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  • 30 Jul 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    दिवस 20: भारत सरकार ने अपने वार्षिक बजट 2016-17 में वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का नीतिगत लक्ष्य निर्धारित किया है। क्या भारत इस लक्ष्य को प्राप्त करने में सक्षम है? विचार-विमर्श कीजिये। (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टीकोण:

    • वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के विचार का परिचय देते हुए उत्तर की शुरूआत कीजिये।
    • किसानों की आय बढ़ाने के लिये सरकार द्वारा उठाए गए सकारात्मक कदमों का वर्णन कीजिये।
    • चर्चा कीजिये कि इस योजना ने किसानों की आय को दोगुना करने में कैसे मदद की है।
    • उपर्युक्त निष्कर्ष लिखिये।

    भारत सरकार ने अपने वार्षिक बजट 2016-17 में वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का नीतिगत लक्ष्य निर्धारित किया है। कृषि भारत की कुल आबादी के आधे से अधिक के लिये आजीविका का निर्वाह करती है। किसानों की आय दोगुनी करने के इस लक्ष्य को हासिल करने की रणनीति बनाने के लिये अशोक दलवई कमेटी का गठन किया गया था।

    किसानों की आय बढ़ाने के लिये सरकार द्वारा उठाए गए सकारात्मक कदम

    योजनाएँ: किसानों के हित के लिये प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, परम्परागत कृषि विकास योजना जैसी केंद्र सरकार की योजनाएँ और एक अन्य प्रमुख पहल जो फसल एवं आय हानि के खिलाफ बीमा प्रदान करती है, प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना तथा पीएम-किसान योजना, ई-नाम आदि शुरू की गई हैं।

    • कुछ राज्य प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण योजनाएँ भी चला रहे हैं, उदाहरण के लिये, मध्य प्रदेश में भावांतर भुगतान योजना, तेलंगाना में रायथु बंधु योजना, ओडिशा में आजीविका और आय वृद्धि के लिये कृषक सहायता योजना।
    • इसके अलावा, वृक्षारोपण (हर मेढ़ पर पेड़), मधुमक्खी पालन, डेयरी और मत्स्य पालन से संबंधित योजनाएँ भी लागू की जाती हैं।

    न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP): कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिशों के आधार पर खरीफ और रबी दोनों फसलों के लिये MSP अधिसूचित किया जाता है। किसानों की आय को बढ़ावा देने के लिये सरकार ने लगभग सभी खरीफ फसलों के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि की है। 14.6 करोड़ भूमिधारक किसानों (2015-16) में से 14% से अधिक को एमएसपी से लाभ मिलने के साथ, अधिकांश किसान एमएसपी के दायरे से बाहर हैं और अपनी उपज को एमएसपी से नीचे बेचते हैं।

    • सरकार ने तीन समान किश्तों में प्रति वर्ष ₹6,000 प्रदान करने के लिये 2019 में PM-KISAN लॉन्च किया।

    किसानों की आय का विश्लेषण

    2015-16 में बेंचमार्क अनुमानित वार्षिक आय 96,703 रुपये थी जो कि आधार वर्ष पर आधारित थी। यह प्रति माह 8,059 रुपये था। 2022 तक किसानों की आय 21,146 रुपये प्रति माह करके इसे दोगुना करने का लक्ष्य है (मुद्रास्फीति को भी ध्यान में रखते हुए)।

    हालाँकि वर्ष 2018-19 में खेतिहर परिवारों की अनुमानित मासिक आय नाममात्र के हिसाब से 10,218 रुपये प्रति माह थी। यह 21,146 रुपये प्रति माह के लक्ष्य के आसपास बिल्कुल भी नहीं है।

    राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) द्वारा किये गए सर्वेक्षण परिणामों के अनुसार, सभी स्रोतों से प्रति कृषि परिवार की औसत मासिक आय वर्ष 2012-13 में ₹6,426 की तुलना में वर्ष 2019 में ₹10,218 अनुमानित की गई थी। दूसरे शब्दों में वर्ष 2019 तक कृषि आय में 59% की वृद्धि हुई थी। लेकिन, इस अवधि में, उनकी कमाई वर्ष 2018-19 में फसल उत्पादन की तुलना में मज़दूरी से अधिक हुई।

    किसानों की आय :

    average-monthly-income

    वर्ष 2018-19 में एनएसएस के 77वें दौर के आँकड़ों से पता चला है कि किसानों की औसत मासिक आय में वृद्धि हुई है, जिसमें से सबसे अधिक आय मज़दूरी से आती है, इसके बाद फसल की खेती और उत्पादन से होने वाली आय आती है। पशुपालन से आय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

    किसान गैर-कृषि व्यवसायों से तुलनात्मक रूप से अधिक आय अर्जित कर रहे हैं और भूमि पट्टे पर दे रहे हैं। वर्ष 2012-13 में मज़दूरी से आय 32% थी। वर्ष 2018-19 में यह 40 फीसदी दर्ज की गई थी। इसका मतलब है कि किसान दिहाड़ी मज़दूर बनते जा रहे हैं।

    कृषि विभाग के बजट आवंटन में वर्ष 2021-22 में 5.5 गुना से अधिक की वृद्धि की गई। हालाँकि, किसानों की आय दोगुनी करने पर नीति आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ मामलों में, उत्पादन में वृद्धि से किसानों की आय में वृद्धि होती है, लेकिन कई मामलों में, उत्पादन में वृद्धि के साथ किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हुई।

    सरकारी योजनाएँ उनकी आय को दोगुना करने में तब तक मदद नहीं करेंगी जब तक कि कृषि पर सरकार की नीतियाँ व्यापक नहीं होंगी, प्रौद्योगिकी और बाज़ार की स्वतंत्रता प्रदान नहीं की जाएगी और बुनियादी ढाँचे के विकास में अधिक धन का उपयोग नहीं किया जाएगा। तदर्थ नीतियाँ और योजनाएँ किसानों की तब तक मदद नहीं करेंगी जब तक सरकार उपभोक्ताओं को खुश रखने के लिये कीमतों को नियंत्रित करने हेतु बाज़ार में हस्तक्षेप करती रहेगीै।

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