयास, मानव अधिकारों और समानता के सिद्धांत की दिशा में दृढ़ संकल्प को दर्शाते हैं।

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