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  • 26 Aug 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़

    दिवस-36. जावेद एक युवा सहायक कलेक्टर हैं। उनकी पत्नी शबाना एक लेखिका, कार्यकर्त्ता और ब्लॉगर हैं। दोनों फेसबुक और ट्विटर पर काफी एक्टिव हैं। दोनों जगहों पर शबाना सांप्रदायिक दंगों, कुपोषण, SEZ द्वारा पर्यावरणीय गिरावट और राज्य के अन्य सामाजिक-आर्थिक मुद्दों पर अपने विचार/फोटो/लिंक पोस्ट करती रही हैं। जावेद को अपनी पत्नी को खुश रखने के लिये फेसबुक पर 'लाइक बटन' तथा ट्विटर पर अपनी पत्नी द्वारा किये गए सभी पोस्ट को बिना पढ़े ही 'री-ट्वीट' बटन दबाने की आदत है। हालाँकि इस व्यवहार को कुछ सोशल मीडिया प्लेटफार्मों द्वारा उजागर किया गया है, जिससे व्यापक बहस और चिंता छिड़ गई है। इन घटनाक्रमों के बीच जावेद को उनके पद से बर्खास्त करने की मांग को लेकर एक उग्र भीड़ कलेक्टर कार्यालय के बाहर जमा हो गई है।

    निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर दीजिये:

    1. जावेद में अनुपस्थित मूलभूत मूल्यों की सूची बनाइये? व्याख्या कीजिये।
    2. मान लीजिये कि आप कलेक्टर हैं और मुख्य सचिव सीधे आपको 'इस गड़बड़ी को संभालने' के लिये एक SMS आदेश भेजते हैं, तो आप कैसे आगे बढ़ेंगे? (250 शब्द)

    उत्तर

    डिजिटल विमर्श के युग में जहाँ आभासी दुनिया अक्सर वास्तविकता से टकराती है, एक जटिल नाटक सामने आता है। जावेद व शबाना, प्यार और सार्वजनिक सेवा में गुंथे हुए जोड़े, खुद को प्रौद्योगिकी एवं नैतिकता के चौराहे पर पाते हैं। 'लाइक' और 'री-ट्वीट्स' से सुशोभित उनकी आभासी दुनिया ने वास्तविक दुनिया में तूफान ला दिया है जो व्यक्तिगत अभिव्यक्ति और पेशेवर ज़िम्मेदारियों के बीच की सीमाओं पर सवाल उठाता है।

    A. जावेद के व्यवहार में कई मूलभूत मूल्यों की कमी है:

    • नैतिक सत्यनिष्ठा: जावेद की नैतिक निष्ठा की कमी उनकी सामग्री से जुड़े बिना "लाइक" बटन पर आँख बंदकर के क्लिक करने और पोस्ट को "री-ट्वीट" करने की आदत से स्पष्ट होती है।
      • नैतिक अखंडता में किसी के कार्यों में सच्चा, ईमानदार और सुसंगत होना शामिल है। बिना पढ़े पोस्टों का बिना सोचे-समझे समर्थन करके, जावेद अपनी नैतिक स्थिति से समझौता करते हैं और अपनी सोशल मीडिया उपस्थिति की विश्वसनीयता को कम करते हैं।
    • आलोचनात्मक सोच और सूचित निर्णय लेना: पोस्ट का समर्थन करने से पहले उसकी सामग्री को पढ़ने और समझने में जावेद की विफलता आलोचनात्मक सोच की कमी को दर्शाती है।
      • आलोचनात्मक सोच में जानकारी का मूल्यांकन करना, कई दृष्टिकोणों पर विचार करना और सूचित निर्णय लेना शामिल है। उनके कार्य जटिल मुद्दों का विश्लेषण करने तथा उचित निर्णय लेने की उनकी क्षमता पर सवाल उठाते हैं।
    • व्यावसायिकता और निष्पक्षता: एक सहायक कलेक्टर के रूप में, जावेद एक सार्वजनिक पद पर हैं जिसके लिये निष्पक्षता और व्यावसायिकता की आवश्यकता होती है।
      • अपनी पत्नी के पोस्ट, जो अक्सर विवादास्पद सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को संबोधित करते हैं, का उनके द्वारा बिना सोचे-समझे समर्थन, उनकी भूमिका में तटस्थ एवं निष्पक्ष रहने की क्षमता पर संदेह पैदा कर सकता है। सार्वजनिक अधिकारियों के लिये यह महत्त्वपूर्ण है कि वे अपनी व्यक्तिगत संबद्धताओं को अपनी व्यावसायिक ज़िम्मेदारियों से अलग करें।
    • पारदर्शिता और जवाबदेही: जावेद के व्यवहार में पारदर्शिता और जवाबदेही का अभाव है।
      • पोस्ट की सामग्री को समझे बिना उसका समर्थन करके, वह एक ऐसे सोशल मीडिया माहौल में योगदान देता है जहाँ ईमानदारी और विश्वसनीयता से समझौता किया जाता है। इससे उनकी अपनी प्रतिष्ठा कमज़ोर होती है और उनके इरादों तथा क्षमताओं पर संदेह पैदा हो सकता है।
    • सार्वजनिक पद का सम्मान: किसी सार्वजनिक पद पर आसीन होना उस पद के सिद्धांतों को बनाए रखने की ज़िम्मेदारी के साथ आता है।
      • सोशल मीडिया पर जुड़ाव के प्रति जावेद के आकस्मिक दृष्टिकोण को उनकी भूमिका की गंभीरता और उनसे जनता की अपेक्षाओं के प्रति सम्मान की कमी के रूप में समझा जा सकता है।
    • सहानुभूति और खुला संवाद: जावेद की हरकतें सहानुभूति की कमी और खुले संवाद का अवसर चूकने का संकेत देती हैं।
      • वह प्रश्न पूछकर स्पष्टीकरण मांगकर या अपने विचार व्यक्त करके अपनी पत्नी की पोस्ट से जुड़ सकता है। सामाजिक मुद्दों को प्रभावी ढंग से संबोधित करने और समझ को बढ़ावा देने के लिये रचनात्मक चर्चा आवश्यक है।

    B. इस स्थिति को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने और पारदर्शिता बनाए रखने के लिये कलेक्टर के पास निम्नलिखित कार्रवाई है:

    तत्काल प्रतिसाद:

    • तथ्यों का आकलन: पहले कदम के रूप में मैं तत्काल प्रभाव से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जावेद की ऑनलाइन गतिविधियों की गहन समीक्षा करूंगा और संबंधित पोस्ट, लाइक एवं रीट्वीट के बारे में व्यापक जानकारी इकट्ठा करूंगा।
      • इस मूल्यांकन से साझा की गई सामग्री की प्रकृति, उसकी भागीदारी की सीमा और उसकी आधिकारिक स्थिति पर इसके प्रभाव को समझने में मदद मिलेगी।
    • प्रदर्शनकारियों के साथ जुडाव: कलेक्टर कार्यालय के बाहर जुटी भीड़ से संवाद स्थापित करना जरूरी है। 
      • मैं एक वरिष्ठ अधिकारी को उनके साथ संवाद करने और उन्हें आश्वस्त करने के लिये नियुक्त करूंगा कि उनकी चिंताओं को गंभीरता से लिया जा रहा है।
    • आरोपों की जाँच करना: सोशल मीडिया पर जावेद के व्यवहार के बारे में उठाई गई चिंताओं को दूर करने के लिये मैं एक आंतरिक जाँच शुरू करूंगा।
      • इसमें जावेद के लिये ज़िम्मेदार विशिष्ट पोस्ट और कार्यों की जाँच करना तथा यह आकलन करना शामिल होगा कि क्या उन्होंने सरकारी कर्मचारियों के लिये किसी स्थापित दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया है?
    • अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान: मैं इस बात पर ज़ोर दूंगा कि सरकारी कर्मचारियों सहित व्यक्तियों को सोशल मीडिया पर अपनी राय व्यक्त करने का अधिकार है, जब तक कि यह कानून या आचार संहिता का उल्लंघन नहीं करता है।
    • जावेद और शबाना के साथ बातचीत: मैं जावेद और शबाना के साथ अलग से एक निजी बातचीत की व्यवस्था करूंगा। इससे मुझे उनके दृष्टिकोण, प्रेरणा और किसी भी संभावित गलत व्याख्या को समझने में मदद मिलेगी।
      • बातचीत के दौरान मैं विशेष रूप से संवेदनशील मामलों पर व्यक्तिगत और व्यावसायिक कार्यों के बीच स्पष्ट अंतर बनाए रखने के महत्त्व पर ज़ोर दूंगा।

     प्रतिक्रिया के बाद: 

    • सोशल मीडिया दिशा-निर्देशों की समीक्षा: मैं सरकारी कर्मचारियों के लिये हमारे मौजूदा सोशल मीडिया दिशा-निर्देशों की समीक्षा करने और उन्हें मज़बूत करने के लिये उपयुक्त विभागों से परामर्श करूंगा।
      • इन दिशा-निर्देशों में हितों के टकराव को रोकने और उनके पदों की गरिमा को बनाए रखने के लिये सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर सरकारी अधिकारियों के स्वीकार्य व्यवहार तथा कार्यों को स्पष्ट रूप से रेखांकित किया जाना चाहिये।
    • परिणामों में पारदर्शिता: एक बार जाँच पूरी हो जाने पर मैं संबंधित अधिकारियों और जनता के साथ निष्कर्षों को साझा करने में पारदर्शिता सुनिश्चित करूंगा।
      • इससे पता चलेगा कि सरकार इस मामले को गंभीरता से ले रही है और उचित प्रक्रिया का पालन कर रही है।
    • उचित कार्रवाई: परिणामों के आधार पर यदि आवश्यक हो तो सरकारी नियमों और विनियमों के अनुसार उचित कार्रवाई की जाएगी।
      • दुर्व्यवहार का सबूत होने पर इसमें परामर्श और चेतावनी से लेकर अधिक गंभीर अनुशासनात्मक कार्रवाई तक हो सकती है।
    • सार्वजनिक संबोधन और स्पष्टीकरण: मैं जनता की चिंताओं को दूर करने के लिये एक बयान जारी करूंगा और उन्हें आश्वस्त करूंगा कि सरकार इन मामलों को गंभीरता से लेती है तथापारदर्शी शासन के लिये प्रतिबद्ध है।
      • यह बयान यह सुनिश्चित करने के लिये किये जा रहे उपायों पर प्रकाश डालेगा कि अधिकारियों की व्यक्तिगत सोशल मीडिया गतिविधियाँ उनकी भूमिकाओं या ज़िम्मेदारियों से समझौता न करें।
    • नैतिकता प्रशिक्षण और जवाबदेही: प्रासंगिक प्रशिक्षण संस्थानों के सहयोग से मैं सरकारी अधिकारियों के बीच जवाबदेही और व्यावसायिकता की भावना पैदा करने के लिये नैतिकता प्रशिक्षण सत्र आयोजित करूंगा।
      • सार्वजनिक विश्वास बनाए रखने के महत्त्व पर ज़ोर देते हुए, ये सत्र विवेक और ज़िम्मेदार व्यवहार की आवश्यकता को रेखांकित करेंगे।
    • निगरानी और संचार जारी रखना: मैं कर्मचारियों के लिये उचित सोशल मीडिया आचरण पर मार्गदर्शन प्राप्त करने और किसी भी चिंता की रिपोर्ट करने हेतु एक समर्पित संचार चैनल स्थापित करूंगा।
      • नए दिशा-निर्देशों और कार्यशालाओं को लागू करने की प्रगति पर नियमित अपडेट सभी हितधारकों को सूचित किया जाएगा।

    जावेद की स्थिति एक सूक्ष्म दृष्टिकोण की आवश्यकता को रेखांकित करती है, जो केवल धमकी के बजाय डिज़िटल अभिव्यक्ति के निहितार्थों के बारे में जागरूकता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करती है। उनकी कहानी इस बात पर प्रकाश डालती है कि लोक सेवक व्यक्तिगत जीवन से परे नैतिकता, निष्पक्षता और सार्वजनिक विश्वास को बनाए रखने की ज़िम्मेदारी निभाते हैं। 

    • व्यक्तिगत एवं पेशेवर कार्यों के बीच बहुत कम स्पष्टता के युग में जावेद का मामला रूज़वेल्ट के उद्धरण के साथ मेल खाता है "नैतिकता के अभाव में किसी व्यक्ति के दिमाग को प्रशिक्षित करना, समाज के लिये खतरे को बढ़ाने जैसा है।" इससे होने वाले अतार्किक कार्य से धारणाओं, निर्णयों और समाज पर प्रभाव पड़ने के साथ सोशल मीडिया पर इन विमर्श को बढ़ावा मिलता है।
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