वर्षान्त समीक्षा 2025: परमाणु ऊर्जा विभाग | 15 Dec 2025

प्रिलिम्स के लिये: नाभिकीय ऊर्जा, न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NPCIL), राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (NTPC), परमाणु ऊर्जा आयोग (AEC), दाबित भारी जल रिऐक्टर (PHWR)

मेन्स के लिये: वर्ष 2025 में परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) की प्रमुख उपलब्धियाँ।

स्रोत: पी.आई.बी.

चर्चा में क्यों?

परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) ने वर्ष 2025 के लिये अपनी वर्षान्त समीक्षा जारी की, जिसमें नाभिकीय ऊर्जा उत्पादन, स्वास्थ्य सेवा (उदाहरण के लिये, कैंसर देखभाल) आदि क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति, दुर्लभ मृदा तत्त्वों के अन्वेषण में योगदान तथा उच्च-तकनीकी राष्ट्रीय सुरक्षा प्रणालियों में उपलब्धियों को प्रदर्शित किया गया है।

सारांश

  • परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) माही बांसवाड़ा परमाणु ऊर्जा परियोजना और नए दाबित भारी जल रिऐक्टरों (PHWR) के अनुमोदन जैसी परियोजनाओं के माध्यम से नाभिकीय क्षमता का तीव्र विस्तार कर रहा है और रिकॉर्ड ऊर्जा उत्पादन प्राप्त कर रहा है।
  • इसने कैंसर देखभाल, स्वदेशी रेडियोफार्मास्यूटिकल्स, चिकित्सा उपकरणों का कीटाणुशोधन, उच्च उपज वाली फसलों, विकिरण सुविधाओं और राष्ट्रीय सुरक्षा प्रणालियों में उन्नति प्राप्त की है।

वर्ष 2025 में परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) की प्रमुख उपलब्धियाँ क्या हैं?

  • नाभिकीय ऊर्जा विस्तार: राजस्थान में माही बांसवाड़ा नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र (NPP) की आधारशिला रखी गई, जिसे न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NPCIL)-राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (NTPC) संयुक्त उद्यम ASHVINI द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है।
    • परमाणु ऊर्जा आयोग (AEC) ने 10 अतिरिक्त 700 मेगावाट दाबित भारी जल रिऐक्टर (PHWR) इकाइयों को मंज़ूरी दी, जो वर्ष 2032 के लिये 22.5 गीगावाट के मौजूदा लक्ष्य से आगे के विस्तार का संकेत देती है।
    • NPCIL ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में अपने इतिहास में सर्वाधिक 56,681 मिलियन यूनिट विद्युत उत्पादन प्राप्त किया, जिससे लगभग 49 मिलियन टन CO2 उत्सर्जन से परहेज़ किया गया।
  • स्वास्थ्य सेवा एवं रेडियोफार्मास्यूटिकल्स: बिहार में होमी भाभा कैंसर अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र का उद्घाटन किया गया, जो पूर्वी भारत में उन्नत ऑन्कोलॉजी सेवाएँ प्रदान करेगा।
    • टाटा मेमोरियल अस्पताल को अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) रेज़ ऑफ़ होप एंकर सेंटर के रूप में मान्यता प्रदान की गई, जो कैंसर उपचार, अनुसंधान और क्षमता निर्माण में इसकी वैश्विक अग्रणी भूमिका की पुष्टि करती है।
  • रणनीतिक और उच्च‑तकनीकी स्वायत्तता: DAE ने भारत का पहला सर्टिफाइड रेफरेंस मटीरियल (CRM) दुर्लभ मृदा तत्त्व (REEs) के लिये फेरोकार्बोनेटाइट विकसित किया, जिससे रक्षा, इलेक्ट्रॉनिक्स और हरित प्रौद्योगिकी के लिये एक महत्त्वपूर्ण उपकरण प्राप्त हुआ।
    • भारत का पहला इलेक्ट्रॉनिक्स-ग्रेड (99.8% शुद्धता) बोरोन-11 संवर्धन सुविधा, जो तालचर, ओडिशा में स्थापित किया गया है, अर्द्धचालक निर्माण के लिये अत्यंत उच्च-शुद्धता सामग्री प्रदान करता है।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा में योगदान: DAE की संस्थाओं ने अस्त्र मिसाइल हेतु वेपन कंट्रोल सिस्टम और अग्नि मिसाइलों के लिये इंटीग्रेटेड पावर एवं पायरो रिले यूनिट्स विकसित की हैं।
  • कृषि और सामाजिक अनुप्रयोग: नई उच्च उपज और शीघ्र पकने वाली उत्परिवर्ती फसल किस्में, जैसे TBM-9 केला और RTS-43 ज्वार, अधिसूचित की गई हैं। इसके साथ ही BARC द्वारा जारी की गई किस्मों की संख्या 72 हो गई है।
    • देशभर में गामा विकिरण प्रसंस्करण सुविधाओं की संख्या बढ़कर 40 हो गई है, जिससे खाद्य संरक्षण, सुरक्षा और कृषि उत्पादकता में सुधार हुआ है।
  • संस्थागत उत्कृष्टता: DAE ने 18वीं अंतर्राष्ट्रीय खगोल विज्ञान और खगोलीय भौतिकी ओलंपियाड (IOAA 2025) की मेज़बानी की। होमी भाभा नेशनल इंस्टिट्यूट (HBNI) ने राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) 2025 और नेचर इंडेक्स 2024-25 में शीर्ष रैंकिंग हासिल की, जो अनुसंधान उत्कृष्टता को दर्शाता है।

भारत की परमाणु ऊर्जा इकोसिस्टम

  • परिचय: भारत की परमाणु ऊर्जा इकोसिस्टम एटॉमिक एनर्जी विभाग (DAE) के तहत एक राज्य-नेतृत्व वाला ढाँचा है, जिसका उद्देश्य देशी प्रौद्योगिकी और 3-स्टेज न्यूक्लियर पावर प्रोग्राम के माध्यम से ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
  • वर्तमान क्षमता और लक्ष्य: भारत की वर्तमान परमाणु ऊर्जा क्षमता 8.18 GW है, और सरकार 2031–32 तक इसे 22.48 GW तक बढ़ाने का लक्ष्य रखती है।
  • स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMRs): 2025-26 के बजट में परमाणु ऊर्जा मिशन की शुरुआत की गई है, जिसके तहत वर्ष 2033 तक 5 देशी SMRs विकसित और तैनात किये जाएंगे। स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) उन्नत रिएक्टर हैं, जिनकी क्षमता प्रति यूनिट लगभग 300 MW(e) होती है, जो पारंपरिक रिएक्टरों की उत्पादन क्षमता का लगभग एक-तिहाई है।
  • भारत का 3-स्टेज न्यूक्लियर पावर प्रोग्राम: यह रणनीति थोरियम आधारित ऊर्जा की ओर संक्रमण के लिये विभिन्न प्रकार के रिएक्टरों का उपयोग करती है।
    • स्टेज I: PHWRs (प्रेशर हैवी वाटर रिएक्टर) में प्राकृतिक यूरेनियम (U-238) और भारी पानी का उपयोग किया जाता है, प्रयुक्त ईंधन को प्लूटोनियम प्राप्त करने के लिये पुनःप्रक्रिया किया जाता है।
    • स्टेज II: फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (FBRs) का उपयोग स्टेज I के प्लूटोनियम से किया जाता है और यह थोरियम से U-233 उत्पन्न करता है।
    • स्टेज III: थोरियम-आधारित रिएक्टर में U-233 और थोरियम का उपयोग किया जाता है, जिसका उद्देश्य U-233 को भारत के मुख्य परमाणु ईंधन के रूप में विकसित करना है।

India's_3-Stage_Nuclear_Power_ Program

निष्कर्ष

सन् 2025 में, DAE ने भारत की परमाणु ऊर्जा, स्वास्थ्य सेवा, रणनीतिक क्षमताओं, उच्च प्रौद्योगिकी, कृषि और अनुसंधान को उन्नत किया, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा, वैज्ञानिक उत्कृष्टता और सामाजिक विकास को मज़बूती मिली, साथ ही नवाचार, शिक्षा और संस्थागत प्रदर्शन में वैश्विक मान्यता भी प्राप्त हुई।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: परमाणु ऊर्जा विभाग का दायरा केवल परमाणु ऊर्जा उत्पादन तक सीमित नहीं है। वर्ष 2025 में इसकी उपलब्धियों के संदर्भ में, भारत में रणनीतिक स्वायत्तता, स्वास्थ्य नवाचार और कृषि विकास के प्रेरक के रूप में इसकी भूमिका का विश्लेषण कीजिये।

 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. माही बांसवाड़ा न्यूक्लियर पावर प्लांट क्या है?
यह राजस्थान में स्थित 4-यूनिट PHWR न्यूक्लियर पावर प्लांट है, जिसे वर्ष 2025 में प्रधानमंत्री द्वारा रखा गया था तथा इसे NPCIL-NTPC संयुक्त उद्यम 'ASHVINI' द्वारा कार्यान्वित किया गया है।

2. वर्ष 2025 में किस DAE अस्पताल को IAEA द्वारा मान्यता प्रदान की गई?
टाटा मेमोरियल अस्पताल को कैंसर उपचार और अनुसंधान के लिये “Rays of Hope” एंकर सेंटर के रूप में मान्यता दी गई।

3. फेरोकार्बोनेटाइट (BARC B1401) का क्या महत्त्व है?
यह भारत का पहला दुर्लभ मृदा तत्त्व के लिये प्रमाणित संदर्भ सामग्री (Certified Reference Material) है, जो रक्षा, इलेक्ट्रॉनिक्स और हरित प्रौद्योगिकियों में मदद करती है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)

प्रिलिम्स 

प्रश्न. भारत में, क्यों कुछ परमाणु रिएक्टर ‘‘आई.ए.ई.ए. सुरक्षा उपायों’’ के अधीन रखे जाते हैं, जबकि अन्य इस सुरक्षा के अधीन नहीं रखे जाते? (2020)

(a) कुछ यूरेनियम का प्रयोग करते हैं और अन्य थोरियम का

(b) कुछ आयातित यूरेनियम का प्रयोग करते हैं और अन्य घरेलू आपूर्ति का

(c) कुछ विदेशी उद्यमों द्वारा संचालित होते हैं और अन्य घरेलू उद्यमों द्वारा

(d) कुछ सरकारी स्वामित्व वाले होते हैं और अन्य निजी स्वामित्व वाले

उत्तर: (b) 


मेन्स:

प्रश्न. ऊर्जा की बढ़ती हुई ज़रूरतों के परिप्रेक्ष्य में क्या भारत को अपने नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम का विस्तार करना जारी रखना चाहिये ? नाभिकीय ऊर्जा से संबंधित तथ्यों एवं भयों की विवेचना कीजिये। (2018)