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  • 24 Aug 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    दिवस 45: उन पाँच नैतिक लक्षणों की पहचान कीजिये, जिनके आधार पर लोक सेवक के कार्य - निष्पादन का आकलन किया जा सकता है। (उत्तर 150 शब्दों में दीजिये)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • सिविल सेवक के लिये नैतिकता और नैतिक प्रशिक्षण की आवश्यकता के बारे में लिखकर उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • उन नैतिक लक्षणों की व्याख्या कीजिये जिन पर कोई सिविल सेवक के कार्य निष्पादन का आकलन किया जा सकता है।
    • उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।

    नैतिकता को "नैतिक सिद्धांतों के एक समूह के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो किसी व्यक्ति के व्यवहार या किसी गतिविधि के संचालन को नियंत्रित करता है"। नैतिकता प्राथमिक रूप से अंतिम मूल्यों और मानकों की प्रकृति से संबंधित है। एक सिविल सेवक के लिये नैतिक रूप से कार्य करना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है एक सिविल सेवक को वस्तुनिष्ठता और निष्पक्षता के गुणों का अधिकारी माना जाता है। पाँच नैतिक लक्षण - ईमानदारी, करुणा, जवाबदेही, निष्पक्षता और निस्वार्थता एक सिविल सेवक के नैतिक आधार हैं और अन्य मूल्य जैसे कि सहिष्णुता, जवाबदेहिता भी उनके लिये आवश्यक माने जातेे हैं। यहाँ कुछ नैतिक मानक दिये गए हैं जो एक लोक सेवक के कार्य निष्पादन का आकलन करने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं, जैसे-

    सत्यनिष्ठा: भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिये ज़रूरी है। दूसरों के लिये रोल मॉडल के रूप में कार्य करने हेतु नेतृत्व की गुणवत्ता तथा सार्वजनिक संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग करना।

    भावनात्मक बुद्धिमत्ता: भावनात्मक बुद्धिमत्ता एक प्रशासक को तटस्थ, निष्पक्ष और तर्कसंगत होने में मदद करती है।

    ईमानदारी: इसके आधार पर एक लोक सेवक किसी कार्य को बिना किसी लालच और भय के करने में सक्षम हो पाता है।

    करुणा और सहानुभूति : वंचित वर्ग के प्रति करुणा और सहानुभूति एक लोक सेवक को वस्तुनिष्ठता के उच्च मानकों से समझौता न करके समस्या के अभिनव और प्रभावी समाधान के लिये प्रेरित करती है।

    साहस: प्लेटो ने साहस को सद्गुणों के अंतर्गत रखा है और यह एक लोक सेवक के लिये महत्त्वपूर्ण गुण है। सेवाकाल के दौरान एक लोक सेवक को सत्य तथा समाज में होने वाले हर संभव अन्याय के खिलाफ खड़े होने के लिये साहस की आवश्यकता होती है।

    उपर्युक्त विश्लेषण से स्पष्ट है कि कार्य निष्पादन में इन नैतिक मानकों को बनाए रखने से एक लोक सेवक को समाज और सरकार द्वारा उस पर विश्वास बनाए रखने में मदद मिलती है।

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