रोगाणुरोधी प्रतिरोध | 25 Nov 2021

प्रिलिम्स के लिये:

रोगाणुरोधी प्रतिरोध, विश्व स्वास्थ्य संगठन, विश्व रोगाणुरोधी जागरूकता सप्ताह

मेन्स के लिये:

AMR को संबोधित करने के लिये किये गए उपाय

चर्चा में क्यों?

हाल ही में पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने विश्व रोगाणुरोधी जागरूकता सप्ताह (WAAW - 18-24 नवंबर) के दौरान रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) से निपटने के लिये राष्ट्रीय कार्ययोजना पर एक कार्यशाला का आयोजन किया।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • रोगाणुरोधी प्रतिरोध (Antimicrobial Resistance-AMR) का तात्पर्य किसी भी सूक्ष्मजीव (बैक्टीरिया, वायरस, कवक, परजीवी आदि) द्वारा एंटीमाइक्रोबियल दवाओं (जैसे- एंटीबायोटिक्स, एंटीफंगल, एंटीवायरल, एंटीमाइरियल और एंटीहेलमिंटिक्स) जिनका उपयोग संक्रमण के इलाज के लिये किया जाता है, के खिलाफ प्रतिरोध हासिल कर लेने से है। 
    • इसके कारण मानक उपचार अप्रभावी हो जाते हैं, संक्रमण जारी रहता है और दूसरों में फैल सकता है।
    • रोगाणुरोधी प्रतिरोध विकसित करने वाले सूक्ष्मजीवों को कभी-कभी "सुपरबग्स" के रूप में जाना जाता है।
    • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा AMR की पहचान शीर्ष 10 वैश्विक स्वास्थ्य खतरों में से एक के रूप में की गई है।
  • AMR के प्रसार का कारण:
    • इसमें दवा निर्माण/फार्मास्यूटिकल स्थलों के आसपास संदूषण शामिल है, जहाँ अनुपचारित अपशिष्ट से अधिक मात्रा में सक्रिय रोगाणुरोधी वातावरण में मुक्त हो जाते हैं।
    • कई अन्य कारक भी दुनिया भर में AMR के खतरे को गति प्रदान करते है, जिसमें मानव, पशुधन और कृषि में दवाओं के अति प्रयोग व दुरुपयोग के साथ-साथ स्वच्छ पेयजल, सफाई तथा स्वच्छता की खराब स्थिति शामिल है।
  • चिंताएँ:
    • स्वास्थ्य देखभाल लागत में वृद्धि:
      • AMR पहले ही प्रतिवर्ष लगभग 7,00,000 मौतों  के लिये ज़िम्मेदार है। यह अस्पतालों में लंबे समय तक रहने तथा अतिरिक्त परीक्षणों और अधिक महँगी दवाओं के उपयोग के साथ स्वास्थ्य देखभाल की लागत को भी बढ़ाता है।
    • प्रगति में गिरावट: 
      • AMR ने चिकित्सा में प्रगति को एक सदी पीछे धकेल दिया है; पहले ज्जिन संक्रमणों  का उपचार और इलाज दवाओं से संभव था वे लाइलाज  या जोखिमपूर्ण बनते जा रहे हैं क्योंकि दवाएँ संक्रमण के खिलाफ काम नहीं कर रही हैं।
    • संक्रमण और सर्जरी का जोखिम: 
      • यहाँ तक कि आम संक्रमण भी जोखिमपूर्ण होने के साथ-साथ समस्या बनते जा रहे हैं। सर्जरी करना जोखिमपूर्ण होता जा रहा है और इन सबका कारण मानव द्वारा एंटीमाइक्रोबियल का दुरुपयोग या अति प्रयोग करना है।
    • नई एंटीबायोटिक दवाओं को अपर्याप्त प्रोत्साहन:
      • मुख्य रूप से इन दवाओं के विकास और उत्पादन को अपर्याप्त प्रोत्साहन के कारण विगत तीन दशकों में एंटीबायोटिक दवाओं का कोई भी नया विकल्प बाज़ार में उपलब्ध नहीं हो पाया है।
    • एंटीबायोटिक के बिना भविष्य खतरे में:
      • यदि तत्काल कार्रवाई नहीं की गई तो एंटीबायोटिक दवाओं के बिना हमारा भविष्य खतरे में पड़ जाएगा, इसके अभाव में बैक्टीरिया का पूरी तरह से उपचार संभव नहीं होगा और वे अधिक प्रतिरोधी बन जाएंगे तथा आम संक्रमण व मामूली समस्याएँ भी खतरा उत्पन्न कर सकती हैं।
  • भारत में AMR:
    • भारत में एक बड़ी आबादी के संयोजन के साथ बढ़ती हुई आय एंटीबायोटिक दवाओं की खरीद में सक्षम बनाती है, संक्रामक रोगों का उच्च बोझ और एंटीबायोटिक दवाओं के लिये आसान ओवर-द-काउंटर (Over-the-Counter) पहुँच की सुविधा प्रदान करती है, प्रतिरोधी जीन (ऐसे जीन एंटीबायोटिक दवाओं के संपर्क में आने पर बैक्टीरिया को जीवित रहने में मदद करते हैं) की पीढ़ी को बढ़ावा देती है। 
    • बहु-दवा प्रतिरोध निर्धारक (Multi-Drug Resistance Determinant), नई दिल्ली। मेटालो-बीटा-लैक्टामेज़-1 (NDM-1), इस क्षेत्र में विश्व स्तर पर तेज़ी से उभरे हैं।
      • अफ्रीका, यूरोप और एशिया के अन्य भाग भी दक्षिण एशिया से उत्पन्न होने वाले बहु-दवा प्रतिरोधी टाइफाइड से प्रभावित हुए हैं।
    • भारत में सूक्ष्मजीवों (जीवाणु और विषाणु सहित) के कारण सेप्सिस से प्रत्येक वर्ष 56,000 से अधिक नवजात बच्चों की मौत हो जाती है जो पहली पंक्ति के एंटीबायोटिक दवाओं के प्रतिरोधी हैं।
  • AMR को संबोधित करने के लिये किये गए उपाय:
    • AMR नियंत्रण पर राष्ट्रीय कार्यक्रम:  
      • इस कार्यक्रम के तहत राज्यों के मेडिकल कॉलेजों में प्रयोगशालाओं की स्थापना करके AMR निगरानी नेटवर्क को मज़बूत किया गया है।
    • AMR पर राष्ट्रीय कार्ययोजना
      • यह एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण पर केंद्रित है जिसे विभिन्न हितधारक मंत्रालयों/विभागों को शामिल करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था।
    • AMR सर्विलांस एंड रिसर्च नेटवर्क(AMRSN): 
      • इसे वर्ष 2013 में लॉन्च किया गया था ताकि देश में दवा प्रतिरोधी संक्रमणों के सबूत, प्रवृत्तियों तथा पैटर्न का अनुसरण किया जा सके।
    • एंटीबायोटिक प्रबंधन कार्यक्रम: 
      • ICMR ने अस्पताल के वार्डों और आईसीयू में एंटीबायोटिक दवाओं के दुरुपयोग तथा अति प्रयोग को नियंत्रित करने के लिये भारत में एक पायलट परियोजना पर एंटीबायोटिक स्टीवर्डशिप कार्यक्रम शुरू किया है।
    • AMR के लिये एकीकृत स्वास्थ्य निगरानी नेटवर्क:
      • एकीकृत AMR निगरानी नेटवर्क में शामिल होने के लिये भारतीय पशु चिकित्सा प्रयोगशालाओं की तैयारी का आकलन करना।
    • अन्य:
      • भारत ने कम टीकाकरण कवरेज को संबोधित करने के लिये मिशन इंद्रधनुष जैसी कई गतिविधियाँ शुरू की हैं, साथ ही निगरानी एवं जवाबदेही में सुधार के लिये सूक्ष्म योजना और अन्य अतिरिक्त तंत्रों को मज़बूत किया गया है।
      • स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के साथ अपने सहयोगात्मक कार्य के लिये AMR को शीर्ष 10 प्राथमिकताओं में से एक के रूप में पहचाना है।

आगे की राह: 

  • विशेष रूप से टियर- 2 और टियर- 3 शहरों में नकली दवाओं की बिक्री का पता लगाना और इसकी रोकथाम करना।
  • फार्माकोकाइनेटिक्स (Pharmacokinetics) और फार्माकोडायनामिक्स (Pharmacodynamics) में जैव उपलब्धता का सामयिक माप, प्रिस्क्रिप्शन डेटाबेस के माध्यम से एंटीबायोटिक नीतियों को लागू करना और फार्मेसियों की ऑडिटिंग करना।
    • फार्माकोकाइनेटिक्स को दवा के अवशोषण, वितरण, चयापचय और उत्सर्जन के समय के अध्ययन के रूप में परिभाषित किया गया है। 
  • ई-प्रिस्क्रिप्शन के मिलान के साथ वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax-GST) के साथ दवाओं की बिक्री की निगरानी।
  •  सिंड्रोमिक दृष्टिकोण (Syndromic Approach) से निदान के उपचार (Treatment of the Diagnosis) की तरफ बढ़ने हेतु इमेजिंग और जैव सूचना विज्ञान व भौगोलिक सूचना प्रणाली जैसी नई तकनीकों का उपयोग।
  • WASH रणनीति का पालन: एंटीबायोटिक-मुक्त पशु चारा और जानवरों को खिलाए जाने वाले एंटीबायोटिक्स मनुष्यों द्वारा खाए जाने वाले (जैसे विभिन्न रंग योजनाओं द्वारा चिह्नित) से भिन्न होना चाहिये।

स्रोत: पीआईबी