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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

भारत ने 2023-34 में सर्वाधिक पेटेंट प्रदान किये

  • 21 Nov 2023
  • 14 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारत ने 2023-34 में सर्वाधिक पेटेंट प्रदान किये, भारतीय पेटेंट कार्यालय (IPO), विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO), पेटेंट सहयोग संधि (PCT), पेटेंट अधिनियम, 1970

मेन्स के लिये:

भारत ने 2023-34 में सर्वाधिक पेटेंट प्रदान किये, विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप तथा उनकी रूपरेखा एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे

स्रोत: पी.आई.बी.

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय पेटेंट कार्यालय (IPO) ने नवंबर 2023 तक सबसे अधिक 41,010 पेटेंट प्रदान किये हैं।

  • वित्तीय वर्ष 2013-14 में 4,227 पेटेंट प्रदान किये गए थे। विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2022 में भारतीय पेटेंट आवेदनों में 31.6% की वृद्धि हुई, जिससे 11 वर्ष की वृद्धि की प्रवृत्ति जारी रही, जो शीर्ष 10 फाइलर्स में किसी भी अन्य देश से बेजोड़ थी।
  • भारत द्वारा पेटेंट प्रदान करने में वृद्धि, नवाचार, प्रौद्योगिकी तथा प्रतिस्पर्द्धात्मकता में देश की प्रगति को दर्शाती है। यह चुनौतियों का समाधान करके अवसर सृजित कर तथा प्रतिभा का प्रोत्साहन कर समाज, अर्थव्यवस्था एवं युवाओं पर भी प्रभाव डालता है।

नोट:

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के पेटेंट, डिज़ाइन और व्यापार चिह्न (CGPDTM) कार्यालय द्वारा शासित IPO, भारत में पेटेंट, डिज़ाइन तथा भौगोलिक संकेतों के प्रशासन एवं विनियमन के लिये उत्तरदायी है।

पेटेंट क्या है?

  • परिचय:
    • पेटेंट, आविष्कार के लिये एक वैधानिक अधिकार है जो सरकार द्वारा पेटेंटधारक को उसके आविष्कार के पूर्ण प्रकटीकरण के बदले में एक सीमित अवधि के लिये दिया जाता है तथा दूसरों को वह उत्पाद उसकी सहमति के बिना बनाने, उपयोग करने, बेचने, आयात करने अथवा उत्पादन की प्रक्रिया से बाहर कर देता है।
    • भारत में पेटेंट प्रणाली पेटेंट अधिनियम, 1970 द्वारा शासित होती है, जिसे पेटेंट (संशोधन) अधिनियम, 2005 तथा पेटेंट नियम, 2003 द्वारा संशोधित किया गया है।
      • वर्तमान परिवेश के अनुरूप पेटेंट नियमों में नियमित रूप से संशोधन किया जाता है, सबसे हालिया पेटेंट (संशोधन) नियम, 2021 है।
  • पेटेंट की अवधि:
    • दिये गए प्रत्येक पेटेंट की अवधि आवेदन दाखिल करने की तिथि से 20 वर्ष की होती है।
    • हालाँकि, पेटेंट सहयोग संधि (PCT) के तहत राष्ट्रीय चरण के अंतर्गत दायर आवेदनों के लिये पेटेंट की अवधि PCT के तहत दी गई अंतर्राष्ट्रीय फाइलिंग तिथि से 20 वर्ष होगी।
    • अंतर्राष्ट्रीय पेटेंट एक कानूनी संधि है, जिसमें 150 से अधिक देश शामिल हैं। यह प्रत्येक अनुबंधित देश में आविष्कारों की रक्षा के लिये पेटेंट आवेदनों को दाखिल करने हेतु एक एकीकृत प्रक्रिया प्रदान करती है।
    • ऐसा आवेदन किसी भी व्यक्ति द्वारा दायर किया जा सकता है जो PCT अनुबंधित राज्य या राष्ट्र का निवासी है और आमतौर पर अनुबंधित राज्य के राष्ट्रीय पेटेंट कार्यालय या आवेदक के विकल्प पर जिनेवा में WIPO के अंतर्राष्ट्रीय ब्यूरो के साथ दायर किया जा सकता है।
  • पेटेंट योग्यता का मानदंड:
    • एक आविष्कार पेटेंट योग्य विषय-वस्तु है यदि वह निम्नलिखित मानदंडों को पूरा करता है,
      • यह नवीन होना चाहिये।
      • इसमें आविष्कारी कदम होने चाहिये।
      • यह औद्योगिक अनुप्रयोग में सक्षम होना चाहिये।
      • इस पर पेटेंट अधिनियम, 1970 की धारा 3 और 4 के प्रावधान लागू नहीं होने चाहिये।
  • पेटेंट संरक्षण का दायरा:
    • पेटेंट संरक्षण एक क्षेत्रीय अधिकार है और इसलिये यह केवल भारत के क्षेत्र के भीतर ही प्रभावी है। वैश्विक पेटेंट की कोई अवधारणा नहीं है।
    • हालाँकि भारत में आवेदन दाखिल करने से आवेदक को भारत में दाखिल करने की तारीख से बारह महीने की समाप्ति के भीतर या उससे पहले कन्वेंशन देशों में या PCT के तहत उसी आविष्कार के लिये संबंधित आवेदन दाखिल करने में मदद मिलती है।
  • पेटेंट अधिनियम, 1970:
    • भारत में पेटेंट प्रणाली के लिये यह प्रमुख कानून वर्ष 1972 में लागू हुआ। इसने भारतीय पेटेंट और डिज़ाइन अधिनियम, 1911 का स्थान लिया।
    • अधिनियम को पेटेंट (संशोधन) अधिनियम, 2005 द्वारा संशोधित किया गया था, जिसमें उत्पाद पेटेंट को भोजन, दवाओं, रसायनों और सूक्ष्मजीवों सहित प्रौद्योगिकी के सभी क्षेत्रों तक बढ़ाया गया था।
    • संशोधन के बाद विशिष्ट विपणन अधिकार (EMR) से संबंधित प्रावधानों को निरस्त कर दिया गया है और अनिवार्य लाइसेंस अनुदान का प्रावधान पेश किया गया है। अनुदान-पूर्व और अनुदान-पश्चात् विरोध से संबंधित प्रावधान भी पेश किये गए हैं।

पेटेंट और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित संधियाँ और कन्वेंशन क्या हैं?

  • वैश्विक:
    • भारत विश्व व्यापार संगठन का सदस्य होने के साथ-साथ बौद्धिक संपदा के व्यापार संबंधी पहलुओं पर समझौते (ट्रिप्स समझौते) के लिये प्रतिबद्ध है।
    • भारत विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (World Intellectual Property Organisation- WIPO) का भी सदस्य है, जो विश्व भर में बौद्धिक संपदा अधिकारों के संरक्षण को बढ़ावा देने के लिये उत्तरदायी निकाय है।
    • भारत IPR से संबंधित निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण WIPO-प्रशासित अंतर्राष्ट्रीय संधियों और सम्मेलनों का भी सदस्य है:
      • पेटेंट प्रक्रिया के प्रयोजनों के लिये सूक्ष्मजीवों के जमाव की अंतर्राष्ट्रीय मान्यता पर बुडापेस्ट संधि
      • औद्योगिक संपत्ति की सुरक्षा के लिये पेरिस 
      • विश्व बौद्धिक संपदा संगठन की स्थापना पर अभिसमय
      • साहित्यिक और कलात्मक कार्यों के संरक्षण के लिये बर्न अभिसमय
      • पेटेंट सहयोग संधि
  • राष्ट्रीय:.
    • राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) नीति 2016:
      • राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) नीति 2016 को देश में IPR के भविष्य के विकास का मार्गदर्शन करने के लिये एक दृष्टि दस्तावेज़ के रूप में मई 2016 में अपनाया गया था।
      • इसका स्पष्ट आह्वान है “रचनात्मक भारत; इनोवेटिव इंडिया”
      • यह कार्यान्वयन, निगरानी और समीक्षा के लिये एक संस्थागत तंत्र स्थापित करता है।
      • इसका उद्देश्य वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को भारतीय परिदृश्य में शामिल करना और अनुकूलित करना है।

आगे की राह

  • इनोवेशन इकोसिस्टम को मज़बूत करना महत्त्वपूर्ण है। इसमें इनोवेशन हब और इनक्यूबेशन केंद्रों की स्थापना एवं समर्थन करते हुए अनुसंधान तथा विकास में निवेश बढ़ाना शामिल है।
  • पेटेंट प्रक्रियाओं को सरल बनाना और भारतीय पेटेंट कार्यालय की क्षमता को बढ़ाना नवप्रवर्तकों को उनके अभूतपूर्व विचारों के लिये सुरक्षा प्राप्त करने हेतु प्रोत्साहित करने के लिये समान रूप से महत्त्वपूर्ण है।
  • IPR पर शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के संचालन के माध्यम से नवप्रवर्तकों, विशेष रूप से युवाओं को सशक्त बनाना, पेटेंट दाखिल करने की प्रक्रिया को उजागर कर सकता है, नवाचार एवं सुरक्षा की संस्कृति को बढ़ावा दे सकता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. 'राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार नीति (नेशनल इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स पॉलिसी)' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)

  1. यह दोहा विकास एजेंडा और TRIPS समझौते के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दोहराता है।
  2. औद्योगिक नीति और संवर्द्धन विभाग भारत में बौद्धिक संपदा अधिकारों के विनियमन के लिये केंद्रक अभिकरण (नोडल एजेंसी) हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (c)

व्याख्या:

  • राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) नीति मानती है कि भारत के पास IPR की सुरक्षा के लिये एक अच्छी तरह से स्थापित TRIPS अनुरूप विधायी, प्रशासनिक और न्यायिक ढाँचा है, जो अपनी विकास संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय शासन में प्रदान की गए लचीलेपन का उपयोग करते हुए अपने अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों को पूरा करता है। यह दोहा विकास एजेंडा और TRIPS समझौते के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दोहराता है। अतः कथन 1 सही है।
  • DIPP (अब DPIIT यानी उद्योग संवर्द्धन और आंतरिक व्यापार विभाग) को भारत में IPR के कार्यान्वयन तथा भविष्य के विकास के समन्वय, मार्गदर्शन एवं देख-रेख के लिये नोडल एजेंसी के रूप में मान्यता प्राप्त है। DIPP वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत आता है। अतः कथन 2 सही है।

इसलिये विकल्प (c) सही उत्तर है।

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)

  1. भारतीय पेटेंट अधिनियम के अनुसार, किसी बीज को बनाने की जैव प्रक्रिया को भारत में पेटेंट कराया जा सकता है।
  2. भारत में कोई बौद्धिक संपदा अपील बोर्ड नहीं है।
  3. पादप किस्में भारत में पेटेंट कराए जाने के पात्र नहीं हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)

व्याख्या:

  • भारतीय पेटेंट अधिनियम के अनुच्छेद 3(J) में पेटेंट योग्यता से "पौधों और पशुओं को संपूर्ण या किसी भी हिस्से में सूक्ष्मजीवों के अलावा बीज, किस्मों और प्रजातियों सहित पौधों तथा जीवों के उत्पादन या प्रवर्द्धन के लिये अनिवार्य रूप से जैव प्रक्रियाओं को शामिल नहीं किया गया है"। अतः कथन 1 सही नहीं है।
  • भारतीय ट्रेडमार्क अधिनियम, 1999 और माल का भौगोलिक उपदर्शन (रजिस्ट्रीकरण तथा संरक्षण) अधिनयम, 1999 के अंतर्गत रजिस्ट्रार के निर्णयों के विरुद्ध अपील सुनने एवं समाधान करने के लिये भारत सरकार द्वारा वर्ष 2003 में बौद्धिक संपदा अपील बोर्ड (IPAB) का गठन किया गया था। अतः कथन 2 सही नहीं है।
  • पादप विविधता संरक्षण पादप प्रजनक अधिकारों (PBR) के रूप में एक प्रजनक को पादप विविधता का कानूनी संरक्षण प्रदान करता है। इस संबंध में भारत में पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 2001 कानूनी संरक्षण प्रदान करता है।
  • इसका उद्देश्य पौधों की किस्मों की सुरक्षा और पौधों के प्रजनकों एवं कृषक अधिकार संरक्षण के लिये एक प्रभावी प्रणाली की स्थापना करना है। अतः कथन 3 सही है।

अतः विकल्प C सही है।

मेन्स:

प्रश्न. वैश्वीकृत संसार में बौद्धिक संपदा अधिकारों का महत्त्व हो जाता है और वे मुकद्दमेबाज़ी का एक स्रोत हो जाते हैं। कॉपीराइट, पेटेंट और व्यापार गुप्तियों के बीच मोटे तौर पर विभेदन कीजिये। (2014)

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