पूर्णिया में लिंग-वर्गीकृत वीर्य प्रयोगशाला | 16 Sep 2025

चर्चा में क्यों? 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के पूर्णिया वीर्य केंद्र में अत्याधुनिक लिंग-वर्गीकृत वीर्य प्रयोगशाला का उद्घाटन किया। 

मुख्य बिंदु 

  • प्रयोगशाला के बारे में: 
    • लिंग-वर्गीकृत वीर्य प्रयोगशाला, जिसे राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत 10 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता से विकसित किया गया है, डेयरी क्षेत्र में परिवर्तन लाने के उद्देश्य से स्थापित की गई है। इसकी उत्पादन क्षमता 5 लाख डोज़ (doses) प्रति वर्ष है। 
  • स्वदेशी प्रौद्योगिकी: 
    • प्रधानमंत्री द्वारा 5 अक्तूबर, 2024 को लॉन्च की गई गौसॉर्ट (Gausort) प्रौद्योगिकी इस प्रयोगशाला का महत्त्वपूर्ण घटक है। 
    • यह प्रौद्योगिकी वीर्य को वर्गीकृत करके लगभग 90% सटीकता से मादा बछड़ों का जन्म सुनिश्चित करती है, जो डेयरी किसानों के आर्थिक बोझ को कम करने में सहायक है। 
  • महत्त्व:  
    • यह सुविधा सुनिश्चित करती है कि लिंग-वर्गीकृत वीर्य किसानों को, विशेष रूप से पूर्वी और उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में, उचित दरों पर उपलब्ध हो, जो 'मेक इन इंडिया' तथा 'आत्मनिर्भर भारत' पहल के अनुरूप है। 
    • यह प्रौद्योगिकी मादा बछड़ों के उत्पादन को बढ़ावा देती है, जो डेयरी फार्मिंग के लिये महत्त्वपूर्ण हैं तथा इससे किसान, विशेष रूप से डेयरी से जुड़े छोटे, सीमांत किसान और भूमिहीन मज़दूरों को प्रत्यक्ष आर्थिक लाभ मिलता है। 
  • पूर्णिया वीर्य केंद्र 
    • 84.27 करोड़ रुपये की केंद्रीय अनुदान से स्थापित पूर्णिया वीर्य केंद्र भारत में सबसे बड़े सरकारी स्वामित्व वाले वीर्य केंद्रों में से एक है तथा पूर्वी और पूर्वोत्तर राज्यों के लिये अपनी तरह का पहला केंद्र है। 
    • यह केंद्र वर्तमान में प्रतिवर्ष 50 लाख डोज़ का उत्पादन कर रहा है, जो इस क्षेत्र में डेयरी उद्योग की वृद्धि में महत्त्वपूर्ण योगदान दे रहा है।

राष्ट्रीय गोकुल मिशन (RGM) 

  • परिचय: 
    • RGM, जिसे वर्ष 2014 में मछली पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा लॉन्च किया गया था, का उद्देश्य स्वदेशी गौवंशीय नस्लों का विकास तथा संरक्षण करना है। 
    • इसे पशुपालन और डेयरी विभाग द्वारा कार्यान्वित किया जाता है। 
    • यह मिशन राष्ट्रीय पशुधन विकास योजना के तहत वर्ष 2021 से 2026 की अवधि के लिये 2400 करोड़ रुपये के बजट परिव्यय के साथ जारी है। 
  • आवश्यकता: 
    • पुंगनूर (आंध्र प्रदेश) जैसी देशी गौवंशीय नस्लों का पतन, बहुमूल्य आनुवंशिक संसाधनों के लिये खतरा है। ये नस्लें जलवायु-प्रतिरोधी हैं, उच्च गुणवत्ता वाला दूध देती हैं और स्थानीय वातावरण के अनुकूल ढल जाती हैं, जिससे संरक्षण प्रयासों की आवश्यकता उजागर होती है। 
  • उद्देश्य:  
    • RGM का उद्देश्य गोजातीय उत्पादकता तथा उच्च गुणवत्ता वाले प्रजनन को बढ़ावा देना तथा कृत्रिम गर्भाधान सेवाओं को सशक्त करना है। 
      • कृत्रिम गर्भाधान एक प्रजनन प्रौद्योगिकी है, जिसमें गर्भधारण के लिये शुक्राणु को मादा के प्रजनन अंग में कृत्रिम रूप से प्रवेश कराया जाता है। 
  • घटक: 
    • उच्च आनुवंशिक योग्यता: RGM वंश परीक्षण, पीढ़ी चयन, जीनोमिक चयन और जर्मप्लाज्म आयात के माध्यम से बैल उत्पादन (Bull production) द्वारा आनुवंशिक योग्यता को बढ़ाता है।  
      • यह वीर्य केंद्रों को सशक्त बनाता है, सुनिश्चित गर्भधारण के लिये इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) प्रौद्योगिकी को लागू करता है और पशुधन में आनुवंशिक सुधार के लिये नस्ल गुणन फार्म (breed multiplication farms) स्थापित करता है। 
    • कृत्रिम गर्भाधान नेटवर्क: देश में कृत्रिम गर्भाधान तक पहुँच बढ़ाने के लिये ग्रामीण भारत में बहुउद्देशीय कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियनों (MAITRI) की स्थापना को बढ़ावा दिया जाता है। 
    • डेटा प्रबंधन और सेवा वितरण: RGM के तहत राष्ट्रीय डिजिटल पशुधन मिशन को कार्यान्वित किया जाता है, जिससे डेटा प्रबंधन तथा सेवा वितरण में सुधार होता है। 
    • देशी नस्लों का संरक्षण: देशी मवेशियों की देखभाल और संरक्षण के लिये गौशालाओं को समर्थन प्रदान किया जाता है। 
    • कौशल विकास और जागरूकता: क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों में कौशल विकास तथा जागरूकता बढ़ाई जाती है, साथ ही गोजातीय प्रजनन में अनुसंधान और नवाचार का समर्थन किया जाता है। 
    • वित्तपोषण: RGM के सभी घटकों को बड़े पैमाने पर 100% अनुदान सहायता के आधार पर वित्त पोषित किया जाता है, जबकि कुछ विशिष्ट घटकों में आंशिक सब्सिडी भी प्रदान की जाती है (जैसे, IVF गर्भधारण, लिंग क्रमबद्ध वीर्य, और नस्ल गुणन फार्म)।