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  • 10 Aug 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 3 आंतरिक सुरक्षा

    दिवस 31: वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) से निपटने में सरकार के सामने क्या चुनौतियाँ हैं? वामपंथी उग्रवाद को नियंत्रित करने के लिये सरकार द्वारा किये गए उपायों का वर्णन कीजिये। (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण

    • वामपंथी उग्रवाद और इसकी उत्पत्ति के कारणों का वर्णन कीजिये।
    • वामपंथी उग्रवाद से निपटने के मुद्दों पर चर्चा कीजिये।
    • इनसे निपटने के लिये सरकार द्वारा की गई पहलों की व्याख्या कीजिये।
    • उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।

    उत्तर:

    नक्सलवाद की शुरुआत वर्ष 1967 में पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी के संथाल आदिवासियों द्वारा कृषि विद्रोह के रूप में हुई थी, यह विद्रोह वर्ष 1980 के दशक में पीपुल्स वॉर ग्रुप (PWG) और माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर (MCC) के उदय के साथ फिर से सामने आया। वर्ष 2004 में PWG और MCC का विलय कर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) का गठन किया

    वामपंथी उग्रवाद (LWE) ऐसे कई कारणों का परिणाम है- (खराब शासन व्यवस्था, जनजातीय क्षेत्रों में विकास की कमी और राज्य और समाज के एक दमनकारी/शोषक पदानुक्रम) जिसने आदिवासी आबादी, भूमिहीन और सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को हाशिये पर धकेल दिया है। प्रमुख जल विद्युत परियोजनाओं द्वारा जनजातीय आबादी के बड़े पैमाने पर विस्थापन और जंगल क्षेत्रों में व्यापक खनन के कारण वामपंथी उग्रवाद का तीसरा चरण शुरू हुआ है।

    वर्ष 1970 के दशक में नक्सलबाड़ी की शुरुआत पश्चिम बंगाल और वर्तमान तेलंगाना क्षेत्र से हुई। वर्तमान में यह आंदोलन कई राज्यों (बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओड़िशा) में फैल गया है। LWE से प्रभावित क्षेत्र को लाल गलियारा (Red corridor) कहा जाता है।

    LWE से निपटने से संबंधित मुद्दे:

    • कुशल नेतृत्त्व की कमी: वर्तमान परिदृश्य में कुछ अपवादों को छोड़कर, कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों (IPS कैडर) जिनके पास बहुत कम या कोई अनुभव नहीं है उन्हें केंद्रीय पुलिस बलों में वरिष्ठ रैंक पर नियुक्त किया गया है।
    • प्रशिक्षण के दौरान पुलिस अधिकारी एक सक्षम अधीक्षक होने और कानून व्यवस्था बनाए रखने की अपेक्षा करता है।
    • इस प्रकार का कोई कौशल-मानक प्रासंगिक नहीं माना जा सकता है जब एक अधिकारी को "कमांड" करना और उग्रवाद संचालन में अपने लोगों का नेतृत्व करना हो।
    • इससे सुरक्षाकर्मियों के आत्मबल में कमी आई है। पिछले तीन दशकों में, लगभग 15000 से अधिक लोग LWE के कारण अपना जीवन खो चुके हैं।
    • जनजातीय युवाओं की भर्ती: LWE के संचालन में शामिल लोगों की विचारधारा क्रांतिकारी उद्देश्य के लिये नहीं है बल्कि उन्हें जबरन गतिविधियों में शामिल किया जाता है। कई लोगों के लिये इन समूहों में शामिल होना ही जीवित रहने का एकमात्र तरीका है।
    • इसके अतिरिक्त ये संगठन में कमज़ोर लोगों को नियुक्त करते हैं जो कम साक्षर, बेरोज़गार या कम आय वाले होते है। विशेष रूप से आदिवासी समुदाय को अपने संगठन में शामिल करते हैं।
    • इस प्रकार के मुद्दे LWE में युवाओं की भर्ती के लिये एक सकारात्मक मार्ग प्रशस्त करते है।
    • लोकतंत्र को खतरा: वे गुरिल्ला रणनीति के माध्यम से हिंसा को बढ़ावा देते हैं और स्थानीय गांवों में अपनी सत्ता स्थापित करने का प्रयास करते हैं।
    • वे चुनाव के आयोजन से पूर्व स्थानीय लोगों को धमकी देते हैं और उन्हें मतदान करने से रोकते हैं। यह लोकतंत्र की सहभागिता के सिद्धांत का उल्लंघन करता है।
    • सशस्त्र बलों को स्थानीय क्षेत्रों की भौगोलिक स्थिति के बारे में पूरी जानकारी नहीं है तथा कुछ उच्च वर्ग के लोगो का समर्थन नक्सलियों के पास है।
    • क्षेत्र के विकास में स्थानीय आबादी की भागीदारी का अभाव है और वे सरकारी प्रशासन के बजाय माओवादियों के अधिक करीब हैं।

    नक्सली गतिविधियों को रोकने के लिये सरकार की पहल:

    • आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम: इसे वर्ष 2018 में शुरू किया गया, इसका उद्देश्य उन ज़िलों में तीव्रता से सुधार करना है जिन्होंने प्रमुख सामाजिक क्षेत्रों में अपेक्षाकृत कम प्रगति दिखाई है।
    • समाधान (SAMADHAN) 2017:
      इसका अर्थ है:
      S- स्मार्ट लीडरशिप।
      A- आक्रामक रणनीति।
      M- प्रेरणा और प्रशिक्षण।
      A- एक्शनेबल इंटेलिजेंस।
      D- डैशबोर्ड आधारित मुख्य प्रदर्शन संकेतक (KPIs) और मुख्य परिणाम क्षेत्र (KRAs)
      H- हार्नेसिंग टेक्नोलॉजी।
      A- प्रत्येक थिएटर/नाटकशाला हेतु कार्य योजना।
      N- वित्तपोषण तक पहुंँच नहीं।

    यह सिद्धांत वामपंथी उग्रवाद की समस्या का एकमात्र समाधान है। इसमें विभिन्न स्तरों पर तैयार की गई अल्पकालिक से लेकर दीर्घकालिक नीतियाँ में सरकार की पूरी रणनीति शामिल है। इसका मुख्य उद्देश्य अन्य बातों के साथ-साथ स्थानीय आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा और उनकी भागीदारी सुनिश्चित करना था। एलडब्ल्यूई संगठनों के खतरे को रोकने के लिये सरकार द्वारा खुफिया साझाकरण और एक अलग 66वीं भारतीय आरक्षित बटालियन (IRB) का गठन किया गया था।

    • राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना, 2015: इसमें सुरक्षा उपायों, विकास पहलों और स्थानीय समुदायों के अधिकारों को सुनिश्चित करने वाले बहु-आयामी दृष्टिकोण शामिल हैं।
    • गृह मंत्रालय (MHA) केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) के बटालियनों की तैनाती, हेलीकॉप्टरों और यूएवी तथा भारतीय रिज़र्व बटालियनों (IRBs)/विशेष भारत रिज़र्व बटालियनों (SIRBs) की मंज़ूरी के माध्यम से राज्य सरकारों को व्यापक समर्थन प्रदान कर रहा है।
    • राज्य पुलिस के आधुनिकीकरण और प्रशिक्षण हेतु, पुलिस बल आधुनिकीकरण (Modernization of Police Force-MPF), सुरक्षा संबंधी व्यय (Security Related Expenditure-SRE) व विशेष बुनियादी ढांँचा योजनाओं (Special Infrastructure Scheme-SIS) के तहत धन उपलब्ध कराया जाता है।
    • सड़कों के निर्माण, मोबाइल टावरों की स्थापना, कौशल विकास, बैंकों और डाकघरों के नेटवर्क में सुधार, स्वास्थ्य एवं शिक्षा सुविधाओं के लिये कई विकास पहलें लागू की गई हैं।
    • विशेष केंद्रीय सहायता (Special Central Assistance- SCA) योजना के तहत अधिकांश वामपंथी उग्रवाद प्रभावित ज़िलों को विकास के लिये धन भी प्रदान किया जाता है।
    • ग्रेहाउंड्स: वर्ष 1989 में इसे एक विशिष्ट नक्सल विरोधी बल के रूप में स्थापित किया गया था।
    • ऑपरेशन ग्रीन हंट: इसे वर्ष 2009-10 में शुरू किया गया था जिसके तहत नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा बलों की भारी तैनाती की गई थी।

    सरकार ने LWE से निपटने के लिये SAMADHAN नीति की परिकल्पना की है। यह नीति वामपंथी उग्रवाद की समस्या के लिये वन-स्टॉप समाधान है। इसके अंतर्गत LWE से निपटने हेतु सरकार द्वारा विभिन्न स्तरों पर तैयार की गई सभी अल्पकालिक व दीर्घकालिक रणनीतियाँ शामिल हैं।

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