श्यामजी कृष्ण वर्मा की जयंती | राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स | 06 Oct 2025
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्यामजी कृष्ण वर्मा को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की तथा भारत के स्वतंत्रता संग्राम के प्रति उनके समर्पण को रेखांकित करते हुए युवाओं से उनकी निडर साहस और न्याय के प्रति प्रतिबद्धता का अनुकरण करने का आग्रह किया।
मुख्य बिंदु
- वे एक भारतीय क्रांतिकारी, देशभक्त, वकील और पत्रकार थे, जिनका जन्म 4 अक्टूबर 1857 को मांडवी, गुजरात में हुआ था।
- लंदन में उन्होंने वर्ष 1905 में इंडियन होम रूल सोसाइटी की स्थापना की, जिसका उद्देश्य युवा भारतीयों को ब्रिटिश शासन के विरुद्ध क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल होने के लिये प्रेरित करना था।
- उन्होंने लंदन में भारतीय छात्रों के लिये छात्रावास और बैठक-स्थल के रूप में ‘इंडिया हाउस’ की स्थापना की।
- उन्होंने ‘द इंडियन सोशियोलॉजिस्ट’ नामक पत्रिका भी शुरू की, जिसका उद्देश्य युवा भारतीयों को ब्रिटिश शासन के विरुद्ध क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल होने के लिये प्रेरित करना था।
- वह बॉम्बे आर्य समाज के पहले अध्यक्ष थे और वीर सावरकर से प्रभावित थे।
- ब्रिटिश आलोचना के प्रत्युत्तर में वे इंग्लैंड से पेरिस चले गए और तत्पश्चात प्रथम विश्व युद्ध के दौरान जिनेवा में स्थायी रूप से बस गए, जहाँ 30 मार्च, 1930 को उनका निधन को गया।
- उन्होंने इच्छा व्यक्त की थी कि उनकी अस्थियाँ स्वतंत्र भारत में लाई जाएँ, यह इच्छा अगस्त 2003 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पूरी की गई।
- उनकी स्मृति में ‘क्रांति तीर्थ’ नामक स्मारक का निर्माण मांडवी के निकट किया गया, जिसका उद्घाटन वर्ष 2010 में किया गया।

आपणी बस-राजस्थान रोडवेज पहल | राजस्थान | 06 Oct 2025
चर्चा में क्यों?
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने 5 अक्तूबर, 2025 को ‘आपणी बस–राजस्थान रोडवेज’ पहल का उद्घाटन किया, जो राजस्थान में ग्रामीण परिवहन संपर्क और यात्री सुविधाओं में सुधार की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण प्रयास है।
मुख्य बिंदु

- परिचय:
- यह पहल राज्य बजट की उस प्रतिबद्धता का हिस्सा है, जिसके अंतर्गत परिवहन अवसंरचना को विशेष रूप से ग्रामीण एवं अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में मज़बूत बनाया जा रहा है।
- इससे पहले, इन मार्गों को ‘सार्वजनिक परिवहन सेवा’ के तहत संचालित किया जाता था, जिसे अब अधिक दृश्यता और एकीकरण के लिये ‘आपणी बस–राजस्थान रोडवेज’ के रूप में पुनः ब्रांड किया गया है।
- इन बसों का संचालन राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम (RSRTC) की देखरेख में निजी संचालकों द्वारा किया जाएगा, जिससे व्यावसायिक सेवा-प्रदाय एवं रखरखाव मानकों का पालन सुनिश्चित हो सके।
- विस्तार:
- यह सेवा ग्रामीण और छोटे शहरों के लिये शुलभ, सुरक्षित तथा विश्वसनीय परिवहन सुनिश्चित करते हुए सशक्त ग्रामीण कनेक्टिविटी को मज़बूत करने के लिये 169 ग्राम पंचायतों में संचालित होगी।
- परिचालन ढाँचा:
- यह मॉडल राजस्व-साझेदारी व्यवस्था पर आधारित है, जिसके अंतर्गत निजी संचालक राजस्थान राज्य सड़क परिवहन निगम (RSRTC ) को 5–7 रुपये प्रति किमी का भुगतान करते हैं, जबकि यात्रियों से 1.5 रुपये प्रति किमी का निश्चित किराया लिया जाता है।
- महिलाओं, वरिष्ठ नागरिकों और सरकारी प्रायोजित लाभार्थियों के लिये मुफ्त यात्रा रियायतें पूर्ववत जारी रहेंगी।
- सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित बनाए रखने के लिये सभी बसों में GPS, पैनिक बटन तथा रीयल-टाइम ट्रैकिंग सिस्टम जैसी सुविधाएँ उपलब्ध कराई गईं हैं।
- महत्त्व:
- यह पहल ग्रामीण संपर्क को सुदृढ़ बनाते हुए स्वास्थ्य, शिक्षा और बाज़ारों तक पहुँच में सुधार करती है, स्थानीय रोज़गार सृजन को बढ़ावा देती है, डिजिटल सुशासन को स्मार्ट ट्रैकिंग प्रणाली के माध्यम से जोड़ती है तथा बेहतर सुरक्षा एवं खानपान-सुविधाओं के माध्यम से यात्रियों के विश्वास व सुविधा स्तर को बढ़ाती है।
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मखाना महोत्सव पटना में आयोजित | बिहार | 06 Oct 2025
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय कृषि, किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बिहार के एक दिवसीय दौरे के दौरान ज्ञान भवन, गांधी मैदान, पटना में आयोजित ‘मखाना महोत्सव 2025’ में भाग लिया।
- इस अवसर पर उन्होंने ‘मखाना: संस्कृति से समृद्धि’ शीर्षक से एक रिपोर्ट भी जारी की।
मुख्य बिंदु
- महोत्सव के बारे में:
- इस महोत्सव का उद्देश्य बिहार को मखाना उत्पादन में अग्रणी बनाना तथा पूरे भारत में इसके आर्थिक और सांस्कृतिक महत्त्व को बढ़ावा देना है।
- केंद्र सरकार ने मखाना उत्पादन, विपणन और निर्यात प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ाने के लिये आधुनिक मशीनरी, उन्नत किस्मों तथा प्रसंस्करण अवसंरचना के लिये 475 करोड़ रुपये से मखाना बोर्ड की स्थापना की है।
- NRCM दरभंगा में अनुसंधान से सशक्त इस पहल का उद्देश्य भारत के कृषि-निर्यात क्षेत्र में विविधता लाना, ग्रामीण रोज़गार सृजित करना तथा वैश्विक मूल्य शृंखलाओं के साथ एकीकरण के माध्यम से किसानों की आय में वृद्धि करना है।
- उत्पादन एवं निर्यात: बिहार वैश्विक मखाना उत्पादन का 90% से अधिक हिस्सा उत्पादित करता है, जहाँ कृषि क्षेत्र लगभग 3,000 हेक्टेयर से बढ़कर 35,000–40,000 हेक्टेयर हो गया है और निर्यात अब यूरोप, अमेरिका तथा पूर्वी एशिया के बाज़ारों तक पहुँच गया है।
- राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र (NRCM):
- दरभंगा स्थित NRCM भारत में मखाना अनुसंधान और नवाचार का प्रमुख संस्थान है।
- इसने उच्च उपज देने वाली मखाना और कांटे रहित सिंघाड़े की किस्में विकसित की हैं, तथा मखाना-सह-मछली पालन जैसी जल-कुशल एकीकृत कृषि प्रणालियाँ शुरू की हैं।
- किसानों, KVK, नाबार्ड और बिहार हॉर्टिकल्चर डेवलपमेंट सोसाइटी जैसी संस्थाओं को 15,824 किग्रा से अधिक उच्च उपज मखाना बीज वितरित किये हैं।
- मखाना प्रसंस्करण के लिये अनेक मशीनों को डिज़ाइन और व्यावसायीकृत किया गया है, जिनमें बीज धोने की मशीन, ग्रेडर, भूनने तथा पॉपिंग मशीन एवं पॉप्ड मखाना के लिये ग्रेडर शामिल हैं।
- NRCM ने हज़ारों किसानों और उद्यमियों को प्रशिक्षित किया है, जिससे बिहार, उत्तर प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ में ग्रामीण रोज़गार एवं स्थायी आजीविका को बढ़ावा मिला है।
हरियाणा में साबर डेयरी संयंत्र का उद्घाटन | हरियाणा | 06 Oct 2025
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने हरियाणा के IMT रोहतक में साबर डेयरी संयंत्र का उद्घाटन किया।
- उन्होंने इसे भारत के तेज़ी से बढ़ते डेयरी उद्योग और किसान कल्याण तथा सहकारी सशक्तीकरण की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण पहल बताया।
मुख्य बिंदु
- परिचय:
- यह संयंत्र दही, छाछ और योगर्ट के लिये भारत का सबसे बड़ा सुविधा केंद्र है, जिसे साबर डेयरी (अमूल समूह) द्वारा 350 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित किया गया है।
- यह दिल्ली-NCR और उत्तरी भारत को सेवा प्रदान करेगा, जिससे हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र तथा बिहार के दुग्ध उत्पादकों को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा।
- गुजरात का साबर डेयरी द्वारा संचालित सहकारी मॉडल, जिसमें भ्रूण स्थानांतरण, लिंग निर्धारण, बायोगैस, मधुमक्खी पालन और जैविक खेती में प्रगति हुई है, उसे हरियाणा में कृषक आय तथा सतत् विकास बढ़ाने के लिये दोहराया जाएगा।
- हरियाणा का प्रदर्शन:
- हरियाणा दुग्ध उत्पादन में भारत में तीसरे स्थान पर है, जिसका वार्षिक उत्पादन लगभग 122.2 लाख टन है तथा प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 1,105 ग्राम प्रतिदिन है।
- ग्रामीण भारत का आधार:
- डेयरी उद्योग देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 6% से अधिक का योगदान देता है और 8 करोड़ से अधिक डेयरी किसानों की आजीविका का आधार है। कृषि आय का लगभग 12–14% डेयरी क्षेत्र से आता है।
- वैश्विक रैंकिंग:
- भारत वर्ष 1998 से विश्व का शीर्ष दुग्ध उत्पादक देश रहा है और अब वैश्विक दुग्ध उत्पादन का 25% उत्पादन करता है।
- वित्तीय वर्ष 2014–15 से 2023–24 के बीच, दुग्ध उत्पादन 63.56% बढ़कर 146.3 मिलियन टन से 239.2 मिलियन टन हो गया। वित्तीय वर्ष 1950–51 में भारत में प्रतिवर्ष 21 मिलियन टन से भी कम दुग्ध उत्पादन होता था।
- भविष्य की योजना:
- श्वेत क्रांति 2.0 के तहत, देश में 75,000 नई डेयरी समितियाँ और 46,000 पुनर्जीवित सहकारी समितियाँ स्थापित की जाएंगी।
- भारत में दुग्ध प्रसंस्करण क्षमता को वित्तीय वर्ष 2028–29 तक 660 लाख लीटर प्रतिदिन से बढ़ाकर 100 मिलियन लीटर प्रतिदिन किया जाएगा।
- सरकारी पहलें:
- राष्ट्रीय गोकुल मिशन: देशी नस्लों का आनुवंशिक सुधार और संरक्षण।
- राष्ट्रीय कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम: प्रजनन कवरेज और उत्पादकता का विस्तार।
- पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (AHIDF): आधुनिक अवसंरचना और प्रसंस्करण समर्थन।
- राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NADCP): फुट-एंड-माउथ और ब्रुसेलोसिस रोगों का उन्मूलन।
- तीन नई राष्ट्रीय सहकारी समितियाँ: पशु चारा, खाद प्रबंधन और पशु अवशेषों के उपयोग के लिये चक्रीय अर्थव्यवस्था।
गायक छन्नूलाल मिश्र का निधन | उत्तर प्रदेश | 06 Oct 2025
चर्चा में क्यों?
हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के दिग्गज पंडित छन्नूलाल मिश्र का लंबी बीमारी के बाद 89 वर्ष की आयु में उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर में निधन हो गया।
मुख्य बिंदु

- छन्नूलाल मिश्र के बारे में:
- उनका जन्म 3 अगस्त, 1936 को उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ ज़िले के हरिहरपुर गाँव में हुआ था और 5 अक्तूबर 2025 को उनका निधन हो गया।
- संगीत यात्रा:
- वह हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत, विशेष रूप से ख्याल, ठुमरी, दादरा, चैती, कजरी और भजन शैलियों के अग्रणी प्रतिपादकों में से एक थे।
- उन्होंने प्रारंभिक संगीत प्रशिक्षण अपने पिता बद्री प्रसाद मिश्र से प्राप्त किया।
- किराना घराने के उस्ताद अब्दुल गनी खान तथा ठाकुर जयदेव सिंह के मार्गदर्शन में उनकी शास्त्रीय संगीत शिक्षा और समृद्ध हुई।
- उन्होंने बनारस घराने की ख्याल, ठुमरी और पूरब अंग शैलियों को वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित कर राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय ख्याति अर्जित की।
- पुरस्कार:
हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत
- हिंदुस्तानी संगीत, जो मुख्य रूप से उत्तर भारत में प्रचलित है, भारतीय शास्त्रीय संगीत के दो मुख्य पद्धतियों में से एक है, दूसरा दक्षिण भारत का कर्नाटक संगीत है।
- यह मुख्यतः गायन-केंद्रित है, जिसमें ध्रुपद और ख्याल शास्त्रीय हिंदुस्तानी का प्रतिनिधित्व करते हैं, जबकि ठुमरी, धमार, तराना, टप्पा, कव्वाली तथा गजल अर्द्ध-शास्त्रीय हिंदुस्तानी शैलियाँ हैं।
ठुमरी
- परिचय:
- यह उत्तर भारत का एक अर्द्ध-शास्त्रीय संगीत रूप है, जो 19वीं शताब्दी में नवाब वाज़िद अली शाह के संरक्षण में उन्नत हुआ
- यह अपनी भावपूर्ण गहराई, माधुर्य और अभिव्यक्तिपूर्ण कहानी कहने की शैली के लिये प्रसिद्ध है।
- वर्ष 1856 में अवध के पतन के बाद इसका केंद्र बनारस में स्थानांतरित हो गया, जहाँ इसे आध्यात्मिक और भक्तिपरक स्वर (राधा-कृष्ण थीम) मिला।
- विशेषता:
- इसमें राग नियमों के सख्त पालन के बजाए भाव (भावना) पर ज़ोर दिया जाता है और सुधार तथा स्वतंत्रता की अनुमति दी जाती है।
- प्रभाव:
- इसमें होरी, कजरी, दादरा, झूला, चैती और अन्य लोक या अर्द्ध-शास्त्रीय रूपों के तत्त्व शामिल हैं।
- ठुमरी के रूप:
- पूर्वी ठुमरी (पूर्वी/धीमी गति): गीतात्मक और गहन भावनात्मक, मुख्यतः बनारस घराने से सम्बंधित।
- पंजाबी ठुमरी (तीव्र गति): ऊर्जावान और जीवंत, पटियाला घराने से संबंधित।
- प्रमुख घराने:
- बनारस घराना, लखनऊ घराना और पटियाला घराना।
राजस्थान का पहला नमो जैवविविधता पार्क | राजस्थान | 06 Oct 2025
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने प्रताप बाँध, अलवर में राजस्थान के पहले ‘नमो जैवविविधता पार्क’, जिसे ‘नमो वन’ के नाम से भी जाना जाता है, का उद्घाटन किया।
मुख्य बिंदु

- नमो वन के बारे में:
- नमो वन एक नई पर्यावरण-अनुकूल पार्क पहल है, जिसे प्रमुख भारतीय शहरों में शुरू किया गया है, जो हरित क्षेत्रों में वृद्धि और शहरी स्थिरता को बढ़ावा देने के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्रव्यापी प्रयासों का हिस्सा है।
- हरित अवसंरचना:
- इस पार्क को अलवर के लिये एक हरित फेफड़ा के रूप में देखा जा रहा है, जो स्थानीय हरियाली को बढ़ाएगा और वायु गुणवत्ता में सुधार करेगा।
- जन जागरूकता:
- इसका उद्देश्य पर्यावरण जागरूकता को बढ़ावा देना और नागरिकों को पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली अपनाने के लिये प्रोत्साहित करना है।
- सामुदायिक भागीदारी:
- यह पहल संरक्षण में सार्वजनिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिये विकसित की गई है, जो भारत की जलवायु कार्रवाई और जैवविविधता लक्ष्यों के अनुरूप है।
- सतत् विकास पर केंद्रित:
- यह पहल राजस्थान के हरित विकास में एक महत्त्वपूर्ण प्रसास है और पर्यावरणीय सतत् विकास के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का समर्थन करती है।
- महत्त्व:
- यह पार्क शहरी पारिस्थितिकी नियोजन को सार्वजनिक भागीदारी के साथ एकीकृत करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है, जो राष्ट्रीय जैवविविधता कार्य योजना और मिशन LiFE (लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट) पहल के तहत भारत के व्यापक प्रयासों को दर्शाता है।