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  • 13 Jul 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल

    दिवस 3: समुद्री संसाधन भूमि पर संसाधनों की कमी की भरपाई कर सकते हैं। नीली अर्थव्यवस्था का दोहन करने के संबंध में समुद्रयान परियोजना की भूमिका का विश्लेषण कीजिये। (250 शब्द)

    उत्तर

    पहुँच:

    • ब्लू इकोनॉमी और समुद्रयान परियोजना पर एक संक्षिप्त लिखकर अपना उत्तर शुरू कीजिये।
    • समुद्रयान परियोजना के संदर्भ में चर्चा कीजिये कि कैसे समुद्री संसाधन भूमि पर संसाधनों की कमी से निपटने में मदद कर सकते हैं।
    • महासागरीय पारिस्थितिकी तंत्र के महत्त्व का संदर्भ देकर निष्कर्ष लिखिये।

    विश्व बैंक के अनुसार, ब्लू इकॉनमी आर्थिक विकास, बेहतर आजीविका और नौकरियों के सृजन तथा महासागर पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य के लिये महासागर संसाधनों का सतत् उपयोग को संदर्भित करती है।

    इसे अक्सर "समुद्री अर्थव्यवस्था", "तटीय अर्थव्यवस्था" या "महासागरीय अर्थव्यवस्था" के रूप में संदर्भित किया जाता है, यह अवधारणा अभी नवजात अवस्था में है और इसे अभी एक परिचालन परिप्रेक्ष्य से एक व्यापक परिभाषा में समझाया जाना बाकी है।

    समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र का महत्त्व

    महासागर दुनिया का सबसे बड़ा पारिस्थितिकी तंत्र है, जो पृथ्वी की सतह के लगभग तीन-चौथाई हिस्से को कवर करता है, जिसके द्वारा जलवायु परिवर्तन, आजीविका, वाणिज्य और सुरक्षा जैसे उभरते जटिल और परस्पर विकास के मुद्दों के लिये एक विशाल क्षेत्र प्रदान किया जाता है।

    ग्लोबल ओशन कमीशन के अनुमानों के अनुसार, समुद्री संसाधन दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद में 5 प्रतिशत योगदान करते हैं, तीन अरब लोगों की नौकरियों को सुरक्षित करते हैं और 350 मिलियन लोगों की आजीविका को बनाए रखते हैं।

    भारत के समुद्रयान परियोजना

    यह भारत का पहला अद्वितीय मानवयुक्त महासागर मिशन है जिसका उद्देश्य गहरे समुद्र में अन्वेषण और दुर्लभ खनिजों के खनन के लिये पनडुब्बी के माध्यम से व्यक्तियों को भेजना है।यह गहरे पानी के नीचे अध्ययन के लिये तीन व्यक्तियों को मत्स्य 6000 नामक मानवयुक्त पनडुब्बी में 6000 मीटर की गहराई तक समुद्र में भेजेगा।

    पनडुब्बियाँ केवल 200 मीटर तक की गहराई तक जाती हैं। यह 6000 करोड़ रुपए के ‘डीप ओशन मिशन’ का हिस्सा है।

    मिशन समुद्रयान के उद्देश्य:

    समुद्रयान गैर-जीवित संसाधनों जैसे पॉलीमेटलिक मैंगनीज नोड्यूल, गैस हाइड्रेट्स, हाइड्रो-थर्मल सल्फाइड और कोबाल्ट क्रस्ट्स की गहरे समुद्र में खोज करेगा।

    समुद्रयान पानी के नीचे उच्च-रिज़ॉल्यूशन बाथमेट्री, जैव विविधता मूल्यांकन, भू-वैज्ञानिक अवलोकन, खोज गतिविधियों, बचाव अभियान और इंजीनियरिंग समर्थन जैसी उप-गतिविधियों को अंजाम देगा।

    भारत की समुद्रयान परियोजना का महत्त्व

    • इससे स्वच्छ ऊर्जा, पेयजल और ब्लू इकॉनमी हेतु समुद्री संसाधनों का पता लगाने के लिये और अधिक विकास के रास्ते खुलेंगे।
    • विकसित देश पहले भी इसी तरह के समुद्री मिशन पूर्ण कर चुके हैं। भारत विकासशील देशों में पहला देश है जिसने गहरे समुद्र में मिशन को अंजाम दिया है
    • यह जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र में दीर्घकालिक परिवर्तनों से उत्पन्न होने वाले मुद्दों को संबोधित करने में मदद करेगा।
    • मिशन के तहत विकसित प्रौद्योगिकियों का उपयोग गहरे समुद्र में जाने वाले जीवों (जैव विविधता) और गैर-जीवित (खनिज) संसाधनों के लिये किया जा सकता है।
    • यह भारत की मौसम संबंधी विशेषज्ञता को बढ़ाएगा और भारत महासागर जलवायु परिवर्तन सलाहकार सेवाओं के साथ एक क्षेत्रीय खिलाड़ी के रूप में उभर सकता है।
    • समुद्री जैव संसाधनों के स्थायी उपयोग के लिये तकनीकी नवाचारों और संरक्षण विधियों की पहचान करना
    • यह अपतटीय आधारित विलवणीकरण तकनीकों को विकसित करने में मदद करेगा।
    • यह मिशन नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन तकनीकों को विकसित करने में मदद करेगा
    • यह स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने और पानी के अलवणीकरण के साथ-साथ महासागर बेल्ट से खनिज निकालने के रास्तों का पता लगाने में मदद करेगा।

    गहरे समुद्र की जैव विविधता और पारिस्थितिक तंत्र पर खनन गतिविधियों का प्रभाव:

    • मशीनों द्वारा सीबेड का स्क्रैपिंग या तो गहरे समुद्र के आवासों को बदल सकता है या नष्ट कर सकता है, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र संरचना को नुकसान हो सकता है।
    • इसके अलावा, गहरे समुद्र में रहने वाली अधिकांश प्रजातियां स्थानिक हैं (पृथ्वी पर कहीं और नहीं पाई जाती हैं) और खनन स्थल पर भौतिक गड़बड़ी संभवतः ऐसी संपूर्ण प्रजातियों को खत्म कर सकती है।
    • खनन प्रक्रिया के दौरान गाद, मिट्टी और अन्य कणों के मंथन के कारण समुद्र तल पर तलछट के ढेर बन जाते हैं। एक अध्ययन यह दर्शाता है कि प्रतिदिन औसतन 1०,००० मीट्रिक टन नोड्यूल्स का खनन किया जाता है, जिससे लगभग 4०,००० मीट्रिक टन तलछट नष्ट हो जाएगी। इसका समुद्र तल पर सीधा प्रभाव पड़ता है क्योंकि यह उस क्षेत्र में जीवों और तलछट को फैला देता है जहाँ नोड्यूल हटा दिये जाते हैं।
    • शोर, कंपन, संभावित रिसाव, विषाक्त उत्पादों या ईंधन के फैलाव और खनन उपकरणों तथा सतह के जहाजों के कारण प्रकाश प्रदूषण का प्रजातियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

    आगे की राह

    • प्रजातियों के रहने का तरीका और खनन गतिविधियां उन्हें कैसे प्रभावित कर सकती हैं तथा उनके संदर्भ में बेहतर समझ प्राप्त करने के लिये समुद्र तल के व्यापक अध्ययन की आवश्यकता है
    • गहरे समुद्र के खनन के कारण पर्यावरणीय क्षति की सीमा और अवधि का आकलन करने के लिये पर्यावरणीय प्रभाव आकलन की आवश्यकता होती है।
    • जैव विविधता के नुकसान और पर्यावरण पर लंबे समय तक चलने वाले नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिये; खनन प्रचालनों की अनुमेय सीमा और अवधि पर एहतियाती नियंत्रण के अलावा, सीफ्लोर को अबाधित छोड़ने के लिये बड़े क्षेत्रों को संरक्षित किया जाना चहिये।
    • गहरे समुद्र से कच्चे माल की मांग को कम करने के लिये तीन आर- Reduce, Reuse और Recycle को प्रोत्साहित किया जाना चहिये।
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