प्रिलिम्स फैक्ट्स (31 Jul, 2025)



निसार उपग्रह

स्रोत: द हिंदू

राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन (NASA) - भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) सिंथेटिक अपर्चर रडार (NISAR) उपग्रह, एक पृथ्वी अवलोकन मिशन, श्रीहरिकोटा से इसरो द्वारा प्रक्षेपित किया गया।

NISAR

निसार (NISAR) उपग्रह के बारे में मुख्य बिंदु क्या हैं?

NISAR (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar), जिसे ISRO और NASA द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है, यह  एकल प्लेटफॉर्म से दोहरी आवृत्ति रडार ((L-बैंड और S-बैंड) का उपयोग करने वाला पहला उपग्रह मिशन है, जिसमें पोलरिमेट्रिक और इंटरफेरोमेट्रिक डेटा सहित उन्नत माइक्रोवेव इमेजिंग क्षमताएँ हैं।

  • तकनीकी सुविधाओं:
    • ड्यूल-बैंड सिंथेटिक अपर्चर रडार (SAR):
      • L-बैंड SAR (नासा द्वारा): यह वन आच्छादन, बर्फ और मिट्टी में प्रवेश कर सकता है; बायोमास और ज़मीन के बदलावों के अध्ययन के लिये उपयोगी।
      • S-बैंड SAR (इसरो द्वारा): फसलें, आर्द्रभूमियाँ और सतही विशेषताओं की निगरानी के लिये उपयुक्त।
    • प्रक्षेपण यान: भू-समकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान मार्क II (GSLV Mk II) (विशेष रूप से GSLV-F16 संस्करण), भारत का सबसे बड़ा रॉकेट, एक व्यय योग्य तीन-चरणीय प्रक्षेपण यान है।
      • निसार मिशन के तहत इसरो पहली बार किसी उपग्रह को सूर्य-समकालिक ध्रुवीय कक्षा में स्थापित करने के लिये GSLV का उपयोग कर रहा है।
    • मिशन की अवधि: 5 वर्ष.
    • चरण: मिशन में चार चरण शामिल हैं- प्रक्षेपण, तैनाती, कमीशनिंग और वैज्ञानिक संचालन। 
      • तैनाती चरण में उपग्रह से 9 मीटर की दूरी पर 12 मीटर का एंटीना लगाया जाएगा, जिसमें पहले 90 दिनों में कमीशनिंग की जाएगी तथा उसके बाद मिशन के बाकी भाग में वैज्ञानिक संचालन किये जाएंगे।
  • मिशन के उद्देश्य और कवरेज:  NISAR मिशन पृथ्वी पर भूमि परिवर्तनों की निगरानी के लिये  प्रत्येक 12 दिनों में हाई-रिज़ॉल्यूशन डेटा प्रदान करेगा।
    • यह भूकंप, भूस्खलन और ज्वालामुखी गतिविधि के कारण होने वाली भूमि विकृति पर नज़र रखेगा।
    • वनों की बायोमास मात्रा और कार्बन स्टॉक का मापन।
    • यह फसल विस्तार और विकास चक्र जैसे कृषि पैटर्न की निगरानी करता है तथा मौसमी और जलवायु परिवर्तनों के कारण आर्द्रभूमि में होने वाले परिवर्तनों का आकलन करता है। 
    • आर्कटिक और अंटार्कटिक क्षेत्रों में ग्लेशियर और समुद्री बर्फ के पिघलने सहित क्रायोस्फीयर गतिशीलता का अध्ययन करना।
  • भारत के लिये महत्त्व: NISAR भारत-अमेरिका अंतरिक्ष संबंधों में एक महत्त्वपूर्ण कदम है, यह प्रक्षेपण भारत के एक वैश्विक विज्ञान साझेदार या ' विश्व बंधु ' के रूप में उदय को दर्शाता है।
    • यह आपदा प्रबंधन, कृषि और जलवायु निगरानी का समर्थन करता है।
    • इसके अलावा, भारत आर्टेमिस समझौते में शामिल हो गया है तथा मानव अंतरिक्ष उड़ान पर नासा के साथ सहयोग किया है, जो अंतरिक्ष अन्वेषण में एक गहरी साझेदारी को दर्शाता है।

रडार बैंड क्या है?

  • रडार बैंड्स: लगभग 10 किलोहर्ट्ज़ (kHz) से 100 गीगाहर्ट्ज़ (GHz) के बीच की आवृत्तियों वाली विद्युतचुंबकीय तरंगों को रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF) कहा जाता है।
    • इन RF को समान विशेषताओं वाले समूहों में विभाजित किया जाता है, जिन्हें "बैंड्स" कहा जाता है, जैसे कि "S-बैंड," "L-बैंड" आदि।
  • सामान्य रडार बैंड्स: रडार प्रणालियों में सामान्यतः उपयोग किये जाने वाले बैंड।

बैंड

अनुमानित तरंगदैर्घ्य की सीमा (सेमी)

अनुमानित आवृत्तियाँ

UHF

100 - 10 सेमी

300 - 3000 मेगाहर्ट्ज़ (MHz)

L

30 - 15 सेमी

1 - 2 गीगाहर्ट्ज़ (GHz)

S

15 - 7.5 सेमी

2 - 4 GHz

C

7.5 - 3.75 सेमी

4 - 8 GHz

X

3.75 - 2.4 सेमी

8 - 12 GHz

K

2.4 - 0.75 सेमी

12 - 40 GHz

Q

0.75 - 0.6 सेमी

40 - 50 GHz

V

0.6 - 0.4 सेमी

50 - 80 GHz

W

0.4 - 0.3 सेमी

80 - 90 GHz

महत्त्व:

  • निम्न आवृत्ति बैंड (L, S) वर्षा, बादल और वनस्पति के आर-पार जा सकते हैं, जिससे नक्शा निर्माण और पृथ्वी अवलोकन में सहायता मिलती है।
  • उच्च आवृत्ति बैंड (X, Q, V, W) तेज़ और उच्च गुणवत्ता वाली छवियाँ प्रदान करते हैं, लेकिन ये मौसम और वायुमंडलीय स्थितियों से अधिक प्रभावित होते हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ) 

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारत के उपग्रह प्रक्षेपण यान के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. PSLVs पृथ्वी के संसाधनों की निगरानी के लिये उपयोगी उपग्रहों को लॉन्च करते हैं, जबकि GSLVs को मुख्य रूप से संचार उपग्रहों को लॉन्च करने के लिये डिज़ाइन किया गया है। 
  2. PSLVs द्वारा प्रक्षेपित उपग्रह पृथ्वी पर किसी विशेष स्थान से देखने पर आकाश में उसी स्थिति में स्थायी रूप से स्थिर प्रतीत होते हैं। 
  3. GSLV Mk-III एक चार चरणों वाला प्रक्षेपण यान है जिसमें पहले और तीसरे चरण में ठोस रॉकेट मोटर्स का उपयोग तथा दूसरे व चौथे चरण में तरल रॉकेट इंजन का उपयोग किया जाता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 2
(d) केवल 3

उत्तर: (a)


प्रश्न: निम्नलिखित युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं? (2014)

   अन्तरिक्ष यान                  प्रयोजन

  1. कैसिनी-हाइगेन्स       : शुक्र की परिक्रमा करना और दत्त का पृथ्वी तक संचारण करना
  2. मेर्सेंजर                 : बुध का मानचित्रण और अन्वेषण
  3. वॉयेजर 1 और 2     : बाह्य सौर परिवार का अन्वेषण

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)


अनामुडी शोला राष्ट्रीय उद्यान

स्रोत: द हिंदू

केरल के इडुक्की ज़िले में स्थित अनामुडी शोला राष्ट्रीय उद्यान से होकर जाने वाली एक सड़क परियोजना को रोक दिया गया है, जिससे जनजातीय बस्तियों तक पहुँच प्रभावित हुई है।

अनामुडी शोला राष्ट्रीय उद्यान

  • स्थिति और भूगोल: यह स्थल दक्षिणी पश्चिमी घाट में स्थित एक जैव विविधता हॉटस्पॉट है, जिसे वर्ष 2003 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था। यह अनामलाई उप-समूह का हिस्सा है, जिसे यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है।
    • “यह प्रमुख संरक्षित क्षेत्रों से घिरा हुआ है जैसे:”
      • एराविकुलम राष्ट्रीय उद्यान
      • माथिकेत्टन शोला
      • पंपाडुम शोला
      • चिनार वन्यजीव अभयारण्य
      • कुरिंजिमाला अभयारण्य
    • "यह अनामुडी (2,695 मीटर) शिखर का आवास स्थान है, जो दक्षिण भारत का सबसे ऊँचा पर्वत है, और जल संरक्षण के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। यह पंबार और चिनार जैसी नदियों के जलग्रहण क्षेत्र का निर्माण करता है।"
  • जैव विविधता: यह उच्च स्थानिकता के साथ समृद्ध जैव विविधता का समर्थन करता है।
    • यह उद्यान विविध प्रकार के वनों का आवास है, जिनमें शामिल हैं:
      • दक्षिणी उपोष्णकटिबंधीय पहाड़ी वन
      • दक्षिणी पर्वतीय आर्द्र शीतोष्ण वन
      • नम पर्णपाती वन
    • उद्यान की एक अनोखी विशेषता इसके घने शोला वन हैं, जो बौने वृक्षों और काई, शैवाल तथा बेलदार पौधों की प्रचुर वृद्धि से पहचाने जाते हैं।
    • वन्यजीव प्रजातियाँ: तेंदुआ, बाघ, भारतीय गौर (जंगली भैंसा), नीलगिरि ताहर, लायन-टेल्ड मेकाक, नीलगिरि मार्टेन, भालू (भालू प्रजाति), विशाल ग्रिज़ल्ड गिलहरी और हनुमान लंगूर।
  • केरल में अन्य राष्ट्रीय उद्यान:

और पढ़ें: भारत में संरक्षित क्षेत्रों का संरक्षण


सावलकोट जलविद्युत परियोजना

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया

नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन (National Hydroelectric Power Corporation- NHPC) ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty- IWT) के निलंबन के बाद 1,856 मेगावाट की सावलकोट जलविद्युत परियोजना के निर्माण के लिये निविदा प्रक्रिया शुरू कर दी है।

  • यह एक रन-ऑफ-रिवर परियोजना है, जो जम्मू और कश्मीर के रामबन ज़िले के सिधू गाँव में चिनाब नदी पर स्थित है।
    • चिनाब (या चंद्रभागा नदी) सिंधु नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है, जो हिमाचल प्रदेश के तांडी नामक स्थान पर चंद्रा तथा भागा नदियों के संगम से बनती है।
  • इसका विकास दो चरणों में किया जाएगा, जिस पर अनुमानित निवेश 22,704.8 करोड़ रुपये होगा, जिससे जम्मू-कश्मीर और सम्पूर्ण भारत को लाभ होगा।
    • वन सलाहकार समिति (FAC) ने निर्माण के लिये 847 हेक्टेयर वन भूमि को हस्तांतरित करने को सैद्धांतिक मंज़ूरी दे दी है। 
  • यह परियोजना, जिसे 40 से अधिक वर्ष पूर्व परिकल्पित किया गया था और जिसे राष्ट्रीय महत्व की परियोजना माना जाता है, का उद्देश्य सिंधु जल संधि के निलंबन की स्थिति में भारत द्वारा सिंधु नदी के जल का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करना है।
    • वर्ष 1960 में हस्ताक्षरित सिंधु जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच नदी प्रणालियों को विभाजित करती है।
      • भारत को तीन पूर्वी नदियों - ब्यास, रावी और सतलुज - तक अप्रतिबंधित पहुँच प्राप्त है, जबकि पाकिस्तान को तीन पश्चिमी नदियों - चिनाब, सिंधु और झेलम - तक पहुँच प्राप्त है।

और पढ़ें: सिंधु जल संधि, चिनाब नदी


सिमबेक्स-25 में भारतीय नौसेना का पोत

स्रोत: पी.आई.बी

भारतीय नौसेना का पोत सतपुड़ा सिंगापुर-भारत समुद्री द्विपक्षीय अभ्यास (सिमबेक्स-25) के 32वें संस्करण में भाग लेने के लिये सिंगापुर पहुँच गया है।

  • भागीदारी: अभ्यास के बंदरगाह चरण में विषय वस्तु विशेषज्ञों का आदान-प्रदान (एसएमईई), पेशेवर बातचीत और परिचालन स्तरीय चर्चाएँ शामिल हैं, साथ ही भाग लेने वाले पोत- RSN विजिलेंट और RSN सुप्रीम पर डेक परिचित दौरे भी शामिल हैं।
    • अभ्यास के समुद्री चरण में उन्नत नौसैनिक ऑपरेशन शामिल हैं, जिनमें वायु रक्षा अभ्यास, क्रॉस-डेक हेलीकॉप्टर ऑपरेशन, सटीक लक्ष्यीकरण, जटिल युद्धाभ्यास अभ्यास और VBSS ऑपरेशन शामिल हैं।
    • भारतीय नौसेना का बेड़ा, जिसमें विध्वंसक पोत दिल्ली, फ्रिगेट सतपुड़ा, कार्वेट किल्टन और सहायक पोत शक्ति शामिल हैं, विशाखापत्तनम लौटने से पहले फिलीपींस और वियतनाम का दौरा करेगा।
  • पृष्ठभूमि: सिम्बेक्स (पूर्व में अभ्यास लायन किंग), भारतीय नौसेना और सिंगापुर गणराज्य नौसेना (RSN) द्वारा आयोजित एक वार्षिक समुद्री अभ्यास है तथा यह भारत के सबसे लंबे (1994 में शुरू) निर्बाध समुद्री अभ्यासों में से एक है।
  • महत्त्व: SIMBEX-25 भारत और सिंगापुर के बीच मज़बूत साझेदारी को दर्शाता है, जो दोनों देशों के 60 वर्षों के द्विपक्षीय संबंधों की उपलब्धि का प्रतीक है। यह अभ्यास हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता के प्रति उनकी साझा प्रतिबद्धता को और अधिक सुदृढ़ करता है।

और पढ़ें: भारत के प्रमुख सैन्य अभ्यास