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  • 18 Jul 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    दिवस 8: क्या आपको लगता है कि डिजिटल इंडिया जैसा सरकारी कार्यक्रम और नागरिकों के निजता के अधिकार की सुरक्षा एक साथ संभव है? तार्किक विश्लेषण कीजिये। (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • संक्षेप में डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के बारे में बताइये।
    • नागरिकों की निजता के अधिकार से संबंधित डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के मुद्दों पर चर्चा कीजिये।
    • निजता के अधिकार के अनुरूप डिजिटल इंडिया कार्यक्रम बनाने के लिये सरकार द्वारा डाटा संरक्षण से संबंधित क्या उपाय किये गए हैं, उनके बारे में भी बताइये।
    • आगे की राह बताते हुए उत्तर समाप्त कीजिये।

    डिजिटल इंडिया भारत सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है, जिसका दृष्टिकोण भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदलने का है। कार्यक्रम में तीन क्षेत्र हैं: प्रत्येक नागरिक के लिये एक मुख्य उपयोगिता के रूप में डिजिटल बुनियादी ढाँचा, ई-शासन और मांग पर सेवाएँ, नागरिकों का डिजिटल सशक्तिकरण। उच्चतम न्यायालय ने के.एस. पुट्टास्वामी बनाम भारत संघ 2017 के ऐतिहासिक फैसले में अनुच्छेद 21 के तहत निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार माना है।

    डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के साथ संबद्ध मुद्दे:

    • जनधन-आधार-मोबाइल (जैम) में लीकेज जैसी समस्याएँ: 300 से अधिक कल्याणकारी योजनाओं में डिलीवरी के इस तरीके का उपयोग किया गया है। पीएम किसान सम्मान निधि योजना (पीएम-किसान) के तहत आधार संख्या का दुरुपयोग करके कई अपात्र व्यक्तियों को सीमांत किसानों से संबंधित हजारों करोड़ रुपये का भुगतान धोखाधड़ी से हस्तांतरित किया गया है। अपात्र नागरिकों को 4,350 करोड़ रुपये से अधिक धोखाधड़ी से हस्तांतरित किये गए हैं।
    • कोई डेटा संरक्षण कानून नहीं: भारत के पास अभी भी अपने नागरिकों के व्यक्तिगत डेटा की रक्षा और सुरक्षा के लिये कोई कानून नहीं है। यह वर्ष 2017 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बावजूद है जिसमें निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार का दर्जा दिया गया था।
    • अंतर्राष्ट्रीय डेटा निगरानी: अंतर्राष्ट्रीय डेटा निगरानी भी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये चिंताजनक है। निगरानी पूंजीवाद को बढ़ाना आर्थिक मोर्चे पर चिंता का कारण है।

    गोपनीयता की सुरक्षा से संबंधित भारत में पहल:

    • राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति, 2013: सरकार द्वारा ‘राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति, 2013’ जारी की गई जिसके तहत अति-संवेदनशील सूचनाओं के संरक्षण के लिये ‘राष्ट्रीय अतिसंवेदनशील सूचना अवसंरचना संरक्षण केंद्र (National Critical Information Infrastructure protection centre-NCIIPC) का गठन किया
    • भारत सूचना साझा करने और साइबर सुरक्षा के संदर्भ में सर्वोत्तम कार्य प्रणाली अपनाने के लिये अमेरिका, ब्रिटेन और इज़राइल जैसे देशों के साथ समन्वय कर रहा है।

    व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019:

    • भारत सरकार ने भी व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 (Personal Data Protection Bill, 2019) को शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में पेश किया था।
    • विधेयक को व्यापक विचार-विमर्श के लिये संयुक्त संसदीय समिति के पास भेज दिया गया है जहाँ विधेयक में शामिल बिंदुओं पर व्यापक चर्चा की जाएगी।
    • व्यक्तिगत डेटा संरक्षण कानून एक व्यापक कानून है जो व्यक्तियों को इस बात पर अधिक नियंत्रण देने का प्रयास करता है कि उनका व्यक्तिगत डेटा कैसे एकत्रित, संग्रहीत और उपयोग किया जाता है।

    इस डिजिटल युग में, डेटा एक मूल्यवान संसाधन है जिसे अनियमित नहीं छोड़ा जाना चाहिये। यह भारत के लिये एक मज़बूत डेटा संरक्षण व्यवस्था के लिये सही समय है। व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 को यह सुनिश्चित करने के लिये पुनर्गठित करने की आवश्यकता है कि यह उपयोगकर्ता की गोपनीयता पर ज़ोर देने के साथ उपयोगकर्ता अधिकारों पर केंद्रित है। इन अधिकारों को लागू करने के लिये एक गोपनीयता आयोग स्थापित करना होगा। सरकार को डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को मज़बूत करते हुए नागरिकों की निजता का भी सम्मान करना होगा।

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