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भारत का मैप (II): जून, 2019

मैप आधारित प्रश्न
  • 1. उस स्थान की पहचान करें जहाँ काप्पाफाइकस अल्वारेज़ी नामक एक आक्रामक समुद्री शैवाल, प्रवाल भित्तियों को नष्ट कर रहा है।

    उत्तर : वलई द्वीप तथा मन्नार की खाड़ी, काप्पाफाइकस अल्वारेज़ी (एक नए किस्म का आक्रामक समुद्री शैवाल)/ (Kappaphycus Alvarezii) प्रवाल भित्तियों को धीरे-धीरे खत्म करता है। अब यह मन्नार की खाड़ी में वलई द्वीप (Valai Island) तक फैल चुका है और समुद्री राष्ट्रीय उद्यान के एक वृहद् प्रवाल क्षेत्र को दुष्प्रभावित कर सकता है। इस आक्रामक शैवाल ने मंडपम के शिंगल, कुरुसादाई और मुल्ली द्वीपों पर भी आक्रमण किया है। GoM के मंडपम क्लस्टर में शिंगल, कुरुसादाई और मुल्ली द्वीपों पर आक्रमण करने के बाद, इस लाल शैवाल ने दक्षिण पाक खाड़ी में प्रवेश किया है तथा अब किलाकारई तट के साथ वलाई द्वीप पर आक्रमण का अंदेशा है। मन्नार की खाड़ी (Gulf of Mannar) पूर्वी भारत और पश्चिमी श्रीलंका के बीच हिंद महासागर का एक प्रवेश-द्वार है। यह रामेश्वरम (द्वीप), एड्म ब्रिज और मन्नार द्वीप से घिरा है। यह खाड़ी 80-170 मील (130-275 किमी.) चौड़ी और 100 मील (160 किमी.) लंबी है। इसमें कई नदियाँ मिलती हैं जिसमें तांब्रपर्णी (भारत) और अरुवी (श्रीलंका) शामिल हैं। तूतीकोरिन का बंदरगाह समुद्री तट पर है। यह खाड़ी मोतियों के भंडार और शंख के लिये विख्यात है।

  • 2. उस राज्य की पहचान करें जहाँ पेन्ना/पेन्नार नदी का उद्गम स्थल है।

    उत्तर : कर्नाटक, पेन्ना नदी का उद्गम कर्नाटक के चिकबल्लापुर ज़िले की नंदी पहाड़ियों से होता है और यह नदी उत्तर तथा पूर्व में कर्नाटक और आंध्र प्रदेश राज्यों से होकर बंगाल की खाड़ी में जाकर गिरती है। नदी घाट पूर्वी घाट के वृष्टि छाया प्रदेश में स्थित है और प्रतिवर्ष 500 मिमी. औसत वर्षा प्राप्त करता है। पेना की प्रमुख सहायक नदियाँ उत्तर में जयमंगली, कुंडेरू और सगीलेरू और दक्षिण में चित्रावती, पापाघनी और चैयरू हैं। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal-NGT) ने पर्यावरणीय मंज़ूरी न होने के कारण गोदावरी-पेन्ना नदी जोड़ो परियोजना पर रोक लगा दी है। NGT के अनुसार, यह परियोजना पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के दायरे में आती है।

  • 3. उस स्थान की पहचान करें जहाँ कभी-कभी समाचारों में रहने वाली औसुडू/ओसुदु झील स्थित है।

    उत्तर : पुद्दुचेरी, हाल ही में पुदुचेरी के औसुडू झील (Oussudu Lake) का सुभेद्यता आकलन अध्ययन किया गया। गौरतलब है कि अध्ययन में इस जल निकाय में बढ़ते प्लास्टिक प्रदूषण पर चिंता जताई गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि नहरें प्लास्टिक की थैलियों, थर्माकोल, कप, प्लेट, पाइप और बोतल जैसे कचरे का डंपिंग ग्राउंड बन गई हैं। औसुडू झील को ऑस्टर झील (Ousteri Lake) भी कहा जाता है जो पुडुचेरी से लगभग 10 किमी. दूर स्थित एक मानव निर्मित झील है। इसे अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature-IUCN) द्वारा एशिया के महत्त्वपूर्ण वेटलैंड/आर्द्र्भूमि (Wetlands) में से एक के रूप में मान्यता दी गई है। इस झील में जल, आर्द्रभूमि और कीचड़ युक्त भूमि तीनों हैं। यह झील पुदुचेरी में ताज़े जल के सबसे बड़े जलग्रह (Catchment) के रूप में कार्य करती है। गर्मियों और सर्दियों के दौरान इस झील की वनस्पति (छोटी जड़ी-बूटियों से लेकर वृक्षों तक) प्रवासी पक्षियों (Migratory Avifauna) के साथ-साथ देशी पक्षियों को भी उपयुक्त वातावरण प्रदान करती है।

  • 4. हाल ही में निपाह वायरस का प्रकोप किस राज्य में देखा गया?

    उत्तर : केरल, निपाह एक वायरल संक्रमण है। इसका मुख्य लक्षण बुखार, खांसी, सिरदर्द, दिमाग में सूजन, उल्टी होना, सांस में तकलीफ आदि हैं। यह वायरस इंसानों के साथ-साथ जानवरों को भी अपनी चपेट में ले लेता है। यह आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुँच जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, निपाह वायरस एक नई उभरती हुई बीमारी है। इसे 'निपाह वायरस एन्सेफलाइटिस' भी कहा जाता है। निपाह वायरस एक तरह का दिमागी बुखार है। इसका संक्रमण तेज़ी से होता है। यह संक्रमण होने के 48 घंटे के भीतर व्यक्ति को कोमा में पहुँचा देता है। इसका कोई उपचार नहीं है और अब तक न ही इसका कोई टीका उपलब्ध है। वर्ष 1999 में पहली बार मलेशिया में निपाह वायरस की खोज की गई थी। भारत में इसका पहला मामला वर्ष 2001 में सिलीगुड़ी में सामने आया था। वायरस के प्राकृतिक मेज़बान फ्रुटबैट (Fruit bats) होते हैं, जो व्यापक रूप से दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में पाए जाते हैं।

  • 5. असोला भाटी वन्यजीव अभयारण्य, जिसे पर्यावरण-संवेदी क्षेत्र/इको सेंसिटिव ज़ोन के रूप में घोषित किया गया है, कहाँ स्थित है?

    उत्तर : गुरुग्राम और फरीदाबाद (हरियाणा), पर्यावरण एवं वन मंत्रालय (Ministry of Environment and Forests-MoEF) ने गुरुग्राम और फरीदाबाद में असोला भाटी वन्यजीव अभयारण्य (Asola-Bhatti Wildlife Sanctuary) के आस-पास के 1 किमी. क्षेत्र को पर्यावरण संवेदी क्षेत्र/इको सेंसिटिव ज़ोन (Eco-sensitive zone-ESZ) घोषित किया है। इको सेंसिटिव ज़ोन घोषित किये जाने के बाद इन क्षेत्रों में वाणिज्यिक खनन, उद्योगों की स्थापना और प्रमुख जलविद्युत परियोजनाओं की स्थापना जैसी गतिविधियाँ प्रतिबंधित हो जाएंगी। असोला भाटी वन्यजीव अभयारण्य में वनस्पति तथा जैव दोनों प्रकार की विविधता विद्यमान है: 1. यहाँ विभिन्न प्रकार के वृक्ष, झाड़ियाँ, जड़ी-बूटियाँ और घास पाए जाते हैं। 2. यहाँ बड़ी संख्या में स्तनधारी, सरीसृप, उभयचर, तितलियाँ और ड्रैगनफ्लाई पाए जाते हैं।

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