इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

Be Mains Ready

  • 11 Nov 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 1 संस्कृति

    प्रश्न. प्राचीन भारत के इतिहास के निर्माण में सिक्कों की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है। विश्लेषण कीजिये। (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भारत में सिक्कों की उत्पत्ति के बारे में संक्षेप में चर्चा कीजिये।
    • चर्चा कीजिये कि कैसे, सिक्के कई महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक प्रक्रियाओं के संकेत प्रदान करते हैं।
    • उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।

    ‘सिक्का’ शब्द लैटिन शब्द ‘सुनेउस’ से व्युत्पन्न हुआ है। यह पहली बार 700ई. पूर्व में चीन और ग्रीस में तथा छठी शताब्दी ई.पू. के करीब भारत में प्रयोग किये गए। सिक्कों का अध्ययन मुद्राशास्त्र कहलाता है। सिक्कों का शिलालेख के समान महत्त्व है। ये साहित्य से व्युत्पन्न सूचनाओं की पुष्टि करते हैं। ये विभिन्न धातुओं, यथा- सोना, चांदी, तांबा या मिश्रधातु के होते हैं तथा उन पर किंवदंतियाँ या साधारण निशान होते हैं। वे सिक्के जिन पर तारीखें है, संभवत: भारतीय कालक्रम के ढाँचे के लिये बहुत मूल्यवान हैं। प्राचीन भारतीय लेखों को समझने में द्विभाषी सिक्कों ने रॉसेटा पत्थरों की तरह काम किया किया था।

    • सिक्के मौद्रिक इतिहास से जुड़े हुए हैं, जिसमें सिक्के के उत्पादन और संचलन, आवृत्ति और मुद्रांकन की मात्रा का विश्लेषण शामिल है। उदाहरण के लिये- कुषाण सिक्कों का व्यापक वितरण उस काल के फलते-फूलते व्यापार का संकेत देता है।
    • सातवाहनों के कुछ सिक्कों पर ज़हाज़ों का चित्रण, इस अवधि के दक्कन में समुद्री व्यापार के महत्त्व को दर्शाता है। भारत के कुछ क्षेत्रों से प्राप्त रोमन सिक्के, भारत-रोम व्यापार की पुष्टि करते हैं।
    • हालाँकि शक काल के पश्चिमी क्षत्रप सिक्के और कुछ गुप्तकाल के चांदी के सिक्कों को अपवाद के रूप में छोड़ दें तो तारीखें भारतीय सिक्कों पर शायद ही देखने को मिलती हैं। ये पुरातात्त्विक खुदाई के द्वारा, काल-निर्धारण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
    • सिक्कों को महत्त्वपूर्ण शाही संदेशवाहक के रूप में भी प्रयोग किया गया, इस प्रकार यह 200 ई.पू. से 300 ई.पू. के मध्य भारत के राजनीतिक इतिहास के एक महत्त्वपूर्ण स्रोत के रूप में कार्य कर रहा था। अधिकांश इंडो-ग्रीक शासक लगभग पूरी तरह से अपने सिक्कों से जाने जाते हैं।
    • यौधेय और मालवा के आदिवासी गणराज्यों के सिक्कों पर ‘गण’ शब्द उनकी गैर-राजशाही राजनीति को इंगित करता है। शहरी सिक्के कुछ शहरी प्रशासन की संभावित स्वायत्तता और महत्त्व को प्रदर्शित करते हैं।
    • सिक्के शासकों के व्यक्तिगत पहलुओं की सूचना प्रदान करते हैं। विवाह के स्मरण में सिक्के, समुद्रगुप्त तथा कुमारगुप्त-प्रथम द्वारा अश्वमेध यज्ञ करना इत्यादि सिक्कों द्वारा भी दर्ज़ किया गया है।
    • सिक्कों पर देवताओं के चित्रण से राज़ाओं की धार्मिक पसंद, शाही धार्मिक नीति और धार्मिक संप्रदाय के इतिहास के बारे में जानकारी मिलती है। उदारहण के लिये, दूसरी शताब्दी ई.पू. में ऐ-खानैम के (अफगानिस्तान) इंडो-ग्रीक राजा एगाथोकल्स के सिक्कों पर बलराम और कृष्ण का निरूपण, उन क्षेत्रों में इन देवताओं की लोकप्रियता को दर्शाता है।

    स्रोतों का सावधानीपूर्वक और कुशल विश्लेषण इतिहास की नींव के स्रोत हैं। प्राचीन और प्रारंभिक मध्ययुगीन भारत के विभिन्न साहित्यिक और पुरातात्त्विक स्रोतों ने इस काल को विस्तार से समझने का एक मार्ग प्रदान किया है। प्राचीन और मध्यकालीन भारत के और अधिक व्यापक और समावेशी इतिहास के लिये ग्रंथों और पुरातत्त्व के साक्ष्यों का संबंध महत्त्वपूर्ण है। सिक्के इस प्रकार इन कड़ियों की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2