घूमर नृत्य | राजस्थान | 21 Nov 2025
चर्चा में क्यों?
जयपुर शहर ने अपना पहला राज्य स्तरीय घूमर महोत्सव आयोजित किया, जिसका उद्देश्य राजस्थान की प्रतिष्ठित लोक नृत्य परंपरा का सम्मान करते हुए राज्य की महिलाओं को संगठित करना था।
- इसे राजस्थान के सभी सात संभागीय मुख्यालयों में एक साथ आयोजित किया गया।
मुख्य बिंदु
- घूमर नृत्य पारंपरिक रूप से शुभ अवसरों जैसे विवाह, त्योहार और वधु के आगमन का उत्सव मनाने के लिये किया जाता है।
- यह आनंद, अनुग्रह और नारीत्व का प्रतीक है तथा इसे एक अनुष्ठानिक नृत्य माना जाता है, जो घर में समृद्धि एवं सौभाग्य लाता है।
- घूमर को राजस्थान की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है ।
- इसकी कोई निश्चित तिथि नहीं है; यह सामाजिक, औपचारिक और उत्सवी अवसरों पर पूरे वर्ष किया जाता है।
- नर्तकियाँ रंग-बिरंगे घाघरा-चोली और ओढ़नियाँ तथा उनके घाघरों की घुमावदार गति इसकी दृश्य पहचान का मुख्य अंग है।
- घूमर की उत्पत्ति भील जनजाति से हुई, जो इसे देवी सरस्वती और स्थानीय देवताओं के सम्मान में अपने अनुष्ठानों में प्रस्तुत करते थे। बाद में इसे राजपूत राजघरानों ने अपनाया तथा परिष्कृत किया, जहाँ यह एक सुंदर दरबारी नृत्य शैली के रूप में विकसित हुआ।
- परंपरागत रूप से, घूमर शाम को किया जाता था, जिसमें महिलाएँ (विशेष रूप से नवविवाहित वधुएँ) परिवार और समुदाय में अपनी स्वीकृति दर्शाने के लिये गोल-गोल नृत्य करती थीं।

राजस्थान-अरब सागर संपर्क परियोजना | राजस्थान | 21 Nov 2025
चर्चा में क्यों?
भारत सरकार ने स्थलबद्ध राजस्थान को सीधे अरब सागर से जोड़ने वाली नई परिवहन संपर्क परियोजना की प्रारंभिक योजना शुरू की है, जिसका उद्देश्य राज्य में लॉजिस्टिक्स दक्षता, व्यापार सुगमता और औद्योगिक विकास को सुधारना है।
मुख्य बिंदु
- प्रस्तावित संपर्क परियोजना का उद्देश्य स्थलरुद्ध राजस्थान को अरब सागर क्षेत्र के लिये प्रत्यक्ष मल्टीमॉडल परिवहन लिंक प्रदान करना है, मुख्य रूप से अंतर्देशीय जलमार्ग और बंदरगाह के माध्यम से, जिससे दूरस्थ बंदरगाहों पर निर्भरता कम होगी तथा वैश्विक व्यापार मार्गों तक पहुँच में सुधार होगा।
- यह योजना प्रधानमंत्री गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के व्यापक ढाँचे के तहत परीक्षित की जा रही है और योजना के तहत अरब सागर से जुड़ने के लिये राष्ट्रीय जलमार्ग-48 (NW-48) का उपयोग किया जाएगा।
- राजस्थान वर्तमान में गुजरात के बंदरगाहों, विशेष रूप से दीनदयाल बंदरगाह, मुंद्रा और पीपावाव पर अत्यधिक निर्भर है तथा लंबी परिवहन दूरी के कारण निर्यातकों एवं उद्योगों के लिये लागत बढ़ जाती है।
- प्रस्ताव में जालौर के निकट एक अंतर्देशीय बंदरगाह का निर्माण तथा पश्चिमी राजस्थान के प्रमुख औद्योगिक ज़िलों (जैसे जालौर और बाड़मेर) को दीनदयाल बंदरगाह के माध्यम से कच्छ की खाड़ी से जोड़ने वाले नौगम्य जलमार्ग का विकास करना शामिल है।
- इस संपर्क योजना से वस्त्र, सिरामिक्स, संगमरमर, खनिज, इंजीनियरिंग सामान और हस्तशिल्प जैसे क्षेत्रों को समर्थन मिलने की संभावना है, जो राजस्थान की अर्थव्यवस्था के प्रमुख निर्यात घटक हैं।
विश्व मत्स्य दिवस 2025 | राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स | 21 Nov 2025
चर्चा में क्यों?
भारत ने 21 नवंबर, 2025 को विश्व मत्स्य दिवस मनाया, जिसमें सततता, नीली अर्थव्यवस्था के संवर्द्धन तथा मत्स्यपालकों की आजीविका में संरचनात्मक सुधार को केंद्रित करते हुए गतिविधियों का संचालन किया गया।
मुख्य बिंदु
- विश्व मत्स्य दिवस के बारे में:
- प्रतिवर्ष 21 नवंबर को मनाए जाने वाले इस दिवस की उत्पत्ति वर्ष 1997 में विश्व मत्स्य मंच के गठन से संबद्ध है, जब 18 देशों के प्रतिनिधि नई दिल्ली में सतत् मत्स्यन तथा मत्स्यपालक समुदायों के संरक्षण एवं संवर्धन के उद्देश्य से सम्मिलित हुए थे, फलस्वरूप भारत इस वैश्विक आयोजन का उद्गम-स्थल बन गया।
- विषय:
- वर्ष 2025 का विषय है ‘भारत की जलजनित अर्थव्यवस्था में बदलाव: समुद्री खाद्य वस्तुओं के निर्यात में मूल्यवर्धन’।
- रैंकिंग:
- भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मत्स्य-उत्पादक देश है तथा विश्व के शीर्ष झींगा उत्पादकों में शामिल है।
- कुल मत्स्य उत्पादन वर्ष 2013–14 के 96 लाख टन से बढ़कर वर्ष 2024–25 में 195 लाख टन हो गया।
- समुद्री उत्पादों का निर्यात 11.08% बढ़ा, जो अक्टूबर 2024 में 0.81 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर अक्टूबर 2025 में 0.90 अरब अमेरिकी डॉलर पहुँच गया।
- प्रमुख पहल:
- सरकार ने सुरक्षित, पारदर्शी और वैश्विक मानकों के अनुरूप समुद्री खाद्य आपूर्ति शृंखला सुनिश्चित करने हेतु राष्ट्रीय मत्स्य एवं जलीय कृषि अनुरेखण ढाँचा (National Framework on Traceability in Fisheries & Aquaculture) प्रारंभ किया है।
- EEZ नियमों के तहत मत्स्य-संसाधनों के सतत् उपयोग से पर्यावरणीय रूप से उत्तरदायी गहरे समुद्र में मत्स्यन को प्रोत्साहन मिलता है, जिसमें मत्स्य सहकारी समितियों और FFPOs को प्राथमिकता दी जाती है, जिससे लघु स्तर के मत्स्यपालकों के लिये आय के अवसर सृजित होते हैं।
- ReALCRaft एक डिजिटल मंच है, जो ऑनलाइन पंजीकरण, लाइसेंसिंग, ई-पेमेंट तथा पोत डेटा अपडेट की सुविधा देता है और एकीकृत निरीक्षणों के माध्यम से पेपरलेस मत्स्य प्रशासन सुनिश्चित करता है।
नभमित्र (NABHMITRA) 20 मीटर से कम आकार वाले छोटे पोतों हेतु दो-तरफा उपग्रह संचार प्रणाली है, जो वास्तविक समय में ट्रैकिंग, SOS अलर्ट और मौसम अपडेट प्रदान करती है, जिससे मत्स्यपालकों की सुरक्षा तथा तटीय प्राधिकरणों के साथ समन्वय में सुधार होता है।