कुनो राष्ट्रीय उद्यान | मध्य प्रदेश | 14 Jul 2025
चर्चा में क्यों?
मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान (KNP) में एक आठ वर्ष की नामीबियाई मादा चीता की मृत्यु हो गई।
मुख्य बिंदु
- कुनो राष्ट्रीय उद्यान:
- मध्य प्रदेश के श्योपुर और मुरैना ज़िलों में स्थित कुनो राष्ट्रीय उद्यान को वर्ष 1981 में वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया था तथा इसकी पारिस्थितिकीय महत्त्व को देखते हुए वर्ष 2018 में इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा प्रदान किया गया।
- यह राष्ट्रीय उद्यान चंबल नदी की प्रमुख सहायक नदी कुनो के नाम पर रखा गया है और यहाँ मुख्यतः शुष्क पतझड़ वन पाए जाते हैं। यह विंध्य पर्वतमाला में स्थित है।
- कुनो राष्ट्रीय उद्यान को प्रोजेक्ट चीता’ के अंतर्गत नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीतों का निवास स्थान है।
- जुलाई 2025 तक कुनो में 26 स्थानांतरित अफ्रीकी चीते तथा भारत में जन्मे 17 शावक हैं।
- प्राणी जगत: तेंदुआ, धारीदार लकड़बग्घा, भारतीय भेड़िया, काला हिरण, सांभर हिरण तथा घड़ियाल (कुनो नदी)।
- वनस्पति जगत: यहाँ के प्रमुख वृक्ष प्रजातियाँ हैं- करधाई, खैर और सालै।
प्रोजेक्ट चीता:
- परियोजना का पहला चरण वर्ष 2022 में शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य देश में वर्ष 1952 में विलुप्त घोषित किये गए चीतों की आबादी को बहाल करना है।
- परियोजना के दूसरे चरण के अंतर्गत भारत समान आवासों के कारण केन्या से चीते मंगाने पर विचार कर रहा है।
- चीतों को कुनो राष्ट्रीय उद्यान और गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य (मध्य प्रदेश) में स्थानांतरित किया जाएगा।

सहरिया जनजाति एवं पीएम-जनमन योजना | राजस्थान | 14 Jul 2025
चर्चा में क्यों?
राजस्थान के बारां ज़िले के एक दूरस्थ क्षेत्र में निवास करने वाले विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह (PVTG) सहरिया समुदाय को 78 वर्षों में पहली बार बिजली मिली है।
मुख्य बिंदु
- सहरिया जनजाति के बारे में:
- सहरिया जनजाति राजस्थान की 12 अधिसूचित जनजातियों में से एक है और इसे PVTG के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- सहरिया को कोलारियन परिवार और भीलों की उप शाखा माना जाता है। सहरिया समुदाय को सेहर, सायर, सावर, सोनार, सहरा आदि नामों से भी जाना जाता है।
- भारत की लगभग 7% जनजातीय आबादी राजस्थान में रहती है।
- जनसांख्यिकीय स्थिति:
- 2011 की जनगणना के अनुसार, मीणा, भील और गरासिया समुदायों के बाद सहरिया राजस्थान का चौथा सबसे बड़ा जनजातीय समुदाय है।
- राजस्थान में बारां ज़िला, विशेष रूप से किशनगंज और शाहबाद तहसीलें, सहरिया जनजाति की मुख्य आबादी को आश्रय देती हैं।
- इसके अतिरिक्त, मध्य प्रदेश के मुरैना, शिवपुरी, भिंड, ग्वालियर, दतिया, विदिशा और गुना ज़िलों में भी सहरिया जनजाति निवास करती है।
- परंपरागत कार्य एवं कौशल:
- सहरिया समुदाय को शिकार और मछली पकड़ने का विशेष शौक होता है।
- यह समुदाय जड़ी-बूटियों के ज्ञान के साथ-साथ मधुमक्खियों के छत्तों से शहद एकत्र करने में भी निपुण होता है।
- इसके अतिरिक्त, टोकरी बनाना, रस्सी और झाड़ू बनाना, वनों से लकड़ी काटना आदि इनके पारंपरिक कार्य हैं।
- पीएम-जनमन योजना:
- 15 नवंबर 2023 को जनजातीय गौरव दिवस पर शुरू की गई पीएम-जनमन, PVTG के सामाजिक-आर्थिक कल्याण में सुधार के लिये 9 मंत्रालयों के माध्यम से 11 महत्त्वपूर्ण हस्तक्षेपों पर केंद्रित है।
- पीएम-जनमन में PVTG की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में सुधार के लिये केंद्रीय क्षेत्र और केंद्र प्रायोजित योजनाएँ शामिल हैं।
- इस योजना का कुल परिव्यय तीन वर्ष की अवधि में 24,104 करोड़ रुपए खर्च किया जाना है, जिसमें से लगभग 80% केवल घरों और सड़कों के निर्माण के लिये है।
- पीएम-जनमन के आवास घटक को लागू करने हेतु अनुसूचित जनजातियों के लिये विकास कार्य योजना (DAPST) के तहत अगले तीन वर्षों के लिये 15,000 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है।

विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह (PVTG)
- परिचय:
- PVTG एक अनुसूचित जनजाति अथवा अनुसूचित जनजाति के उस वर्ग का उप-वर्गीकरण है जिसे नियमित अनुसूचित जनजाति की तुलना में अधिक असुरक्षित माना जाता है। भारत सरकार ने उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिये PVTG सूची बनाई।
- भारत में 75 PVTG हैं, जिसमें सबसे अधिक 13 ओडिशा में हैं तथा इसके बाद 12 आंध्र प्रदेश में हैं।
- अनुच्छेद 342(1): किसी भी राज्य/केंद्रशासित प्रदेश के संबंध में राष्ट्रपति (राज्य के मामले में राज्यपाल से परामर्श के बाद) उस राज्य/केंद्रशासित प्रदेश में जनजातियों/आदिवासी समुदायों/जनजातियों/आदिवासी समुदायों के हिस्से या समूहों को अनुसूचित जनजाति के रूप में निर्दिष्ट कर सकते हैं।
- किसी भी जनजाति, आदिवासी समुदाय, या किसी जनजाति तथा आदिवासी समुदाय के हिस्से एवं समूह को कानून के माध्यम से संसद द्वारा अनुच्छेद 342(1) के तहत जारी अधिसूचना में निर्दिष्ट ST की सूची में शामिल किया जा सकता है या हटाया जा सकता है; हालाँकि जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, को छोड़कर उक्त खंड के तहत जारी अधिसूचना किसी भी बाद की अधिसूचना से भिन्न नहीं होगी।
- PVTG के कल्याण से संबंधित पहल:

'लर्निंग बाय डूइंग' कार्यक्रम | उत्तर प्रदेश | 14 Jul 2025
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार ने सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के उद्देश्य से लर्निंग बाय डूइंग (LBD) कार्यक्रम की शुरुआत की है।
मुख्य बिंदु
- LBD कार्यक्रम के बारे में:
- उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा शुरू किया गया 'लर्निंग बाय डूइंग (LBD)' कार्यक्रम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुरूप कक्षा 6 से 8 तक के विद्यार्थियों को लकड़ी का काम, धातु का काम, ऊर्जा एवं पर्यावरण, कृषि एवं बागवानी तथा स्वास्थ्य और पोषण जैसे क्षेत्रों में व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करता है।
- इस कार्यक्रम के पायलट चरण में 15 ज़िलों के 60 स्कूलों में विभिन्न व्यवसायों से जुड़े 5,937 छात्रों को प्रशिक्षित किया गया। इस पहल के परिणामस्वरूप विद्यार्थियों की उपस्थिति और सहभागिता में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई।
- वित्त वर्ष 2025-26 में सरकार इस कार्यक्रम को समग्र शिक्षा और पीएम श्री योजनाओं के तहत 3,288 और स्कूलों तक विस्तारित करने की योजना बना रही है।
- समग्र शिक्षा अभियान के तहत क्रियान्वित यह पहल शिक्षा को रोज़गारपरकता और जीवन-कौशल से जोड़ने के दृष्टिकोण को दर्शाती है।
- कार्यक्रम की प्रभावी क्रियान्वयन के लिये बेसिक शिक्षा विभाग ने विज्ञान और गणित के शिक्षकों को चार दिवसीय बहु-कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया है।
- यूनिसेफ और विज्ञान आश्रम के तकनीकी सहयोग से राज्य ने 60 कौशल-आधारित गतिविधियों वाला एक शिक्षक मैनुअल विकसित किया है, जिसे SCERT (राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद) द्वारा अनुमोदित किया गया है।
- स्कूलों में आधुनिक कौशल प्रयोगशालाओं का विस्तार:
- शैक्षणिक वर्ष 2024-25 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सभी 75 ज़िलों के 2,274 उच्च प्राथमिक और समग्र स्कूलों में आधुनिक 'लर्निंग बाय डूइंग (LBD)' प्रयोगशालाएँ स्थापित की जाएंगी।
- इन प्रयोगशालाओं में आधुनिक उपकरण और साजो-सामान उपलब्ध कराए जाएंगे। साथ ही, स्कूल प्रबंधन समितियों (SMC) को इन व्यावहारिक गतिविधियों के संचालन में सहयोग हेतु कच्चा माल और उपभोग्य वस्तुएँ प्रदान की जाएंगी।
समग्र शिक्षा अभियान
- परिचय:
- केंद्रीय बजट 2018-19 में प्रस्तुत, समग्र शिक्षा एक व्यापक कार्यक्रम है जिसके अंतर्गत समान शिक्षण परिणाम सुनिश्चित करने के उद्देश्य से प्री-नर्सरी से बारहवीं कक्षा तक के सभी पहलुओं को शामिल किया गया है।
- प्रमुख विशेषताएँ:
- योजनाओं का एकीकरण: इसमें पहले की तीन योजनाएँ सम्मिलित हैं:
- सर्व शिक्षा अभियान (SSA): सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा पर केंद्रित।
- राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (RMSA): इसका उद्देश्य माध्यमिक शिक्षा है।
- शिक्षक शिक्षा (TE): शिक्षकों के प्रशिक्षण पर केंद्रित।
- क्षेत्र-व्यापी विकास दृष्टिकोण: इस अभियान के अंतर्गत खंडित परियोजना-आधारित उद्देश्यों के स्थान पर सभी स्तरों (राज्य, ज़िला और उप-ज़िला) पर कार्यान्वयन को सुव्यवस्थित किया गया है।
- सतत् विकास लक्ष्यों के साथ संरेखण: लैंगिक असमानताओं को समाप्त करते हुए और सुभेद्य समूहों (SDG 4.1) के लिये पहुँच सुनिश्चित करते हुए निःशुल्क, समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित की जाती है (SDG 4.5)।
- कार्यान्वयन:
- यह केंद्र प्रायोजित योजना (CSS) है, जिसका कार्यान्वयन राज्य/संघ राज्य क्षेत्र स्तर पर एकल राज्य कार्यान्वयन सोसायटी (SIS) के माध्यम से किया जाता है।
पीएम-श्री योजना
- परिचय:
- भारत सरकार द्वारा वर्ष 2022 में शुरू की गई PM-SHRI योजना एक केंद्र समर्थित पहल है, जिसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020 के कार्यान्वयन को प्रदर्शित करने हेतु वर्तमान स्कूलों में सुधार करके लगभग 14,500 से अधिक PM-SHRI स्कूल स्थापित करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- उद्देश्य:
- इसका प्राथमिक उद्देश्य एक समावेशी और पोषणकारी परिवेश तैयार करना है, जो प्रत्येक छात्र के कल्याण तथा सुरक्षा को बढ़ावा दे, विविध शिक्षण अनुभव प्रदान करे एवं गुणवत्तापूर्ण बुनियादी अवसंरचना एवं संसाधनों तक अभिगम प्रदान करे।