रामगढ़ विषधारी टाइगर रिज़र्व में फिशिंग कैट | राजस्थान | 23 Sep 2025
चर्चा में क्यों?
रामगढ़ विषधारी टाइगर रिज़र्व (RVTR) में फिशिंग कैट का पहली बार देखा जाना, इसके छोटी बिल्ली प्रजातियों के समूह में एक महत्त्वपूर्ण वृद्धि का संकेत है और रिज़र्व के जैविक महत्त्व व आर्द्रभूमि आवासों की स्वास्थ्य स्थिति को रेखांकित करता है।
मुख्य बिंदु
- फिशिंग कैट के बारे में:
- बूंदी के रामगढ़ रेंज में RVTR के जीवविज्ञानी और दलेलपुरा ट्रैकिंग टीम द्वारा बाघ की नियमित निगरानी के दौरान पहली बार फिशिंग कैट को देखा गया, जिससे इसकी उपस्थिति की पुष्टि हुई।
- विद्यमान प्रजातियाँ:
- इस खोज से पहले, RVTR में चार छोटी बिल्ली प्रजातियाँ पाई जाती थीं:
- जंगल बिल्ली (Felis chaus)
- रस्टी-स्पॉटेड कैट (Prionailurus rubiginosus)
- एशियाटिक वाइल्ड कैट (Felis lybica ornata)
- काराकल (Caracal caracal)
- फिशिंग कैट के शामिल होने से इसकी संख्या पाँच हो गई, जिससे रिज़र्व की जैवविविधता और समृद्ध हो गई है।
- आवास:
- आमतौर पर यह प्रजाति आर्द्रभूमि और नदी किनारे के पर्यावरण में पाई जाती है। RVTR में इसकी उपस्थिति रिज़र्व के जल पारिस्थितिकी तंत्र की स्वास्थ्य स्थिति को दर्शाती है, जो इस प्रजाति के जीवन के लिये अत्यावश्यक है।
- आहार:
- फिशिंग कैट मुख्यतः मछली और जलीय अकशेरुकी जीवों का शिकार करती है, इसलिये आर्द्रभूमियों का संरक्षण इसके अस्तित्व के लिये महत्वपूर्ण है।
- संरक्षण स्थिति:
- महत्त्व:
- इस खोज से RVTR को राजस्थान में जैवविविधता हॉटस्पॉट के रूप में मान्यता मिलने में योगदान मिलेगा।
- यहाँ शीर्ष शिकारी जैसे बाघ और तेंदुए तथा छोटे मांसाहारी जीव पाए जाते हैं, जो परिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

19वीं राष्ट्रीय स्काउट गाइड जंबूरी | उत्तर प्रदेश | 23 Sep 2025
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश भारत स्काउट्स एवं गाइड्स की 19वीं राष्ट्रीय जंबूरी की मेज़बानी करेगा, जो एक प्रमुख युवा कार्यक्रम है, जिसमें भारत और विदेश से हज़ारों युवा शामिल होंगे।
मुख्य बिंदु
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटन किया जाने वाला यह कार्यक्रम 23 से 29 नवंबर 2025 तक लखनऊ के वृंदावन योजना क्षेत्र में आयोजित होगा।
- प्रधानमंत्री का स्काउटिंग से पुराना संबंध है, उन्होंने स्काउटिंग के शताब्दी वर्ष के दौरान गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में वर्ष 2009 में अहमदाबाद में आयोजित जंबूरी में भाग लिया था।
- गतिविधियाँ: जंबूरी में विविध साहसिक खेल, विज्ञान प्रदर्शनी और सांस्कृतिक गतिविधियाँ शामिल होंगी, जो युवाओं को नेतृत्व निर्माण तथा कौशल विकास के अभ्यास में भाग लेने का अवसर प्रदान करेंगी।
- इतिहास: भारत में पहली जंबूरी वर्ष 1953 में हैदराबाद में आयोजित हुई थी और उत्तर प्रदेश ने वर्ष 1964 में प्रयागराज में चौथे संस्करण की मेज़बानी की थी।
नोट: भारत स्काउट्स एवं गाइड्स युवाओं के लिये एक स्वैच्छिक, गैर-राजनीतिक, शैक्षिक आंदोलन है, जो मूल, जाति या धर्म के भेदभाव के बिना सभी के लिये खुला है तथा इसका उद्देश्य, सिद्धांत और पद्धतियाँ संस्थापक लॉर्ड बेडेन-पॉवेल द्वारा वर्ष 1907 में निर्धारित की गई थीं।
अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस 2025 | राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स | 23 Sep 2025
चर्चा में क्यों?
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अधीन एक स्वायत्त निकाय, भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान तथा प्रशिक्षण केंद्र (ISLRTC) ने 23 सितंबर, 2025 को “सांकेतिक भाषा दिवस” मनाया।
- साथ ही शिक्षा मंत्रालय ने केंद्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी संस्थान (CIET) और NCERT के सहयोग से 15 से 19 सितंबर, 2025 तक भारतीय सांकेतिक भाषा पर विशेष पाँच-दिवसीय लाइव कार्यक्रम भी आयोजित किया।
मुख्य बिंदु
- दिवस के बारे में:
- संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बधिर लोगों के मानवाधिकारों को साकार करने में सांकेतिक भाषा के महत्त्व को रेखांकित करने के लिये 23 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस के रूप में घोषित किया।
- यह तिथि वर्ष 1951 में विश्व बधिर महासंघ (WFD) की स्थापना का प्रतीक है, जो विश्व स्तर पर बधिर व्यक्तियों के अधिकारों और उनकी मान्यता के लिये कार्य करता है।
- दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों पर अभिसमय, जिसे संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2006 में अपनाया था, सांकेतिक भाषाओं को बोली जाने वाली भाषाओं के बराबर मान्यता देता है तथा सदस्य देशों को बधिर समुदाय की भाषायी पहचान को बढ़ावा देने के लिये बाध्य करता है।
- भारत वर्ष 2007 में इस अभिसमय का अनुसमर्थन करने वाले प्रथम देशों में से एक था।
- थीम 2025: इस वर्ष की थीम “सांकेतिक भाषा के अधिकारों के बिना मानवाधिकार नहीं” है, जो बधिर व्यक्तियों के लिये गरिमा और सम्मान सुनिश्चित करने के साधन के रूप में सांकेतिक भाषा की मान्यता बढ़ाने का आह्वान करती है।
- 8वीं राष्ट्रीय भारतीय सांकेतिक भाषा प्रतियोगिता: आयोजन के अंतर्गत आठवीं राष्ट्रीय भारतीय सांकेतिक भाषा प्रतियोगिता के विजेताओं को सम्मानित किया गया। इसमें देश के विद्यालयों से 13 श्रेणियों में प्रतिभागियों ने भाग लिया और बधिर समुदाय की रचनात्मकता तथा प्रतिभा का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।

उत्तर प्रदेश द्वारा जाति-आधारित प्रथाओं पर प्रतिबंध | उत्तर प्रदेश | 23 Sep 2025
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार ने सामाजिक सौहार्द को प्रोत्साहित करने हेतु जाति-आधारित राजनीतिक रैलियों पर प्रतिबंध लगाने, जाति आधारित साइनबोर्ड हटाने और पुलिस रिकॉर्ड में जाति का उल्लेख करने पर रोक हेतु अधिसूचना जारी की है।
- यह निर्णय इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा प्रवीण छेत्री बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले में दिये गए निर्णय के बाद आया है, जिसमें पुलिस रिकॉर्ड में जाति दर्ज करने को प्रतिगामी और आधुनिक, धर्मनिरपेक्ष भारत के सिद्धांतों के विरुद्ध बताया गया था।
मुख्य बिंदु
- राजनीतिक रैलियों पर प्रतिबंध: अधिसूचना में जातिगत पहचान के आधार पर राजनीतिक रैलियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है, क्योंकि वे सामाजिक संघर्ष को बढ़ाती हैं और “लोक व्यवस्था” एवं “राष्ट्रीय एकता” के लिये खतरा उत्पन्न करती हैं।
- वाहनों पर प्रदर्शन: जिन वाहनों पर जाति-आधारित स्टीकर, नारे या पहचान-चिह्न प्रदर्शित होंगे, उन पर केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के अंतर्गत दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
- साइनबोर्ड पर प्रतिबंध: ऐसे सार्वजनिक साइनबोर्ड, जो किसी विशेष जाति का महिमामंडन करते हैं या भौगोलिक क्षेत्रों को जाति-आधारित क्षेत्र/संपदा घोषित करते हैं, उन्हें तुरंत हटाया जाएगा।
- पुलिस अभिलेखों की प्रक्रिया में संशोधन:
- आदेश के अनुसार, गिरफ्तारी ज्ञापन तथा वसूली अभिलेखों आदि से जाति का कॉलम हटाया जाएगा।
- पुलिस डेटाबेस (CCTNS पोर्टल) से भी जाति-कॉलम हटाया जाएगा। इसके स्थान पर सभी अभिलेखों में पिता के नाम के साथ माता का नाम भी दर्ज किया जाएगा।
- सोशल मीडिया की निगरानी: अधिकारियों को सोशल मीडिया प्लेटफार्मों की निगरानी कर जाति आधारित घृणा फैलाने या किसी जाति समूह का महिमामंडन करने वाले व्यक्तियों के विरुद्ध कार्रवाई का निर्देश दिया गया है।
- SC/ST अधिनियम, 1989 हेतु अपवाद: जाति निषेध से छूट केवल SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 से जुड़े मामलों पर लागू होगी, जहाँ जाति की पहचान आवश्यक है।
भेदभाव के विरुद्ध प्रावधान
- संवैधानिक प्रावधान
- विधि के समक्ष समता (अनुच्छेद 14): भारत के राज्यक्षेत्र में किसी भी व्यक्ति को विधि के समक्ष समान व्यवहार या विधियों के समान संरक्षण से वंचित नहीं किया जाएगा।
- भेदभाव का निषेध (अनुच्छेद 15): राज्य किसी भी नागरिक के विरुद्ध केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्म स्थान या इनमें से किसी आधार पर भेदभाव नहीं करेगा।
- अस्पृश्यता का उन्मूलन (अनुच्छेद 17): यह अनुच्छेद अस्पृश्यता की प्रथा को समाप्त करता है।
- वैधानिक प्रावधान
- नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955: यह अधिनियम अनुच्छेद 17 को लागू करने हेतु बनाया गया, जिसने अस्पृश्यता की प्रथा को समाप्त कर दिया।
- अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989: यह अधिनियम SC/ST समुदाय के सदस्यों को जाति-आधारित भेदभाव एवं हिंसा से सुरक्षा प्रदान करता है।
मध्य प्रदेश में MSME क्षेत्र की विकास दर में कमी | मध्य प्रदेश | 23 Sep 2025
चर्चा में क्यों?
विगत दो वर्षों में मध्य प्रदेश में MSME (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम) क्षेत्र की वृद्धि दर में कमी आई है, जिसमें पंजीकरण में कमी और बंद होने वाले उद्यमों की संख्या में वृद्धि देखी गई है। यह राज्य के आर्थिक विकास में आने वाली चुनौतियों को उजागर करता है।
मुख्य बिंदु
- पंजीकरण में कमी:
- केंद्र सरकार के आँकड़ों के अनुसार, उद्यम पंजीकरण पोर्टल (URP) के तहत मध्य प्रदेश में MSME पंजीकरण वर्ष 2024-25 में पिछले वर्ष की तुलना में कम हुआ।
- वित्तीय वर्ष 2024-25 में 231,164 MSME पंजीकृत हुए, जबकि वित्तीय वर्ष 2023-24 में यह संख्या 249,009 थी।
- बंद होने और पंजीकरण रद्द होने की संख्या में वृद्धि
- मध्य प्रदेश में बंद होने वाले MSME की संख्या भी तेज़ी से बढ़ी है।
- वित्तीय वर्ष 2024-25 में 1,961 MSME बंद होने के कारण अपंजीकृत हुए, जबकि वित्तीय वर्ष 2023-24 में यह संख्या केवल 552 थी।
- क्षेत्रवार कमी:
- विनिर्माण, सेवा और व्यापारिक क्षेत्रों में व्यापक गिरावट यह दर्शाती है कि राज्य की विभिन्न उद्योग शाखाओं पर प्रणालीगत चुनौतियाँ प्रभाव डाल रही हैं, जिसके लिये लक्षित हस्तक्षेप आवश्यक हैं।
- कारण:
- केंद्र सरकार ने MSME के अपंजीकरण के कारणों में स्वामित्व में बदलाव, व्यवसाय स्थल परिवर्तन और अन्य परिचालन संबंधी कारकों को प्रमुख कारण बताया है।
- सरकार की प्रतिक्रिया और पहल:
उद्यम पंजीकरण पोर्टल (URP) और उद्यम असिस्ट प्लेटफार्म (UAP):
- पंजीकरण संबंधी चुनौतियों को हल करने हेतु, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय ने 1 जुलाई, 2020 को उद्यम पंजीकरण पोर्टल (URP) लॉन्च किया।
- यह MSME के पंजीकरण को सरल बनाता है और उन्हें सरकारी लाभ, सरकारी खरीद में भागीदारी तथा योजनाओं और सब्सिडी तक पहुँच प्रदान करता है।
- उद्यम असिस्ट प्लेटफार्म (UAP) 11 जनवरी, 2023 को लॉन्च किया गया, ताकि अनौपचारिक माइक्रो-उद्यमों (IMEs) को पंजीकरण में सहायता मिल सके, विशेषकर उन IMEs को जो GST से मुक्त हैं और जिनके पास PAN नहीं है।
- यह प्लेटफार्म IMEs को पंजीकरण कराकर समान लाभ प्रदान करता है और व्यवसाय करने में सुविधा प्रदान करता है।