वर्षांत समीक्षा-2025: जैव प्रौद्योगिकी विभाग | 18 Dec 2025
चर्चा में क्यों?
जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) की वर्ष 2025 की वर्षांत समीक्षा के अनुसार, भारत का जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र वर्ष 2014 में 10 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2024 में 165.7 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गया है तथा वर्ष 2030 तक इसके 300 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है।
- इस वृद्धि ने भारत को विश्व का 12वाँ सबसे बड़ा जैव प्रौद्योगिकी केंद्र, एशिया–प्रशांत क्षेत्र में तीसरा सबसे बड़ा, वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र और सबसे बड़ा टीका निर्माता देश बना दिया है।
सारांश
- भारत का जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र वर्ष 2014 में 10 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2024 में 165.7 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया है तथा वर्ष 2030 तक इसे 300 अरब अमेरिकी डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
- प्रमुख प्रगतियों में स्वास्थ्य क्षेत्र में नवाचार, उच्च उपज वाली जीन-संपादित फसलें, अंतरिक्ष जैव-विनिर्माण तथा प्रौद्योगिकी हस्तांतरण शामिल हैं।
- BioE3 नीति, राष्ट्रीय बायोफाउंड्री नेटवर्क, विनियामक सुधार और E-YUVA योजना जैसी रणनीतिक पहलों ने नवाचार, व्यावसायीकरण और युवा-नेतृत्व वाले जैव प्रौद्योगिकी विकास को सुदृढ़ किया है।
भारत के जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में प्रमुख पहलें क्या हैं?
- अवसंरचना और नीतिगत पहलें: स्वदेशी जैव-विनिर्माण क्षमताओं को सुदृढ़ करने हेतु भारत का प्रथम राष्ट्रीय बायोफाउंड्री नेटवर्क लॉन्च किया गया।
- BioE3 नीति का 6 विषयगत क्षेत्रों में कार्यान्वयन, जिसमें जैव-आधारित रसायन, सटीक जैव चिकित्सकीय उपचार और जलवायु-सहनशील कृषि शामिल हैं।
- सतत् जैव अर्थव्यवस्था हेतु युवा-नेतृत्व वाले नवाचार को सशक्त बनाने के लिये D.E.S.I.G.N for BioE3 चैलेंज लॉन्च किया गया।
- स्टैक्ड पौधों पर दिशा-निर्देश: जैव सुरक्षा और नवाचार सुनिश्चित करने हेतु जेनेटिकली इंजीनियर्ड प्लांट्स कंटेनिंग स्टैक्ड इवेंट्स पर दिशा-निर्देश, 2025 अधिसूचित किये गए।
- स्टैक्ड से तात्पर्य दो या अधिक ट्रांसजीन (जैसे शाकनाशी-सहिष्णु (HT) और कीट प्रतिरोधकता) को एक ही फसल में संयोजित करना है।
- जीनोम इंडिया परियोजना 2020: जीनोम इंडिया परियोजना के अंतर्गत 10,000 सुलभ पूर्ण जीनोम नमूनों के साथ एक राष्ट्रीय जीनोमिक डाटाबेस का निर्माण किया गया है।
- वन डे वन जीनोम परियोजना 2024: यह भारत की अद्वितीय सूक्ष्मजीवी विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र, कृषि और स्वास्थ्य में इसकी महत्त्वपूर्ण भूमिकाओं को उजागर करती है। इसकी एक मुख्य विशेषता भारत में पृथक किये गए जीवाणु उपभेदों पर केंद्रित, एक पूर्णतः व्याख्यायित सूक्ष्मजीवी जीनोम का दैनिक सार्वजनिक विमोचन है।
- बायोमेडिकल रिसर्च करियर प्रोग्राम (BRCP) चरण-3 (2025-26 से 2037-38): इसका लक्ष्य अत्याधुनिक और अनुवादात्मक बायोमेडिकल अनुसंधान हेतु शीर्ष वैज्ञानिक प्रतिभा का पोषण करना, अनुसंधान प्रणालियों को मज़बूत करना, क्षेत्रीय असमानताओं को कम करना और वैश्विक रूप से प्रभावशाली अनुसंधान क्षमता का निर्माण करना है।
जैव प्रौद्योगिकी
- परिचय: जैव प्रौद्योगिकी, मानव जीवन को बेहतर बनाने और पर्यावरण की रक्षा करने वाले उत्पादों और प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के लिये कोशिकीय एवं जैव-आणविक प्रक्रियाओं का उपयोग करती है ।
- प्रकार:
- अनुप्रयोग:
- स्वास्थ्य सेवा (रेड): उन्नत दवाओं, टीकों (जैसे, कोविड-19 का तेज़ी से उत्पादन), व्यक्तिगत/जीन थेरेपी और ऊतक पुनर्जनन के लिये स्टेम सेल अनुसंधान को सक्षम बनाती है ।
- कृषि (ग्रीन): कीटों, सूखे और रोगों के प्रति प्रतिरोधी फसलें विकसित करती है और खाद्य सुरक्षा में सुधार के लिये पोषण संबंधी प्रोफाइल को बढ़ाती है (जैसे, विटामिन-A से भरपूर गोल्डन राइस ) ।
- पर्यावरण (व्हाइट): जैव उपचार (प्रदूषकों की सफाई) के लिये सूक्ष्मजीवों का उपयोग करता है और चक्रीय अर्थव्यवस्था का समर्थन करने लिये सतत जैव ईंधन, बायोप्लास्टिक और जैव-अपघटनीय सामग्री का उत्पादन करता है ।
- आर्थिक विकास: रोज़गार सृजित करता है और नवाचार के माध्यम से वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्द्धात्मक बढ़त प्रदान करता है ।
- जलवायु एवं सामग्री: CO₂ को अवशोषित करने में सहायता करता है, स्वच्छ जैव ईंधन का उत्पादन करता है तथा फैशन और एयरोस्पेस जैसे उद्योगों के लिये नवीन जैव-आधारित सामग्रियों का निर्माण करता है।
वर्ष 2025 में जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) की प्रमुख उपलब्धियाँ क्या हैं?
- स्वास्थ्य सेवा एवं अनुसंधान: गर्भावस्था की तिथि निर्धारण और समय से पहले जन्म की भविष्यवाणी के लिये स्वदेशी AI-संचालित मॉडल विकसित किये गए हैं, जिनमें 66 आनुवंशिक पदचिन्हों की पहचान की गई है ।
- Dare2eraD TB कार्यक्रम : व्यापक दवा-प्रतिरोधी टीबी मानचित्रण के लिये 18,000 माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस (MTB) आइसोलेट्स का अनुक्रमण किया गया।
- GARBH-INi समूह: 12,000 गर्भवती महिलाओं को नामांकित किया गया, जिनके 14 लाख जैव नमूने और 1 लाख अल्ट्रासाउंड छवियाँ संग्रहीत की गईं।
- लैक्टोबैसिलस क्रिस्पेटस का व्यावसायीकरण: लाभकारी लैक्टोबैसिलस क्रिस्पेटस (लैक्टिक एसिड उत्पादक बैक्टीरिया) के आइसोलेट्स के कंसोर्टिया विकसित किये गए हैं और उन्हें एक प्रमुख भारतीय न्यूट्रास्यूटिकल कंपनी को न्यूट्रास्यूटिकल और कॉस्मेटिक उत्पादों में उपयोग के लिये स्थानांतरित कर दिया गया है ।
- कृषि जैव प्रौद्योगिकी नवाचार: उच्च उपज देने वाली जीन-संपादित चावल की किस्म (DEP1 उत्परिवर्तन) विकसित की गई है, जो जंगली किस्म की तुलना में 20% अधिक उपज देती है।
- जलमग्नता सहनशीलता वाली चावल की किस्म ADT 39-Sub1 को वर्ष 2025 में जारी किया गया। परिवर्तनशील जलवायु परिस्थितियों के लिये विकसित सूखा प्रतिरोधी चावल की किस्म 'अरुण' ।
- सूखे को सहन करने वाली चने की दो किस्मों (ADVIKA और SAATVIK) ने विकसित किये गए कुल ब्रीडर बीज इंडेंट में 30% का योगदान दिया ।
- अंतरिक्ष जैव-विनिर्माण: सूक्ष्म शैवाल ने सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में दोगुनी वृद्धि प्रदर्शित की ।
- सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में यूरिया पर सायनोबैक्टीरिया उगाने की अवधारणा का प्रमाण प्राप्त कर लिया गया है, जिससे संभावित रूप से मानव अपशिष्ट (CO2 और यूरिया) का उपयोग दीर्घकालिक अंतरिक्ष मिशनों पर अंतरिक्ष यात्रियों के लिये पोषण संबंधी पूरक तैयार करने में सक्षम हो सकता है।
- भारत के पहले मानव मांसपेशी स्टेम-सेल प्रयोग से पता चला है कि सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण मांसपेशियों की उम्र बढ़ने (सार्कोपेनिया) का एक त्वरित मॉडल है।
- प्रौद्योगिकी हस्तांतरण एवं व्यावसायीकरण: 1 ग्राम इथेनॉल उत्पादन के लिये विकसित इंजीनियर ग्लूकोएमाइलेज स्रावित करने वाली खमीर उपभेद (बाह्य ग्लूकोएमाइलेज की आवश्यकता में 50% कमी)।
- आठ बीज कंपनियों को सफेद जंग प्रतिरोधी सरसों की किस्मों सहित कई प्रौद्योगिकी हस्तांतरण किये गए ।
- ई-युवा (E-YUVA) योजना का विस्तार 15 राज्यों में 19 प्री-इन्क्यूबेशन केंद्रों तक किया गया, जिसके अंतर्गत 460 से अधिक फेलोज़ को सहयोग प्रदान किया गया।
- पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास: जंगली सेबों से मूल्यवर्द्धित उत्पाद तथा थीफ्लेविन निष्कर्षण प्रौद्योगिकी विकसित की गई। लक्षित हस्तक्षेपों के माध्यम से किसानों सहित 218 लाभार्थियों को प्रशिक्षण दिया गया।
- बड़ी इलायची (Large Cardamom) पर एक नेटवर्क परियोजना सिक्किम राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के साथ iBRIC+ के सहयोग से क्रियान्वित की जा रही है।
- रणनीतिक साझेदारियाँ: केंद्र-राज्य BioE3 सेल्स की शुरुआत की गई। अंतर्राष्ट्रीय सहयोगों में यूनाइटेड किंगडम (FEMTECH—महिला-केंद्रित स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी) और स्विट्ज़रलैंड (वन हेल्थ) शामिल हैं।
निष्कर्ष
BioE3 जैसी नीतियों, अत्याधुनिक अनुसंधान तथा सशक्त सार्वजनिक–निजी साझेदारियों के बल पर भारत का जैव-प्रौद्योगिकी क्षेत्र रूपांतरकारी रूप से विकसित हुआ है, जिसने देश को सतत जैव-अर्थव्यवस्था और आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में एक वैश्विक अग्रणी के रूप में स्थापित किया है।
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दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न.जीन-एडिटिंग फसलों और सूखा-प्रतिरोधी किस्मों में हालिया प्रगतियों के संदर्भ में, भारत में जलवायु-सहिष्णु कृषि के लिये जैव-प्रौद्योगिकी के योगदान का विश्लेषण कीजिये। |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. वर्ष 2030 तक भारत के जैव-प्रौद्योगिकी (बायोटेक्नोलॉजी) क्षेत्र का अनुमानित मूल्य क्या है?
भारत का जैव-प्रौद्योगिकी क्षेत्र वर्ष 2030 तक लगभग 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है, जिससे भारत विश्व के शीर्ष बायोटेक हब्स में शामिल हो जाएगा।
2. नेशनल बायोफाउंड्री नेटवर्क क्या है?
नेशनल बायोफाउंड्री नेटवर्क, जैव-प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) की एक पहल है, जिसका उद्देश्य स्वदेशी बायो-मैन्युफैक्चरिंग क्षमताओं को सुदृढ़ करना तथा बायोटेक स्टार्टअप्स में नवाचार को समर्थन देना है।
3. BioE3 नीति के प्रमुख उद्देश्य क्या हैं?
BioE3 नीति छह विषयगत क्षेत्रों पर केंद्रित है, जिनमें जैव-आधारित रसायन, सटीक जैव-उपचार (प्रिसीजन बायोथेरैप्यूटिक्स) और जलवायु-सहिष्णु कृषि शामिल हैं। इसका लक्ष्य एक सतत जैव-अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रिलिम्स
प्रश्न. पीड़कों को प्रतिरोध के अतिरिक्त वे कौन-सी संभावनाएँ हैं जिनके लिये आनुवंशिक रूप से रूपांतरित पादपों का निर्माण किया गया है? (2012)
- सूखा सहन करने के लिये सक्षम बनाना
- उत्पाद में पोषकीय मान बढ़ाना
- अंतरिक्ष यानों और अंतरिक्ष स्टेशनों में उन्हें उगाने तथा प्रकाश संश्लेषण करने के लिये सक्षम बनाना
- उनकी शेल्फ लाइफ बढ़ाना
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3 और 4
(c) केवल 1, 2 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर: (c)
मेन्स
प्रश्न. अनुप्रयुक्त जैव-प्रौद्योगिकी में शोध तथा विकास-सम्बन्धी उपलब्धियाँ क्या हैं ? ये उपलब्धियाँ समाज के निर्धन वर्गों के उत्थान में किस प्रकार सहायक होंगी ? (2021)
प्रश्न. किसानों के जीवन मानकों को उन्नत करने के लिये जैव प्रौद्योगिकी किस प्रकार सहायता कर सकती है? (2019)
प्रश्न. क्या कारण है कि हमारे देश में जैब प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अत्यधिक सक्रियता है? इस सक्रियता ने बायोफार्मा के क्षेत्र को कैसे लाभ पहुँचाया है? (2018)

