मध्य प्रदेश पुष्प उत्पादन में तीसरे स्थान पर | मध्य प्रदेश | 22 Jul 2025
चर्चा में क्यों?
मध्य प्रदेश पुष्पोत्पादन में उल्लेखनीय प्रगति करते हुए देश का तीसरा सबसे बड़ा फूल उत्पादक राज्य बन गया है।
मुख्य बिंदु
मध्य प्रदेश के पुष्पोत्पादन क्षेत्र के बारे में:
- बढ़ता क्षेत्र और उत्पादन:
- वर्ष 2024-25 में मध्य प्रदेश में 42,978 हेक्टेयर क्षेत्र में फूलों की खेती की गई, जिससे 5.12 लाख मीट्रिक टन का रिकॉर्ड उत्पादन प्राप्त हुआ।
- पुष्पोत्पादन क्षेत्रफल वर्ष 2021-22 के 37,647 हेक्टेयर से बढ़कर 42,976 हेक्टेयर हो गया, वहीं उत्पादन में 86,294 टन की वृद्धि दर्ज की गई।
- उत्पादकता:
- राज्य की प्रति हेक्टेयर पुष्प उत्पादकता 15.01 मीट्रिक टन है, जो पुष्पकृषि उद्योग में एक उल्लेखनीय उपलब्धि मानी जा रही है।
- प्रमुख पुष्प और किस्में:
- प्राथमिक पुष्प: गेंदा, गुलाब, गुलदाउदी, ग्लैडियोलस, रजनीगंधा तथा औषधीय पुष्प जैसे ईसबगोल, अश्वगंधा और सफेद मूसली।
- गेंदा: सबसे बड़े क्षेत्र में उगाया जाने वाला पुष्प, जिसका क्षेत्रफल 24,214 हेक्टेयर है।
- गुलाब: लगभग 4,502 हेक्टेयर क्षेत्र में उत्पादित।
- अन्य किस्में: गुलदाउदी (1,709 हेक्टेयर), ग्लैडियोलस (1,058 हेक्टेयर), ट्यूबरोज़़ (263 हेक्टेयर) तथा अन्य विविध किस्में 11,227 हेक्टेयर क्षेत्र में उगाई जाती हैं।
- सरकारी पहल और निवेश:
- राज्य तथा केंद्र सरकारें विभिन्न योजनाओं के माध्यम से पुष्पोत्पादन को प्रोत्साहित कर रही हैं, जिसका उद्देश्य किसानों की आय को दोगुना करना तथा कृषि को लाभकारी बनाना है।
- छोटी जोत (1–3 एकड़) वाले किसान भी फूलों की खेती से लाभान्वित हो रहे हैं।
- राज्य का बागवानी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, फूलों की गुणवत्ता सुधार, प्रशिक्षण एवं विपणन पहलों को सशक्त बनाने हेतु निरंतर कार्य कर रहा है।
- वर्ष 2024-25 में, फूलों की खेती में 5,329 हेक्टेयर का विस्तार देखा गया, जिसमें सरकारी पहलों ने इस वृद्धि में 33% से अधिक की सहायता की।
- तकनीकी प्रशिक्षण और उच्च तकनीक नर्सरियाँ जैसी पहलें इस क्षेत्र के विस्तार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
- इस क्षेत्र को और आगे बढ़ाने के लिये ग्वालियर में 13 करोड़ रुपए की लागत से केंद्र समर्थित हाई-टेक पुष्पोत्पादन नर्सरी विकसित की जा रही है।
- बाज़ार विस्तार:
- घरेलू मांग: मध्य प्रदेश में उत्पादित फूलों की जयपुर, दिल्ली तथा मुंबई जैसे महानगरों में उच्च मांग है।
- अंतर्राष्ट्रीय पहुँच: गुना ज़िले के गुलाब अब पेरिस और लंदन जैसे वैश्विक बाज़ारों तक पहुँच बना रहे हैं।
- महत्त्व:
- अनुकूल जलवायु, उन्नत सिंचाई सुविधाएँ तथा सरकारी समर्थन में निरंतर वृद्धि के साथ मध्य प्रदेश, राष्ट्रीय पुष्पोत्पादन परिदृश्य में अग्रणी राज्य बनने की दिशा में अग्रसर है, जिससे ग्रामीण आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा और भारत के कृषि विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान मिलेगा।
पुष्पोत्पादन के बारे में
- भारत सरकार ने पुष्पोत्पादन को एक उभरते हुए उद्योग के रूप में चिह्नित किया है तथा इसे 100% निर्यातोन्मुख दर्जा प्रदान किया गया है।
- एक उभरता हुआ उद्योग वह क्षेत्र होता है जो अपनी प्रारंभिक अवस्था में होता है परंतु उसमें भविष्य में तेज़ी से विस्तार और अर्थव्यवस्था पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डालने की प्रबल संभावना होती है।
- यह पाया गया है कि वाणिज्यिक पुष्पोत्पादन में प्रति इकाई क्षेत्रफल पर अन्य अधिकांश फसलों की तुलना में अधिक लाभ की संभावना होती है, जिससे यह एक लाभदायक व्यवसाय के रूप में उभर रही है।
- उदारीकृत अर्थव्यवस्था के प्रभाव से भारतीय उद्यमियों को नियंत्रित जलवायु परिस्थितियों में निर्यातोन्मुख पुष्पकृषि इकाइयों की स्थापना हेतु प्रोत्साहन मिला है।
- कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) भारत में पुष्पोत्पादन के निर्यात संवर्द्धन एवं विकास हेतु नोडल एजेंसी है।
- किस्में:
- इनमें मुख्यतः कटे हुए फूल, गमले के पौधे, कटी हुई पत्तियाँ, बीज, बल्ब, कंद, जड़युक्त कलमें और सूखे फूल या पत्तियाँ शामिल होती हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय कटा हुआ फूल व्यापार में प्रमुख पुष्प फसलें हैं- गुलाब, कार्नेशन, गुलदाउदी, गेरबेरा, ग्लैडियोलस, जिप्सोफिला, लिआट्रिस, नेरिन, ऑर्किड, आर्किलिया, एंथुरियम, ट्यूलिप और लिली।
- गेरबेरा, कार्नेशन जैसी पुष्पीय फसलें ग्रीनहाउस में उगाई जाती हैं, जबकि गुलदाउदी, गुलाब, गैलार्डिया, लिली, मैरीगोल्ड, एस्टर तथा ट्यूबरोज़़ जैसी फसलें खुले खेतों में उगाई जाती हैं।
- उत्पादन क्षेत्र:
- तमिलनाडु, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश, असम और महाराष्ट्र पुष्पकृषि के प्रमुख केंद्र के रूप में उभरे हैं।
- भारत: तथ्य और आँकड़ें:
- आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के अमध्य नुसार, वर्ष 2023-24 के दौरान लगभग 2,97,000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में पुष्पकृषि की गई, जिससे अनुमानित 22,84,000 टन खुले फूल तथा 9,47,000 टन कटे हुए फूलों का उत्पादन हुआ।
- इसी अवधि में भारत ने 19,678 मीट्रिक टन पुष्पकृषि उत्पादों का निर्यात कर 717.83 करोड़ रुपए की आय अर्जित की।
- प्रमुख निर्यात गंतव्य (2023-24):
- संयुक्त राज्य अमेरिका, नीदरलैंड, संयुक्त अरब अमीरात, ब्रिटेन, कनाडा और मलेशिया प्रमुख निर्यात बाज़ार रहे।
उद्यमी मित्रों के लिये HRMS पोर्टल | उत्तर प्रदेश | 22 Jul 2025
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार ने निवेशक सुविधा और आंतरिक दक्षता बढ़ाने के लिये 'उद्यमी मित्रों' के लिये मानव संसाधन प्रबंधन प्रणाली (HRMS) पोर्टल लॉन्च किया है।
- राज्य के निवेश सारथी प्लेटफॉर्म के साथ एकीकृत इस क्लाउड-आधारित प्लेटफॉर्म का उद्देश्य आवश्यक प्रशासनिक कार्यों को डिजिटल बनाना और सुव्यवस्थित करना है।
मुख्य बिंदु
HRMS पोर्टल के बारे में:
- मानव संसाधन कार्यों का स्वचालन: HRMS पोर्टल को मुख्य मानव संसाधन कार्यों जैसे उपस्थिति, अवकाश प्रबंधन, वेतन प्रसंस्करण और फॉर्म-16 निर्माण को स्वचालित करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- अभिलेखों तक रियल-टाइम पहुँच: यह पोर्टल कर्मचारियों के अभिलेखों तक रीयल-टाइम पहुँच प्रदान करता है, जिससे पारदर्शिता को बढ़ावा मिलता है तथा ज़िला एवं राज्य स्तर पर प्रशासनिक निगरानी को सुदृढ़ किया जाता है।
- कार्यप्रवाह का डिजिटलीकरण: मैनुअल प्रणाली से सिस्टम-आधारित कार्यप्रवाह की ओर संक्रमण से HR प्रक्रियाओं की गति व शुद्धता में वृद्धि होती है, जिससे समस्त संचालन अधिक सुचारू बनते हैं।
- निवेश सारथी के साथ एकीकरण: निवेश सारथी के साथ एकीकरण करके, पोर्टल उद्यमी मित्रों और अन्य सरकारी प्लेटफार्मों के बीच निर्बाध समन्वय सुनिश्चित करता है, जिससे संचार एवं परिचालन दक्षता में वृद्धि होती है।
उद्यमी मित्र
- मुख्यमंत्री उद्यमी मित्र योजना (2023 में प्रारंभ) के अंतर्गत, ज़िलों तथा औद्योगिक प्राधिकरणों में 110 से अधिक प्रशिक्षित उद्यमी मित्रों की नियुक्ति की गई है।
- ये मित्र निवेशकों और सरकार के मध्य संपर्क सेतु की भूमिका निभाते हैं।
- इनकी प्रमुख ज़िम्मेदारियाँ इस प्रकार हैं:
- भूमि पहचान: निवेशकों को उनकी परियोजनाओं के लिये उपयुक्त भूमि की पहचान करने में सहायता करना।
- समझौता ज्ञापन ट्रैकिंग: समझौता ज्ञापनों (MoU) के सुचारू निष्पादन और निगरानी को सुनिश्चित करना।
- निवेश प्रस्ताव सत्यापन: सरकारी नीतियों के साथ संरेखण सुनिश्चित करने के लिये निवेश प्रस्तावों का सत्यापन और वैधीकरण करना।
- औद्योगिक अंतःक्रियाएँ: उद्योगपतियों और सरकारी प्राधिकारियों के बीच सुचारू अंतःक्रिया को सुगम बनाना।
- बाधाओं का समाधान: निवेश मित्र, निवेश सारथी और OIMS (ऑनलाइन औद्योगिक प्रबंधन प्रणाली) जैसे प्लेटफार्मों के माध्यम से निवेशकों के सामने आने वाली बाधाओं को दूर करना।
उत्तर प्रदेश सरकार की अन्य निवेशक-अनुकूल पहल
- निवेश सारथी:
- उत्तर प्रदेश में निवेश सारथी एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है, जिसे राज्य में निवेश प्रक्रिया को सुविधाजनक और सुव्यवस्थित करने हेतु नवंबर 2022 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लॉन्च किया गया।
- यह प्लेटफॉर्म निवेशकों के लिये एकल-खिड़की निकासी प्रणाली के रूप में कार्य करता है तथा 50 से अधिक सरकारी विभागों की सेवाओं को एक डिजिटल पोर्टल पर एकीकृत कर उनके साथ संवाद को सरल बनाता है।
- इन्वेस्ट यूपी:
- राज्य की समर्पित नोडल एजेंसी, जो संभावित और मौजूदा निवेशकों को नीतिगत समर्थन, परियोजना सुविधा तथा देखभाल सेवाएँ प्रदान करती है।
- यह एजेंसी निवेश प्रस्तावों को गति देने और उद्योग जगत की भागीदारी को प्रोत्साहित करने हेतु यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट जैसे प्रमुख कार्यक्रमों का संचालन करती है।
- व्यापक भूमि बैंक विकास:
- उत्तर प्रदेश सरकार ने 30,000 एकड़ का भूमि बैंक विकसित किया है, विशेष रूप से एक्सप्रेस-वे के किनारे, जिसमें से 4,000 एकड़ भूमि औद्योगिक विकास हेतु पहले ही आवंटित की जा चुकी है।
विशेष क्षेत्रीय नीतियाँ:
- उत्तर प्रदेश औद्योगिक निवेश एवं रोज़गार प्रोत्साहन नीति 2022
- GCC नीति 2024 (वैश्विक क्षमता केंद्र): वैश्विक फर्मों को मेट्रो और गैर‑मेट्रो दोनों शहरों में केंद्र स्थापित करने हेतु 50% तक भूमि सब्सिडी, पूंजी सब्सिडी तथा स्थानीय प्रतिभाओं के लिये वेतन सहायता प्रदान करती है।
- SAF विनिर्माण प्रोत्साहन नीति 2025: भारत में अपनी तरह की पहली नीति, जो सतत् विमानन ईंधन उद्योगों पर ध्यान केंद्रित करते हुए प्रोत्साहन एवं सुव्यवस्थित समर्थन प्रदान करती है, जिससे निवेशकों तथा स्थानीय किसानों दोनों को लाभ होगा।
- इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्लस्टर (EMC 2.0): गौतम बुद्ध नगर में 417 करोड़ रुपए की परियोजना, जिसके माध्यम से वर्ष 2028 तक 2,500 करोड़ रुपए का निवेश आने तथा 15,000 नौकरियाँ सृजित होने की संभावना है, जो मेक इन इंडिया के अनुरूप इलेक्ट्रॉनिक्स पारिस्थितिकी तंत्र को सशक्त बनाएगी।
राजस्थान उच्च न्यायालय के नए मुख्य न्यायाधीश | राजस्थान | 22 Jul 2025
चर्चा में क्यों?
न्यायमूर्ति कल्पथी राजेंद्रन श्रीराम को राजभवन में आयोजित एक समारोह में राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने राजस्थान उच्च न्यायालय के नए मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई।
मुख्य बिंदु
न्यायमूर्ति कल्पथी राजेंद्रन श्रीराम के बारे में:

- न्यायमूर्ति श्रीराम का राजस्थान उच्च न्यायालय में कार्यकाल संभवतः 69 दिन का होगा, क्योंकि 27 सितंबर 2025 को उनकी सेवानिवृत्ति की तिथि है।
- न्यायमूर्ति श्रीराम ने मुख्य न्यायाधीश एम.एम. श्रीवास्तव का स्थान लिया है, जिन्हें मद्रास उच्च न्यायालय स्थानांतरित किया गया है।
- न्यायमूर्ति श्रीराम ने वर्ष 2013 से 26 सितंबर 2024 तक बॉम्बे उच्च न्यायालय में सेवा की थी, इसके बाद 27 सितंबर 2024 को मद्रास उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने तथा उसके बाद उनका स्थानांतरण राजस्थान उच्च न्यायालय में हो गया।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति
- संविधान का अनुच्छेद 217: यह कहता है कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI), राज्य के राज्यपाल के परामर्श से की जाएगी।
- मुख्य न्यायाधीश के अलावा किसी अन्य न्यायाधीश की नियुक्ति के मामले में उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श किया जाता है।
- परामर्श प्रक्रिया: उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सिफारिश एक कॉलेजियम द्वारा की जाती है जिसमें CJI और दो वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल होते हैं।
- यह प्रस्ताव दो वरिष्ठतम सहयोगियों के परामर्श से संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा किया जाता है।
- सिफारिश मुख्यमंत्री को भेजी जाती है, जो केंद्रीय कानून मंत्री को प्रस्ताव राज्यपाल को भेजने की सलाह देता है।
- उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति इस नीति के आधार पर की जाती है कि राज्य का मुख्य न्यायाधीश संबंधित राज्य से बाहर का होगा।
- पदोन्नति पर निर्णय कॉलेजियम द्वारा लिया जाता है।

FIDE विश्व कप 2025 भारत में आयोजित होगा | उत्तर प्रदेश | 22 Jul 2025
चर्चा में क्यों?
भारत 30 अक्तूबर 2025 से 27 नवंबर 2025 तक शतरंज विश्व कप 2025 की मेज़बानी करेगा, मेज़बान शहर की घोषणा बाद में अंतर्राष्ट्रीय शतरंज महासंघ (FIDE) द्वारा की जाएगी।
मुख्य बिंदु
विश्व कप के बारे में:
- FIDE शतरंज विश्व कप 2025 नॉकआउट प्रारूप में आयोजित किया जाएगा, जिसमें 206 खिलाड़ी भाग लेंगे।
- प्रतियोगिता में गतिशील विलोपन प्रणाली होगी, जिसमें हारने वाला खिलाड़ी प्रत्येक राउंड के बाद बाहर हो जाता है।
- प्रत्येक राउंड तीन दिनों तक चलता है: पहले दो दिन दो क्लासिकल खेल तथा यदि आवश्यक हो तो तीसरे दिन टाई-ब्रेक खेले जाएंगे।
- शीर्ष 50 खिलाड़ियों को पहले दौर में बाई (byes) दी जाएगी, जबकि शेष खिलाड़ी इस सिद्धांत के आधार पर खेलेंगे कि शीर्ष आधा भाग उलटे क्रम वाले निचले आधे भाग से स्पर्द्धा करेगा।
चयन की प्रक्रिया:
- प्रत्यक्ष प्रवेश: वर्ष 2025 शतरंज विश्व कप के शीर्ष तीन स्थान प्राप्त करने वाले खिलाड़ियों को वर्ष 2026 कैंडिडेट्स टूर्नामेंट में सीधे प्रवेश मिलेगा।
- पात्र खिलाड़ी: वर्तमान विश्व चैंपियन, 2023 विश्व कप के शीर्ष चार विजेता, महिला विश्व चैंपियन, 2024 विश्व जूनियर चैंपियन (U-20) तथा अन्य महाद्वीपीय प्रतियोगिताओं के विजेता।
- महाद्वीपीय स्थान: महाद्वीपीय आयोजनों के माध्यम से खिलाड़ियों को 80 स्थान प्रदान किये जाएंगे। प्रत्येक महाद्वीप को अलग आवंटन प्राप्त होगा (अफ्रीका: 3, एशिया: 35, यूरोप: 30, अमेरिका: 3)।
- शीर्ष रेटिंग वाले खिलाड़ी: FIDE जून 2025 रेटिंग सूची के उच्चतम रेटिंग प्राप्त खिलाड़ी आमंत्रित किये जाएंगे, साथ ही वर्ष 2024 शतरंज ओलंपियाड की शीर्ष 100 राष्ट्रीय संघों से भी खिलाड़ी चयनित होंगे।
शतरंज में भारत के योगदान
- भारत ने विश्व के कुछ सर्वाधिक प्रसिद्ध शतरंज खिलाड़ी दिये हैं, जिनमें सबसे उल्लेखनीय हैं विश्वनाथन आनंद, जो पाँच बार के विश्व चैंपियन और वर्तमान FIDE के उपाध्यक्ष हैं, जिन्होंने भारत को वैश्विक शतरंज केंद्र के रूप में स्थापित करने में मदद की है।
- गुकेश डोमाराजू, प्रज्ञानंद आर और अर्जुन एरिगैसी जैसी युवा प्रतिभाओं के उभरने से देश के शतरंज परिदृश्य में एक नया परिवर्तन आया है।
- वर्ष 2024 में, भारत ओपन और महिला शतरंज ओलंपियाड दोनों टीमों में अपना पहला स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया।
- वर्ष 2024 FIDE विश्व शतरंज चैंपियनशिप गुकेश डोमाराजू ने जीती, जो 18 वर्ष की आयु में इतिहास में सबसे कम उम्र के शतरंज विश्व चैंपियन बने।
- उन्होंने सिंगापुर में आयोजित 14-गेम के क्लासिकल मैच में मौजूदा चैंपियन डिंग लिरेन (चीन) को हराया।
- FIDE विश्व चैंपियनशिप 2024 का मैच 138 वर्षों में पहला मैच था, जिसमें एशिया से दो प्रतियोगी शामिल थे।
- प्रज्ञानंद आर 2023 विश्व कप में उपविजेता भी रहे।
- भारत में प्रमुख शतरंज प्रतियोगिताएँ: भारत ने अंतर्राष्ट्रीय शतरंज आयोजनों की सफल मेज़बानी के क्षेत्र में भी खुद को मज़बूत रूप से स्थापित किया है। हाल के कुछ उल्लेखनीय आयोजन इस प्रकार हैं:
- FIDE शतरंज ओलंपियाड 2022: यह आयोजन मामल्लपुरम में हुआ था और यह प्रशंसनीय ढंग से आयोजित किया गया।
- टाटा स्टील शतरंज इंडिया: यह वैश्विक शतरंज कैलेंडर का एक महत्त्वपूर्ण आयोजन बन चुका है।
- FIDE विश्व जूनियर U20 चैंपियनशिप 2024: भारत द्वारा आयोजित इस आयोजन ने देश की उच्च स्तरीय शतरंज आयोजनों की क्षमता को दर्शाया।
- FIDE महिला ग्रैंड प्रिक्स (2025): यह वैश्विक शृंखला का एक भाग है, जो शतरंज में महिलाओं की भागीदारी को रेखांकित करता है।
बिहार में मतदान केंद्रों की पुनर्व्यवस्था | बिहार | 22 Jul 2025
चर्चा में क्यों?
बिहार ऐसा पहला भारतीय राज्य बन गया है जिसने यह सुनिश्चित किया है कि सभी मतदान केंद्रों पर 1,200 से कम मतदाता हों , जो मतदाता सुविधा और चुनावी सुगम्यता को बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा सुधार है।
मुख्य बिंदु
मतदान केंद्र पुनर्व्यवस्था के बारे में
- प्रति बूथ संशोधित मतदाता सीमा:
- जून 2025 के राज्य अनुदेशात्मक प्रतिनिधित्व (SIR) आदेश ने मतदाताओं की भीड़ को कम करने के लिये वर्ष 2009 के मानक को पलटते हुए प्रति मतदान केंद्र मतदाताओं की अधिकतम संख्या को 1,500 से घटाकर 1,200 कर दिया।
- मतदान केंद्रों में वृद्धि:
- बिहार में 12,817 नए मतदान केंद्र जोड़े गए, जिससे कुल मतदान केंद्रों की संख्या 77,895 से बढ़कर 90,712 हो गई। इस प्रयास से सभी मतदान केंद्र मतदाताओं के 2 किमी के दायरे में आ गए हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में पहुँच में सुधार हुआ है।
- समावेशी मतदाता पंजीकरण अभियान:
- निर्वाचन अधिकारियों ने 12 राजनीतिक दलों के साथ व्यापक विचार-विमर्श किया और निम्नलिखित सूचियाँ साझा कीं
- 29.62 लाख मतदाता जिनके फॉर्म लंबित हैं,
- 43.93 लाख मतदाता अपने पंजीकृत पते पर अनुपलब्ध पाए गए।
- मसौदा मतदाता सूची समयरेखा:
- मसौदा सूची 1 अगस्त 2025 को प्रकाशित की जाएगी, जिसके बाद मतदाता SIR आदेश के अनुसार एक महीने के लिये दावे, आपत्तियाँ या सुधार प्रस्तुत कर सकेंगे।
चुनावी प्रबंधन पर प्रभाव
- एक राष्ट्र, एक चुनाव (ONOE) पर प्रभाव:
- मतदाता सीमा को युक्तिसंगत बनाने से ONOE की व्यवस्था प्रभावित होगी, विशेष रूप से EVM-VVPAT और मतदान कर्मियों की आवश्यकता पर असर पड़ेगा।
- भारतीय निर्वाचन आयोग ने पहले वर्ष 2029 में एक साथ चुनाव कराने के लिये 13.57 लाख से अधिक बूथों और 7,950 करोड़ रुपए की लागत का अनुमान लगाया था।
- न्यायिक हस्तक्षेप से सुधार को बढ़ावा:
- दिसंबर 2024 में सर्वोच्च न्यायालय में दायर एक याचिका में लंबी कतारों और मतदाताओं की उदासीनता का हवाला देते हुए 1,200 मतदाताओं की सीमा को वापस लाने की मांग की गई थी।
- चुनाव आयोग का यह सुधार 1,500 मतदाताओं की सीमा के अंतर्गत मतदाता असुविधा और अकुशलता के बारे में न्यायालय की चिंताओं के अनुरूप है।
- बूथ आकार मानदंडों का ऐतिहासिक विकास:
- वर्ष 2009 से पहले: प्रति केंद्र 1,200 मतदाता (मानक)।
- EVM के बाद (2009): सीमा को 1,500 तक बढ़ा दिया गया।
- कोविड के दौरान: सीमा को 1,000-1,200 तक कम किया गया।
- वर्ष 2024 के आम चुनाव: सीमा पुनः 1,500 किया गया।
- वर्ष 2025 के बाद: बिहार से शुरुआत करते हुए, पुनः देश में 1,200 किया गया है।
- सुधार का महत्त्व
- अन्य राज्यों के लिये उदाहरण: चुनाव आयोग ने बिहार की पहल को अन्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिये एक आदर्श बताया है। आगामी चुनावों से पहले इस सीमा को लागू करने के लिये देश में 3 लाख से ज़्यादा नए बूथों की ज़रूरत पड़ सकती है।
- प्रशासनिक और वित्तीय बोझ: इस परिवर्तन से चुनाव संबंधी बुनियादी ढाँचे की लागत बढ़ेगी, साथ ही EVM, VVPAT और कार्मिकों की माँग भी बढ़ेगी।
- चुनावी लोकतंत्र को मज़बूत करना: इन परिवर्तनों का उद्देश्य मतदाता भागीदारी की गुणवत्ता को बढ़ाना, मताधिकार से वंचितता को कम करना और यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक पात्र मतदाता पंजीकृत हो और आसानी से मतदान कर सके।
काशी घोषणा-पत्र | उत्तर प्रदेश | 22 Jul 2025
चर्चा में क्यों?
वाराणसी के रुद्राक्ष अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर में आयोजित युवा आध्यात्मिक शिखर सम्मेलन ‘काशी घोषणा-पत्र’ को औपचारिक रूप से अपनाने के साथ संपन्न हुआ, जो वर्ष 2047 तक नशा मुक्त समाज की दिशा में भारत की यात्रा में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है।
मुख्य बिंदु
युवा आध्यात्मिक शिखर सम्मेलन के बारे में:
- युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा आयोजित इस शिखर सम्मेलन में 600 से अधिक युवा नेता और 120 आध्यात्मिक तथा सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों के प्रतिनिधि एकत्र हुए।
- शिखर सम्मेलन ने नशीली दवाओं के दुरुपयोग के मनोवैज्ञानिक और सामाजिक प्रभावों, नशीली दवाओं की तस्करी की कार्यप्रणाली और ज़मीनी स्तर पर जागरूकता के लिये रणनीतियों पर गहन चर्चा के लिये एक मंच प्रदान किया।
- इसमें चार सत्र आयोजित किये गए, जिनका समापन काशी घोषणा-पत्र के साथ हुआ। सत्रों के दौरान चर्चा किये गए प्रमुख विषय थे:
- व्यसन के मनोवैज्ञानिक प्रभाव
- नशीली दवाओं की आपूर्ति श्रृंखला और तस्करी तंत्र को समझना
- नशीली दवाओं के प्रति जागरूकता के लिये प्रभावी ज़मीनी स्तर पर अभियान
- पुनर्वास में आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संस्थाओं की भूमिका
काशी घोषणा-पत्र:
- काशी घोषणा-पत्र नशीली दवाओं के दुरुपयोग को एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट और सामाजिक चुनौती के रूप में देखने की आम सहमति को दर्शाता है।
- इसमें संपूर्ण सरकार और संपूर्ण समाज के दृष्टिकोण की माँग की गई है, जिसमें आध्यात्मिक, शैक्षिक और तकनीकी क्षेत्रों के प्रयासों को एकीकृत किया गया है।
- घोषणा-पत्र में बहु-मंत्रालयी समन्वय, जवाबदेही सुनिश्चित करने और प्रगति पर नज़र रखने के लिये एक संयुक्त राष्ट्रीय समिति की स्थापना का प्रस्ताव है।
- घोषणा-पत्र में वार्षिक प्रगति रिपोर्ट और नशे की लत से जूझ रहे व्यक्तियों को सहायता सेवाओं से जोड़ने के लिये एक राष्ट्रीय मंच की भी माँग की गई है।
युवा-नेतृत्व वाले अभियान और मेरा भारत ढाँचा:
- ‘माई भारत’ पूरे देश में नशीली दवाओं के दुरुपयोग से निपटने के लिये युवाओं के नेतृत्व में प्रयासों को आगे बढ़ाने में अग्रणी भूमिका निभाएगा।
- ‘माई भारत’ से संबद्ध युवा क्लब और स्वयंसेवक जागरूकता अभियान, संकल्प अभियान और सामुदायिक संपर्क प्रयासों का नेतृत्व करेंगे, जिससे इस आंदोलन की स्थिरता सुनिश्चित होगी।
- काशी घोषणा-पत्र मार्गदर्शक दस्तावेज़ के रूप में काम करेगा, जो युवा समूहों और नीति निर्माताओं के प्रयासों को निर्देशित करेगा और प्रगति व जवाबदेही के लिये विकसित भारत युवा नेता संवाद 2026 के दौरान इसकी समीक्षा की जाएगी।
नोट:
- मेरा भारत पोर्टल, जिसे आधिकारिक रूप से माई भारत (MY Bharat) के रूप में जाना जाता है, भारत सरकार द्वारा स्थापित एक व्यापक युवा-केंद्रित मंच है, जिसे प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रीय एकता दिवस, 31 अक्तूबर 2023 को लॉन्च किया गया है।
- यह युवा मामले एवं खेल मंत्रालय द्वारा एक स्वायत्त निकाय के रूप में संचालित किया जाता है, जिसे विशेष रूप से 15 से 29 वर्ष की आयु के युवाओं के लिये विकसित किया गया है (10–19 वर्ष की आयु वालों के लिये कुछ गतिविधियाँ भी शामिल हैं), जो राष्ट्रीय युवा नीति, 2014 के अनुरूप है।