गड़ीसर झील | राजस्थान | 17 Nov 2025
चर्चा में क्यों?
जैसलमेर की गड़ीसर झील संरक्षण संबंधी समस्याओं का सामना कर रही है, जिसके चलते राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को झील के संरक्षण की योजना पर विस्तृत उत्तर प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
मुख्य बिंदु
- गड़ीसर झील राजस्थान के जैसलमेर में स्थित 14वीं शताब्दी की एक कृत्रिम जल-संरक्षण झील है।
- इसे मूल रूप से राजा रावल जैसल ने बनवाया था तथा बाद में महरावल गदसी सिंह ने इसका पुनर्निर्माण कराया, जिनके नाम पर इसका वर्तमान नाम पड़ा।
- ऐतिहासिक रूप से यह झील जैसलमेर के लिये प्राथमिक जल स्रोत थी और मरुस्थलीय क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण वर्षा जल-संग्रह एवं संरक्षण प्रणाली के रूप में कार्य करती थी।
- झील का कैचमेंट क्षेत्र अतिक्रमण, शहरी दबाव, गाद जमाव तथा प्रदूषण के कारण सिकुड़ गया है, जिससे इसका पारिस्थितिक संतुलन खतरे में पड़ गया है।
- गड़ीसर झील स्थानीय जैवविविधता का समर्थन करती है, विशेषकर शीत ऋतु में प्रवासी पक्षियों का आवास बनकर, जिससे यह एक महत्त्वपूर्ण शहरी-आर्द्रभूमि (Urban Wetland) पारिस्थितिकी तंत्र बनती है।
- इसके चारों ओर बने घाट, मंदिर और छतरियाँ इसे एक समृद्ध सांस्कृतिक-वास्तुकला विरासत क्षेत्र बनाते हैं और तिलोन-की- पोल प्रवेशद्वार (Tilon-ki-Pol Gateway), नौकायन गतिविधियों (Boating Activities) तथा मनोहारी दृश्य (Scenic Vistas) आज भी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

गरुड़ अभ्यास 2025 | राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स | 17 Nov 2025
चर्चा में क्यों?
भारतीय वायु सेना (IAF) फ्राँसीसी वायु एवं अंतरिक्ष सेना (FASF) के साथ आयोजित द्विपक्षीय वायु अभ्यास गरुड़-25 के 8वें संस्करण में भाग ले रही है।
मुख्य बिंदु
- गरुड़ अभ्यास: परिचय
- "गरुड़" भारतीय और फ्राँसीसी वायु सेनाओं के बीच एक द्विपक्षीय वायु अभ्यास है, जो वर्ष 2003 से समय-समय पर आयोजित किया जाता है।
- यह भारत द्वारा किसी विदेशी वायु सेना के साथ किये जाने वाले उच्चतम स्तर के वायु अभ्यासों में से एक है और बारी-बारी से भारत तथा फ्राँस में आयोजित होता है।
- इसके प्रमुख उद्देश्यों में पारस्परिक परिचालन क्षमताओं को बढ़ाना, रणनीति साझा करना, परिचालन संबंधी जानकारी का निर्माण करना और रणनीतिक संबंध बनाना शामिल है।
- 2025 संस्करण: परिचय
- गरुड़ अभ्यास का 8वाँ संस्करण (गरुड़-25) फ्राँस के मोंट-डी-मार्सन मिलिट्री बेस में 16 से 27 नवंबर, 2025 तक आयोजित किया जा रहा है।
- भारतीय वायु सेना (IAF) का दस्ता, जिसमें Su-30MKI लड़ाकू विमान, IL-78 रीफ्यूलर तथा C-17 ग्लोबमास्टर III एयर-लिफ्ट विमान शामिल हैं, फ्राँस के मल्टी-रोल लड़ाकू विमानों (French Multirole Fighters) के साथ मिलकर जटिल सिम्युलेटेड मिशनों में भाग लेगा। इन मिशनों में एयर-टू-एयर कॉम्बैट, वायु रक्षा और संयुक्त स्ट्राइक ऑपरेशन्स शामिल होंगे।

झारखंड ने भारतीय फार्माकोपिया आयोग (IPC) के साथ समझौता किया | झारखंड | 17 Nov 2025
चर्चा में क्यों?
भारतीय फार्माकोपिया आयोग (IPC) ने झारखंड स्टेट फार्मेसी काउंसिल (JSPC) के साथ एक MoU पर हस्ताक्षर किये हैं, जिसका उद्देश्य झारखंड में फार्माकोविजिलेंस प्रणाली को सुदृढ़ बनाना है।
मुख्य बिंदु
- समझौता: परिचय
- इस MoU का उद्देश्य राज्य में दवाओं के सुरक्षित और तर्कसंगत उपयोग को बढ़ावा देना है, जिसके लिये फार्माकोविजिलेंस (औषधि-सुरक्षा निगरानी) और मेटेरियोविजिलेंस (चिकित्सा उपकरण-सुरक्षा निगरानी) को सुदृढ़ किया जाएगा।
- यह समझौता नेशनल फाॅर्म्युलेरी ऑफ इंडिया (NFI) को स्वास्थ्य संस्थानों में मानक संदर्भ (Standard Reference) के रूप में व्यापक रूप से अपनाने को बढ़ावा देता है, जिससे तर्कसंगत औषधि-प्रयोग सुनिश्चित हो सके।
- भारतीय फार्माकोपिया आयोग (IPC) तकनीकी विशेषज्ञता प्रदान करेगा, जबकि झारखंड स्टेट फार्मेसी काउंसिल (JSPC) सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के फार्मासिस्टों को जुटाकर प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करेगी।
- भारतीय फार्माकोपिया आयोग (IPC): परिचय
- नेशनल फाॅर्म्युलेरी ऑफ इंडिया (NFI): परिचय
- यह भारतीय फार्माकोपिया आयोग (IPC) द्वारा प्रकाशित एक आधिकारिक संदर्भ है, जिसका उद्देश्य दवाओं के तर्कसंगत और सुरक्षित उपयोग का मार्गदर्शन करना है।
- इसमें स्वीकृत दवाओं से संबंधित मानक जानकारी होती है, जैसे संकेत (Indications), खुराक (Dosages), प्रति-निषेध (Contraindications) और प्रतिकूल प्रभाव (Adverse Effects) जिससे समान और साक्ष्य-आधारित दवा-निर्धारण को बढ़ावा मिलता है।
नरेंद्र-09 गेहूँ: एक किस्म | उत्तराखंड | 17 Nov 2025
चर्चा में क्यों?
नैनीताल ज़िले (उत्तराखंड) के एक किसान को जलवायु-अनुकूल गेहूँ की किस्म “नरेंद्र-09” विकसित करने और इसे वनस्पति किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 2001 (PPV&FRA) के तहत पंजीकृत कराने के लिये राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान प्राप्त हुआ है।
मुख्य बिंदु
- नरेंद्र-09: परिचय
- देवला मल्ला गाँव (नैनीताल) के नरेंद्र सिंह मेहरा ने गेहूँ की किस्म “नरेंद्र-09” को प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली पौधों की किस्मों में से ऑन-फार्म सिलेक्शन के माध्यम से विकसित किया।
- यह किस्म उच्च ताप-सहिष्णुता प्रदर्शित करती है और प्रति बाल 50-80 दाने उत्पन्न करती है, जबकि पारंपरिक किस्मों में यह संख्या केवल 20-25 दाने होती है। यह पहाड़ी और मैदानी दोनों क्षेत्रों में अच्छी तरह अनुकूलित हो जाती है, कम पानी में भी उग जाती है और जलवायु-दाब (Climate-Stress) की परिस्थितियों में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन करती है।
- किसान ने इस किस्म को वनस्पति किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण अधिनियम (PPV&FRA), 2001 के तहत पंजीकृत कराया, जिससे उन्हें कानूनी प्रजनक एवं कृषक अधिकार प्राप्त हो गए।
- वनस्पति किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण अधिनियम (PPV&FRA), 2001: परिचय
- यह अधिनियम नई विकसित वनस्पति किस्मों की सुरक्षा, किसानों के अधिकारों की मान्यता, और भारत में उन्नत फसल किस्मों के सुधार एवं प्रजनन को बढ़ावा देने के लिये लागू किया गया था।
- अधिनियम के तहत नई, विद्यमान (Extant), किसानों की विकसित तथा मूल रूप से व्युत्पन्न (Essentially Derived) किस्मों का पंजीकरण संभव है, बशर्ते वे DUS मानदंडों- भिन्नता (Distinctness), समानता (Uniformity) और स्थिरता (Stability) को पूरा करते हों।
- यह अधिनियम प्रजनकों (Breeders) को उनकी पंजीकृत किस्मों के उत्पादन, बिक्री, विपणन, वितरण, आयात तथा निर्यात का विशेष अधिकार प्रदान करता है। किसानों को भी संरक्षित किस्मों के बीजों को सहेजने, उपयोग करने, बोने, दोबारा बोने, अदला-बदली करने और साझा करने का अधिकार है, लेकिन वे इन बीजों को ब्रांडेड रूप में बेच नहीं सकते।
- यह अधिनियम लाभ-साझेदारी (Benefit-Sharing) का प्रावधान भी करता है, प्लांट जीनोम सेवियर अवॉर्ड्स प्रदान करता है और राष्ट्रीय जीन निधि (National Gene Fund) की स्थापना करता है, जिसके माध्यम से उन किसानों और समुदायों को सम्मानित एवं पुरस्कृत किया जाता है जिन्होंने मूल्यवान आनुवांशिक संसाधनों के संरक्षण या उनके विकास में योगदान दिया है।
मंदिरों में AI-आधारित स्मार्ट निगरानी प्रणाली | उत्तर प्रदेश | 17 Nov 2025
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने घोषणा की है कि सुरक्षा को सुदृढ़ करने और श्रद्धालुओं के अनुभव में सुधार के लिये तीन धार्मिक स्थलों पर AI-आधारित स्मार्ट निगरानी प्रणालियाँ स्थापित की जाएँगी।
मुख्य बिंदु
- पहल: परिचय
- यह परियोजना उत्तर प्रदेश के व्यापक स्मार्ट पर्यटन और डिजिटल शासन अभियान का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य प्रमुख मंदिरों में सुरक्षा, भीड़ प्रबंधन और तीर्थयात्रियों की सुविधा को बढ़ाना है। राज्य के तीन सबसे अधिक यात्रियों वाले मंदिर इस पहल में शामिल हैं:
- AI निगरानी प्रणाली की प्रमुख विशेषताएँ:
- AI-संचालित कैमरे वास्तविक समय में आगंतुकों की संख्या की निगरानी करेंगे, भीड़ की घनत्व का विश्लेषण करेंगे और पीक आवर्स या आपात स्थितियों में अलर्ट जारी करेंगे।
- सिस्टम फेशियल रिकग्निशन, व्यवहार विश्लेषण और आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रोटोकॉल का उपयोग करके आगंतुकों की गतिविधियों को ट्रैक करेगा तथा किसी भी असामान्य या संदिग्ध गतिविधि का पता लगाएगा।
- यह मंदिर प्रशासन को स्वच्छता बनाए रखने, मूलभूत सुविधाएँ सुधारने और आगंतुकों की सुचारु आवाजाही सुनिश्चित करने में भी सहायता करेगा।
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सिरपुर विरासत स्थल | छत्तीसगढ़ | 17 Nov 2025
चर्चा में क्यों?
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) और सिरपुर विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण (SADA) द्वारा की गई संयुक्त निरीक्षण रिपोर्ट ने छत्तीसगढ़ के सिरपुर विरासत परिसरों को यूनेस्को विश्व विरासत सूची में औपचारिक नामांकन के लिये एक कदम आगे बढ़ा दिया है।
मुख्य बिंदु
- सिरपुर, छत्तीसगढ़ के महासमुंद ज़िले में स्थित है और रायपुर से लगभग 78 किमी. दूर महानदी के तट पर बसा है।
- यह प्रसिद्ध लक्ष्मण मंदिर का आवास स्थल है, जिसे भारत के सबसे प्राचीन जीवित ईंट-निर्मित मंदिरों में से एक माना जाता है और इसका निर्माण लगभग 6वीं शताब्दी ईस्वी का है।
- ऐतिहासिक रूप से, सिरपुर दक्षिण कोसल का एक प्रमुख केंद्र रहा है, जो अपनी हिंदू-बौद्ध-जैन सांस्कृतिक समन्वय परंपराओं के लिये जाना जाता है।
- इस स्थल पर विहारों (मठों), मंदिरों, सभा-भवनों और आवासीय परिसरों का विस्तृत समूह है, जो लगभग 700 वर्षों के स्थापत्य विकास को दर्शाता है।
- यह संकुल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित है और राज्य सरकार इसके यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में नामांकन को सक्रिय रूप से आगे बढ़ा रही है।
- खुदाई में महत्त्वपूर्ण बौद्ध अवशेष मिले हैं, जिनमें आनंद प्रभु कुटी विहार शामिल है, जहाँ 7वीं शताब्दी ईस्वी में चीनी यात्री ह्वेनसांग (Xuanzang) आए थे।
- सिरपुर का संबंध पांडु वंश से भी रहा है, जिसके शासकों ने कला, वास्तुकला और धार्मिक विद्वत्ता का संरक्षण किया, जिससे यह अपने समय का एक समृद्ध नगरीय केंद्र बना।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI)
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI), संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला देश का प्रमुख संगठन है, जो पुरातत्वीय अनुसंधान और राष्ट्रीय सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण का कार्य करता है।
- यह देशभर में 3650 से अधिक प्राचीन स्मारकों, पुरातात्विक स्थलों और राष्ट्रीय महत्त्व के अवशेषों का प्रबंधन करता है।
- इसके कार्यों में प्राचीन अवशेषों का सर्वेक्षण, पुरातात्विक स्थलों की खोज एवं उत्खनन, संरक्षित स्मारकों का संरक्षण एवं रख-रखाव शामिल हैं।
- इसकी स्थापना 1861 में अलेक्ज़ेंडर कनिंघम द्वारा की गई थी, जो ASI के प्रथम महानिदेशक थे। उन्हें "भारतीय पुरातत्व का जनक" भी कहा जाता है।
- ASI देश में सभी पुरातात्विक गतिविधियों की देख-रेख प्राचीन स्मारक एवं पुरातात्विक स्थल एवं अवशेष अधिनियम, 1958 के तहत करता है।