AWS आउटेज और क्लाउड केंद्रीकरण के जोखिम
प्रिलिम्स के लिये: अमेज़न वेब सेवाएँ, क्लाउड कंप्यूटिंग, मेघराज, राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र, राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क
मेन्स के लिये: भारत में डिजिटल शासन के लिये क्लाउड कंप्यूटिंग का महत्त्व, क्लाउड सेवाओं में केंद्रीकरण के जोखिम और प्रणालीगत सुभेद्यताएँ
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अमेज़न वेब सर्विसेज़ (AWS) में हुए आउटेज (किसी सेवा/आपूर्ति का अस्थाई रूप से बाधित होना) के कारण मैसेजिंग ऐप्स और सरकारी पोर्टलों सहित 1,000 से अधिक वैश्विक ऑनलाइन सेवाएँ बाधित हुईं, जिससे केंद्रीकृत क्लाउड प्रदाताओं के जोखिम उजागर होते हैं।
अमेज़न वेब सर्विसेज़ (AWS) क्या है?
- परिचय: अमेज़न वेब सर्विसेज़ (AWS) अमेज़न का क्लाउड कंप्यूटिंग प्रभाग है, जिसे वर्ष 2006 में लॉन्च किया गया था। इसके अंतर्गत मांग पर उपलब्ध सूचना प्रद्योगिकी इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे कंप्यूटिंग पावर, डेटा स्टोरेज, डेटाबेस, एनालिटिक्स और नेटवर्किंग टूल्स प्रदान किये जाते हैं।
- कंपनियाँ अपने स्वयं के वस्तुगत सर्वर बनाए रखने के बजाय, समग्र विश्व में स्थित AWS डेटा केंद्रों से कंप्यूटिंग संसाधन किराए पर लेती हैं।
- इसमें उपयोगानुसार भुगतान अथवा पे-एज़-यू-गो मॉडल का अनुपालन किया जाता है, जो विस्तार और लागत दक्षता प्रदान करता है।
- AWS का महत्त्व: AWS विश्व का सबसे बड़ा क्लाउड प्रदाता है, जो Microsoft Azure और Google Cloud से अग्रणी है।
- कई महत्त्वपूर्ण एप्लीकेशन, वित्तीय प्रणालियाँ और डिजिटल सेवाएँ होस्टिंग और डेटा प्रबंधन के लिये AWS पर निर्भर हैं। AWS में किसी भी प्रकार की विफलता या बाधा से सेवा में व्यापक व्यवधान हो सकते हैं, जिससे संचार, वित्त, शासन और मनोरंजन क्षेत्र एक साथ प्रभावित होते हैं।
- AWS आउटेज के कारण: AWS ने अपने उत्तरी वर्जीनिया डेटा केंद्र में होस्ट किये गए DynamoDB सेवा एंडपॉइंट्स में डोमेन नेम सिस्टम (DNS) रिज़ॉल्यूशन निष्क्रियता को इसका प्राथमिक कारण बताया है।
- DNS इंटरनेट की एड्रेस बुक की तरह है, जो वेबसाइट के नामों को IP एड्रेस में परिवर्तित करता है, जिसका उपयोग कंप्यूटर सर्वर को खोजने और उस तक पहुँच प्राप्त करने के लिये करते हैं।
- यदि यह प्रणाली विफल हो जाती है तो ब्राउज़र सही सर्वर का पता नहीं लगा पाते, जिसके परिणामस्वरूप वेबसाइट या ऐप्स धीमे हो जाते हैं, पहुँच से बाहर हो जाते हैं या त्रुटि संदेश दिखाने लगते हैं।
- DynamoDB सर्विस एंडपॉइंट्स AWS के डेटाबेस से कनेक्शन बिंदु हैं।
- DNS समस्या के कारण इन एंडपॉइंट्स तक पहुँच अवरुद्ध हो गई, जिससे वैश्विक स्तर पर कई ऐप्स और सेवाएँ बाधित हुईं।
- DNS इंटरनेट की एड्रेस बुक की तरह है, जो वेबसाइट के नामों को IP एड्रेस में परिवर्तित करता है, जिसका उपयोग कंप्यूटर सर्वर को खोजने और उस तक पहुँच प्राप्त करने के लिये करते हैं।
क्या है क्लाऊड कंप्यूटिंग?
- परिभाषा: क्लाउड कंप्यूटिंग सूचना प्रौद्योगिकी सेवाएँ प्रदान करने का एक मॉडल है, जहाँ कंप्यूटिंग संसाधन जैसे भंडारण, प्रसंस्करण शक्ति, डेटाबेस और अनुप्रयोग स्थानीय सर्वर पर होस्ट किये जाने के बजाय इंटरनेट पर प्रदान किये जाते हैं।
- उपयोगकर्त्ता भौतिक अवसंरचना के स्वामित्व या प्रबंधन के बिना, मांग के आधार पर इन संसाधनों तक पहुँच सकते हैं।
- क्लाउड कंप्यूटिंग मॉडल:
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मॉडल |
परिभाषा |
उदाहरण |
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SaaS (सॉफ्टवेयर एज अ सर्विस) |
सॉफ्टवेयर इंटरनेट के माध्यम से वितरित किया जाता है; किसी स्थापना या रखरखाव की आवश्यकता नहीं होती। |
गूगल डॉक्स, हॉटमेल, माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस 365 |
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PaaS (प्लेटफाॅर्म एज अ सर्विस) |
डेवलपर्स के लिये अंतर्निहित हार्डवेयर या OS को प्रबंधित किये बिना ऐप्स बनाने, तैनात करने और प्रबंधित करने के लिये प्लेटफाॅर्म। |
गूगल ऐप इंजन |
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IaaS (इन्फ्रास्ट्रक्चर एज अ सर्विस) |
वर्चुअलाइज्ड कंप्यूटिंग संसाधन (सर्वर, भंडारण, नेटवर्किंग) मांग पर उपलब्ध कराए जाते हैं। |
अमेज़न वेब सर्विसेज़, माइक्रोसॉफ्ट एज़्योर |
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XaaS (एनीथिंग/एवरीथिंग एज अ सर्विस) |
सॉफ्टवेयर, प्लेटफॉर्म और बुनियादी ढाँचे सहित कई क्लाउड सेवाओं को संयोजित करने वाला व्यापक मॉडल। |
प्रमुख प्रदाताओं से क्लाउड सर्विस बंडल |
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FaaS (फंक्शन एज अ सर्विस) |
इवेंट-संचालित सर्वर रहित कंप्यूटिंग; कोड को केवल तभी चलाता है जब ट्रिगर किया जाता है, सर्वर प्रबंधन की आवश्यकता नहीं होती। |
गूगल क्लाउड फंक्शन |
भारत के लिये क्लाउड कंप्यूटिंग का क्या महत्त्व है?
- मजबूत डिजिटल अवसंरचना: क्लाउड कंप्यूटिंग राष्ट्रीय डेटा केंद्रों (NDC) और क्षेत्रीय केंद्रों के माध्यम से भारत के IT आधार को मज़बूत करती है, जो बड़े पैमाने पर भंडारण, आपदा रिकवरी और उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग का समर्थन करती है।
- ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देना: मेघराज और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) क्लाउड सेवाएँ जैसे प्लेटफॉर्म सरकारी अनुप्रयोगों की तीव्र तैनाती और प्रबंधन को सक्षम बनाते हैं, जिससे सेवाएँ कुशल, मापनीय और विश्वसनीय बनती हैं।
- राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना के अंतर्गत गॉवड्राइव (GovDrive) और ई-ऑफिस जैसे क्लाउड प्लेटफॉर्म समन्वित कार्यप्रवाह, डेटा सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं और पेपरलेस प्रशासन को सक्षम बनाते हैं।
- वित्तीय और सामाजिक समावेशन: डिजिटल पहचान (आधार), भुगतान प्रणालियाँ (एकीकृत भुगतान इंटरफ़ेस (UPI)) और डिजिलॉकर जैसे प्लेटफॉर्म क्लाउड सेवाओं के माध्यम से सामाजिक-आर्थिक समूहों में पहुँच, पारदर्शिता और समावेशन में सुधार करते हैं।
- कॉमन सर्विस सेंटर (CSCs) क्लाउड तकनीक का उपयोग करके ग्रामीण आबादी को 800+ सरकारी सेवाएँ प्रदान करते हैं, जिससे डिजिटल विभाजन कम होता है।
- सुलभ सार्वजनिक सेवाएँ: UMANG, इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर और DIKSHA जैसे नागरिक-केंद्रित प्लेटफॉर्म भारत में शिक्षा, स्वास्थ्य एवं प्रशासनिक सेवाओं की निर्बाध आपूर्ति को सक्षम बनाते हैं।
- आर्थिक विकास और नवाचार: यह बुनियादी ढाँचे की लागत को कम करता है, स्टार्टअप्स और SME का समर्थन करता है तथा स्केलेबल एवं ऑन-डिमांड IT संसाधनों के माध्यम से भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को तीव्र करता है।
- वैश्विक नेतृत्व: भारत की क्लाउड-सक्षम पहलें, जैसे नेशनल नॉलेज नेटवर्क (NKN) और इंडिया स्टैक, ऐसे डिजिटल समाधान प्रस्तुत करती हैं जिन्हें अन्य देशों, विशेषकर ग्लोबल साउथ द्वारा अपनाया जा सकता है, जिससे भारत स्केलेबल डिजिटल सेवाओं में अग्रणी के रूप में स्थापित होता है।
क्लाउड केंद्रीकरण कैसे डिजिटल संप्रभुता और अनुकूलन को जोखिम में डालता है?
- महत्त्वपूर्ण अवसंरचना पर प्रणालीगत जोखिम: केंद्रीकृत क्लाउड में बैंकिंग, स्वास्थ्य सेवाएँ और सरकारी पोर्टल जैसी आवश्यक सेवाएँ होस्ट की जाती हैं। किसी भी विफलता से राष्ट्रीय संचालन और सार्वजनिक सेवाओं में व्यवधान आ सकता है।
- डिजिटल संप्रभुता संबंधी चिंताएँ: विदेशी क्लाउड प्रदाताओं पर अत्यधिक निर्भरता से संवेदनशील राष्ट्रीय डेटा पर नियंत्रण खतरे में पड़ सकता है, जो नीति स्वतंत्रता और रणनीतिक निर्णय लेने को प्रभावित करता है।
- छोटे व्यवसायों के लिये नवाचार में बाधा: कुछ प्रदाताओं का प्रभुत्व स्थानीय तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र को रोक सकता है और स्टार्टअप्स या घरेलू क्लाउड विकल्पों के अवसर कम कर सकता है।
- भू-राजनीतिक कमज़ोरियाँ: वैश्विक प्रदाताओं द्वारा आउटेज या नीति में बदलाव विभिन्न देशों को अलग-अलग प्रभावित कर सकता है, जिससे वे बाह्य दबाव या प्रतिबंधों के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं।
- अदृश्य आर्थिक निर्भरताएँ: क्लाउड प्रदाताओं की मूल्य निर्धारण क्षमता और बाज़ार नियंत्रण व्यवसायों एवं सरकारों के लिये संचालन लागत बढ़ा सकती है, जिससे अप्रत्यक्ष आर्थिक जोखिम उत्पन्न होता है।
भारत दृढ़ क्लाउड अवसंरचना बनाने के लिये कौन-से उपाय कर सकता है?
- मल्टी-क्लाउड अपनाना: सरकारी एजेंसियों को मल्टी-क्लाउड रणनीतियों को लागू करने का विस्तार करना चाहिये, ताकि किसी एक प्रदाता पर अत्यधिक निर्भरता से बचा जा सके और प्रणालीगत जोखिम कम हो।
- आउटेज के दौरान निरंतरता सुनिश्चित करने के लिये सभी सरकारी क्लाउड वर्कलोड के लिये प्रतिकृति, बैकअप और फेलओवर तंत्र को अनिवार्य करना।
- घरेलू डेटा केंद्र: क्षेत्रीय अतिरेक और स्थानीय नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिये टियर-II और टियर-III घरेलू डेटा केंद्रों के विस्तार को बढ़ावा देना।
- डेटा स्थानीयकरण और संप्रभुता: विदेशी क्षेत्राधिकार जोखिमों से बचने के लिये संवेदनशील सरकारी और नागरिक डेटा के लिये डेटा स्थानीयकरण मानदंडों को लागू करना।
- मेघराज और NIC क्लाउड को सुदृढ़ बनाना: महत्त्वपूर्ण सार्वजनिक सेवाओं और DigiLocker, ई-ऑफिस और GovDrive जैसे ई-गवर्नेंस प्लेटफॉर्म का समर्थन करने के लिये राष्ट्रीय क्लाउड क्षमता का विस्तार करना।
- कौशल विकास और क्षमता निर्माण: क्लाउड प्रशासकों को सुदृढ़ संरचना, खतरा न्यूनीकरण और आपदा पुनर्प्राप्ति योजना में प्रशिक्षित करना।
निष्कर्ष
क्लाउड कंप्यूटिंग भारत की डिजिटल सेवाओं को सशक्त बनाती है, लेकिन AWS जैसी व्यवधान स्थितियाँ केंद्रीकरण के जोखिम को उजागर करती हैं। मल्टी-क्लाउड रणनीतियाँ, घरेलू डेटा केंद्र और कुशल कार्यबल मज़बूत और सुरक्षित अवसंरचना के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
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दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय अवसंरचना के लिये केंद्रीकृत क्लाउड प्रदाताओं से जुड़ी चुनौतियों और जोखिमों का मूल्यांकन कीजिये। |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. क्लाउड कंप्यूटिंग क्या है?
भौतिक सर्वरों का प्रबंधन किये बिना इंटरनेट पर आईटी संसाधनों (भंडारण, कंप्यूटिंग, एप्लिकेशन) की डिलीवरी।
2. मेघराज क्या है और भारत में इसका क्या महत्त्व है?
मेघराज भारत की राष्ट्रीय क्लाउड पहल है, जो सरकारी विभागों को स्केलेबल सूचना और संचार प्रौद्योगिकी सेवाएँ प्रदान करती है, ई-गवर्नेंस और सेवा वितरण को अधिक कुशल बनाती है।
3. क्लाउड कंप्यूटिंग भारत में वित्तीय और सामाजिक समावेशन में कैसे योगदान देती है?
आधार, UPI और DigiLocker जैसे प्लेटफॉर्म क्लाउड सेवाओं का उपयोग करके सभी सामाजिक-आर्थिक वर्गों के लिये सुलभ, पारदर्शी और स्केलेबल सेवाएँ प्रदान करते हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न
प्रीलिम्स
प्रश्न. "सॉफ्टवेयर, सेवा के रूप में (Software as a Service (SaaS))" के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
- SaaS क्रयकर्ता, प्रयोक्ता अंतरापृष्ठ को अपनी आवश्यकतानुसार निर्धारित कर ऑंकड़ों के क्षेत्र में बदलाव कर सकते हैं।
- SaaS प्रयोक्ता, अपनी चल युक्तियों (मोबाइल डिवाइसेज़) के माध्यम से अपने ऑंकड़ों तक पहुँच बना सकते हैं।
- आउटलुक, हॉटमेल और याहू! मेल SaaS के रूप हैं।
उपर्युक्त कथनों में कौन-से सही हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1,2 और 3
उत्तर: D
भारत-जर्मनी साझेदारी को मज़बूत करना
प्रिलिम्स के लिये: जर्मनी, सेमीकंडक्टर, AI, क्वांटम तकनीक, डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, वैश्विक जैवविविधता ढाँचा, G4, तरंग शक्ति, बौद्धिक संपदा अधिकार, GDPR, ग्रीन हाइड्रोजन।
मेंस के लिये: भारत-जर्मनी रणनीतिक साझेदारी का विश्लेषण, प्रमुख सहयोगी क्षेत्रों, मौजूदा चुनौतियों और संवर्द्धित सहभागिता के लिये एक संभावित रोडमैप पर ध्यान केंद्रित करना।
चर्चा में क्यों?
भारत के केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने भारत-जर्मनी रणनीतिक साझेदारी के 25 वर्ष पूर्ण होने तथा व्यापार, निवेश, प्रौद्योगिकी, हरित ऊर्जा और कौशल विकास में सहयोग बढ़ाने के लिये जर्मनी के अर्थव्यवस्था एवं ऊर्जा संघीय मंत्री से मुलाकात की।
भारत-जर्मनी रणनीतिक साझेदारी के 25वें वर्ष को महत्त्वपूर्ण बनाने वाले कारक क्या हैं?
- 25 वर्षों की रणनीतिक साझेदारी: 2000 में संस्थागत रूप से स्थापित भारत-जर्मनी साझेदारी आर्थिक, तकनीकी, पर्यावरणीय और शैक्षिक क्षेत्रों में फैली हुई है, जो द्विपक्षीय संबंधों की मज़बूती और लचीलेपन को दर्शाती है।
- यह आर्थिक सहयोग, औद्योगिक सहयोग तथा प्रौद्योगिकी, विनिर्माण और स्थिरता में निवेश बढ़ाने पर केंद्रित है।
- आर्थिक एवं वाणिज्यिक संबंध: वर्ष 2023-24 में, जर्मनी भारत के व्यापारिक साझेदारों में 12वें स्थान पर रहा (भारत के विदेशी व्यापार का 2.37%), व्यापार संतुलन जर्मनी के पक्ष में रहा और कुल व्यापार रिकॉर्ड 33.33 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया।
- अप्रैल 2000 से दिसंबर 2023 तक 14.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर के संचयी FDI के साथ जर्मनी भारत में विदेशी निवेशकों में 9वें स्थान पर है।
- सामरिक सहयोग: दोनों देश G4 ढाँचे के तहत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सुधारों का समर्थन करते हैं, हिंद-प्रशांत और आसियान की केंद्रीयता पर ज़ोर देते हैं तथा ट्रैक 1.5 संवादों के माध्यम से कूटनीतिक संरेखण बनाए रखते हैं।
- प्रौद्योगिकी, डिजिटलीकरण और नवाचार: इसमें सेमीकंडक्टर, AI और क्वांटम तकनीक जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों को शामिल किया गया है, साथ ही डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर ज्ञान साझाकरण और इंडो-जर्मन डिजिटल डायलॉग (IGDD) के माध्यम से डिजिटल सहयोग भी शामिल है।
- हरित एवं सतत् विकास साझेदारी (GSDP): सहयोग में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA), जैवविविधता (वैश्विक जैवविविधता ढाँचा), अपशिष्ट प्रबंधन और सौर अपशिष्ट पुनर्चक्रण सहित सर्कुलर इकॉनमी शामिल हैं।
- रक्षा और सुरक्षा सहयोग: सैन्य संबंधों में संयुक्त अभ्यास (तरंग शक्ति), पोर्ट कॉल, रसद सहायता के लिये वार्ता तथा आतंकवाद के उद्देश्यों के लिये नई और उभरती प्रौद्योगिकियों के उपयोग का मुकाबला करने पर दिल्ली घोषणा-पत्र 2022 के माध्यम से आतंकवाद-रोधी सहयोग शामिल हैं।
- रक्षा और सुरक्षा सहयोग: सैन्य संबंधों में संयुक्त सैन्य अभ्यास (तरंग शक्ति), बंदरगाह पर दौरे, पारस्परिक लॉजिस्टिक समर्थन हेतु वार्ता और आतंकवाद के उद्देश्यों के लिये नई एवं उभरती प्रौद्योगिकियों के उपयोग का मुकाबला करने के लिये दिल्ली घोषणा 2022 के माध्यम से आतंकवाद विरोधी सहयोग शामिल हैं।
- कुशल प्रवासन और गतिशीलता: यह सहयोग सहयोग प्रवासन और गतिशीलता साझेदारी समझौते (MMPA) के पूर्ण कार्यान्वयन के चारों ओर संरचित है, जिसका उद्देश्य कानूनी श्रम प्रवासन को सुगम बनाना, अनियमित प्रवासन को रोकना तथा कुशल एवं हरित कार्यबल विकास को बढ़ावा देना है, जिसमें भारत के प्रवासियों के लिये जर्मनी की नई रणनीति भी शामिल है।
भारत-जर्मनी द्विपक्षीय साझेदारी में प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?
- भू-राजनीतिक अंतर: रूस के यूक्रेन पर आक्रमण ने जर्मनी-रूस संबंधों में गिरावट का कारण बना और जर्मनी को ऊर्जा स्वतंत्रता की ओर अग्रसर किया, जबकि भारत तटस्थ रहा तथा ऊर्जा आयात बढ़ाया।
- यह यह दोनों देशों के बीच असहमति को दर्शाता है, जो गहन रणनीतिक विश्वास को बाधित करता है, क्योंकि उनके मुख्य खतरे के आकलन और क्षेत्रीय प्राथमिकताएँ पूरी तरह से संरेखित नहीं हैं।
- जर्मनी ‘जोखिम कम करने’ की नीति को अपनाते हुए चीन के साथ व्यापार जारी रखता है; वहीं भारत, प्रत्यक्ष खतरों का सामना करते हुए, चीन को रणनीतिक प्रतिद्वंदी मानता है और क्वाड जैसी गठजोड़ों के माध्यम से इसे नियंत्रित करने की कोशिश करता है।
- आर्थिक और व्यापारिक बाधाएँ: लंबे समय से लंबित EU-इंडिया FTA विभिन्न मुद्दों पर असहमति के कारण रुका हुआ है, जैसे बाज़ार पहुँच, शुल्क, बौद्धिक संपदा अधिकार और डेटा सुरक्षा।
- भारत की आत्मनिर्भरता नीति, जो घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देती है और जर्मनी की खुली बाज़ारों की प्राथमिकता के बीच तनाव विद्यमान है।
- नियामक असंगति: भारत के डेटा लोकलाइज़ेशन और डिजिटल कानून यूरोपीय संघ के GDPR से असंगत हो सकते हैं, जिससे जर्मन तकनीकी कंपनियों के लिये अनुपालन में कठिनाइयाँ उत्पन्न होती हैं तथा डिजिटल व्यापार वार्ताएँ जटिल हो जाती हैं।
- GDPR व्यक्तिगत डेटा के सुरक्षित और स्वतंत्र प्रवाह को सुनिश्चित करता है, जबकि भारत के डेटा लोकलाइज़ेशन के नियमों के तहत महत्त्वपूर्ण या संवेदनशील डेटा को अपनी सीमाओं के भीतर रखने की आवश्यकता होती है ताकि संप्रभुता, कानून प्रवर्तन, कराधान एवं सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
- धारणात्मक अंतर: जर्मनी की लोकतंत्र और मानवाधिकार पर आधारित मूल्य-प्रधान विदेश नीति भारत की रणनीतिक स्वतंत्रता पर केंद्रित नीति से असंगत हो सकती है, जिससे नागरिकता कानूनों तथा भारत के रूस के साथ संबंधों पर सूक्ष्म असहमति उत्पन्न होती है।
- जर्मनी की भारत के लोकतांत्रिक प्रथाओं पर की गई टिप्पणियाँ, जिसमें राजनीतिक गिरफ्तारियों पर टिप्पणियाँ शामिल हैं, ने नई दिल्ली में तनाव और नाराज़गी पैदा की है।
भारत-जर्मनी द्विपक्षीय साझेदारी को मज़बूत करने के लिये कौन-से कदम उठाए जा सकते हैं?
- विदेश नीति का संरेखन: कूटनीतिज्ञों, रक्षा और खुफिया अधिकारियों को शामिल करते हुए एक समर्पित एवं नियमित रणनीतिक संवाद स्थापित करें, ताकि क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों के संबंध में खतरे का मूल्यांकन साझा किया जा सके।
- भारत की रक्षा आपूर्ति को विविधता प्रदान करने के लिये सह-विकास परियोजनाओं को तीव्र करना ताकि रूसी उपकरणों पर निर्भरता कम की जा सके।
- आर्थिक और व्यापारिक संबंधों को गहरा करना: दोनों देशों को EU-इंडिया FTA को केवल व्यापारिक नहीं, बल्कि रणनीतिक प्राथमिकता के रूप में देखना चाहिये, जिसके लिये उच्च स्तर की राजनीतिक इच्छा शक्ति की आवश्यकता है, ताकि GI, डेटा नियम और बाज़ार पहुँच पर विवादों का समाधान किया जा सके।
- 3–5 महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों (जैसे, फार्मास्यूटिकल्स, ऑटोमोटिव सेमीकंडक्टर्स) की पहचान करना और पूरक, लचीली आपूर्ति श्रृंखलाएँ विकसित करने के लिये लक्षित भागीदारी और प्रोत्साहन स्थापित करना।
- प्रौद्योगिकी और हरित सहयोग में तेज़ी लाना: नवाचार और प्रौद्योगिकी साझेदारी रोडमैप में व्यावसायीकरण ट्रैक शामिल करना और ग्रीन हाइड्रोजन रोडमैप को समयबद्ध लक्ष्यों के साथ कार्यान्वित करना, जिसमें पायलट प्रोजेक्ट्स, इलेक्ट्रोलाइज़र संयुक्त उद्यम और सामान्य व्यापार मानक शामिल हों।
- रक्षा और सुरक्षा सहयोग को सुदृढ़ बनाना: हिंद महासागर में निरंतर उपस्थिति के लिये पारस्परिक रसद सहायता समझौते को अंतिम रूप देना और साइबर आतंकवाद तथा आतंकवाद के वित्तपोषण पर वास्तविक समय में खुफिया जानकारी साझा करने के लिये आतंकवाद-निरोध पर संयुक्त कार्य समूह को क्रियान्वित करना।
- विश्वास निर्माण: व्यापक और सुदृढ़ समझ के लिये पत्रकारों, युवा राजनेताओं और नागरिक समाज को शामिल करने हेतु ट्रैक 1.5 संवादों का समर्थन और विस्तार करना।
- जर्मनी को भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को एक साझा बहुध्रुवीय लक्ष्य के रूप में देखना चाहिये, जिससे रूस पर मतभेदों को प्रबंधित करने में मदद मिलेगी।
निष्कर्ष
भारत-जर्मनी संबंध एक मज़बूत रणनीतिक साझेदारी है, जो साझा लोकतांत्रिक मूल्यों और व्यापार, हरित प्रौद्योगिकी तथा सुरक्षा में समान हितों से प्रेरित है। अपनी पूरी क्षमता को साकार करने के लिये, दोनों देशों को रूस और चीन पर भू-राजनीतिक मतभेदों को व्यावहारिक रूप से सॅंभालना होगा, लंबे समय से लंबित यूरोपीय संघ-भारत मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को अंतिम रूप देना होगा और महत्त्वाकांक्षी रोडमैप को ठोस, कार्यान्वित परियोजनाओं में बदलना होगा।
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दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: भारत और जर्मनी के बीच सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों और भारत की सामरिक स्वायत्तता के लिये उनके महत्त्व पर चर्चा कीजिये। |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. भारत-जर्मनी व्यापार संबंधों की वर्तमान स्थिति क्या है?
वित्तीय वर्ष 2023–24 में, भारत–जर्मनी व्यापार रिकॉर्ड 33.33 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँचा, जो भारत के विदेशी व्यापार का 2.37% है और व्यापार संतुलन जर्मनी के पक्ष में रहा।
2. प्रवासन और गतिशीलता साझेदारी समझौता (MMPA) क्या है?
वर्ष 2022 में हस्ताक्षरित, यह कानूनी रूप से कुशल प्रवासन को सुगम बनाता है, निष्पक्ष भर्ती को बढ़ावा देता है और अनियमित प्रवासन, विशेष रूप से हरित और डिजिटल क्षेत्रों के लिये, पर अंकुश लगाता है।
3. जर्मनी से भारत में कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) कितना है?
जर्मनी भारत में विदेशी निवेशकों में 9वें स्थान पर है और अप्रैल 2000 से दिसंबर 2023 तक इसका कुल FDI 14.5 अरब अमेरिकी डॉलर है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न
प्रीलिम्स
प्रश्न. व्यापक-आधारयुक्त व्यापार और निवेश करार (ब्रॉड-बेस्ड ट्रेड ऐंड इन्वेस्टमेंट एग्रीमेंट/BTIA)' कभी-कभी समाचारों में भारत और निम्नलिखित में से किस एक के बीच बातचीत के संदर्भ में दिखाई पड़ता है?
(a) यूरोपीय संघ
(b) खाड़ी सहयोग परिषद
(c) आर्थिक सहयोग और विकास संगठन
(d) शंघाई सहयोग संगठन
उत्तर: (a)
मेन्स
प्रश्न. "यूरोपीय प्रतिस्पर्द्धा की दुर्घटनाओं द्वारा अफ्रीका को कृत्रिम रूप से निर्मित छोटे-छोटे राज्यों में काट दिया गया।" विश्लेषण कीजिये। (2013)
प्रश्न. किस सीमा तक जर्मनी को दो विश्व युद्धों का कारण बनने का ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है? समालोचनात्मक चर्चा कीजिये। (2015)
