अगस्त 2021 | 23 Sep 2021

PRS के प्रमुख हाइलाइट्स

  • कोविड-19
    • जायकोव-डी (ZyCoV-D) वैक्सीन
  • समष्टि आर्थिक (मैक्रोइकोनॉमिक) विकास
    • वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में GDP में 20.1% का उछाल
  • वित्त
    • पूर्वव्यापी कराधान को रद्द करना
    • जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम (संशोधन) विधेयक, 2021
    • सीमित देयता भागीदारी (संशोधन) विधेयक, 2021
    • सामान्य बीमा व्यवसाय (राष्ट्रीयकरण) संशोधन विधेयक, 2021
    • प्री-पैक इन्सॉल्वेंसी रिज़ॉल्यूशन प्रोसेस
    • IBC के कार्यान्वयन पर स्थायी समिति की रिपोर्ट
    • राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन
    • मसौदा विदेशी मुद्रा प्रबंधन (गैर-ऋण लिखत - विदेशी निवेश) नियम, 2021
    • ई-रुपी (e-RUPI)
    • वित्तीय समावेश सूचकांक
  • रक्षा
    • आवश्यक रक्षा सेवा विधेयक, 2021
  • विधि और न्याय
    • अधिकरण सुधार विधेयक, 2021
  • सामाजिक न्याय और सशक्तीकरण
    • संवैधानिक (127वाँ) संशोधन विधेयक, 2021
    • संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (संशोधन) विधेयक, 2021
    • दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016
  • स्वास्थ्य
    • राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा प्रणाली आयोग (संशोधन) विधेयक, 2021
    • राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग (संशोधन) विधेयक, 2021
  • परिवहन
    • अंतर्देशीय पोत विधेयक, 2021
    • भारतीय विमानपत्तन आर्थिक नियामक प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2021
    • ड्रोन नियम, 2021
    • हिट और रन मामलों में जाँच
    • सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों के लिये मुआवज़ा योजना
  • पर्यावरण
    • वायु गुणवत्ता प्रबंधन हेतु आयोग विधेयक, 2021
    • प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम, 2021
  • शिक्षा
    • केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2021
  • कृषि
    • नारियल विकास बोर्ड (संशोधन) विधेयक, 2021
    • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
    • प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण
    • राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन- ऑयल पाम
  • वाणिज्य
    • निर्यात उत्पादों पर शुल्क और करों में छूट
  • श्रम
    • असंगठित श्रमिकों का पंजीकरण
    • राष्ट्रीय पेंशन योजना
  • जल संसाधन
    • बाढ़ प्रबंधन पर रिपोर्ट
  • ऊर्जा
    • ज्वारीय ऊर्जा विकास
  • सूचना प्रौद्योगिकी
    • समृद्ध योजना

कोविड-19

जायकोव-डी (ZyCoV-D) वैक्सीन

ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने जायकोव-डी (ZyCoV-D) के आपातकालीन उपयोग की मंज़ूरी दे दी है। इसे जायडस कैडिला ने बायोटेक्नोलॉजी विभाग के सहयोग से विकसित किया है। तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल्स के अनुसार, लक्षण वाले RT-PCR मामलों के लिये वैक्सीन की एफिशियंसी 66.6% है। 12 वर्ष और उससे अधिक के लोगों को इस वैक्सीन की तीन डोज़ लगाई जाएंगी।


समष्टि आर्थिक (मैक्रोइकोनॉमिक) विकास

वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में GDP में 20.1% का उछाल

वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (GDP) (2011-12 के स्थिर मूल्यों पर) में पिछले वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 20.1% का उछाल आया। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में इस उच्च वृद्धि दर की वजह पिछले वर्ष का निम्न आधार है, चूँकि वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही के दौरान GDP में 24.4% का संकुचन हुआ था। वर्ष 2020-21 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) के दौरान GDP 1.6% की दर से बढ़ी।

GDP के मुख्य घटकों में शामिल हैं- निजी उपभोग (वस्तुओं तथा सेवाओं पर घरेलू व्यय), सरकारी खपत (वस्तुओं एवं सेवाओं पर सरकारी व्यय), नियत पूंजी निर्माण (निवेश पर व्यय, जैसे निर्माण, मशीनरी) और शुद्ध निर्यात (निर्यात घटा आयात)। निजी खपत और सकल नियत पूंजी निर्माण में क्रमशः 19.3% और 55.3% की बढ़ोतरी हुई, जबकि सरकारी व्यय में 4.8% का संकुचन आया। साथ ही निर्यात में 39.1% की वृद्धि हुई, आयात 60.2% बढ़ गया जो कि शुद्ध निर्यात में गिरावट का संकेत है।

सभी आर्थिक क्षेत्रों में GDP की वृद्धि सकल मूल्य संवर्द्धन (GVA) में मापी जाती है। वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में सभी क्षेत्रों में वृद्धि पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में सकारात्मक थी। निर्माण क्षेत्र ने उच्चतम वृद्धि (68.3%) दर्ज की जिसके बाद मैन्युफैक्चरिंग (49.6%) का स्थान रहा। ध्यातव्य है कि इन दोनों क्षेत्रों में 2020-21 की पहली तिमाही के दौरान काफी संकुचन दर्ज किया था।


वित्त

पूर्वव्यापी कराधान को रद्द करना

संसद ने कराधान कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 को पारित किया। यह विधेयक आयकर अधिनियम (Income Tax Act), 1961 और वित्त अधिनियम, 2012 में संशोधन करता है।

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जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम (संशोधन) विधेयक, 2021

संसद में जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम (संशोधन) विधेयक, 2021 पारित किया गया। यह जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम अधिनियम, 1961 में संशोधन करने का प्रयास करता है।

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सीमित देयता भागीदारी (संशोधन) विधेयक, 2021

संसद ने सीमित देयता भागीदारी (संशोधन) विधेयक, 2021 को पारित कर दिया। यह सीमित देयता भागीदारी अधिनियम, 2008 में संशोधन करता है।

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सामान्य बीमा व्यवसाय (राष्ट्रीयकरण) संशोधन विधेयक, 2021

संसद ने सामान्य बीमा व्यवसाय (राष्ट्रीयकरण) संशोधन विधेयक, 2021 को पारित कर दिया। यह सामान्य बीमा व्यवसाय (राष्ट्रीयकरण) अधिनियम, 1972 में संशोधन करता है। भारत में सामान्य बीमा व्यवसाय करने वाली सभी निजी कंपनियों का राष्ट्रीयकरण करने के लिये इस कानून को लागू किया गया था।

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प्री-पैक इन्सॉल्वेंसी रिज़ॉल्यूशन प्रोसेस

संसद ने दिवाला और दिवालियापन संहिता (संशोधन) विधेयक, 2021 को पारित कर दिया। यह दिवाला और दिवालियापन संहिता, 2016 में संशोधन करता है जो कॉरपोरेट देनदारों के दिवालियापन को हल करने के लिये एक समयबद्ध प्रक्रिया (330 दिनों में) प्रदान करती है जिसे कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (CIRP) कहते हैं।

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IBC के कार्यान्वयन पर स्थायी समिति की रिपोर्ट

वित्त संबंधी स्थायी समिति ने दिवाला और दिवालियापन संहिता (IBC) के कार्यान्वयन पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है। IBC को वर्ष 2016 में लागू किया गया था और वह कॉरपोरेट देनदारों के दिवाला समाधान के लिये समयबद्ध प्रक्रिया का प्रावधान करती है।

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राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन

हाल ही में ‘नीति आयोग’ ने ‘राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन’ (NMP) की सफलता के लिये महत्त्वपूर्ण घटक के रूप में ‘इन्फ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट ट्रस्ट’ (InvITs) और ‘रियल एस्टेट इंवेस्टमेंट ट्रस्ट’ (REITs) जैसे मुद्रीकरण उपकरणों को बढ़ाने हेतु नीति एवं नियामक परिवर्तन लाने की सिफारिश की है।

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मसौदा विदेशी मुद्रा प्रबंधन (गैर-ऋण लिखत - विदेशी निवेश) नियम, 2021

भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India-RBI) ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 के अंतर्गत मसौदा विदेशी मुद्रा प्रबंधन (गैर-ऋण लिखत - विदेशी निवेश) नियम, 2021 और मसौदा विदेशी मुद्रा प्रबंधन (विदेशी निवेश) विनियम, 2021 को जारी किया। मसौदा नियम एवं विनियम का उद्देश्य भारतीय निवासियों द्वारा भारत के बाहर अचल संपत्तियों संबंधी निवेश और अधिग्रहण के लिये रेगुलेटरी फ्रेमवर्क को उदार बनाना है। वर्तमान में इन पहलुओं को विदेशी मुद्रा प्रबंधन (किसी विदेशी सुरक्षा का हस्तांतरण या उसे जारी करना) विनियम, 2004 तथा विदेशी मुद्रा प्रबंधन (भारत के बाहर अचल संपत्ति का अधिग्रहण और हस्तांतरण) विनियम 2015 द्वारा नियंत्रित किया जाता है। मसौदा नियमों एवं विनियमों की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • प्रयोज्यता: मसौदा नियम और विनियम भारत में रहने वाले किसी व्यक्ति द्वारा वास्तविक व्यावसायिक गतिविधि (बोनाफाइड बिज़नेस एक्टिविटी) में संलग्न किसी विदेशी संस्था में सीधे या स्टेप-डाउन सहायक के माध्यम से किये गए किसी भी निवेश पर लागू होंगे। वास्तविक व्यावसायिक गतिविधि में वे शामिल हैं जो भारत और मेज़बान देश दोनों में कानूनी रूप से स्वीकार्य हैं। RBI ऐसे विदेशी निवेश के कारण एक वित्तीय वर्ष के दौरान कुल एग्रीगेट आउटफ्लो के लिये एक सीमा तय कर सकता है। यह एक सीमा भी तय कर सकता है जिसके आगे किसी वित्तीय वर्ष में किसी भारतीय इकाई द्वारा वित्तीय प्रतिबद्धता की राशि के लिये पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता होगी।
  • प्रतिबंधित क्षेत्र: वर्ष 2004 के विनियमों के अंतर्गत कोई भी भारतीय संस्था रियल एस्टेट व्यवसाय या बैंकिंग व्यवसाय में लगी विदेशी इकाई में प्रत्यक्ष निवेश नहीं कर सकती है। मसौदा नियम बैंकिंग व्यवसाय को बाहर करने के लिये इस सूची को संशोधित करते हैं और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र में पेश किये गए उत्पादों को छोड़कर, गैंबलिंग एवं भारतीय रुपए से जुड़े वित्तीय उत्पादों को इसमें शामिल करते हैं।
  • अचल संपत्ति का अधिग्रहण: वर्ष 2015 के विनियमों के अनुसार, भारत में रहने वाला कोई व्यक्ति भारत से बाहर अचल संपत्ति का अधिग्रहण कर सकता है, जो कि निम्नलिखित तरीके से किया जा सकता है:
    (i) उपहार।
    (ii) वारिस।
    (iii) निवासी विदेशी मुद्रा खाते में धारित विदेशी मुद्रा से खरीद।
    (iv) किसी संबंधी के साथ संयुक्त रूप से, जो कि भारत के बाहर रहता हो, बशर्ते भारत से धन का कोई बहिर्वाह न हो।

मसौदा नियम भारत के निवासियों को इस बात की अनुमति भी देते हैं कि वे उदारीकृत प्रेषण योजना (Liberalised Remittance Scheme) के अंतर्गत भेजी गई रकम से खरीद के ज़रिये भारत से बाहर के निवासी से ऐसी संपत्ति प्राप्त कर सकते हैं। योजना के अंतर्गत नाबालिगों सहित सभी निवासी व्यक्तियों को अनुमत चालू या पूंजी खाता लेन-देन या दोनों के संयोजन के लिये एक वित्तीय वर्ष में 2,50,000 अमेरिकी डॉलर तक मुक्त रूप से भेजने की अनुमति है। ऐसी संपत्ति को एसेट्स की बिक्री से प्राप्त आय से खरीदा जा सकता है।

ई-रुपी (e-RUPI)

भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (National Payments Corporation of India-NPCI) ने कैशलेस लेन-देन को बढ़ावा देने के लिये वाउचर आधारित भुगतान प्रणाली ई-रुपी (e-RUPI) को लॉन्च किया।

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वित्तीय समावेश सूचकांक

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने देश में वित्तीय समावेश की सीमा को मापने के लिये वित्तीय समावेश सूचकांक (Financial Inclusion Index-FII) की शुरुआत की है।

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रक्षा

आवश्यक रक्षा सेवा विधेयक, 2021

सरकार ने लोकसभा में आवश्यक रक्षा सेवा विधेयक, 2021 (Essential Defence Services Bill, 2021) पेश किया। यह जून 2021 में जारी किये गए अध्यादेश को प्रतिस्थापित करने का प्रयास करता है और आवश्यक रक्षा सेवाओं में शामिल कर्मियों की हड़ताल एवं किसी भी तरह के विरोध-प्रदर्शन पर रोक लगाता है।

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विधि और न्याय

अधिकरण सुधार विधेयक, 2021

अधिकरण सुधार विधेयक, 2021 को संसद में पारित किया गया। यह अधिकरण को भंग करने और उसके कार्यों (जैसे अपीलों पर न्यायिक निर्णय लेना) को दूसरे मौजूदा न्यायिक निकायों में ट्रांसफर करने का प्रयास करता है।

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सामाजिक न्याय और सशक्तीकरण

संवैधानिक (127वाँ) संशोधन विधेयक, 2021

संसद ने संवैधानिक (127वाँ) संशोधन विधेयक, 2021 पारित कर दिया है। यह संविधान में संशोधन करता है और राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को इस बात की अनुमति देता है कि वे सामाजिक एवं शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों की अपनी सूची स्वयं बना सकते हैं।

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संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (संशोधन) विधेयक, 2021

हाल ही में राज्यसभा ने संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (संशोधन) विधेयक, 2021 पारित किया है। यह विधेयक अरुणाचल प्रदेश राज्य से संबंधित संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश, 1950 की अनुसूची के भाग-XVIII को संशोधित करने का प्रावधान करता है।

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दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016

सामाजिक न्याय और सशक्तीकरण संबंधी स्थायी समिति ने ‘दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के कार्यान्वयन के लिये योजना (सिपडा) का मूल्यांकन’ पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। सिपडा एक अंब्रेला योजना है जो केंद्र सरकार द्वारा कार्यान्वित और पूर्ण रूप से वित्तपोषित है। यह दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के विभिन्न घटकों को लागू करने के लिये वित्तीय सहायता प्रदान करती है। इसमें निम्नलिखित शामिल हैं:

(i) अवरोध मुक्त परिवेश का निर्माण
(ii) सुगम्य भारत अभियान
(iii) ज़िला विकलांगता पुनर्वास केंद्र

समिति के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • सिपडा के लिये धनराशि का आवंटन: समिति ने कहा कि वर्ष 2016-17 और 2021-22 के दौरान सिपडा के अंतर्गत उप-योजनाओं की संख्या दोगुनी से ज़्यादा (6 से 13) हो गई है। हालाँकि इस अवधि में सिपडा के बजटीय आवंटन में सिर्फ करीब 9% की वृद्धि हुई है।
  • इसके अतिरिक्त समिति ने कहा कि सिपडा को साल में सिर्फ एक बार धनराशि आवंटित की जाती है जिसे अपेक्षित मांग के आधार पर विभिन्न उप-योजनाओं में विभाजित किया जाता है। अगर किसी उप-योजना के लिये कम वित्तपोषण प्रस्ताव प्राप्त होते हैं तो उसकी अप्रयुक्त धनराशि को अधिक प्रस्ताव वाली अन्य उप-योजनाओं में ट्रांसफर कर दिया जाता है। एक उप-योजना से दूसरी में धनराशि को ट्रांसफर करने से सिपडा का उद्देश्य कमज़ोर हो सकता है। सिपडा के अंतर्गत ही सभी उप-योजनाएँ विकलांग व्यक्तियों को सशक्त करने में विशिष्ट भूमिका निभाती हैं। इसलिये समिति ने दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारिता विभाग (Department of Empowerment of Persons with Disabilities- DEPWD) से सिफारिश की है कि वह सिपडा हेतु एकल आवंटन बनाम उसके अंतर्गत प्रत्येक उप-योजना के लिये अलग से आवंटन के फैसले पर विचार करे।
  • दिव्यांगजन के लिये अवरोध मुक्त परिवेश: अवरोध मुक्त परिवेश का निर्माण उप- योजना दिव्यांगजन के लिये इंफास्ट्रक्चर तक पहुँच को आसान बनाने का प्रयास करती है। समिति ने कहा कि वर्ष 2017-18 से केवल 11 राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों ने इस योजना के अंतर्गत अनुदान के लिये आवेदन किया और उसे प्राप्त किया है। समिति ने इस संबंध में निम्नलिखित सुझाव दिये हैं:
    (i) राज्यों द्वारा लंबित प्रस्तावों में तेज़ी लाना।
    (ii) इस उप-योजना के दायरे को दूसरे राज्यों तक बढ़ाना।
  • सुगम्य भारत अभियान: इस अभियान का उद्देश्य कुछ पूर्व चिह्नित इमारतों और स्थानों (जैसे हवाई अड्डे और रेलवे स्टेशन) तक दिव्यांगजन की सार्वभौमिक पहुँच को सुनिश्चित करना है। समिति ने कहा कि इस अभियान की शुरुआत दिसंबर 2015 में हुई थी। इसके बाद इस लक्ष्य को जुलाई 2016 से बढ़ाकर जून 2022 कर दिया गया लेकिन इस अभियान के अंतर्गत चिह्नित 30% इमारतों और 65% वेबसाइट्स को ही दिव्यांगजन के लिये सुगम बनाया गया है। उसने सुझाव दिया कि बिना किसी और विस्तार के समयसीमा का पालन किया जाना चाहिये तथा अगर समयसीमा में कार्य पूरा नहीं होता है तो अधिनियम के अंतर्गत सज़ा दी जानी चाहिये।

स्वास्थ्य

राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा प्रणाली आयोग (संशोधन) विधेयक, 2021

राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा पद्धति आयोग (संशोधन) विधेयक, 2021 को संसद में पारित कर दिया गया है। यह राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा पद्धति आयोग अधिनियम, 2020 में संशोधन करता है। 2020 का अधिनियम भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद अधिनियम, 1970 को रद्द करता है। 1970 का अधिनियम भारतीय चिकित्सा पद्धतियों (आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा) की शिक्षा और अभ्यास को विनियमित करने के लिये भारतीय चिकित्‍सा केंद्रीय परिषद (Central Council for Indian Medicine-CCIM) की स्थापना करता है।

2020 का अधिनियम परिषद की जगह राष्ट्रीय आयोग की स्थापना करता है। यह आयोग भारतीय चिकित्सा प्रणाली की शिक्षा और अभ्यास को विनियमित करता है। चूँकि राष्ट्रीय आयोग के गठन में समय लग रहा था, इसलिये 2020 के अधिनियम के पारित होने के तुरंत बाद 1970 का अधिनियम रद्द नहीं हुआ। सितंबर 2020 में बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के प्रावधान के लिये 1970 का अधिनियम संशोधित किया गया कि जब तक परिषद का पुनर्गठन न किया जाए, तब केंद्र सरकार द्वारा गठित बोर्ड ऑफ गवर्नर्स अस्थायी रूप से उसकी शक्तियों का प्रयोग करें।

केंद्रीय परिषद का स्थान लेने के लिये 11 जून, 2021 को राष्ट्रीय आयोग का गठन किया गया और उसी तारीख को 1970 का अधिनियम रद्द हो गया। वर्ष 2021 का विधेयक निर्दिष्ट करता है कि बोर्ड ऑफ गवर्नर्स द्वारा इस्तेमाल की गई शक्तियों और उनके द्वारा किये गए कार्यों (1970 के अधिनियम के अंतर्गत) को वर्ष 2020 के अधिनियम के अंतर्गत किया गया माना जाएगा और ये जारी रहेंगे।

राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग (संशोधन) विधेयक, 2021

राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग (संशोधन) विधेयक, 2021 को संसद में पारित कर दिया गया है। यह राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग अधिनियम, 2020 में संशोधन करता है।

2020 का अधिनियम होम्योपैथी केंद्रीय परिषद अधिनियम, 1973 को रद्द करता है। 1973 का अधिनियम होम्योपैथी की शिक्षा और अभ्यास को विनियमित करने के लिये होम्योपैथी केंद्रीय परिषद की स्थापना करता है। 2020 का अधिनियम परिषद की जगह राष्ट्रीय आयोग की स्थापना करता है। यह आयोग होम्योपैथी की शिक्षा और अभ्यास को विनियमित करता है। उल्लेखनीय है कि 1973 के अधिनियम को केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित तारीख को रद्द किया जाना था।

2020 के अधिनियम के पारित होने से पहले वर्ष 2018 में 1973 के अधिनियम में संशोधन किया गया था ताकि केंद्रीय परिषद का पुनर्गठन किया जा सके। संशोधनों में यह निर्दिष्ट किया गया है कि जब तक परिषद का पुनर्गठन नहीं हो जाता, केंद्र सरकार द्वारा गठित बोर्ड ऑफ गवर्नर्स उसकी शक्तियों का इस्तेमाल कर सकेंगे।

केंद्रीय परिषद का स्थान लेने के लिये राष्ट्रीय आयोग का गठन 5 जुलाई, 2021 को किया गया और उसी दिन 1973 का अधिनियम रद्द हो गया। 2021 का विधेयक निर्दिष्ट करता है कि बोर्ड ऑफ गवर्नर्स द्वारा इस्तेमाल की गई शक्तियों और उसके द्वारा किये गए कार्यों (1973 के अधिनियम के अंतर्गत) को 2020 के अधिनियम के अंतर्गत किया गया माना जाएगा और ये जारी रहेंगे।


परिवहन

अंतर्देशीय पोत विधेयक, 2021

अंतर्देशीय पोत विधेयक (Inland Vessels Bill), 2021 को संसद में पारित कर दिया गया। यह अंतर्देशीय पोत अधिनियम, 1917 का स्थान लेता है। यह विधेयक अंतर्देशीय जहाज़ों की सुरक्षा, बचाव और पंजीकरण को विनियमित करेगा। विधेयक देश भर में अंतर्देशीय पोत नेविगेशन के लिये एक समान नियामक ढाँचा पेश करता है। विधेयक की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • यंत्र चालित (मैकेनिकली प्रोपेल्ड) अंतर्देशीय पोत: विधेयक के अनुसार, इस तरह के जहाज़ों की परिभाषा में जहाज़, नाव, नौकायन जहाज़, कंटेनर जहाज और फेरीज़ शामिल हैं। केंद्र सरकार इन जहाज़ों के संबंध में निम्नलिखित को निर्दिष्ट करेगी: (i) वर्गीकरण, (ii) डिज़ाइन, निर्माण और कर्मचारियों के आवास के मानक (iii) सर्वेक्षणों के प्रकार एवं अवधि। इन जहाज़ों के निर्माण या उनमें बदलाव के लिये नामित प्राधिकारी से पूर्व स्वीकृति लेने की आवश्यकता होगी। इस प्राधिकारी का निर्धारण केंद्र सरकार द्वारा किया जाएगा।
  • संचालन: अंतर्देशीय जलक्षेत्रों में संचालन के लिये सभी जहाज़ों के पास सर्वेक्षण और पंजीकरण का प्रमाणपत्र होना चाहिये। भारतीय स्वामित्व वाले जहाज़ों को रजिस्ट्रार ऑफ इनलैंड वेसेल्स में पंजीकृत होना चाहिये (इस रजिस्ट्रार की नियुक्ति राज्य सरकार करेगी)। यह पंजीकरण प्रमाणपत्र देश भर में वैध होगा। सर्वेक्षण का प्रमाणपत्र राज्य सरकार द्वारा उस प्रारूप में दिया जाएगा जिसे केंद्र सरकार द्वारा निर्दिष्ट किया जाएगा। प्रमाणपत्र में इन जहाज़ों के अंतर्देशीय जल क्षेत्रों का उल्लेख होगा (राज्य इन जल क्षेत्रों का सीमांकन करेंगे)। जहाज़ों का बीमा भी होना चाहिये, जो जहाज़ के उपयोग (आकस्मिक प्रदूषण सहित) के कारण मृत्यु, चोट या क्षति को कवर करेगा (दुर्घटनावश प्रदूषण सहित)।
  • अंतर्देशीय जहाज़ों का डेटाबेस: केंद्र सरकार अंतर्देशीय जहाज़ों पर केंद्रीयकृत इलेक्ट्रॉनिक डेटा रिकॉर्ड रखेगी। इन रिकॉर्ड्स में निम्नलिखित के संबंध में सूचनाएँ शामिल होंगी: (i) जहाज़ों का पंजीकरण (ii) चालक दल और मैनिंग (iii) जारी किये गए प्रमाणपत्र।

भारतीय विमानपत्तन आर्थिक नियामक प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2021

भारतीय विमानपत्तन आर्थिक नियामक प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2021 को संसद में पारित कर दिया गया है। यह विधेयक, भारतीय विमानपत्तन आर्थिक नियामक प्राधिकरण अधिनियम, 2008 में संशोधन प्रस्तावित करता है।

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ड्रोन नियम, 2021

नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने ड्रोन नियम, 2021 को अधिसूचित किया है। इन नियमों को विमान अधिनियम, 1934 के तहत प्रकाशित किया गया है और नया ड्रोन नियम, मानव रहित विमान प्रणाली नियम (Unmanned Aircraft System Rule), 2021 की जगह लेगा।

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हिट और रन मामलों में जाँच

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने हिट और रन के संदर्भ में दुर्घटनाओं के पीड़ितों की जाँच और क्षतिपूर्ति को लेकर केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 में मसौदा योजनाएँ और मसौदा संशोधन जारी किये। मसौदा योजनाओं और संशोधनों की मुख्य विशेषताएँ इस प्रकार हैं:

सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों के लिये मुआवज़ा योजना

मसौदा योजना उन मामलों में मुआवज़ा बढ़ाने का प्रयास करती है जिनका नतीजा गंभीर चोट या मौत होती है। इसकी मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • समितियाँ: मसौदा नियमों में योजना के कार्यान्वयन की समीक्षा, प्रचार को प्रोत्साहित करने और दावेदारों के बीच अधिकारों के संबंध में जागरूकता सुनिश्चित करने के लिये ज़िम्मेदार ज़िला स्तरीय समितियों की स्थापना का प्रस्ताव है। मसौदा नियम में एक स्थायी समिति स्थापित करने का भी प्रयास किया गया है जो ज़िला स्तरीय समितियों का मार्गदर्शन कर सके। स्थायी समिति योजना के कामकाज की समीक्षा करेगी और कुशल संवितरण बढ़ाने तथा धोखाधड़ी को रोकने के लिये संशोधनों की सिफारिश करेगी।
  • मुआवज़ा: केंद्र सरकार ने निम्नलिखित मामलों में मुआवज़े को बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है:
    (i) गंभीर रूप से चोटिल होने पर 12,500 रुपए से 50,000 रुपए।
    (ii) मृत्यु होने पर 25,000 रुपए से दो लाख रुपए तक।

ज़िला स्तरीय समितियों द्वारा स्वीकृति आदेश के 15 दिनों के भीतर मुआवज़ा वितरित किया जाना चाहिये।


पर्यावरण

वायु गुणवत्ता प्रबंधन हेतु आयोग विधेयक, 2021

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और निकटवर्ती इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन हेतु आयोग विधेयक, 2021 को संसद में पारित कर दिया गया। विधेयक अप्रैल 2021 में ऐसे ही प्रावधानों वाले अध्यादेश का स्थान लेता है। ऐसा एक अध्यादेश, जिसे अक्तूबर 2020 में जारी किया गया था, मार्च 2021 में समाप्त हो गया था।

विधेयक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) तथा निकटवर्ती इलाकों में वायु गुणवत्ता से संबंधित समस्याओं के बेहतर समन्वय, अनुसंधान, उन्हें पहचानने और उनका हल खोजने के लिये आयोग के गठन का प्रावधान करता है। इसके निकटवर्ती इलाकों में हरियाणा, पंजाब, राजस्थान तथा उत्तर प्रदेश राज्यों के क्षेत्र और दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी तथा NCR के क्षेत्र आते हैं जहाँ प्रदूषण का कोई भी स्रोत NCR की वायु गुणवत्ता को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकता है। विधेयक 1998 में NCR में स्थापित पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण को भंग करता है। इसकी मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • आयोग के कार्य: आयोग के कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं:
    (i) संबंधित राज्य सरकारों (दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश) के कार्यों के बीच समन्वय स्थापित करना।
    (ii) NCR में वायु प्रदूषण की रोकथाम और उसे नियंत्रित करने की योजनाएँ बनाना तथा उन्हें क्रियान्वित करना।
    (iii) वायु प्रदूषकों को चिह्नित करने के लिये फ्रेमवर्क प्रदान करना।
    (iv) तकनीकी संस्थानों के साथ नेटवर्किंग के ज़रिये अनुसंधान और विकास करना।
    (v) वायु प्रदूषण से संबंधित समस्याओं को हल करने के लिये विशेष कार्यबल का गठन करना और उसका प्रशिक्षण।
    (vi) विभिन्न कार्य योजनाएँ तैयार करना, जैसे- पौधे लगाना और पराली जलाने के मामलों पर ध्यान दिलाना।
  • जुर्माना: विधेयक के प्रावधानों या आयोग के आदेशों अथवा निर्देशों का उल्लंघन करने पर पाँच वर्ष तक की कैद या एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना या दोनों सज़ा हो सकती है। विधेयक ने किसानों (पराली जलाने या कृषि अवशेषों के कुप्रबंधन से वायु प्रदूषण का कारण) को इस जुर्माने के दायरे से बाहर रखा है। हालाँकि आयोग पराली जलने से होने वाले प्रदूषण पर किसानों से मुआवज़ा वसूल सकता है। केंद्र सरकार इस पर्यावरणीय मुआवज़े को निर्दिष्ट करेगी। आयोग के सभी आदेशों के खिलाफ अपील की सुनवाई राष्ट्रीय हरित अधिकरण द्वारा की जाएगी।

प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम, 2021

पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम, 2021 को अधिसूचित किया है। यह नियम वर्ष 2016 के नियमों में संशोधन करता है।

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शिक्षा

केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2021

केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2021 को संसद में पारित किया गया। यह विधेयक केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 2009 में संशोधन करता है। 2009 के अधिनियम में विभिन्न राज्यों में शिक्षण और अनुसंधान के लिये केंद्रीय विश्वविद्यालयों की स्थापना का प्रावधान है। 2021 का विधेयक लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश में सिंधु केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना का प्रावधान करता है।


कृषि

नारियल विकास बोर्ड (संशोधन) विधेयक, 2021

नारियल विकास बोर्ड (संशोधन) विधेयक, 2021 को संसद में पारित कर दिया गया। विधेयक नारियल विकास बोर्ड अधिनियम, 1979 में संशोधन करता है।

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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

कृषि संबंधी स्थायी समिति ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के मूल्यांकन पर रिपोर्ट सौंपी। PMFBY के अंतर्गत किसानों को उस प्राकृतिक संकट से सुरक्षित रखने के लिये फसल बीमा मिलता है जिनका निवारण नहीं किया जा सकता। समिति के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • राज्यों की भागीदारी: समिति ने कहा कि योजना के दिशा-निर्देशों में हाल के संशोधनों के कारण राज्य सरकारें उससे पीछे हट सकती हैं। समिति ने ऐसे संशोधनों में परिवर्तन का सुझाव दिया जो:
    (i) राज्यों को योजना में भागीदारी करने से इस आधार पर प्रतिबंधित करते हैं कि उन्होंने सब्सिडी जारी करने में देरी की (एक निश्चित समय सीमा के बाद)।
    (ii) यह राज्य सरकारों को उन क्षेत्रों/फसलों के लिये पूरी सब्सिडी वहन करने का आदेश देता है, जिनकी प्रीमियम दर निर्दिष्ट दरों से अधिक है।

समिति ने आगे कहा कि बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे कई राज्य इस योजना से हट गए हैं तथा उसने राज्यों की भागीदारी बढ़ाने के लिये उपाय करने की सिफारिश की।

  • बीमा कंपनियाँ: समिति ने गौर किया कि बीमा कंपनियों के लिये प्रत्येक तहसील में एक नियमित कार्यालय होना आवश्यक है। हालाँकि कई ज़िलों में इनका अभाव है। यह कहा गया कि ये कार्यालय किसानों के लिये योजना का लाभ प्राप्त करने में आने वाली समस्याओं को कम करने हेतु महत्त्वपूर्ण हैं और बीमा पोर्टल पर अपने अधिकारियों के संपर्क विवरण अपलोड करने का सुझाव दिया।
  • कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (CSR): समिति ने कहा कि यह योजना बीमा कंपनियों को इस बात के लिये बाध्य नहीं करती कि वे अपने मुनाफे का हिस्सा उन ज़िलों में खर्च करें जहाँ से मुनाफा कमाया जाता है। समिति ने ऐसा करने के लिये एक प्रावधान जोड़ने का सुझाव दिया।
  • निपटान (सेटलमेंट) में देरी: समिति ने बीमा दावों के निपटान में देरी को योजना के कार्यान्वयन में सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक माना। यह कहा गया कि देरी निम्नलिखित कारणों से हो सकती है:
    (i) राज्यों द्वारा उपज का डेटा और प्रीमियम सब्सिडी जारी करने में देरी।
    (ii) बीमा कंपनियों और राज्यों के बीच उपज संबंधी विवाद।
    (iii) किसानों के खाते का विवरण प्राप्त न होना।

उसने प्रौद्योगिकी और सभी संस्थागत प्रणालियों के समन्वय का उपयोग करके इन समस्याओं को सुलझाने का सुझाव दिया। उसने बीमा कंपनियों द्वारा दावों के निपटान के लिये एक समय सीमा लागू करने का भी सुझाव दिया।

प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण

ग्रामीण विकास संबंधी स्थायी समिति ने प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण: PMAY (G) पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। PMAY (G) को अप्रैल 2016 में शुरू किया गया था, जिसका लक्ष्य वर्ष 2022 तक ग्रामीण क्षेत्रों में "सभी को आवास" प्रदान करना है, यानी बिना घर या कच्चे घरों में रहने वाले सभी परिवारों को बुनियादी सुविधाओं वाला पक्का घर देना। समिति ने कहा कि चरण 1 और 2 यानी दोनों चरणों को मिलाकर देखें तो केवल 51% घरों को ही 31 अगस्त, 2020 तक पूरा किया गया है। समिति के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • लाभार्थियों का चयन: यह देखते हुए कि योजना के लिये निर्धारित कुल 4.3 करोड़ व्यक्तियों में से केवल 2.32 करोड़ लोग ग्राम सभाओं द्वारा सत्यापन के बाद पात्र बन पाए हैं, समिति ने लाभार्थियों की पहचान में राजनीति से प्रेरित दृष्टिकोण अपनाए जाने की आशंका पर गौर किया। इसके अतिरिक्त 1.36 करोड़ पात्र परिवारों को प्रवास और मृत्यु के आधार पर ग्राम सभाओं द्वारा खारिज कर दिया गया है। समिति ने कहा कि इन दोनों आधारों पर लाभार्थी सूची से किसी को नहीं हटाया जा सकता, क्योंकि:
    (i) प्रवासी अंततः अपने गाँव लौट जाते हैं।
    (ii) मृत्यु की स्थिति में स्वामित्व का हस्तांतरण किया जा सकता है।
  • लाभार्थियों की उचित पहचान सुनिश्चित करने के लिये समिति ने निम्नलिखित सुझाव दिये:
  • (i) लाभार्थियों की पहचान में ग्राम सभाओं एवं पंचायतों की भूमिका को कम करना और सत्यापन व प्रमाणीकरण के लिये निजी/गैर-सरकारी निकायों को शामिल करना।
    (ii) निरीक्षण के लिये एक खंड विकास अधिकारी को शामिल करना।
    (iii) लाभार्थी की मृत्यु के बाद आवासीय इकाई का स्वामित्व नामित व्यक्ति को हस्तांतरित करना।
  • वित्तीय सहायता: समिति ने गौर किया कि संपार्श्विक की शर्त और उच्च ब्याज़ दरों के कारण घरों के निर्माण के लिये 70,000 रुपए का ऋण प्राप्त करने में लाभार्थियों को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके अतिरिक्त उसने यह भी कहा कि निर्माण के खर्चों को पूरा करने के लिये अतिरिक्त वित्त की आवश्यकता की फिर से जाँच की जाए। समिति ने मंत्रालय से निम्नलिखित की सिफारिश की:
    (i) संपार्श्विक की शर्त को कम-से-कम करने के साथ ही कम ब्याज़ दरों पर एक बेहतर ऋण उत्पाद प्रदान किया जाए।
    (ii) मैदानी और पहाड़ी दोनों क्षेत्रों के लिये यूनिट सहायता को बढ़ाकर दस हजार रुपए (वर्तमान मूल्य सूचकांक के आधार पर) करना, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में परिवहन लागत में वृद्धि हुई है।

राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन- ऑयल पाम

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-ऑयल पाम योजना को मंज़ूरी दी। इस योजना का उद्देश्य देश में कच्चे पाम तेल का उत्पादन बढ़ाना और आयात पर निर्भरता को कम करना है।

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वाणिज्य

निर्यात उत्पादों पर शुल्क और करों में छूट

विदेश व्यापार महानिदेशालय ने निर्यात उत्पादों पर शुल्क एवं करों की छूट संबंधी योजना के लिये दिशा-निर्देशों और दरों को अधिसूचित किया।

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श्रम

असंगठित श्रमिकों का पंजीकरण

केंद्र सरकार ने असंगठित श्रमिकों के पंजीकरण के लिये ई-श्रम पोर्टल लॉन्च किया। पोर्टल 38 करोड़ असंगठित श्रमिकों को पंजीकृत करने का प्रयास करता है और श्रमिक इसके ज़रिये केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा लागू सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं।

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राष्ट्रीय पेंशन योजना

श्रम और रोज़गार मंत्रालय ने व्यापारियों, दुकानदारों और स्वरोज़गार वाले व्यक्तियों को राष्ट्रीय पेंशन योजना, 2019 के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने के लिये आधार की आवश्यकता को लेकर एक अधिसूचना जारी की। योजना के अंतर्गत लाभार्थी 60 वर्ष की आयु पूरी होने के बाद प्रतिमाह 3,000 रुपए की न्यूनतम पेंशन पाने का हकदार है।

अधिसूचना में कहा गया है कि व्यक्तियों को योजना के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने के लिये आधार होने का प्रमाण प्रस्तुत करना होगा या आधार प्रमाणीकरण कराना होगा। लाभ के इच्छुक व्यक्ति, जिसके पास आधार नंबर नहीं है (हालाँकि आधार प्राप्त करने का हकदार है), को आधार के लिये आवेदन करना होगा। आवेदन के बाद जब तक आधार नहीं मिल जाता, उसे योजना के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने के लिये पैन कार्ड, राशन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, बैंक पासबुक या दूसरे डॉक्यूमेंट्स के साथ अपनी आधार नामांकन पहचान पर्ची पेश करनी होगी।

ऐसे मामलों, जहाँ फिंगरप्रिंट की गुणवत्ता खराब होने, असफल बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण या किसी अन्य वजह से प्रमाणीकरण विफल हो जाता है, में प्रमाणीकरण के लिये कुछ उपाय किये जाएंगे। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं:

(i) फिंगरप्रिंट स्कैनर के साथ आईरिस स्कैनर प्रदान करना।
(ii) ऑफलाइन प्रमाणीकरण प्रणाली जैसे- आधार वन-टाइम पासवर्ड या टाइम-आधारित वन-टाइम पासवर्ड।
(iii) त्वरित प्रतिक्रिया (QR) कोड रीडर्स जो कि भौतिक आधार पर लेटर्स पर छपे QR कोड के ज़रिये सत्यापन करता है।

यह सुनिश्चित करने के लिये कि कोई भी पात्र लाभार्थी आधार न होने के कारण योजना के लाभों से वंचित न रहे, मंत्रालय ऐसे अपवादों से निपटने की व्यवस्था करेगा। इसमें निम्नलिखित शामिल होंगे:

(i) पहचान के वैकल्पिक दस्तावेज़ों के आधार पर लाभ प्रदान करना।
(ii) विकलांग व्यक्तियों और वरिष्ठ नागरिकों के नामांकन के लिये विशेष व्यवस्था करना।


जल संसाधन

बाढ़ प्रबंधन पर रिपोर्ट

जल संसाधन संबंधी स्थायी समिति ने ‘देश में बाढ़ प्रबंधन और चीन, पाकिस्तान एवं भूटान के साथ संधि/समझौते के विशेष संदर्भ के साथ जल संसाधन प्रबंधन के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय जल संधियाँ’ विषय पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।

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ऊर्जा

ज्वारीय ऊर्जा विकास

ऊर्जा संबंधी स्थायी समिति ने ‘भारत में ज्वारीय ऊर्जा विकास’ विषय पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। ज्वारीय ऊर्जा का तात्पर्य महासागरीय ज्वार की गति से उत्पन्न ऊर्जा से है। समिति के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • ज्वारीय ऊर्जा की क्षमता का मूल्यांकन: समिति ने कहा कि समुद्री ऊर्जा के तीन प्रकार हैं:
    (i) तरंग।
    (ii) ज्वार।
    (iii) समुद्री-तापीय।

ज्वारीय एवं तरंग ऊर्जा की सैद्धांतिक क्षमता क्रमशः 12.5 गीगावाट और 41.3 गीगावाट है जबकि समुद्री-तापीय ऊर्जा क्षमता का अनुमान अब तक नहीं लगाया गया है। समिति के अनुसार, उपरोक्त क्षमता का मतलब व्यावहारिक रूप से दोहन योग्य क्षमता नहीं है। इसलिये समिति ने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार को ज्वारीय, तरंग और समुद्री ऊर्जा की दोहन योग्य क्षमता का फिर से मूल्यांकन करना चाहिये।

  • ज्वारीय ऊर्जा संयंत्र की लागत: समिति ने कहा कि उच्च लागत के कारण ज्वारीय ऊर्जा के निम्नलिखित दो संयंत्र बंद हो गए:
    (i) पश्चिम बंगाल में 37.5 मेगावाट का संयंत्र (जिसकी लागत 63.5 करोड़ रुपए प्रति मेगावाट थी)।
    (ii) गुजरात में 50 मेगावाट का संयंत्र (जिसकी लागत 15 करोड़ रुपए प्रति मेगावाट थी)।

समिति ने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार को ज्वारीय ऊर्जा की मौजूदा लागत का पुनर्मूल्यांकन करना चाहिये ताकि दीर्घ अवधि हेतु उसके आर्थिक महत्त्व और लाभ को निर्धारित किया जा सके।

  • पायलट ज्वारीय ऊर्जा प्रोजेक्ट का निर्माण: भारत में वर्ष 2022 के अक्षय ऊर्जा लक्ष्य (175 गीगावाट) में ज्वारीय ऊर्जा शामिल नहीं है। हालाँकि समिति के अनुसार, नवीन एवं अक्षय ऊर्जा मंत्रालय के सबमिशन में कहा गया है कि वर्ष 2030 के लक्ष्य में अक्षय ऊर्जा के सभी स्रोत पात्र होंगे। समिति ने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार को पायलट ज्वारीय ऊर्जा प्रोजेक्ट लगाना चाहिये। इस प्रोजेक्ट को कच्छ की खाड़ी में लागत प्रभावी स्थान पर लगाया जाना चाहिये।

सूचना प्रौद्योगिकी

समृद्ध योजना

इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने 'उत्पाद, नवाचार विकास और वृद्धि (समृद्ध) के लिये MeitY के स्टार्टअप एक्सीलेरेटर (समृद्ध) कार्यक्रम को लॉन्च किया है। यह योजना उत्पाद-आधारित सॉफ्टवेयर स्टार्टअप्स को बड़े पैमाने पर मदद करने वाले स्टार्टअप एक्सेलेरेटर को वित्तीय सहायता प्रदान करेगी।

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