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  • 03 Aug 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    दिवस 24: सिविल सेवकों के लिये भावनात्मक बुद्धिमत्ता की पहले से कहीं अधिक आवश्यकता क्यों है? (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण

    • भावनात्मक बुद्धिमत्ता का परिचय दीजिये।
    • संक्षेप में चर्चा कीजिये कि भावनात्मक बुद्धिमत्ता कैसे सिविल सेवकों की मदद करती है और इसके अभाव से हितों के टकराव की विभिन्न स्थितियाँ कैसे पैदा होती हैं।
    • उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।

    भावनात्मक बुद्धिमत्ता:

    अपनी भावनाओं को परिस्थिति के अनुसार नियंत्रित व निर्देशित कर, पारस्परिक संबंधों का विवेकानुसार और सामंजस्यपूर्ण तरीके से प्रबंधन करने की क्षमता भावनात्मक बुद्धिमत्ता कहलाती है। यह मूल रूप से अपनी भावनाओं को पहचानने और प्रबंधित करने तथा दूसरे के मनोभावों को समझकर उन पर नियंत्रण करने की क्षमता है।

    हमें किसी समस्या को सुलझाने के लिये संज्ञानात्मक बुद्धि की ज़रूरत होती है, परंतु संज्ञानात्मक बुद्धि हमारे दैनिक जीवन के एक छोटे से अनुपात का ही प्रतिनिधित्व करती है, अतः किसी व्यक्ति की सफलता में भावनात्मक बुद्धिमत्ता कहीं ज़्यादा महत्त्वपूर्ण है।

    भावनात्मक बुद्धिमत्ता की सिविल सेवा में उपयोगिता:

    • कार्य स्थल पर बेहतर पारस्परिक संबंध और सौहार्द्रपूर्ण माहौल बनाए रखने के लिये।
    • अपने अधीनस्थों की मनोवृत्ति की सही पहचान करने तथा उनके कार्य निष्पादन की क्षमता के माध्यम से भविष्य के परिणामों का पूर्वानुमान लगाने में।
    • हितग्राहियों की अभिवृत्ति को समझकर किसी परियोजना के सफल संचालन को सुनिश्चित करने में।
    • आपदा या दुर्घटना के दौरान पीड़ितों की मनोवृत्ति का सही-सही आकलन कर उनके राहत और पुनर्वास की प्राथमिकताएँ तय करने में।
    • स्वयं के नकारात्मक आवेगों को नियंत्रित कर एक स्वस्थ कार्यशैली का विकास करने में।
    • अंतर्वैयक्तिक संचार कौशल का विकास करने में।
    • भावनात्मक बुद्धिमत्ता के प्रयोग से बातचीत के माध्यम से प्रतिकूल परिस्थितियों पर नियंत्रण पाने की क्षमता का विकास होता है।
    • समय,सूचना तथा मानव संसाधन के उचित प्रबंधन द्वारा गुणवत्तापूर्ण कार्य-निष्पादन करने में।

    भावनात्मक बुद्धिमत्ता के अभाव में सिविल सेवक:

    • ईआई की अनुपस्थिति में, सिविल सेवक सार्वजनिक क्षेत्र में अपने काम में निष्पक्षता, गैर-पक्षपात और धर्मनिरपेक्षता जैसे मूल्यों का सम्मान नहीं कर सकता है। यह एक सिविल सेवक को एक विशेष विचारधारा, राजनीतिक दल या धर्म के एजेंट के रूप में ले जाएगा।
    • हाल ही भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ( CJI ) रंजन गोगोई के राज्यसभा हेतु नामांकन ने सिविल सेवकों के बीच निष्पक्षता और गैर-पक्षपात के बारे में सवाल उठाया।
    • ईआई की अनुपस्थिति में एक सिविल सेवक सार्वजनिक जीवन और व्यक्तिगत जीवन को संतुलित करने में विफल हो सकता है और इससे सिविल सेवकों के बीच अक्षमता, भ्रष्टाचार तथा सेवा के लिए समर्पण में कमी आती है।
    • एक ईआई के आभाव वाला सिविल सेवक कानून के शासन और अपनी भावनाओं के बीच परस्पर विरोधी स्थिति पैदा कर सकता है। यह निर्णय लेने में तर्कसंगतता की कमी को जन्म देगा।
    • उदाहरण कोविड -19 की पहली लहर में जनता की आवाजाही को रोकने के लिए सड़क पर दीवार का निर्माण। यह अनुचित है क्योंकि यह सुरक्षा, स्वास्थ्य और अन्य उद्देश्यों के लिए वाहन की आपातकालीन आवाजाही को भी रोकता है।
    • ईआई के बिना एक सिविल सेवक अपने स्वयं के हित और जनता के हितों को नुकसान पहुँचा सकता है।

    अतः यह एक स्वीकार्य तथ्य है कि भावनात्मक बुद्धिमत्ता के प्रयोग से सिविल सेवक केे निजी जीवन के साथ-साथ उसके सार्वजनिक जीवन में भी सफलता सुनिश्चित होती है। भावनात्मक प्रज्ञता से युक्त प्रशासन में गतिशीलता, निरंतरता, लोक-कल्याण और नैतिकता जैसे सुशासन के गुण उपस्थित होते हैं।

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