भारत-ओमान व्यापार समझौते पर बातचीत पूरी
भारत ने ओमान के साथ व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (Comprehensive Economic Partnership Agreement- CEPA) पर वार्ता पूरी कर ली है, जिसका उद्देश्य व्यापार तथा निवेश को बढ़ावा देना है।
- CEPA एक मुक्त व्यापार समझौता है, जिसमें वस्तुओं एवं सेवाओं के व्यापार के साथ-साथ व्यापार सुविधा, प्रतिस्पर्द्धा नीति तथा बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) जैसे क्षेत्रों में व्यापक आर्थिक सहयोग शामिल है।
- यह मानक FTA की तुलना में अधिक व्यापक है तथा सुचारू एवं पूर्वानुमानित व्यापार सुनिश्चित करने हेतु विनियामक मुद्दों को भी संबोधित करता है।
भारत-ओमान द्विपक्षीय संबंध:
- सामरिक साझेदारी: संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब और यमन की सीमाओं से लगा ओमान, खाड़ी क्षेत्र का एक प्रमुख साझेदार देश है। भारत और ओमान के बीच वर्ष 1955 में राजनयिक संबंध स्थापित हुए, जिन्हें वर्ष 2008 में सामरिक साझेदारी के स्तर तक उन्नत किया गया।
- व्यापार और आर्थिक संबंध: ओमान, संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब के बाद भारत के लिये खाड़ी सहयोग परिषद (Gulf Cooperation Council-GCC) देशों में तीसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है।
- वित्त वर्ष 2024-25 में दोनों देशों के बीच व्यापार 10.61 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया। भारत के प्रमुख निर्यात में हल्का तेल, चावल, मशीनरी और धातु शामिल हैं, जबकि आयात में मुख्यतः कच्चा तेल, LNG, उर्वरक तथा रसायन शामिल हैं।
- बहुपक्षीय सहयोग: ओमान GCC, अरब लीग और IORA में एक महत्त्वपूर्ण मध्यस्थ है।
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भारत का पहला पृथ्वी अवलोकन उपग्रह तारामंडल
भारत सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल के तहत एक निजी संघ के नेतृत्व में अपना पहला पूर्णतः स्वदेशी वाणिज्यिक पृथ्वी अवलोकन (EO) उपग्रह समूह लॉन्च करने के लिये तैयार है।
- बेंगलुरु स्थित पिक्सलस्पेस के नेतृत्व वाले कंसोर्टियम को भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्द्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) द्वारा भारत के पहले पृथ्वी अवलोकन उपग्रह समूह के निर्माण और संचालन के लिये चुना गया है।
- यह संघ पाँच वर्षों में 12 उपग्रहों का निर्माण करेगा तथा उनका प्रक्षेपण, संचालन, ज़मीनी अवसंरचना का विकास और डेटा का व्यवसायीकरण करेगा।
- इस समूह में उच्च रिज़ोल्यूशन, विस्तृत कवरेज वाले विभिन्न उपग्रह शामिल होंगे, जिनमें सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR) और हाइपर-स्पेक्ट्रल उपग्रह शामिल होंगे।
- विकसित उपग्रह जलवायु परिवर्तन निगरानी, आपदा प्रबंधन, कृषि, बुनियादी ढाँचा, समुद्री निगरानी, राष्ट्रीय सुरक्षा, शहरी योजना और वैश्विक भू-स्थानिक खुफिया की मांग को पूरा करने के लिये विश्लेषण-तैयार डेटा (ARD) और मूल्य-वर्द्धित सेवाएँ (VAS) प्रदान करेंगे।
- यह पहल डेटा संप्रभुता सुनिश्चित करती है तथा विदेशी उपग्रह डेटा पर निर्भरता को कम करती है।
- IN-SPACe: यह अंतरिक्ष विभाग के अंतर्गत एक सिंगल-विंडो, स्वतंत्र, नोडल एजेंसी है, जो उपग्रहों, प्रक्षेपण यानों और अंतरिक्ष सेवाओं में निजी क्षेत्र की भागीदारी को सक्षम और विनियमित करती है तथा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और गैर-सरकारी संस्थाओं के बीच कड़ी के रूप में कार्य करती है।
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गोवा की धीरियो बुल फाइटिंग
गोवा में सांस्कृतिक और पर्यटन कारणों से सांडों की लड़ाई जिसे धीरियो या धीरी नाम से जाना जाता है, को वैध बनाने की मांग उठती रही है। प्रतिबंध के बावजूद, गोवा के कुछ गाँवों में यह प्रथा जारी है।
- उत्पत्ति और प्रकृति: यह पुर्तगालियों के समय से गोवा का एक पारंपरिक खेल है जिसमें 2 विशेष रूप से पाले गए तथा प्रशिक्षित बैल/सांड शक्ति प्रदर्शन की प्रतियोगिता में शामिल होते हैं।
- यह स्पेनिश बुलफाइटिंग से भिन्न है क्योंकि इसमें कोई मैटाडोर (एक बुलफाइटर जिसका काम सांड को मारना होता है) या अनुष्ठानिक हत्या शामिल नहीं है।
- सांस्कृतिक महत्त्व: यह चर्च से संबंधित समारोहों एवं कृषि उत्सवों का अभिन्न अंग है तथा यह एक लोकप्रिय सामाजिक आयोजन है। यह स्थानीय अनुयायियों को आकर्षित करता है।
- खेल का आयोजन: गाँव में भोज या फसल कटाई के बाद के उत्सवों के दौरान धान के खेतों या फुटबॉल मैदान में आयोजित किया जाता है।
- विधिक स्थिति: इसे वर्ष 1997 में बॉम्बे उच्च न्यायालय द्वारा पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत प्रतिबंधित कर दिया गया था। 1997 में सर्वोच्च न्यायालय ने भी उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा।
- जल्लीकट्टू (तमिलनाडु में खेले जाने वाला पारंपरिक खेल जिसमें बैलों को नियंत्रित किया जाता है) को पशु क्रूरता के कारण वर्ष 2014 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया था, लेकिन बाद में वर्ष 2023 में सर्वोच्च न्यायालय ने तमिलनाडु की संस्कृति का हिस्सा मानते हुए इस खेल को जारी रखने की अनुमति दी।