प्रोजेक्ट एलीफेंट की संचालन समिति की बैठक | उत्तराखंड | 27 Jun 2025
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता में देहरादून स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी (IGNFA) में आयोजित प्रोजेक्ट एलीफेंट की 21वीं संचालन समिति की बैठक में मानव-हाथी संघर्ष जैसे महत्त्वपूर्ण मुद्दे के समाधान पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- बैठक में संघर्ष प्रबंधन हेतु कार्य योजनाओं सहित चल रही पहलों की समीक्षा की गई तथा संरक्षण प्रयासों में स्थानीय समुदायों की भागीदारी पर ज़ोर दिया गया।
मुख्य बिंदु
नोट:
- विश्व हाथी दिवस प्रतिवर्ष 12 अगस्त को मनाया जाता है ताकि जंगलों में एशियाई तथा अफ्रीकी हाथियों की संरक्षण स्थिति और उनके समक्ष उपस्थित चुनौतियों के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके।
- वर्ष 2025 में यह समारोह कोयंबटूर, तमिलनाडु में आयोजित किया जाएगा, जहाँ हाथी संरक्षण में योगदान के लिये प्रतिष्ठित 'गज गौरव' पुरस्कार भी प्रदान किये जाएंगे।
तानसेन का मकबरा | मध्य प्रदेश | 27 Jun 2025
चर्चा में क्यों?
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने ग्वालियर स्थित हज़रत शेख मोहम्मद गौस की मज़ार पर धार्मिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियाँ संचालित करने की अनुमति देने संबंधी याचिका को खारिज कर दिया तथा स्मारक के संरक्षण की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
- सम्राट अकबर के दरबार के महान संगीतकार तानसेन की कब्र इसी स्मारक परिसर में स्थित है।
मुख्य बिंदु
- उच्च न्यायालय की टिप्पणी:
- मकबरे के बारे में:

- इस मकबरे का निर्माण सूफी संत शेख मोहम्मद गौस की मृत्यु के बाद किया गया था तथा यह सम्राट अकबर के शासनकाल (1556–1605) के सबसे उल्लेखनीय स्मारकों में से एक है।
- इस मकबरे में कई ऐसी विशेषताएँ समाहित हैं, जो बाद की मुगल वास्तुकला, विशेषकर पूर्वी भारत में, सामान्य रूप से अपनाई गईं।
- इसका ढाँचा वर्गाकार है, जिसमें एक बड़ा और चपटा गुंबद तथा दोनों ओर छतरियाँ हैं, जो इसे बहुस्तरीय रूप प्रदान करती हैं।
- केंद्रीय कक्ष के चारों ओर एक बरामदा है, जो बारीक नक्काशीदार पत्थर की जालियों से सुसज्जित है, जो गुजरात की स्थापत्य शैली से प्रभावित है।
- इस मकबरे की रूपरेखा ने बाद की मुगलकालीन संरचनाओं को भी प्रभावित किया, जिनमें फतेहपुर सीकरी स्थित प्रसिद्ध शेख सलीम चिश्ती का मकबरा भी शामिल है।
- तानसेन के बारे में:
- तानसेन का जन्म लगभग 1500 ई. में ग्वालियर, मध्य प्रदेश में हुआ था। बाद में वे उत्तर भारतीय शास्त्रीय संगीत के सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों में से एक बन गए।
- सूफी परंपरा के अनुसार, तानसेन शेख मोहम्मद गौस के शिष्य थे।
- उन्हें उनकी ध्रुपद रचनाओं और रागों पर अद्वितीय अधिकार के लिये ख्याति प्राप्त हुई, जो ऐसे संगीतात्मक ढाँचे होते हैं जिन्हें विशिष्ट भावनाओं या प्रकृति के तत्त्वों को उद्बोधित करने हेतु रचा गया है।
- किंवदंतियों के अनुसार, उनकी गायन-शैली में चमत्कारी प्रभाव था, जैसे जंगली जानवरों को शांत करना, पक्षियों और शेरों जैसी ध्वनियों की नकल करना, यहाँ तक कि दिन के समय को बदल देना।
- तानसेन ने मुगल सम्राट अकबर के दरबार में स्थान प्राप्त किया, जिन्होंने कलात्मक प्रतिभा को अत्यंत महत्त्व दिया और उस युग के कई प्रख्यात विद्वानों तथा कलाकारों को संरक्षण प्रदान किया।
- वे अकबर के दरबार के नवरत्नों अर्थात् “नौ रत्नों” में से एक थे।
- उनकी असाधारण संगीत प्रतिभा की सराहना करते हुए, अकबर ने उन्हें "मियाँ" की उपाधि प्रदान की, जिसका अर्थ होता है—"गुरु" या "श्रेष्ठ पुरुष"।
- तानसेन की मृत्यु वर्ष 1586 या 1589 के आसपास हुई तथा उन्हें ग्वालियर में दफनाया गया।
पुरातत्त्व स्थल और अवशेष (AMASR) अधिनियम, 1958
- इस अधिनियम का उद्देश्य आगामी पीढ़ियों के लिये प्राचीन संस्मारकों की सुरक्षा और संरक्षण करना है।
- यह अधिनियम सार्वजनिक अथवा निजी स्वामित्व वाली 100 वर्ष से अधिक पुराने संस्मारकों पर लागू होता है।
- इस अधिनियम के तहत राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (NMA) की मंज़ूरी के बिना प्राचीन स्मारकों के समीप निर्माण अथवा कोई परिवर्तन करना प्रतिबंधित है।
- AMASR अधिनियम के तहत स्थापित NMA संस्मारकों और स्थलों (केंद्रीय रूप से नामित संस्मारकों के समीप प्रतिबंधित/प्रतिबंधित क्षेत्रों) के रखरखाव तथा संरक्षण के लिये ज़िम्मेदार है।
- NMA, AMASR अधिनियम को कार्यान्वित करने और संरक्षित तथा विनियमित क्षेत्रों के भीतर निर्माण अथवा विकासात्मक गतिविधि के लिये अनुमति देने के लिये ज़िम्मेदार है।
- संरक्षित क्षेत्र स्मारक के चारों ओर 100 मीटर की परिधि है, जिसके बाहर 200 मीटर तक एक विनियमित क्षेत्र है।
- वर्तमान प्रतिबंध संरक्षित स्मारकों के 100 मीटर की परिधि में निर्माण पर रोक लगाते हैं और साथ ही अतिरिक्त 200 मीटर के दायरे में परमिट हेतु कठोर नियम हैं।
छत्तीसगढ़ में आदिवासी युवाओं हेतु शिक्षा कार्यक्रम | छत्तीसगढ़ | 27 Jun 2025
चर्चा में क्यों?
भारत के सबसे बड़े लौह अयस्क उत्पादक NMDC लिमिटेड ने दो महत्त्वपूर्ण कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) पहलों की घोषणा की है, जिनका उद्देश्य पूर्णतः प्रायोजित शिक्षा कार्यक्रमों के माध्यम से छत्तीसगढ़ में आदिवासी युवाओं को सशक्त बनाना है
- ये कार्यक्रम 'बालिका शिक्षा योजना' तथा 'चिकित्सा प्रौद्योगिकी कार्यक्रम' क्षेत्र के आदिवासी युवाओं और वंचित छात्रों को शैक्षणिक अवसर प्रदान करने पर केंद्रित हैं।
मुख्य बिंदु
- बालिका शिक्षा योजना के बारे में:
- NMDC बस्तर, दंतेवाड़ा, सुकमा, कोंडागाँव, बीजापुर तथा नारायणपुर ज़िलों की आदिवासी लड़कियों को पूर्णतः वित्तपोषित नर्सिंग शिक्षा प्रदान कर रहा है।
- इसका उद्देश्य प्रतिष्ठित संस्थानों में नर्सिंग शिक्षा को पूर्णतः प्रायोजित करना है तथा प्रति छात्रा लगभग 12–15 लाख रुपए का निवेश किया जाएगा।
- आवेदिका का संबंध अनुसूचित जनजाति (ST) समुदाय से होना अनिवार्य है।
- चिकित्सा प्रौद्योगिकी कार्यक्रम के बारे में:
- अपोलो विश्वविद्यालय, चित्तूर के साथ साझेदारी में, NMDC दंतेवाड़ा और बस्तर के अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिये संबद्ध स्वास्थ्य विज्ञान में पूर्णतः प्रायोजित बी.एससी. कार्यक्रम की पेशकश कर रहा है ।
- इस कार्यक्रम में विशेषीकृत पाठ्यक्रमों में 90 सीटें शामिल हैं, जिनमें 60% सीटें लड़कियों तथा 40% लड़कों के लिये आरक्षित हैं।
- प्रत्येक चयनित छात्र को 12–15 लाख रुपए की प्रायोजन राशि प्रदान की जाएगी, जिसमें समस्त शैक्षणिक शुल्क तथा आवासीय व्यय सम्मिलित होंगे।
- आदिवासियों के लिये शैक्षिक योजनाएँ
छत्तीसगढ़ में जनजातियाँ
- छत्तीसगढ़ में कुल 42 जनजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें सबसे प्रमुख गोंड जनजाति है।
- इसके अतिरिक्त राज्य में कंवर, ब्रिंजवार, भैना, भतरा, उराँव, मुंडा, कमार, हल्बा, बैगा, संवरा, कोरवा, भारिया, नागेशिया, मंगवार, खरिया तथा धनवार जनजाति की भी महत्त्वपूर्ण आबादी निवास करती है।
कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR)
- परिचय:
- CSR का तात्पर्य समाज और पर्यावरण के प्रति कंपनी की ज़िम्मेदारी से है। यह एक स्व-विनियमन मॉडल है, जो यह सुनिश्चित करता है कि व्यवसाय आर्थिक, सामाजिक तथा पर्यावरणीय कल्याण पर अपने प्रभावों के लिये जवाबदेह बने रहें।
- CSR को अपनाने से कंपनियाँ सतत् विकास में अपनी व्यापक भूमिका के प्रति अधिक जागरूक हो जाती हैं।
- कानूनी ढाँचा:
- भारत कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 135 के तहत CSR व्यय को अनिवार्य बनाने वाला पहला देश है, जो पात्र गतिविधियों के लिये एक संरचित ढाँचा प्रदान करता है।
- प्रयोज्यता:
- CSR नियम उन कंपनियों पर लागू होते हैं जिनकी पिछले वित्तीय वर्ष में निवल संपत्ति 500 करोड़ रुपए से अधिक या कारोबार 1,000 करोड़ रुपए से अधिक या निवल लाभ 5 करोड़ रुपए से अधिक हो।
- ऐसी कंपनियों को अपने पिछले तीन वित्तीय वर्षों (या यदि हाल ही में स्थापित की गई हैं तो उपलब्ध वर्षों) के औसत निवल लाभ का कम से कम 2% कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) गतिविधियों पर व्यय करना आवश्यक है।
