डेली न्यूज़ (03 Dec, 2021)



‘पीएम मित्र’ पार्क

प्रिलिम्स के लिये:

‘पीएम मित्र’ पार्क, उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन योजना, राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन

मेन्स के लिये:

भारतीय वस्त्र उद्योग में ‘पीएम मित्र’ पार्क की भूमिका

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सरकार ने वर्ष 2027-28 तक सात वर्षों की अवधि के लिये 4,445 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ ग्रीनफील्ड/ब्राउनफील्ड साइट्स में सात ‘पीएम मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन एंड अपैरल’ (PM Mega Integrated Textile Region and Apparel- PM MITRA) पार्कों की स्थापना को मंज़ूरी दे दी है।

  • भारत सरकार ‘एकीकृत वस्त्र पार्क योजना’ (Scheme for Integrated Textile Park- SITP) शुरू की है, यह योजना कपड़ा इकाइयों की स्थापना के लिये विश्व स्तरीय बुनियादी सुविधाओं के निर्माण में सहायता प्रदान करती है।

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प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • ‘पीएम मित्र’ पार्क को सार्वजनिक निजी भागीदारी (PPP) मोड में एक विशेष प्रयोजन वाहन (Special Purpose Vehicle- SPV) के ज़रिये विकसित किया जाएगा, जिसका स्वामित्व केंद्र और राज्य सरकार के पास होगा।
    • प्रत्येक ‘मित्र’ पार्क में एक इन्क्यूबेशन सेंटर, कॉमन प्रोसेसिंग हाउस और एक कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट तथा अन्य टेक्सटाइल संबंधी सुविधाएँ जैसे- डिज़ाइन सेंटर एवं टेस्टिंग सेंटर होंगे।
      • इनक्यूबेशन सेंटर वह संस्था होती है जो उद्यमियों को उनके व्यवसाय को विकसित करने और इससे जुड़ी समस्याओं को हल करने में सहायता करती है, विशेष रूप से प्रारंभिक चरणों में व्यवसाय और तकनीकी सेवाओं की सारणी, प्रारंभिक सीड फंडिंग (Seed Funding), प्रयोगशाला सुविधाएँ, सलाहकार, नेटवर्क और लिंकेज प्रदान करके।
    • यह ‘विशेष प्रयोजन वाहन’/मास्टर डेवलपर न केवल औद्योगिक पार्क का विकास करेगा, बल्कि रियायत अवधि के दौरान इसका रखरखाव भी करेगा।
  • वित्तपोषण:
    • इस योजना के तहत केंद्र सरकार सामान्य बुनियादी अवसंरचना के विकास हेतु प्रत्येक ग्रीनफील्ड ‘मित्र’ पार्क के लिये 500 करोड़ रुपए और प्रत्येक ब्राउनफील्ड पार्क के लिये 200 करोड़ रुपए की विकास पूंजी सहायता प्रदान करेगी।
      • ग्रीनफील्ड का आशय एक पूर्णतः नई परियोजना से है, जिसे शून्य स्तर से शुरू किया जाना है, जबकि ब्राउनफील्ड परियोजना वह है जिस पर काम शुरू किया जा चुका है।
  • प्रोत्साहन के लिये पात्रता:
    • इनमें से प्रत्येक पार्क में वस्त्र निर्माण इकाइयों की शीघ्र स्थापना के लिये प्रतिस्पर्द्धात्मक प्रोत्साहन सहायता के रूप में अतिरिक्त 300 करोड़ रुपए प्रदान किये जाएंगे।
    • कम-से-कम 100 लोगों को रोज़गार देने वाले ‘एंकर प्लांट’ स्थापित करने वाले निवेशक तीन वर्ष तक प्रतिवर्ष 10 करोड़ रुपए तक प्रोत्साहन पाने के लिये पात्र होंगे।
  • महत्त्व:
    • रसद लागत में कमी: 
      • यह रसद लागत को कम करेगा और कपड़ा क्षेत्र की मूल्य शृंखला को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी बनने हेतु मज़बूत करेगा।
      • कपड़ा निर्यात को बढ़ावा देने के भारत के लक्ष्य में उच्च रसद लागत को एक प्रमुख बाधा माना जाता है।
    • रोज़गार सृजन:
      • प्रत्येक पार्क के माध्यम से प्रत्यक्ष रूप से 1 लाख रोज़गार और परोक्ष रूप से 2 लाख रोज़गार सृजित होने की उम्मीद है।
    • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में वृद्धि:
      • ये पार्क देश में ‘प्रत्यक्ष विदेशी निवेश’ (FDI) आकर्षित करने हेतु महत्त्वपूर्ण हैं।
      • अप्रैल 2000 से सितंबर 2020 तक भारत के कपड़ा क्षेत्र को 20,468.62 करोड़ रुपए का विदेशी प्रत्यक्ष निवेश प्राप्त हुआ था, जो इस अवधि के दौरान कुल विदेशी निवेश प्रवाह का मात्र 0.69% है।
  • अन्य संबंधित पहलें:

भारत का वस्त्र क्षेत्र:

  • परिचय:
    • यह भारतीय अर्थव्यवस्था के सबसे पुराने उद्योगों में से एक है और पारंपरिक कौशल, विरासत तथा संस्कृति का भंडार एवं वाहक है।
    • यह भारतीय सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 2.3%, औद्योगिक उत्पादन में 7%, भारत की निर्यात आय में 12% और कुल रोज़गार में 21% से अधिक का योगदान देता है।
    • भारत 6% वैश्विक हिस्सेदारी के साथ तकनीकी वस्त्रों (Technical Textile) का छठा (विश्व में कपास और जूट का सबसे बड़ा उत्पादक) बड़ा उत्पादक देश है।
      • तकनीकी वस्त्र कार्यात्मक कपड़े होते हैं जो ऑटोमोबाइल, सिविल इंजीनियरिंग और निर्माण, कृषि, स्वास्थ्य देखभाल, औद्योगिक सुरक्षा, व्यक्तिगत सुरक्षा आदि सहित विभिन्न उद्योगों में अनुप्रयोग होते हैं।
    • भारत विश्व में दूसरा सबसे बड़ा रेशम उत्पादक देश भी है, विश्व में हाथ से बुने हुए कपड़ों के मामले में इसकी 95% हिस्सेदारी है।
  • प्रमुख पहलें:

स्रोत: पीआईबी 


नगालैंड राज्य स्थापना दिवस

प्रिलिम्स के लिये:

नगालैंड की भौगोलिक अवस्थिति और जलवायु, नगा समुदाय

मेन्स के लिये:

भारतीय समाज के विकास में पूर्वोत्तर राज्यों का योगदान

चर्चा में क्यों?

हाल ही में नगालैंड ने 1 दिसंबर, 2021 को अपना 59वाँ स्थापना दिवस मनाया।

  • 1 दिसंबर, 1963 को नगालैंड को औपचारिक रूप से एक अलग राज्य के रूप में मान्यता दी गई थी, कोहिमा को इसकी राजधानी घोषित किया गया था।
  • ‘नगालैंड राज्य अधिनियम, 1962’ नगालैंड को राज्य का दर्जा देने के लिये संसद द्वारा अधिनियमित किया गया था।

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नगालैंड:

  • ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
    • वर्ष 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद ‘नगा’ क्षेत्र प्रारंभ में असम का हिस्सा बना रहा। हालाँकि एक मज़बूत राष्ट्रवादी आंदोलन ने नगा जनजातियों के राजनीतिक संघ की मांग करना शुरू कर दिया और कुछ चरमपंथियों ने भारतीय संघ से पूरी तरह से अलग होने की मांग की।
    • वर्ष 1957 में असम के ‘नगा हिल्स क्षेत्र’ और उत्तर-पूर्व में ‘तुएनसांग फ्रंटियर’ डिवीज़न को भारत सरकार द्वारा सीधे प्रशासित एक इकाई के तहत एक साथ लाया गया था।
    • वर्ष 1960 में यह तय किया गया कि नगालैंड को भारतीय संघ का एक घटक राज्य बनना चाहिये। नगालैंड ने वर्ष 1963 में राज्य का दर्जा हासिल किया और वर्ष 1964 में लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार ने सत्ता संभाली।
  • भौगोलिक अवस्थिति:
    • यह पूर्वोत्तर में अरुणाचल प्रदेश, दक्षिण में मणिपुर एवं पश्चिम तथा उत्तर-पश्चिम में असम और पूर्व में म्याँमार (बर्मा) से घिरा है। राज्य की राजधानी ‘कोहिमा’ है, जो नगालैंड के दक्षिणी भाग में स्थित है।
    • नगालैंड की जलवायु ‘मानसूनी’ (आर्द्र और शुष्क) है। यहाँ वार्षिक वर्षा का औसत 70 से 100 इंच के बीच है और यह दक्षिण-पश्चिम मानसून (मई से सितंबर) के महीनों पर केंद्रित होती  है।
  • जैव विविधता:
    • वनस्पति: नगालैंड के लगभग एक-छठे हिस्से में वन हैं। 4,000 फीट से नीचे उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय सदाबहार वन मौजूद हैं, जिनमें ताड़, रतन और बाँस के साथ-साथ मूल्यवान लकड़ी प्रजातियाँ शामिल हैं। शंकुधारी वन अधिक ऊँचाई पर पाए जाते हैं। ‘झूम’ खेती (स्थानांतरण खेती) हेतु साफ किये गए क्षेत्रों में घास, नरकट और झाड़ीदार जंगल भी पाए जाते हैं।
    • जीव: हाथी, बाघ, तेंदुए, भालू, कई प्रकार के बंदर, सांभर, हिरण, भैंस, जंगली बैल और गैंडा निचली पहाड़ियों में पाए जाते हैं। राज्य में साही, पैंगोलिन, जंगली कुत्ते, लोमड़ी, सिवेट बिल्लियाँ और नेवले भी पाए जाते हैं।
      • मिथुन (ग्याल) नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश का राज्य पशु है।
      • ‘बेलीथ का ट्रैगोपन’ नागालैंड का राज्य पक्षी है।
  • जनजाति:
    • ‘कोन्याक’ सबसे बड़ी जनजाति हैं, इसके बाद आओस, तांगखुल, सेमास और अंगमी आते हैं।
    • अन्य जनजातियों में लोथा, संगतम, फॉम, चांग, खिम हंगामा, यिमचुंगर, ज़ेलिआंग, चाखेसांग (चोकरी) और रेंगमा शामिल हैं।
  • अर्थव्यवस्था:
    • कृषि क्षेत्र, राज्य की आबादी के लगभग नौवें-दसवें हिस्से को रोज़गार देता है। चावल, मक्का, छोटी बाजरा, दालें (फलियाँ), तिलहन, फाइबर, गन्ना, आलू और तंबाकू प्रमुख फसलें हैं।
    • हालाँकि नगालैंड को अभी भी पड़ोसी राज्यों से भोजन के आयात पर निर्भर रहना पड़ता है।
  • नगालैंड में संरक्षित क्षेत्र:
    • इन्तानकी राष्ट्रीय उद्यान
    • सिंगफन वन्यजीव अभयारण्य
    • पुलीबद्ज़े वन्यजीव अभ्यारण्य
    • फकीम वन्यजीव अभयारण्य
  • प्रमुख महोत्सव:
    • ‘हॉर्नबिल महोत्सव’ प्रतिवर्ष 1 से 10 दिसंबर तक नगालैंड में आयोजित होने वाला उत्सव है।
    • इस त्योहार का महत्त्व इस तथ्य में निहित है कि यह एक प्राचीन त्योहार नहीं है और इसे वर्ष 2000 में नगालैंड को पर्यटकों के बीच लोकप्रिय बनाने हेतु शुरू किया गया था।

नगा:

  • नगा पहाड़ी नृजातीय समुदाय हैं जिनकी आबादी लगभग 2.5 मिलियन (नगालैंड में 1.8 मिलियन, मणिपुर में 0.6 मिलियन और अरुणाचल में 0.1 मिलियन) है और ये भारतीय राज्य असम एवं बर्मा (म्याँमार) के मध्य सुदूर व पहाड़ी क्षेत्र में निवास करते हैं।
    • बर्मा (म्याँमार) में भी नगा समूह मौजूद हैं।
  • नगा एक जनजाति नहीं है, बल्कि एक जातीय समुदाय है, जिसमें कई जनजातियाँ शामिल हैं, जो नगालैंड और उसके पड़ोसी क्षेत्रों में निवास करती हैं।
  • नगा समुदाय में कुल 19 जनजातियाँ शामिल हैं- एओस, अंगामिस, चांग्स, चकेसांग, कबूइस, कचारिस, खैन-मंगस, कोन्याक्स, कुकिस, लोथस (लोथास), माओस, मिकीर्स, फोम्स, रेंगमास, संग्तामास, सेमस, टैंकहुल्स, यामचुमगर और ज़ीलियांग।

स्रोत: पीआईबी


प्रदर्शन, उपलब्धि और व्यापार योजना

प्रिलिम्स के लिये:

ऊर्जा दक्षता के लिये राष्ट्रीय मिशन,  ऊर्जा बचत प्रमाणपत्र, जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्ययोजना

मेन्स के लिये:

प्रदर्शन, उपलब्धि और व्यापार योजना के मुख्य प्रावधान एवं महत्त्व 

चर्चा में क्यों?   

सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरमेंट (Centre for Science and Environment- CSE) द्वारा जारी एक हालिया रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि वर्ष 2008 में शुरू की गई प्रदर्शन, उपलब्धि और व्यापार योजना (Perform, Achieve and Trade- PAT) प्रभावी नहीं है।

  • PAT योजना भारतीय उद्योगों में ऊर्जा दक्षता में सुधार लाने और ग्रीनहाउस गैस को कम करने के लिये शुरू की गई थी।
  • रिपोर्ट में योजना की अक्षमता को गैर-पारदर्शिता, अधूरे लक्ष्यों और समय-सीमा कि उपेक्षा के लिये ज़िम्मेदार ठहराया गया है।

सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरनमेंट (CSE)

  • CSE नई दिल्ली में स्थित एक जनहित अनुसंधान (Public Interest Research) और एडवोकेसी ऑर्गेनाइज़ेशन (Advocacy Organisation) है। 
  • यह टिकाऊ और न्यायसंगत विकास की आवश्यकता हेतु शोध एवं लॉबीज़ (Lobbies) को बढ़ावा देता है।

प्रमुख बिंदु 

  • प्रदर्शन, उपलब्धि और व्यापार योजना के बारे में:
  • ऊर्जा बचत प्रमाणपत्र (ESCerts):
    • यह बड़े ऊर्जा-गहन उद्योगों में ऊर्जा दक्षता में तीव्रता लाने के साथ-साथ उन्हें प्रोत्साहन देने हेतु एक बाजार-आधारित तंत्र है।
    • अंडर अचीवर्स (Under Achievers) द्वारा ESCerts की खरीद दो पावर एक्सचेंजों - इंडियन एनर्जी एक्सचेंज (IEX) और पावर एक्सचेंज इंडिया लिमिटेड (पीएक्सआईएल) के माध्यम से की जाती है।
    • इस योजना में भाग लेने वाले उद्योगों को नामित खरीदार (Designated Shoppers) कहा जाता है।
  • कवर किये गए क्षेत्र:
    • PAT में शामिल 13 ऊर्जा-गहन क्षेत्र: थर्मल पावर प्लांट (TPP), सीमेंट, एल्युमीनियम, लोहा और इस्पात, लुगदी तथा कागज़, उर्वरक, क्लोर-क्षार, पेट्रोलियम रिफाइनरी, पेट्रोकेमिकल्स, वितरण कंपनियाँ, रेलवे, कपड़ा एवं वाणिज्यिक भवन (होटल व हवाई अड्डे)।
  • ऊर्जा संरक्षण और ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने हेतु अन्य पहलें:

आगे की राह:

ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन शमन के संबंध में वैश्विक जलवायु प्रतिबद्धताओं को पूरा करने हेतु ऊर्जा उत्सर्जन से संबंधित उपबंधों को सख्ती के साथ लागू किया जाना चाहिये। 

स्रोत: डाउन टू अर्थ


श्रीलंका संकट पर चार सूत्री रणनीति

प्रिलिम्स के लिये:

मित्र शक्ति, ईस्ट कोस्ट टर्मिनल परियोजना

मेन्स के लिये:

श्रीलंका संकट पर चार सूत्री रणनीति, भारत-श्रीलंका संबंध और चीन की चुनौती

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत और श्रीलंका ने श्रीलंका के आर्थिक संकट को कम करने में मदद हेतु खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा पर चर्चा करने के लिये चार सूत्री रणनीति पर सहमति व्यक्त की है।

  • इस वर्ष की शुरुआत में श्रीलंका ने बढ़ती खाद्य कीमतों, मुद्रा मूल्यह्रास और तेज़ी से घटते विदेशी मुद्रा भंडार के बीच आर्थिक आपातकाल की घोषणा की थी।

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प्रमुख बिंदु 

  • चार सूत्री रणनीति:
    • लाइन ऑफ क्रेडिट: भारत द्वारा भोजन, दवाओं और ईंधन की खरीद के लिये ‘लाइन ऑफ क्रेडिट’ सुविधा प्रस्तुत की गई है।
      • ‘लाइन ऑफ क्रेडिट’ एक क्रेडिट सुविधा है, जो किसी बैंक या अन्य वित्तीय संस्थान द्वारा सरकार, व्यवसाय या व्यक्तिगत ग्राहक को दी जाती है, यह ग्राहक को अधिकतम ऋण राशि प्राप्त करने में सक्षम बनाती है।
    • करेंसी स्वैप: श्रीलंका के भुगतान संतुलन के मुद्दों से निपटने के लिये एक ‘मुद्रा स्वैप समझौता’ भी किया गया है।
      • ‘स्वैप’ शब्द का अर्थ है ‘विनिमय’। करेंसी स्वैप अथवा मुद्रा विनिमय का आशय दो देशों के बीच पूर्व निर्धारित नियमों और शर्तों के साथ मुद्राओं के आदान-प्रदान हेतु किये गए समझौते या अनुबंध से है।
    • आधुनिकीकरण परियोजना: ‘ट्रिंको तेल फार्म’ की प्रारंभिक आधुनिकीकरण परियोजना, जिसे भारत कई वर्षों से अपना रहा है।
      • त्रिंकोमाली हार्बर, दुनिया के सबसे गहरे प्राकृतिक बंदरगाहों में से एक है, जिसे द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेज़ों द्वारा विकसित किया गया था।
      • त्रिंकोमाली में तेल के बुनियादी अवसंरचना को विकसित करने संबंधी परियोजनाएँ वर्ष 2017 से लंबित हैं।
    • भारतीय निवेश: विभिन्न क्षेत्रों में भारतीय निवेश को सुगम बनाने हेतु श्रीलंका की प्रतिबद्धता।
  • भारत-श्रीलंका संबंधों में हाल के मुद्दे:
    • मछुआरे की हत्या:
      • श्रीलंकाई नौसेना द्वारा भारतीय मछुआरों की हत्या दोनों देशों के बीच एक पुराना मुद्दा है।
    • ईस्ट कोस्ट टर्मिनल परियोजना:
      • इस वर्ष (2021) श्रीलंका ने ईस्ट कोस्ट टर्मिनल परियोजना के लिये भारत और जापान के साथ हस्ताक्षरित एक समझौता ज्ञापन को रद्द कर दिया।
        • भारत ने इस कदम का विरोध किया, हालाँकि बाद में वह अडानी समूह द्वारा विकसित किये जा रहे वेस्ट कोस्ट टर्मिनल के लिये सहमत हो गया।
    • चीन का प्रभाव
      • श्रीलंका में चीन के तेज़ी से बढ़ते आर्थिक पदचिह्न और परिणाम के रूप में राजनीतिक दबदबा भारत-श्रीलंका संबंधों को तनावपूर्ण बना रहा है।
        • चीन पहले से ही श्रीलंका में सबसे बड़ा निवेशक है, जो कि वर्ष 2010-2019 के दौरान कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का लगभग 23.6% था, जबकि भारत का हिस्सा केवल 10.4 फीसदी है।
        • चीन श्रीलंकाई सामानों के लिये सबसे बड़े निर्यात स्थलों में से एक है और श्रीलंका के विदेशी ऋण के 10% हेतु उत्तरदायी है।
    •   श्रीलंका का 13वाँ संविधान संशोधन: 
      • यह एक संयुक्त श्रीलंका के भीतर समानता, न्याय, शांति और सम्मान के लिये तमिल लोगों की उचित मांग को पूरा करने हेतु प्रांतीय परिषदों को आवश्यक शक्तियों के हस्तांतरण की परिकल्पना करता है।

भारत-श्रीलंका संबंध

  • पृष्ठभूमि: भारत और श्रीलंका के द्विपक्षीय संबंधों का इतिहास 2,500 वर्षों से भी अधिक पुराना है, दोनों देशों ने बौद्धिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और भाषायी संबंधों की विरासत का निर्माण किया है। 
  • आतंकवाद के खिलाफ समर्थन: गृहयुद्ध के दौरान भारत ने आतंकवादी ताकतों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिये श्रीलंका सरकार का समर्थन किया।
  • पुनर्वास सहायता: भारतीय आवास परियोजना (Indian Housing Project) भारत सरकार की श्रीलंका को विकासात्मक सहायता की प्रमुख परियोजना है। इसकी आरंभिक प्रतिबद्धता गृहयुद्ध से प्रभावित लोगों के साथ-साथ बागान क्षेत्रों में संपदा/एस्टेट श्रमिकों के लिये 50,000 घरों का निर्माण करना है।
  • कोविड-19 के दौरान सहायता:  भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने विदेशी भंडार को बढ़ावा देने और देश में वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिये श्रीलंका को 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर के मुद्रा विनिमय (Currency Swap) सुविधा का विस्तार करने हेतु एक समझौते पर हस्ताक्षर किये थे, जब वह कोविड-19 महामारी से बुरी तरह प्रभावित था। हाल ही में भारत ने श्रीलंका को भी कोविड-19 के टीके की आपूर्ति की है।
  • संयुक्त अभ्यास: भारत और श्रीलंका संयुक्त सैन्य अभ्यास (मित्र शक्ति) तथा नौसैनिक अभ्यास- स्लीनेक्स (SLINEX) आयोजित करते हैं।
  • समूहों के बीच भागीदारी: श्रीलंका भी बिम्सटेक (बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिये बंगाल की खाड़ी पहल) और सार्क जैसे समूहों का सदस्य है जिसमें भारत प्रमुख भूमिका निभाता है।

आगे की राह

  • भारत और श्रीलंका के बीच एक ज़मीनी स्तर पर विश्वास की कमी है, फिर भी दोनों देश आपसी संबंधों को खराब करने के पक्ष में नहीं है। 
  • हालाँकि एक बड़े देश के रूप में भारत पर श्रीलंका को साथ ले चलने की ज़िम्मेदारी है। भारत को धैर्य रखने की ज़रूरत है और किसी भी तनाव पर प्रतिक्रिया करने से बचना चाहिये तथा श्रीलंका (विशेष रूप से उच्चतम स्तर पर) को और अधिक नियमित रूप से तथा बारीकी से इस कार्य में संलग्न करना चाहिये।
  • कोलंबो के घरेलू मामलों में किसी भी तरह के हस्तक्षेप से दूर रहते हुए भारत को अपनी जन-केंद्रित विकास गतिविधियों को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। 
  • श्रीलंका के साथ ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति का संपोषण भारत के लिये हिंद महासागर क्षेत्र में अपने रणनीतिक हितों को संरक्षित करने के दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण है। 

स्रोत: द हिंदू


पाइका विद्रोह: 1817

प्रिलिम्स के लिये:

पाइका विद्रोह

मेन्स के लिये:

पाइका विद्रोह के कारण एवं महत्त्व

चर्चा में क्यों?   

हाल ही में केंद्र सरकार ने कहा है कि पाइका विद्रोह (Paika Rebellion) को प्रथम स्वतंत्रता संग्राम नहीं कहा जा सकता।

  • यह भी सुझाव दिया गया है कि इसे राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की कक्षा 8 की इतिहास की पाठ्यपुस्तक में केस स्टडी के रूप में शामिल किया जाए।
  • वर्ष 2017 में पहली बार ओडिशा राज्य मंत्रिमंडल ने पाइका विद्रोह को पहले स्वतंत्रता संग्राम के रूप में घोषित करने हेतु केंद्र से औपचारिक रूप से आग्रह करने का प्रस्ताव पारित किया था।
  • वर्ष 2018 में सरकार ने पाइका विद्रोह की याद में स्मारक सिक्का और डाक टिकट जारी किया।

प्रमुख बिंदु 

  • पाइका विद्रोह के बारे में:
    • पाइका (उच्चारण ‘पाइको’, शाब्दिक रूप से 'पैदल सैनिक') को 16वीं शताब्दी के बाद से ओडिशा में राजाओं द्वारा विभिन्न सामाजिक समूहों से वंशानुगत कर-मुक्त भूमि (निश-कर जागीर) और उपाधियों के बदले सैन्य सेवाएंँ प्रदान करने के लिये भर्ती किया गया वर्ग था।
    • जब अंग्रेज़ यहाँ पहुंँचे तो उस समय ओडिशा के गजपति शासक मुकुंद देव द्वितीय किसान मिलिशिया (Peasant Militias) थे।
  • ब्रिटिश दमनकारी नीति:
    • अंग्रेज़ोंं के नए औपनिवेशिक प्रतिष्ठान और भू-राजस्व बंदोबस्त लागू होने से पाइको ने अपनी संपदा खो दी।
      • ओडिशा में ब्रिटिश शासन की स्थापना के बाद ब्रिटिश द्वारा पाइको के खिलाफ दमनकारी नीति अपनाई गई। उन्होंने समाज में अपनी पारंपरिक स्थिति खो दी और उनकी ज़मीन छीन ली गई।
    • अर्थव्यवस्था और राजस्व प्रणालियों में निरंतर हस्तक्षेप से किसानों का शोषण और उत्पीड़न हुआ, अंततः अंग्रेज़ों के खिलाफ विद्रोह शुरू हो गया।
      • ‘खुर्दा’ में पाइको के विद्रोह से पहले और बाद में पारालाखेमुंडी (1799-1814), घुमुसर (1835-36) एवं अंगुल (1846-47); कालाहांडी में कोंधों का विद्रोह (1855); तथा 1856-57 का सबारा में विद्रोह हुए।
      • इन विद्रोहों का नेतृत्व संपत्ति वाले ऐसे वर्गों ने किया था जिनकी स्थिति औपनिवेशिक हस्तक्षेपों से कमज़ोर हो गई थी।
  • पाइका विद्रोह:
    • वर्ष 1817 का पाइका विद्रोह वर्ष 1857 के पहले सिपाही विद्रोह से लगभग 40 वर्ष पूर्व हुआ था।
    • बक्शी जगबंधु विद्याधर महापात्र भरमारबार राय, मुकुंद देव द्वितीय के सर्वोच्च सैन्य जनरल और रोडंगा एस्टेट के पूर्व धारक ने कोंधों के विद्रोह में शामिल होकर पाइका की एक सेना का नेतृत्व किया। उन्होंने 2 अप्रैल, 1817 को अंग्रेज़ों का सामना किया।
      • पाइको को राजाओं, ज़मींदारों, ग्राम प्रधानों और साधारण किसानों का समर्थन प्राप्त था। यह विद्रोह शीघ्र ही प्रांत के विभिन्न भागों में फैल गया।
    • इस घटना में बानापुर में सरकारी भवनों में आग लगा दी गई, पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी गई और ब्रिटिश खजाने को लूट लिया गया।
    • आगामी कुछ महीनों तक विद्रोह जारी रहा, लेकिन अंततः ब्रिटिश सेना ने उन्हें पराजित कर दिया। विद्याधर को वर्ष 1825 में जेल में डाल दिया गया था और चार वर्ष बाद जेल में रहने के दौरान उनकी मृत्यु हो गई।

स्रोत: द हिंदू