वैश्विक सहयोग हेतु बहुपक्षवाद की पुनर्संरचना
यह एडिटोरियल 23/10/2025 को द इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित “Multilateralism isn’t dead” पर आधारित है। लेख में तर्क दिया गया है कि यद्यपि राष्ट्रवाद, महाशक्तियों की प्रतिद्वंद्विता और संस्थागत जड़ता के कारण वैश्विक सहयोग कमज़ोर हुआ है, फिर भी बहुपक्षवाद अभी समाप्त नहीं हुआ है, बल्कि इसकी वैधता को पुनः स्थापित करने और वैश्विक संकटों से निपटने के लिये इसे सुधारों, सहानुभूति तथा समावेशी नेतृत्व के माध्यम से नवीनीकृत करने की आवश्यकता है।
प्रिलिम्स के लिये: बहुपक्षवाद, संयुक्त राष्ट्र, संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन, BRICS, पक्षकारों का सम्मेलन (COP29) 2024, संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन, UN समिट ऑफ द फ्यूचर, COVAX इनिशिएटिव, विश्व व्यापार संगठन विवाद निपटान, विकास के लिये वित्तपोषण पर चौथा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (FfD4), संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (UNHCR), एशिया अवसंरचना निवेश बैंक (AIIB)
मेन्स के लिये: समकालीन चुनौतियों से निपटने हेतु वैश्विक सहयोग को सुगम बनाने में बहुपक्षवाद की भूमिका, आज की जटिल वैश्विक व्यवस्था में बहुपक्षवाद के समक्ष प्रमुख चुनौतियाँ, वैश्विक स्तर पर बहुपक्षवाद को सुदृढ़ करने के लिये भारत की प्रमुख पहल
यद्यपि संयुक्त राष्ट्र के 80वें वर्षगाँठ के अवसर पर बहुपक्षवाद के समक्ष राष्ट्रवाद, महाशक्तियों की प्रतिद्वंद्विता तथा संस्थागत जड़ता जैसी चुनौतियाँ उत्पन्न हो गई हैं। फिर भी युद्धों, जलवायु परिवर्तन की तात्कालिकता और विश्वास की कमी के कारण विभाजित आज के विश्व में, वैश्विक सहयोग ही मानवता की जीवन रेखा बना हुआ है। चुनौती बहुपक्षवाद को पतन से बचाने में नहीं, बल्कि उसका पुनर्गठन करने में निहित है, जिसे अधिक संवेदनशील, प्रतिनिधिक और क्रियाशील बनाने की आवश्यकता है, ताकि 21वीं सदी की उन वैश्विक चुनौतियों का सामना किया जा सके जिन्हें कोई भी राष्ट्र अकेले हल नहीं कर सकता।
बहुपक्षवाद ने समकालीन चुनौतियों से निपटने में वैश्विक सहयोग को किस प्रकार सुगम बनाया है?
- संघर्ष समाधान और शांति स्थापना:
- संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना मिशनों के 75 वर्ष: वर्ष 2023 में मनाया गया यह उपलक्ष्य विश्व भर में 70 से अधिक मिशनों के माध्यम से वैश्विक शांति और सुरक्षा प्रयासों के सात दशकों का प्रतीक है।
- 63 सक्रिय बहुपक्षीय शांति अभियान: संयुक्त राष्ट्र तथा क्षेत्रीय संगठनों द्वारा 37 देशों में संचालित, जो संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में निरंतर बहुपक्षीय प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- उच्च-प्रदर्शनशील विशिष्ट क्षमताएँ: वर्ष 2023 के ‘पीसकीपिंग मिनिस्टीरियल’ ने क्षमता निर्माण, साझेदारी और मिशन की प्रभावशीलता को प्राथमिकता दी, जिसमें नागरिकों की सुरक्षा तथा शांति रक्षकों के मानसिक स्वास्थ्य समर्थन पर विशेष ध्यान दिया गया।
- तकनीकी प्रगति: कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), UAV निगरानी, ब्लॉकचेन लॉजिस्टिक्स और साइबर सुरक्षा प्रणालियों का एकीकरण शांति स्थापना को आधुनिक बनाता है, स्थितिजन्य जागरूकता एवं पारदर्शिता को बढ़ाता है।
- सफल संक्रमणकालीन प्रशासन: पूर्वी स्लावोनिया में UNTAES तथा कोसोवो में UNMIK जैसे मिशन प्रभावी शांति निर्माण और संघर्षोत्तर शासन के उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।
- लैंगिक समावेशिता: महिला शांति रक्षकों की तैनाती में वृद्धि तथा लैंगिक रूप से संवेदनशील मिशन नियोजन, समावेशी और न्यायसंगत शांति स्थापना की दिशा में महत्त्वपूर्ण प्रगति को दर्शाते हैं।
- BRICS की शांति एवं सुरक्षा कूटनीति: यूक्रेन जैसे संघर्ष क्षेत्रों में मध्यस्थता तथा कैदियों की रिहाई हेतु वार्ताओं सहित BRICS-नेतृत्व वाले कूटनीतिक प्रयास यह दर्शाते हैं कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के गतिरोध के दौरान भी बहुपक्षीय और क्षेत्रीय समूह किस प्रकार व्यवहारिक बहुपक्षवाद के माध्यम से शांति निर्माण के प्रयासों को बनाए हुए हैं।
- BRICS ने ‘African Solutions to African Problems (अफ्रीकी समस्याओं के लिये अफ्रीकी समाधान)’ की पुष्टि की और साथ ही गाज़ा में युद्धविराम का आह्वान किया।
- संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना मिशनों के 75 वर्ष: वर्ष 2023 में मनाया गया यह उपलक्ष्य विश्व भर में 70 से अधिक मिशनों के माध्यम से वैश्विक शांति और सुरक्षा प्रयासों के सात दशकों का प्रतीक है।
- जलवायु परिवर्तन:
- पेरिस समझौते के लक्ष्य: पेरिस समझौते का उद्देश्य वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तर से 2°C से भी कम पर सीमित करना है तथा इस वृद्धि को 1.5°C तक सीमित रखने का प्रयास है।
- नया सामूहिक परिमाणित लक्ष्य (NCQG): COP29 समझौते का उद्देश्य नए सामूहिक परिमाणित लक्ष्य (NCQG) के तहत विकासशील देशों के लिये जलवायु वित्त को वर्ष 2035 तक 100 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़ाकर 300 अरब अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष करना है, जिससे जलवायु वित्त की गंभीर कमियों को दूर किया जा सके।
- वैश्विक प्लास्टिक संधि वार्ता: यह एक अंतर्राष्ट्रीय कानूनी रूप से बाध्यकारी उपागम है जिस पर संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा (UNEA) के तहत वार्ता की जा रही है, जिसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करना है।
- अंतर्राष्ट्रीय महासागर शासन और सतत् उपयोग: वर्ष 2025 में नीस (Nice) में आयोजित संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन ने उप-राष्ट्रीय सरकारों और वैज्ञानिक समुदायों को एक मंच पर लाकर सतत् विकास लक्ष्य (SDG14) की प्रगति को गति दी जा रही है। इस सम्मेलन ने समुद्री संसाधनों की रक्षा तथा महासागरीय संधारणीयता से जुड़ी चुनौतियों के समाधान के लिये नवोन्मेषी उपायों को बढ़ावा देने में बहु-स्तरीय शासन की भूमिका को रेखांकित किया।
- UN समिट ऑफ द फ्यूचर और भविष्य के लिये सतत् विकास लक्ष्य (SDG) समझौता: सितंबर 2024 में, संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन ने भविष्य के लिये समझौते के साथ सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं की पुष्टि की, जिसमें शांति, समावेशी समाज, जलवायु-परिवर्तन कार्रवाई और बेहतर वैश्विक शासन के लिये बहुपक्षीय प्रणाली में सुधार को बढ़ावा देने हेतु 50 से अधिक परिवर्तनकारी कार्य बिंदुओं को शामिल किया गया।
- वैश्विक स्वास्थ्य:
- WHO के नेतृत्व में COVID-19 समन्वय: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने COVID-19 महामारी के दौरान वैश्विक प्रतिक्रियाओं का समन्वय किया, दिशानिर्देश प्रदान किये, अनुसंधान को सुगम बनाया और स्वास्थ्य संकट के प्रबंधन में देशों का समर्थन किया।
- COVAX पहल: WHO, Gavi, CEPI और UNICEF के सह-नेतृत्व वाले COVAX का उद्देश्य COVID-19 टीकों तक समान अभिगम्यता सुनिश्चित करना था।
- वर्ष 2023 के अंत तक, इसने 146 अर्थव्यवस्थाओं को लगभग 2 बिलियन खुराकें प्रदान की थीं, जिससे निम्न-आय वाले देशों में अनुमानित 2.7 मिलियन मौतों को रोका जा सका।
- नियमित टीकाकरण की ओर संक्रमण: दिसंबर 2023 तक, COVID-19 टीकाकरण नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में परिवर्तित हो गया और COVAX ने अपने परिचालन को पूरा किया।
- आर्थिक और व्यापार स्थिरता:
- विश्व व्यापार संगठन (WTO) विवाद निपटान: विश्व व्यापार संगठन (WTO) सदस्य देशों के बीच व्यापार विवादों के समाधान को सुगम बनाता रहा है और एक नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रणाली को बढ़ावा देता रहा है।
- व्यापार तनाव और WTO की भूमिका: हाल के व्यापार तनावों, जैसे कि अमेरिका द्वारा चीनी आयातों पर नए शुल्क लगाने के कारण, WTO में औपचारिक शिकायतें दर्ज की गई हैं, जो व्यापार विवादों के समाधान में संगठन की भूमिका को उजागर करती हैं।
- FfD4 में वैश्विक वित्तीय संरचना सुधार: सेविले में विकास के लिये विकास के लिये वित्तपोषण पर चौथा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (FfD4) सतत् विकास का समर्थन करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणालियों में सुधार पर केंद्रित था, जिसमें निष्पक्ष अभिगम्यता, राजकोषीय स्थान संरक्षण और सतत् विकास लक्ष्यों के साथ वित्तीय प्रवाह के संरेखण पर ज़ोर दिया गया, जिसमें वैश्विक दक्षिण की सक्रिय भागीदारी थी।
- G20 जोहान्सबर्ग में दक्षिण-नेतृत्व वाली विकास प्राथमिकताएँ: G20 की दक्षिण अफ्रीका की अध्यक्षता में, मध्यम और छोटी अफ्रीकी अर्थव्यवस्थाओं को वैश्विक मूल्य शृंखलाओं में एकीकृत करने, एकजुटता एवं संधारणीयता को बढ़ावा देने तथा संरचनात्मक आर्थिक कमज़ोरियों को दूर करने पर ज़ोर दिया गया, जिससे बहुपक्षीय एजेंडा को आकार देने में उभरते बाज़ारों के बढ़ते प्रभाव का पता चलता है।
- मानवाधिकार और मानवीय कार्रवाई:
- शरणार्थियों का पुनर्वास: वर्ष 2023 में, UNHCR ने पुनर्वास के लिये 155,500 शरणार्थियों के नाम राज्यों को सौंपे, जिनमें से 158,700 शरणार्थी अपने मूल देशों को लौट गए।
- पुनर्वास आवश्यकताएँ: संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी का अनुमान है कि आने वाले वर्ष में विश्व भर में 25 लाख शरणार्थियों को पुनर्वास की आवश्यकता होगी, जो विस्थापन से निपटने में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की निरंतर आवश्यकता पर बल देता है।
- मानवाधिकार निगरानी: संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद वैश्विक स्तर पर मानवाधिकार उल्लंघनों की निगरानी और समाधान करती रहती है तथा संवाद एवं जवाबदेही के लिये एक मंच प्रदान करती है।
बहुपक्षवाद क्या है?
- विषय: बहुपक्षवाद अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की एक ऐसी प्रणाली है जिसमें तीन या अधिक देश साझा हितों के मुद्दों पर सहमत मानदंडों, नियमों और संस्थाओं के आधार पर सहयोग करते हैं।
- यह एकपक्षवाद, जहाँ एक राष्ट्र स्वतंत्र रूप से कार्य करता है या द्विपक्षीयवाद, जहाँ दो देश सीधे वार्ता करते हैं, से भिन्न है।
- बहुपक्षवाद वैश्विक शांति, सुरक्षा और सतत् विकास प्राप्त करने के लिये सामूहिक निर्णय लेने, साझा जिम्मेदारियों और समन्वित कार्रवाई पर ज़ोर देता है।
आज की जटिल वैश्विक व्यवस्था में बहुपक्षवाद के समक्ष प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?
- भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता और प्रतिस्पर्द्धी बहुपक्षवाद: बहुपक्षीय व्यवस्था सहकारी शासन के बजाय भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्द्धा का मंच बनती जा रही है।
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अमेरिका-चीन प्रतिद्वंद्विता कई अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर हावी हो रही है, जहाँ शक्तिशाली देश रणनीतिक हितों को आगे बढ़ाने के लिये चुनिंदा रूप से वार्ता करते हैं।
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उदाहरण के लिये, चीन द्वारा एशिया इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (AIIB) की स्थापना, अमेरिका-प्रभुत्व वाले विश्व बैंक के लिये चुनौती है, जो वैश्विक विकास वित्तपोषण को नया रूप देने के प्रयासों को दर्शाता है।
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यूक्रेन और सीरिया पर प्रस्तावों को रोकने के लिये रूस द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अपने वीटो का प्रयोग इस बात का उदाहरण है कि संस्थाओं का प्रयोग किस प्रकार संघर्षों को सुलझाने के बजाय बाधा डालने के लिये किया जा सकता है।
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इस दौरान BRICS गठबंधन, जिसमें मिस्र और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देश शामिल हो रहे हैं, पश्चिमी प्रभुत्व के प्रतिकार के रूप में कार्य करता है, लेकिन अलग-अलग राजनीतिक एवं रणनीतिक हितों के कारण आंतरिक सामंजस्य की चुनौतियों का सामना कर रहा है।
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- सहयोग को कमज़ोर करने में आर्थिक राष्ट्रवाद और संरक्षणवाद की भूमिका: टैरिफ और निर्यात नियंत्रण जैसी राष्ट्रवादी नीतियों में वृद्धि के बाद, विश्व व्यापार संगठन जैसे बहुपक्षीय व्यापार निकाय कम प्रभावी हो गए हैं।
- विश्व व्यापार संगठन की विवाद निपटान प्रणाली वर्तमान में अमेरिकी विरोध के कारण अक्षम है, जिसके कारण एकतरफा व्यापार उपाय किये जा रहे हैं और नियम-आधारित वैश्विक व्यापार व्यवस्था कमज़ोर हो रही है।
- यह विखंडन बहुपक्षवाद द्वारा वादा किये गए पूर्वानुमान और निष्पक्षता को कमज़ोर करता है, जिससे वैश्विक बाज़ारों में अनिश्चितता उत्पन्न होती है।
- हाल ही में, अमेरिका ने भारतीय निर्यात पर भारी शुल्क लगाया है, जिससे व्यापार प्रवाह बाधित हुआ है तथा वस्त्र, दवा और इंजीनियरिंग घटक जैसे क्षेत्र प्रभावित हुए हैं।
- ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की एक रिपोर्ट के अनुसार, ये शुल्क 60.2 बिलियन डॉलर मूल्य के भारतीय निर्यात को प्रभावित करेंगे, जिसमें वस्त्र, रत्न एवं आभूषण, झींगा, कालीन और फर्नीचर शामिल हैं।
- लघु-पक्षीय एवं क्षेत्रीय गुटों के उदय के कारण विखंडन: संयुक्त राष्ट्र और विश्व व्यापार संगठन के गतिरोध के प्रत्युत्तर में, AUKUS, चतुर्भुज सुरक्षा वार्ता (QUAD) जैसे छोटे गठबंधन व क्षेत्रीय गुट विशिष्ट सुरक्षा एवं आर्थिक भूमिकाएँ निभा रहे हैं।
- व्यावहारिक होते हुए भी, इससे अतिव्यापी अधिदेशों के साथ खंडित शासन व्यवस्था को बढ़ावा मिलता है, जिससे जलवायु परिवर्तन, महामारियों और साइबर सुरक्षा जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने में असंगति एवं असमान भार-साझाकरण का जोखिम उत्पन्न होता है।
- समझौतों के बावजूद जलवायु परिवर्तन पर निष्क्रियता: पेरिस समझौते जैसी ऐतिहासिक संधियों के बावजूद, जलवायु संबंधी प्रतिबद्धताएँ वैश्विक तापमान वृद्धि को पर्याप्त रूप से सीमित करने के लिये अपर्याप्त हैं।
- राष्ट्रीय हित प्रायः सामूहिक लक्ष्यों पर हावी हो जाते हैं, जिससे उत्सर्जन में कमी और अनुकूलन वित्तपोषण पर कार्रवाई में विलंब होता है, जिसका प्रभाव विशेष रूप से कमज़ोर ग्लोबल साउथ देशों पर पड़ता है।
- यह संप्रभुता और वैश्विक साझा हित के बीच बहुपक्षवाद के समक्ष मौजूद तनाव को उजागर करता है।
- संस्थागत कठोरता और अप्रचलन: 20वीं सदी के मध्य में कई बहुपक्षीय संस्थाओं का निर्माण हुआ, जो पश्चिमी शक्तियों के प्रभुत्व वाले एकध्रुवीय विश्व को दर्शाती हैं।
- आज, वे नई शक्तियों के उदय, वैकल्पिक राजनीतिक-आर्थिक मॉडलों और AI, क्रिप्टोकरेंसी एवं डिजिटल व्यापार के शासन जैसे नए मुद्दों को समायोजित करने के लिये संघर्ष कर रहे हैं।
- जैसे-जैसे राज्य प्रौद्योगिकी वर्चस्व के लिये प्रतिस्पर्द्धा करते हैं, सहयोग अधिक कठिन होता जाता है, जिससे वैश्विक शासन में अंतराल उत्पन्न होते हैं जिन्हें बहुपक्षीय संस्थाओं को तत्काल दूर करने की आवश्यकता है।
- यह असंतुलन इन संस्थानों की वैधता तथा समकालीन चुनौतियों से निपटने की क्षमता को सीमित करता है, जिससे त्वरित सुधारों की आवश्यकता उत्पन्न होती है।
- कोविड-19 महामारी के दौरान 'वैक्सीन राष्ट्रवाद' ने इस विश्वास की कमी को उजागर किया, जब समृद्ध देशों ने टीकों का भंडारण कर लिया, जिससे समान वैश्विक एकता की अवधारणा कमज़ोर पड़ी।
वैश्विक स्तर पर बहुपक्षवाद को दृढ करने के लिये भारत की प्रमुख पहल क्या हैं?
- संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना में योगदान: 1950 के दशक से, भारत ने विश्व भर में 50 से अधिक संयुक्त राष्ट्र मिशनों में 2,90,000 से अधिक शांति रक्षकों को तैनात किया है, जिससे यह संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना प्रयासों में सबसे बड़ा योगदानकर्त्ता बन गया है।
- भारत के पास भारतीय संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना केंद्र जैसे प्रशिक्षण केंद्र भी हैं, जो वैश्विक शांति अभियानों के लिये क्षमता निर्माण को बढ़ाते हैं।
- MAHASAGAR विज़न: इस सिद्धांत की शुरुआत वर्ष 2025 में की गई, जो पारस्परिक और समग्र उन्नति पर ज़ोर देता है, क्षेत्रीय सुरक्षा एवं आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है, विशेष रूप से हिंद-प्रशांत तथा हिंद महासागर क्षेत्रों में।
- रणनीतिक साझेदारी: भारत BRICS, QUAD और ASEAN जैसे बहुपक्षीय मंचों में सक्रिय रूप से भाग लेता है, सुरक्षा, प्रौद्योगिकी, व्यापार एवं जलवायु-परिवर्तन कार्रवाई पर सहयोग को बढ़ावा देता है।
- उदाहरण के लिये, भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा अंतर-महाद्वीपीय संपर्क को बढ़ाने का प्रयास करता है।
- वैश्विक स्वास्थ्य कूटनीति: भारत की 'वैक्सीन मैत्री' पहल ने विश्व भर में टीकों की आपूर्ति की, जो वैश्विक स्वास्थ्य बहुपक्षवाद में भारत के नेतृत्व को दर्शाता है।
- जलवायु-परिवर्तन कार्रवाई और साउथ-साउथ सहयोग: भारत UNFCCC जैसे मंचों के माध्यम से विकासशील देशों के बीच समान जलवायु वित्त पोषण और संवर्द्धित सहयोग की अनुशंसा करता है।
- प्रौद्योगिकी और नवाचार: कृत्रिम बुद्धिमत्ता, अंतरिक्ष अन्वेषण और महत्त्वपूर्ण खनिजों पर अमेरिका जैसे देशों के साथ सहयोगात्मक पहल बहुपक्षीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सहयोग में भारत की रणनीतिक भूमिका को प्रदर्शित करती है।
- व्यापार समझौते: भारत बहुपक्षीय कार्यढाँचों के तहत व्यापार को बढ़ावा देने के लिये UK और चिली जैसे भागीदारों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) पर उत्तरोत्तर वार्ता करता है।
- क्षमता निर्माण कार्यक्रम: भारत-संयुक्त राष्ट्र वैश्विक क्षमता निर्माण पहल के तहत, भारत शासन, स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्रों में विकासशील देशों का समर्थन करता है।
- राजनयिक अभिगम्यता का विस्तार: भारत ने वर्ष 2014 से 2024 तक अपने राजनयिक प्रभाव का उल्लेखनीय विस्तार किया, जिससे वैश्विक भागीदारों के साथ जुड़ाव बढ़ा।
समकालीन वैश्विक कार्यढाँचे में बहुपक्षवाद को पुनर्जीवित करने के लिये कौन-से रणनीतिक सुधार आवश्यक हैं?
- बहुपक्षीय संस्थाओं की पुनर्कल्पना और पुनर्संरचना: आज के बहुध्रुवीय विश्व, बदलती भू-राजनीतिक वास्तविकताओं और जटिल वैश्विक चुनौतियों के अनुरूप संस्थागत ढाँचे का मौलिक पुनर्मूल्यांकन होना चाहिये।
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF), विश्व बैंक और विश्व व्यापार संगठन जैसी पुरानी संस्थाओं में या तो व्यापक सुधार की आवश्यकता है या उन्हें अधिक अनुकूल, प्रतिनिधि निकायों से प्रतिस्थापित किया जाना चाहिये।
- उदाहरण के लिये, विश्व व्यापार संगठन एक मूल नियम-आधारित प्रणाली को बनाए रखते हुए खंडित वैश्विक व्यापार को अधिक प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिये बहुपक्षीय समझौतों को शामिल कर सकता है।
- G-4 देशों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्यों की संख्या 15 से बढ़ाकर 25-26 करने का प्रस्ताव रखा है, जिसमें छह नई स्थायी सीटें शामिल होंगी: 2 अफ्रीका के लिये, 2 एशिया-प्रशांत के लिये, 1 लैटिन अमेरिका व कैरिबियन देशों के लिये तथा 1 पश्चिमी यूरोप व अन्य देशों के लिये।
- समावेशिता और प्रतिनिधित्व बढ़ाना: शासन संरचनाओं को समकालीन भू-राजनीतिक और आर्थिक वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करना चाहिये, जिसमें उभरती अर्थव्यवस्थाओं को अधिक समर्थन तथा भागीदारी के अवसर प्रदान करना शामिल है।
- विकास बैंकों में वोटिंग शेयरों का पुनर्गठन और न्यायसंगत निर्णय लेने में सुधार से वैधता को बढ़ावा मिलेगा तथा व्यापक अनुपालन को प्रोत्साहन मिलेगा।
- बहुपक्षीय विकास बैंकों को पुनर्निर्देशित और उन्नत किया जाना चाहिये ताकि सतत् विकास एवं जलवायु कार्रवाई के लिये बड़े पैमाने पर निजी पूंजी जुटाई जा सके, जैसा कि वर्ष 2025 के विकास वित्तपोषण पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (FfD4) में परिकल्पित है।
- संयुक्त राष्ट्र बहुपक्षवाद सूचकांक में ब्राज़ील का लगातार उच्च स्कोर उभरती शक्तियों द्वारा एक आदर्श के रूप में रचनात्मक जुड़ाव का उदाहरण है।
- प्रमुख वैश्विक सार्वजनिक साधनों पर ध्यान: बहुपक्षवाद को वैश्विक सार्वजनिक वस्तुओं— जलवायु संरक्षण, महामारी की रोकथाम, वैश्विक वित्तीय स्थिरता, डिजिटल गवर्नेंस और शांति निर्माण को प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये, जिसके लिये सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता होती है, जिसे कोई भी देश अकेले प्रबंधित नहीं कर सकता।
- UN समिट ऑफ द फ्यूचर का समझौता इस फोकस को सुदृढ़ करने के लिये परिवर्तनकारी कार्रवाइयों की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है, जिसमें जलवायु वित्त एवं स्वास्थ्य सुरक्षा के लिये अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय कार्यढाँचे में सुधार शामिल है।
- विश्वास की पुनः स्थापना और पारदर्शिता: जनता के मोहभंग का मुकाबला करने के लिये, बहुपक्षीय संस्थानों को अधिक पारदर्शी, जवाबदेह बनने की आवश्यकता है और वैश्विक नागरिकों को लाभों के बारे में स्पष्ट रूप से जानकारी प्रदान करने की आवश्यकता है।
- शासन प्रक्रियाओं में नागरिक समाज और निजी क्षेत्र की भागीदारी को सुदृढ़ करना वैधता के लिये महत्त्वपूर्ण है, साथ ही समान टीका वितरण एवं जलवायु परिवर्तन के प्रति समुत्थानशीलता जैसे ठोस परिणाम प्राप्त करने पर नए सिरे से बल दिया जाना चाहिये।
- डिजिटल और तकनीकी शासन में बहुपक्षवाद को सुदृढ़ करना: नए शासन कार्यढाँचों में AI सुरक्षा, साइबर सुरक्षा, जैव प्रौद्योगिकी और डिजिटल व्यापार को शामिल किया जाना चाहिये।
- तीव्र से विकसित होते इन क्षेत्रों में जोखिमों को कम करने और वैश्विक स्तर पर मानदंडों को मानकीकृत करने के लिये प्रभावी और सहयोगात्मक निगरानी की आवश्यकता है।
- संयुक्त राष्ट्र के 'भविष्य शिखर सम्मेलन' में अंगीकृत 'वैश्विक डिजिटल संधि' इसी कार्यसूची का सार प्रस्तुत करती है।
निष्कर्ष:
- आज विश्व की सबसे बड़ी चुनौती संकटों का अभाव नहीं, बल्कि सहयोग का अभाव है। वर्तमान युग में बहुपक्षवाद निश्चय ही कमज़ोर हुआ है, परंतु मृत नहीं है। इसका अस्तित्व पुनर्नवीकरण पर निर्भर करता है, अतीत की स्मृतियों पर नहीं। वास्तविक प्रगति की माँग यह स्वीकार करना है कि कोई भी राष्ट्र वास्तव में तब तक संप्रभु नहीं हो सकता जब तक कि सभी राष्ट्र संप्रभु न हो जाएं। आगे की राह साहसिक संस्थागत सुधारों, समावेशी नेतृत्व और ऐसे पुनर्जीवित सहयोग के प्रति प्रतिबद्धता में निहित है जो राष्ट्रीय हितों से ऊपर उठकर वैश्विक एकजुटता, शांति एवं सामूहिक कल्याण की दिशा में अग्रसर हो।
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दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. जब संकट वैश्विक हो जाते हैं, लेकिन प्रतिक्रियाएँ राष्ट्रीय स्तर तक ही सीमित रह जाती हैं, तब एकता के लिये निर्मित संस्थाएँ अप्रासंगिक होने के खतरे में पड़ जाती हैं। विवेचना कीजिये कि 21वीं सदी में संस्थागत सुधार किस प्रकार बहुपक्षीय शासन की वैधता और प्रभावशीलता को पुनः स्थापित कर सकते हैं।
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प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
प्रश्न 1. बहुपक्षवाद क्या है और यह एकपक्षवाद से कैसे भिन्न है?
बहुपक्षवाद एक ऐसी व्यवस्था है जहाँ तीन या दो से अधिक देश सहमत मानदंडों और संस्थाओं के तहत सहयोग करते हैं, जबकि एकपक्षवाद में एक राष्ट्र स्वतंत्र रूप से कार्य करता है।
प्रश्न 2. संयुक्त राष्ट्र शांति सेना ने 2023 में वैश्विक संघर्ष समाधान में किस प्रकार योगदान दिया है?
37 देशों में 63 सक्रिय मिशनों, तकनीकी एकीकरण, लैंगिक समावेशिता और UNTAES तथा UNMIK जैसे संक्रमणकालीन प्रशासनों के माध्यम से।
प्रश्न 3. COVID-19 महामारी के दौरान COVAX पहल की क्या भूमिका रही?
WHO, GAVI, CEPI और UNICEF के सह-नेतृत्व वाले COVAX ने 146 अर्थव्यवस्थाओं को लगभग 2 बिलियन टीके वितरित किये, जिससे निम्न-आय वाले देशों में अनुमानित 2.7 मिलियन मौतों को टाला गया।
प्रश्न 4. हाल ही में कौन-सी जलवायु पहल बहुपक्षीय सहयोग को उजागर करती है?
ब्राज़ील में COP30, वैश्विक प्लास्टिक संधि वार्ता और 2025 के संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन ने जलवायु-अनुकूलन, प्रदूषण नियंत्रण एवं SDG14 के कार्यान्वयन को आगे बढ़ाया।
प्रश्न 5. वैश्विक बहुपक्षवाद को सुदृढ़ करने के लिये भारत की प्रमुख पहल क्या हैं?
भारत हज़ारों संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षकों को तैनात कर योगदान देता है, MAHASAGAR विज़न का नेतृत्व करता है, BRICS, QUAD, ASEAN में शामिल है, वैक्सीन मैत्री, जलवायु वित्त, प्रौद्योगिकी सहयोग, FTA एवं क्षमता निर्माण कार्यक्रमों को बढ़ावा देता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रिलिम्स
प्रश्न 1.संयुक्त राष्ट्र महासभा के सन्दर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2022)
- UN महासभा, गैर-सदस्य राज्यों को प्रेक्षक स्थिति प्रदान कर सकती है।
- अंत:सरकारी संगठन UN महासभा में प्रेक्षक स्थिति पाने का प्रयत्न कर सकते हैं।
- UN महासभा में स्थायी प्रेक्षक UN मुख्यालय में मिशन बनाए रख सकते हैं।
उपर्युक्त कथनों में कौन-से सही हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d)
प्रश्न 2. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)
- भ्रष्टाचार के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन यूनाइटेड नेशन्स कन्वेंशन अगेंस्ट करप्शन (UNCAC)] का ‘भूमि, समुद्र और वायुमार्ग से प्रवासियों की तस्करी के विरुद्ध एक प्रोटोकॉल’ होता है।
- UNCAC अब तक का सबसे पहला विधित: बाध्यकारी सार्वभौम भ्रष्टाचार-निरोधी लिखत है।
- राष्ट्र-पार संगठित अपराध के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन अगेंस्ट ट्रांसनैशनल ऑर्गेनाइज़्ड क्राइम (UNTOC)] की एक विशिष्टता ऐसे एक विशिष्ट अध्याय का समावेशन है, जिसका लक्ष्य उन संपत्तियों को उनके वैध स्वामियों को लौटाना है जिनसे वे अवैध तरीके से ले ली गई थीं।
- मादक द्रव्य एवं अपराध विषयक संयुक्त राष्ट्र कार्यालय ख्यूनाइटेड नेशंस ऑफिस ऑन ड्रम्स एंड क्राइम (UNODC)] संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राज्यों द्वारा UNCAC और UNTOC दोनों के कार्यान्वयन में सहयोग करने के लिये अधिदेशित है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 2 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर: (c)
मेन्स
प्रश्न 1. कोविड-19 महामारी के दौरान वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान करने में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लू.एच.ओ.) की भूमिका का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये। (2020)
प्रश्न 2. संयुक्त राष्ट्र आर्थिक व सामाजिक परिषद् (इकोसॉक) के प्रमुख प्रकार्य क्या है? इसके साथ संलग्न विभिन्न प्रकार्यात्मक आयोगों को स्पष्ट कीजिये। (2017)
