विश्व पर्यावास दिवस | राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स | 09 Oct 2025
चर्चा में क्यों?
आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) ने विज्ञान भवन, नई दिल्ली में “संकट के लिये शहरी समाधान” विषय के साथ विश्व पर्यावास दिवस 2025 मनाया।
- इस कार्यक्रम में जलवायु परिवर्तन, प्रवासन और तीव्र शहरीकरण जैसी चुनौतियों से निपटने हेतु शहरों को अधिक लचीला, समावेशी और सतत् बनाने के महत्त्व पर प्रकाश डाला गया।
मुख्य बिंदु
- पृष्ठभूमि:
- वर्ष 1985 में, संयुक्त राष्ट्र ने अक्तूबर के पहले सोमवार को विश्व पर्यावास दिवस के रूप में घोषित किया।
- यह दिवस पहली बार वर्ष 1986 में "आश्रय मेरा अधिकार है" थीम के साथ मनाया गया था और नैरोबी इसका मेज़बान शहर था।
- उद्देश्य:
- यह दिवस आवास की स्थिति पर विचार करने तथा सभी व्यक्तियों के लिये पर्याप्त आश्रय तक पहुँच के मौलिक अधिकार पर ज़ोर देने के लिये मनाया जाता है।
- विषय 2025:
- 6 अक्तूबर को मनाए जाने वाले विश्व पर्यावास दिवस 2025 का विषय “शहरी संकट प्रतिक्रिया” था।
- यह जलवायु परिवर्तन और संघर्षों जैसी चुनौतियों से उत्पन्न शहरी असमानता को संबोधित करने तथा प्रभावी संकट प्रतिक्रिया उपकरणों और दृष्टिकोणों को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
स्क्रॉल ऑफ ऑनर पुरस्कार
- संयुक्त राष्ट्र मानव पर्यावास कार्यक्रम (UN-Habitat) द्वारा वर्ष 1989 में शुरू किया गया स्क्रॉल ऑफ ऑनर अवार्ड मानव बस्तियों के क्षेत्र में विश्व का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार है।
- यह पुरस्कार निम्नलिखित क्षेत्रों में असाधारण योगदान को मान्यता देता है:
- आश्रय प्रावधान: पर्याप्त और सुलभ आवास।
- निराश्रित लोगों की दुर्दशा पर प्रकाश डालना।
- संघर्षोत्तर पुनर्निर्माण में नेतृत्व।
- शहरी जीवन की गुणवत्ता और मानव बस्तियों में सुधार करना।
मध्य प्रदेश में 10वीं शताब्दी की मूर्तियाँ मिलीं | मध्य प्रदेश | 09 Oct 2025
चर्चा में क्यों?
पुरातत्त्वविदों को मध्य प्रदेश के दमोह ज़िले के डोनी गाँव में 10वी–11वीं शताब्दी की 15 दुर्लभ मूर्तियाँ प्राप्त हुई हैं, जो कलचुरी काल की समृद्ध मंदिर वास्तुकला को प्रदर्शित करती हैं।
- इन मूर्तियों ने विशेषज्ञों को आश्चर्यचकित कर दिया है और ये मध्य भारत में मध्ययुगीन मंदिर वास्तुकला के इतिहास को पुनर्परिभाषित कर सकती हैं।
मुख्य बिंदु
- राज्य पुरातत्त्व विभाग (उत्तरी क्षेत्र) ग्वालियर के उप-निदेशक पी.सी. महोबिया के नेतृत्व में एक दल अप्रैल 2025 से इस स्थल का उत्खनन कर रहा है।
- लाल बलुआ पत्थर से निर्मित ये मूर्तियाँ विविध देवी-देवताओं का प्रतिनिधित्व करती हैं, जिनमें अर्द्धनारीश्वर और नरसिंह जैसी दुर्लभ मूर्तियाँ भी सम्मिलित हैं।
- इन कलाकृतियों की खोज ने इतिहासकारों और विद्वानों का ध्यान आकर्षित किया है, जो मध्य प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत में एक महत्त्वपूर्ण योगदान है।
- कलाकृतियाँ:
- नरसिंह मूर्ति: अर्द्ध-मानव, अर्द्ध-सिंह रूप में मिली यह मूर्ति ऊपर से सुरक्षित है, जबकि इसका निचला भाग क्षतिग्रस्त है।
- अर्द्धनारीश्वर मूर्ति: शिव और पार्वती का अद्वितीय संयुक्त रूप, जिसमें नंदी पार्वती को उठाए हुए हैं, जो अत्यंत दुर्लभ चित्रण है।
- अन्य मूर्तियाँ: ब्रह्मा, वायु, नायिका तथा पार्वती की मूर्तियाँ भी उत्खनन में प्राप्त हुई हैं, जो अत्यधिक सूक्ष्मता और कलात्मकता के साथ निर्मित हैं।
- महत्त्व
- ये मूर्तियाँ कलचुरी काल की मंदिर वास्तुकला तथा धार्मिक प्रतीकवाद की उत्कृष्ट झलक प्रस्तुत करती हैं तथा मध्यकालीन हिंदू मूर्तिकला की समझ को और गहराई प्रदान करती हैं।
- विशेष रूप से अर्द्धनारीश्वर की वह अद्वितीय प्रतिमा, जिसमें नंदी को पार्वती को वहन करते हुए दर्शाया गया है, पारंपरिक मूर्तिशिल्प प्रतिमानों को चुनौती देती है और शैक्षणिक अध्ययन के नये आयाम खोलती है।
- लाल बलुआ पत्थर से निर्मित इन मूर्तियों का सांस्कृतिक एवं संभावित आर्थिक मूल्य अत्यंत उच्च माना जा रहा है।
कलचुरी राजवंश
- उत्पत्ति:
- कलचुरियों को हैहय (Haihayas) के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि इनकी उत्पत्ति क्षत्रिय जनजाति से हुई थी।
- इनका उल्लेख ब्राह्मण महाकाव्यों और पुराणों में मिलता है। प्रारंभिक कलचुरी, या महिष्मती के शासक, वर्तमान गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के क्षेत्रों पर शासन करते थे।
- प्रारंभिक शासक:
- उल्लेखनीय प्रारंभिक शासकों में कृष्णराज, शंकरगण और बुद्धराज (550-620 ई.) शामिल हैं। अपने प्रारंभिक उत्थान के बावजूद, कलचुरियों ने वातापी के चालुक्यों तथा वल्लभी के मैत्रकों जैसे शक्तिशाली पड़ोसी राज्यों के विरुद्ध संघर्ष किया, जिसके परिणामस्वरूप उनका पतन हुआ।
- वैवाहिक संबंध:
- अपनी स्थिति सुदृढ़ करने के लिये, कलचुरियों ने पूर्वी और पश्चिमी चालुक्यों के साथ वैवाहिक संबंध बनाए। सैन्य पराजय के बाद भी, इन गठबंधनों ने उनके राजनीतिक अस्तित्व को बचाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- चेदि के कलचुरी:
- चेदि के कलचुरी, जिनकी राजधानी त्रिपुरी (अब जबलपुर) थी, 9वीं शताब्दी में प्रमुख शक्ति के रूप में उभरे।
- इस शाखा के प्रथम प्रभावशाली शासक कोक्कलदेव प्रथम थे, जिन्होंने प्रतिहार सम्राट भोज प्रथम और राष्ट्रकूट नरेश कृष्ण द्वितीय को पराजित किया। इसके परिणामस्वरूप कलचुरियों के राष्ट्रकूटों के साथ वैवाहिक संबंध स्थापित हुए।
- धर्म को शाही संरक्षण:
- कलचुरी शासक, विशेष रूप से युवराज प्रथम, ब्राह्मण धर्म के प्रबल संरक्षक थे और उन्होंने शैव संप्रदाय को विशेष संरक्षण प्रदान किया।
- उन्होंने धार्मिक प्रतिष्ठानों के लिये अनेक भूमि अनुदान दिये और युवराज प्रथम ने दुर्वासा जैसे शैव संतों का समर्थन किया, जिन्होंने गोलकि मठ की स्थापना की।
- कलचुरियों ने शैव, शाक्त, जैन और बौद्ध धर्म सहित विविध धार्मिक परंपराओंको संरक्षण दिया।
- कलचुरियों के समय में योगिनी पंथ प्रचलित था, जिसकी झलक खजुराहो, भेराघाट और शहडोल के मंदिरों में देखी जा सकती है।
मैलानी-नानपारा ट्रैक हेरिटेज रूट घोषित | उत्तर प्रदेश | 09 Oct 2025
चर्चा में क्यों?
भारतीय रेलवे द्वारा उत्तर प्रदेश के दुधवा राष्ट्रीय उद्यान से गुजरने वाली 171 किमी लंबी मैलानी–नानपारा मीटर गेज रेल लाइन को हेरिटेज रूट घोषित किया है।
मुख्य बिंदु
- मैलानी–नानपारा मीटर गेज रेलवे लाइन, जिसका निर्माण लगभग 130 वर्ष पूर्व अंग्रेज़ों द्वारा कई चरणों में किया गया था, में 16 स्टेशन, 71 पुल और मैलानी तथा नानपारा पर अद्वितीय दोहरे गेज स्टेशन शामिल हैं।
- प्रथम संरक्षित मीटर गेज लाइन: यह पूर्वोत्तर रेलवे (NER) की पहली मीटर गेज लाइन है, जिसे संरक्षित किया गया है तथा इसे ब्रॉड गेज में परिवर्तित करने के बजाए इसके मौलिक रूप (नैरो गेज) को बनाए रखा गया है।
- सतत् पर्यटन मॉडल: पूर्वोत्तर रेलवे ने मैलानी और दुधवा जैसे प्रमुख स्टेशनों पर पारंपरिक रेलवे उपकरणों को संरक्षित रखने तथा मीटर-गेज डीज़ल इंजनों को समर्पित सुविधाओं पर बनाए रखने की योजना बनाई है।
- हेरिटेज टूरिज़्म का शुभारंभ: वर्ष 2022 में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा मैलानी–बिछिया AC टूरिस्ट कोच का शुभारंभ किया गया, जिससे इस क्षेत्र में हेरिटेज टूरिज़्म की शुरुआत हुई।
- इस नए हेरिटेज दर्जे से पारिस्थितिकी पर्यटन को बढ़ावा, क्षेत्रीय संपर्क में सुधार तथा स्थानीय आजीविका को प्रोत्साहन मिलने की संभावना है।
- अन्य प्रमुख घटनाक्रम:
- लखीमपुर–मैलानी ब्रॉड गेज खंड के पीलीभीत तक विस्तार से मैलानी जंक्शन अब हेरिटेज और आधुनिक रेलवे संरचना के बीच एक कड़ी बन गया है।
- हाल ही में नानपारा जंक्शन के माध्यम से बहराइच से नेपालगंज रोड खंड को भी पूरी तरह से इलेक्ट्रिक ब्रॉड-गेज ट्रैक के रूप में चालू किया गया, जिससे क्षेत्रीय संपर्क में और वृद्धि हो गई है।
- अप्रैल 2025 में, गोरखपुर जंक्शन के 140 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में मैलानी से दुधवा तक विशेष हेरिटेज पर्यटक ट्रेन संचालित की गई।
दुधवा राष्ट्रीय उद्यान
- स्थापना:
- दुधवा राष्ट्रीय उद्यान उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी ज़िले में भारत–नेपाल सीमा पर स्थित है, जिसकी स्थापना वर्ष 1977 में 490 वर्ग किमी क्षेत्रफल में विस्तृत एक संरक्षित क्षेत्र के रूप में की गई थी।
- दलदली हिरण (बारहसिंगा) की आबादी को विलुप्त होने से बचाने के लिये, उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 1958 में इस क्षेत्र को वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया।
- वर्ष 1977 में इस अभयारण्य को राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया तथा वन्यजीव संरक्षण उपायों को सशक्त करने के लिये इसमें अतिरिक्त क्षेत्र भी शामिल किये गए।
- इस पार्क को वर्ष 1987 में टाइगर रिज़र्व भी घोषित किया गया था, क्योंकि इस क्षेत्र में बंगाल टाइगर्स की उल्लेखनीय आबादी पाई जाती है।
- जैव विविधता:
- इसके पारिस्थितिकी तंत्र में घास के मैदान, दलदल और तराई क्षेत्र के विशिष्ट घने साल के जंगल शामिल हैं।
- संरक्षण:
- प्रमुख पहलों में आवास पुनर्स्थापन और दलदली हिरण तथा बारहसिंघा जैसी लुप्तप्राय प्रजातियों का पुनःप्रवेश शामिल है।
- उद्यान की जैवविविधता को संरक्षित करते हुए सतत् पर्यटन को बढ़ावा देने और स्थानीय अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने हेतु इको-टूरिज़्म कार्यक्रम संचालित किये गए हैं।
जय प्रकाश नारायण की पुण्यतिथि | बिहार | 09 Oct 2025
चर्चा में क्यों?
8 अक्तूबर 2025 को भारत के उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने जयप्रकाश नारायण की पुण्यतिथि के अवसर पर संविधान सदन में उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की।
मुख्य बिंदु
जयप्रकाश नारायण के बारे में

- जन्म:
- जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्तूबर 1902 को बिहार के सिताबदियारा में फूल रानी देवी और हर्षु दयाल के घर में हुआ था।
- वर्ष 1920 में उनकी शादी वकील एवं कांग्रेस नेता ब्रज किशोर प्रसाद की बेटी प्रभावती से हुई।
- शिक्षा:
- उन्होंने पटना कॉलेजिएट स्कूल में पढ़ाई की और बाद में पटना कॉलेज में प्रवेश किया, लेकिन ब्रिटिश फंडिंग के कारण उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी। इसके बाद वे बिहार विद्यापीठ, एक असहयोग संस्था में दाखिला लिया।
- वर्ष 1922 से 1929 तक उन्होंने अमेरिका के विभिन्न विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा प्राप्त की, समाजशास्त्र पर ध्यान केंद्रित किया और मार्क्सवादी-लेनिनवादी विचारों, विशेष रूप से एम.एन. रॉय के विचारों से प्रभावित हुए।
- भारत वापसी:
- सविनय अवज्ञा आंदोलन में भागीदारी:
- जयप्रकाश ने सविनय अवज्ञा आंदोलन में भाग लिया और एक भूमिगत कार्यालय का गठन किया। सितंबर 1932 में उन्हें गिरफ्तार कर नासिक सेंट्रल जेल भेज दिया गया, जहाँ उनकी मुलाकात भविष्य के प्रमुख नेताओं से हुई तथा उन्होंने अपने समाजवादी आदर्शों को और सुदृढ़ किया।
- कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी (CSP) का गठन:
- नासिक जेल में जयप्रकाश और अन्य नेताओं ने स्वतंत्रता आंदोलन में समाजवादी आदर्शों को शामिल करने के लिये कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी (CSP) का गठन किया, जिसमें चुनावी भागीदारी और जन संघर्ष की वकालत की गई।
- भारत छोड़ो आंदोलन और गिरफ्तारियाँ:
- वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान, जयप्रकाश ने हज़ारीबाग सेंट्रल जेल से भाग कर ब्रिटिश शासन के खिलाफ नेपाल में “आज़ाद दस्ता” का गठन किया
- वर्ष 1943 में उन्हें फिर से गिरफ्तार किया गया और कठोर व्यवहार सहना पड़ा। व्यापक जन दबाव के कारण वर्ष 1946 में उन्हें रिहा किया गया, जिससे उन्हें “भारतीयों का हृदय” की उपाधि मिली।
- स्वतंत्रता के बाद योगदान:
- भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद, जयप्रकाश विनोबा भावे के नेतृत्व वाले सर्वोदय आंदोलन में शामिल हो गए। उन्होंने भूदान आंदोलन के लिये अपनी भूमि दान कर दी और ग्रामीण भारत में सामाजिक सुधारों के लिये सक्रिय रूप से कार्य किया।
- संपूर्ण क्रांति और राजनीतिक विरासत:
- 1970 के दशक में, उन्होंने भ्रष्टाचार और लोकतांत्रिक पतन को दूर करने के लिये "संपूर्ण क्रांति" का आह्वान किया।
- उनके प्रयासों से वर्ष 1977 में जनता पार्टी का गठन हुआ, जिसने इंदिरा गांधी को सत्ता से हटाया।
- उनका निधन 8 अक्तूबर,1979 को हुआ था, लेकिन उन्होंने भारत के राजनीतिक परिदृश्य पर स्थायी प्रभाव छोड़ा।
राजस्थान भारत का सबसे बड़ा सीमेंट उत्पादक राज्य | राजस्थान | 09 Oct 2025
चर्चा में क्यों?
राजस्थान अब आंध्र प्रदेश को पीछे छोड़ते हुए देश का सबसे बड़ा सीमेंट उत्पादक राज्य बनने की दिशा में अग्रसर है।
मुख्य बिंदु
- जैसलमेर में विस्तार योजनाएँ:
- रेगिस्तानी ज़िले जैसलमेर में वर्ष 2026 से 2029 के बीच छः नए सीमेंट संयंत्रों की स्थापना के साथ यह क्षेत्र एक प्रमुख सीमेंट उत्पादन केंद्र के रूप में स्थापित हो रहा है।
- ऐतिहासिक रूप से अपनी पर्यटन-आधारित अर्थव्यवस्था के लिये प्रसिद्ध, जैसलमेर ने विगत 15 वर्षों में सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाओं में बड़े निवेश आकर्षित किये हैं। अब सीमेंट निर्माण के जुड़ने से ज़िले के औद्योगिक आधार में और विविधता आएगी।
- निवेश अवलोकन:
- इन संयंत्रों में 17,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश होगा। इनसे राजस्थान की वर्तमान सीमेंट उत्पादन क्षमता में 16 मिलियन टन की वृद्धि होने की संभावना है।
- वर्तमान स्थिति:
- वर्तमान में आंध्र प्रदेश 62.5 मिलियन टन की स्थापित क्षमता के साथ अग्रणी राज्य है, जबकि राजस्थान 55 मिलियन टन के साथ दूसरे स्थान पर है।
- वर्तमान में, चित्तौड़गढ़ राजस्थान का अग्रणी सीमेंट उत्पादक है, जहाँ देश के कुछ सबसे बड़े सीमेंट निर्माताओं के प्रमुख संयंत्र स्थित हैं।
- इसके अतिरिक्त नागौर ज़िले में भी नए सीमेंट संयंत्रों का निर्माण हो रहा है, जिससे राजस्थान के सीमेंट उत्पादन को और बढ़ावा मिलेगा।
- चूना पत्थर भंडार:
- राजस्थान में 2.5 अरब टन चूना पत्थर भंडार है, जो भारत के कुल प्रमाणित चूना पत्थर भंडार का लगभग 26% है।
- यही कारण है कि राज्य सीमेंट उत्पादन के लिये एक आदर्श स्थान माना जाता है।
- राजस्थान की प्रमुख उत्तरी और पश्चिमी बाज़ारों से निकटता तथा मज़बूत परिवहन अवसंरचना, राज्य में सीमेंट उद्योग की व्यवहार्यता को और सुदृढ़ करती है।
93वाँ वायु सेना दिवस | राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स | 09 Oct 2025
चर्चा में क्यों?
एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने 93वें वायुसेना दिवस पर राष्ट्र को शुभकामनाएँ दीं और उन साहसी वायु सैनिकों को सम्मानित किया, जिन्होंने त्याग, समर्पण और कौशल के साथ देश की रक्षा की।
मुख्य बिंदु
- परिचय:
- यह दिवस 8 अक्तूबर 1932 को भारतीय वायु सेना (IAF) की स्थापना के सम्मान में प्रतिवर्ष 8 अक्तूबर को मनाया जाता है।
- भारतीय वायुसेना की पहली परिचालन उड़ान 1 अप्रैल 1933 को हुई, जिसने दशकों से भारत की रक्षा को आकार देने वाली वायु शक्ति की नींव रखी।
- सीमित कार्मिक और विमानों वाली छोटी सेना से भारतीय वायुसेना अब विश्व की चौथी सबसे बड़ी वायु सेना बन गई है, जो विभिन्न सैन्य और मानवीय मिशनों में सक्रिय है।
- आदर्श वाक्य:
- भारतीय वायुसेना का आदर्श वाक्य ' नभः स्पर्शं दीप्तम्' है, जो भगवद्गीता के ग्यारहवें अध्याय से लिया गया है।
- विषय:
- समारोह:
- इस वर्ष के समारोह में राफेल, Su-30MKI, C-17 ग्लोबमास्टर, अपाचे गार्जियन और अन्य विमानों के साथ भव्य फ्लाईपास्ट, साथ ही परेड, एयर शो और भारतीय वायुसेना की तकनीकी प्रगति और परिचालन तत्परता को प्रदर्शित करने वाली प्रदर्शनियाँ शामिल थीं, साथ ही प्रतिष्ठित मिग-21 को विदाई दी गई।
- यह परेड उत्तर प्रदेश के हिंडन एयर बेस पर आयोजित की गई।
- हेरिटेज फ्लाइट के भाग के रूप में, पुनर्स्थापित हिंदुस्तान ट्रेनर-2 (HT-2) विमान, जो कि पहला स्वदेशी निर्मित भारतीय वायुसेना का विमान है, को भी पहली बार प्रदर्शित किया गया।
- पारंपरिक फ्लाईपास्ट और हवाई प्रदर्शन 9 नवंबर को गुवाहाटी में आयोजित किया जाएगा, जो इस वर्ष के वायु सेना दिवस समारोह का समापन होगा।