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  • 21 Dec 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    मानवीय मूल्य चाहे परिस्थितिजन्य हो या सार्वभौमिक, नैतिक आचरण के मानकों और नैतिक व्यवहार के मार्गदर्शन में मौलिक हैं। टिप्पणी कीजिये। (250 शब्द)

    उत्तर

    दृष्टिकोण:

    • मूल्यों को परिभाषित करते हुए इसके विभिन्न प्रकारों का उल्लेख कीजिये।
    • मानवीय मूल्यों का अधिक महत्त्व क्यों है, चर्चा कीजिये।
    • अपने तर्क के पक्ष में उपयुक्त उदाहरण प्रस्तुत कीजिये।
    • उपयुक्त निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय

    • मूल्य जीवन के तत्त्व हैं जिन्हें हम महत्त्वपूर्ण या वांछनीय मानते हैं। वे मानव व्यवहार के आचरण और मार्गदर्शक के मानक हैं। मूल्य किसी व्यक्ति के चरित्र को उसके जीवन में एक केंद्रीय स्थान तथा मज़बूती प्रदान करते हैं।

    प्रारूप

    मूल्य एक व्यक्ति के व्यक्तिगत दृष्टिकोण और विवेक, निर्णय और विकल्प, व्यवहार और संबंधों को दर्शाते हैं। मूल्य सापेक्ष होने के साथ-साथ पूर्ण भी हो सकते हैं।

    • सापेक्ष मूल्य: ये व्यक्तिगत और सामाजिक मानकों पर आधारित व्यक्तियों की पसंद, नापसंद, सामाजिक मानदंड, परंपरा पर आधारित होते हैं उदाहरण के लिये 'वसुधैव कुटुम्बकम' के भारतीय पारंपरिक मूल्य, सार्वभौमिक भाईचारा, सहिष्णुता, उदारवाद, व्यक्तिवाद और उपयोगितावाद के पश्चिमी मूल्यों के विपरीत हो सकते हैं। मूल्यों को समाज में व्यवस्था बनाए रखने के लिये विकसित किया जाता है जिनमें संस्कृति विशिष्ट विद्यमान होती हैं। ये संस्कृतियों के साथ विकसित होते हैं।
      • उदाहरण के लिये: भारतीय समाज की वर्तमान पीढ़ी बलिदान और निस्वार्थता के भारतीय पारंपरिक मूल्यों के बजाय स्वयं को अधिक मुखर दिखाते हुए अधिक महत्त्वकांक्षी एवं संवेदनशील है। छोटे परिवार और यहांँ तक कि लिव-इन रिलेशनशिप के मानदंड आज सामाजिक रूप से अधिक स्वीकार किये जाते हैं।
    • पूर्ण मूल्य: सत्य, कृतज्ञता, शांति, अहिंसा, सहानुभूति जैसे सार्वभौमिक मूल्यों को समय और स्थान से परे माना जाता है। ये वे मूल मूल्य हैं जो मौलिक हैं तथा इन्हें परिवर्तित नहीं किया जा सकता हैं, अत: ये स्थिर रहते हैं। आचरण के मानक एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तथा एक समाज से दूसरे समाज में भिन्न होते हैं फिर भी कुछ मूल्य ऐसे हो सकते हैं जिन्हें सार्वभौमिक माना जा सकता है।
      • उदाहरण के लिये हत्या को प्रत्येक समाज में एक अपराध के रूप में स्वीकार किया गया है इसलिये यह एक सार्वभौमिक मानदंड है।
      • इमैनुअल कांट ने मानवीय गरिमा को एक सार्वभौमिक मूल्य के रूप में स्वीकार किया गया है तथा उनकी स्पष्ट अनिवार्यता स्वीकार किया गया है।

    मानवीय मूल्य

    • मानवीय मूल्य चाहे परिस्थितिजन्य हों या सार्वभौमिक, लोगों को मनुष्यों की तरह व्यवहार करना आवश्यक है। चूंँकि एक व्यक्ति का जन्म जानवरों से अलग मानव के रूप में होता है, इसलिये समाज ने मानव अंत:क्रिया द्वारा अन्य साथी मनुष्यों के साथ बातचीत के कारण कुछ मूल्यों को विकसित किया है।
    • ये मूल्य ही हैं जो दो या अधिक व्यक्तियों के व्यवहार का मार्गदर्शन करते हैं। करुणा, सहानुभूति, एकजुटता आदि मानवीय मूल्यों के कुछ उदाहरण हैं।

    मानव मूल्यों का महत्त्व

    चूंँकि मानव तत्व सभी लोगों के बीच आम हैं, अत: मानवीय मूल्य भी सभी स्थितियों, परिस्थितियों, के लिये सामान्य होंगे। जबकि सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्यों जैसे अन्य मूल्य एक स्थान से दूसरे स्थान पर परिवर्तित हो सकते हैं।

    • मानवीय मूल्य मानव की मूल पहचान अर्थात् गरिमा और सम्मान से संबंधित हैं।.
    • मानवीय मूल्य मनुष्य में स्वाभाविक रूप से मौजूद होते हैं, जबकि अन्य मूल्यों को समाज़ीकरण की प्रक्रिया के माध्यम से मानव में विकसित किया जाता है।
    • समाज या देश में रहने के लिये लोगों को एक-दूसरे से जोड़ने में मानवीय मूल्य अत्यधिक ज़िम्मेदार हैं। भिन्न-भिन्न सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्यों का कारण उनकी विभाजनकारी प्रकृति हैं।
    • संपूर्ण मानव सभ्यता का शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व मानवीय मूल्यों के अनुपालन पर ही टिका हुआ है।
    • जब राष्ट्रवाद और देशभक्ति की ताकतें मुखर होने की कोशिश करती हैं तो विभिन्न देशों के लोगों के मध्य एक तरह की शत्रुता, संरक्षणवादी भावनाओं को उत्पन्न करती हैं। इसलिये मानवता का मूल्य हमेशा इस प्रकार के अन्य मूल्यों की तुलना में अधिक उच्च होना चाहिये।

    निष्कर्ष

    • मानव मूल्यों जैसे कि प्रेम और करुणा का पालन करना आज वैश्विक स्तर पर उन स्थानों के लिये अनिवार्य आवश्यकता है जो कई प्रकारों के संघर्षों जैसे नागरिक युद्ध, शरणार्थी संकट और आतंकवाद से प्रभावित हैं। वास्तव में वे उन मानवीय मूल्यों जैसे- न्याय, अखंडता, हिंसा से इनकार और हत्या पर प्रतिबंध आदि का पालन करने में सक्षम होते हैं तथा संकटपूर्ण स्थिति में भी लागू किया जा सकता है।
    • मानवीय मूल्य उन सकारात्मक और प्रभावी वृद्धि को व्यक्त करते हैं, जो नैतिक मूल्यों के औचित्य को पुष्ट करती है। ये वे मूल्य हैं जो हमें सद्भाव के साथ रहने की अनुमति देते हैं तथा व्यक्तिगत रूप से शांति स्थापित करने में सहयोग देते हैं।
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