पीआरएस कैप्सूल्स

फरवरी 2021 | 27 Mar 2021 | विविध

PRS के प्रमुख हाइलाइट्स

केंद्रीय बजट 2021-22

केंद्रीय बजट 2021-22

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021-22 का केंद्रीय बजट पेश किया। 

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15वाँ वित्त आयोग 

वित्त आयोग एक ऐसी संवैधानिक संस्था है जिसे केंद्र और राज्य सरकारों के बीच वित्तीय संबंधों पर सुझाव देने के लिये राष्ट्रपति द्वारा गठित किया जाता है। 

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समष्टि आर्थिक (मैक्रोइकोनॉमिक) विकास

GDP में  0.4% की वृद्धि

वर्ष 2019-20 की तीसरी तिमाही (अक्तूबर-दिसंबर 2020) के मुकाबले वर्ष 2020-21 में इसी अवधि के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product- GDP) में 0.4% प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 

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रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट क्रमशः 4% और 3.35% पर अपरिवर्तनीय

मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee- MPC) ने वर्ष 2020-21 का छठा द्विमासिक मौद्रिक नीतिगत वक्तव्य जारी किया। पॉलिसी रेपो रेट (जिस दर पर RBI बैंकों को ऋण देता है) 4% पर बरकरार है। 

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विधि एवं न्याय

ट्रिब्यूनल सुधार (सुव्यवस्थीकरण और सेवा की शर्तें) विधेयक, 2021

ट्रिब्यूनल सुधार (सुव्यवस्थीकरण और सेवा की शर्तें) विधेयक [Tribunals Reforms (Rationalisation and Conditions of Service) Bill], 2021 को लोकसभा में पेश किया गया था। यह विधेयक कुछ मौजूदा अपीलीय ट्रिब्यूनल्स को भंग करने और उनके कार्यों (जैसे- अपीलों पर न्यायिक निर्णय लेना) को दूसरे मौजूदा न्यायिक निकायों (मुख्य रूप से उच्च न्यायालय) को ट्रांसफर करने का प्रयास करता है। इन अपीलीय निकायों में निम्नलिखित शामिल हैं: 

(i) चलचित्र अधिनियम (Cinematograph Act), 1952 के अंतर्गत अपीलीय ट्रिब्यूनल। 
(ii) व्यापार चिह्न अधिनियम (Trademark Act) 1999 के अंतर्गत अपीलीय बोर्ड। 
(iii) पेटेंट्स एक्ट, 1970 के अंतर्गत अपीलीय बोर्ड। 

वित्त अधिनियम, 2017 केंद्र सरकार को यह अधिकार देता है कि वह 19 ट्रिब्यूनल्स (जैसे- सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क और सेवा कर अपीलीय ट्रिब्यूनल) के सदस्यों की योग्यता, उनकी सेवा की अवधि और शर्तों तथा खोज-सह-चयन समितियों (Search-Cum-Selection Committees) के संयोजन से संबंधित नियमों को अधिसूचित कर सकती है। विधेयक 2017 के अधिनियम में संशोधन करता है ताकि खोज-सह-चयन समितियों के संयोजन और सदस्यों के कार्यकाल की अवधि के प्रावधानों को उसमें शामिल किया जा सके। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं:

विधेयक में निर्दिष्ट है कि केंद्र सरकार को समिति के सुझाव की तारीख से तीन महीने के भीतर ट्रिब्यूनल्स में नियुक्तियाँ करनी होगी।  

मध्यस्थता और सुलह (संशोधन) विधेयक, 2021

मध्यस्थता और सुलह (संशोधन) विधेयक [Arbitration and Conciliation (Amendment) Bill], 2021 लोकसभा में पारित किया गया। यह मध्यस्थता और सुलह अधिनियम (Arbitration and Conciliation Act), 1996 में संशोधन करता है।

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परिवहन

मुख्य बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक, 2020 

प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक (Major Port Authorities Bill), 2020 को संसद में पारित किया गया। यह विधेयक प्रमुख बंदरगाह ट्रस्ट अधिनियम (Major Port Trusts Act), 1963 का स्थान लेता है। 

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केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने मोटर वाहन अधिनियम (Motor Vehicles Act), 1988 के अंतर्गत केंद्रीय मोटर वाहन नियम (Central Motor Vehicles Rules) 1989 में मसौदा संशोधन जारी किये हैं। अधिनियम मोटर वाहन के मानक, ड्राइविंग लाइसेंस प्रदान करने तथा इन प्रावधानों का उल्लंघन करने पर सज़ा का प्रावधान करता है। मसौदा संशोधन सड़क सुरक्षा संबंधी नियमों के इलेक्ट्रॉनिक निरीक्षण और प्रवर्तन को विनियमित करने का प्रयास करता है। मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि EED की निगरानी वाले क्षेत्रों में पहले चेतावनी वाले चिह्न लगाए जाएँ।

अपराध का नोटिस घटना के 15 दिनों के अंदर भेजा जाना चाहिये। अपराध को रजिस्टर करने के लिये इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को न्यूनतम 30 दिनों तक संग्रहीत किया जाना चाहिये।


विज्ञान और टेक्नोलॉजी

DNA प्रौद्योगिकी (उपयोग एवं अनुप्रयोग) विनियमन विधेयक–2019

विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन संबंधी स्थायी समिति (अध्यक्ष: जयराम रमेश) ने DNA प्रौद्योगिकी (उपयोग और अनुप्रयोग) विनियमन विधेयक, 2019 पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।

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विदेशी मामले

समुद्री जलदस्युता रोधी विधेयक, 2019

विदेशी मामलों से संबंधित समुद्री जलदस्युता रोधी विधेयक (Anti-Maritime Piracy Bill), 2019 पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है। विधेयक मैरीटाइम पायरेसी को रोकने और पायरेसी के अपराधियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का प्रावधान करता है। यह संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (UN Convention on the Law of the Sea-UNCLOS), 1982 के पायरेसी से संबंधित प्रावधानों को लागू करने का प्रयास करता है। समिति के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं: 


गृह मामले

जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2021 

जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक [Jammu and Kashmir Reorganisation (Amendment) Bill], 2021 को संसद में पारित कर दिया गया। यह विधेयक जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में संशोधन करता है। अधिनियम जम्मू-कश्मीर राज्य को जम्मू-कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश और लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश में पुनर्गठित करने का प्रावधान करता है। विधेयक की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

राष्ट्रीय आपदा शमन कोष 

आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के अंतर्गत राष्ट्रीय आपदा शमन कोष को अधिसूचित किया गया था। अधिनियम केंद्र सरकार को इस बात की अनुमति देता है कि वह आपदाओं के शमन के लिये खास तौर से परियोजनाएँ चलाने हेतु एक कोष की स्थापना करे। इस कोष का प्रबंधन राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (National Disaster Management Authority) करेगी जो कि भारत में आपदा प्रबंधन और शमन के लिये ज़िम्मेदार मुख्य प्राधिकरण है।


शहरी मामले

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली कानून (संशोधन) विधेयक

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली कानून (विशेष प्रावधान) दूसरा (संशोधन) विधेयक, 2021 को राज्यसभा में पारित कर दिया गया है। विधेयक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली कानून (विशेष प्रावधान) दूसरा अधिनियम, 2011 में संशोधन करता है।

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राष्ट्रीय शहरी डिजिटल मिशन

आवासन एवं शहरी मामलों के मंत्रालय (Ministry of Housing and Urban Affairs- MoHUA) तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MEITY) द्वारा संयुक्त रूप से राष्ट्रीय शहरी डिजिटल मिशन (National Urban Digital Mission- NUDM) की शुरुआत की गई है।

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वित्त

फैक्टरिंग विनियमन विधेयक, 2020 

वित्त संबंधी स्थायी समिति (अध्यक्ष: जयंत सिन्हा) ने फैक्टरिंग विनियमन (संशोधन) विधेयक [Factoring Regulation (Amendment) Bill], 2020 पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है। यह विधेयक फैक्टरिंग विनियमन विधेयक अधिनियम [Factoring Regulation Act], 2011 में संशोधन करता है और फैक्टरिंग बिज़नेस करने वाली एंटिटीज़ के दायरे को बढ़ाता है।  फैक्टरिंग एक ऐसा लेन-देन होता है जिसमें एक एंटिटी (फैक्टर) तुरंत फंड्स हासिल करने के लिये अपने ग्राहकों का पूरा प्राप्य (Receivable) या उसके एक हिस्से को तीसरे पक्ष को बेच देती है। हालाँकि फैक्टरिंग सभी उद्यमों के लिये उपलब्ध है, समिति ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (Micro- Small and Medium Enterprises- MSME) के भुगतानों में देरी की समस्या को देखते हुए विधेयक के महत्त्व का उल्लेख किया है। समिति के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:

नई विनिवेश नीति

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (Public Sector Enterprises- PSE) के विनिवेश के लिये नई नीति को मंज़ूरी दी जो कि केंद्र सरकार द्वारा PSE के स्वामित्व और नियंत्रण को अभिशासित करेगा। नीति के अंतर्गत सरकार विभिन्न क्षेत्रों में PSE की मौजूदगी को कम करेगी और निजी क्षेत्र के निवेश के लिये जगह बनाएगी। यह नीति सभी क्षेत्रों को रणनीतिक और गैर-रणनीतिक आधार पर वर्गीकृत करेगी जो कि राष्ट्रीय सुरक्षा, महत्त्वपूर्ण खनिजों और ऊर्जा की उपलब्धता, वित्तीय सेवाओं और महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे के मानदंडों पर आधारित होगी। 

रणनीतिक क्षेत्र हैं, 

(i) परमाणु ऊर्जा, रक्षा और अंतरिक्ष। 
(ii) परिवहन और दूरसंचार। 
(iii) ऊर्जा, पेट्रोलियम, कोयला और अन्य खनिज। 
(iv) बैंकिंग, बीमा और वित्तीय सेवाएँ। 

यह नीति रणनीतिक क्षेत्रों में मौजूदा PSE की न्यूनतम मौजूदगी का प्रावधान करती है, चूँकि सरकार का लक्ष्य होल्डिंग कंपनियों (यानी कारोबार करने वाली कंपनी में शेयर्स रखने वाली कंपनी) के जरिये नियंत्रण बरकरार रखना है। रणनीतिक क्षेत्रों के सभी अन्य मौजूदा PSE का या तो निजीकरण कर दिया जाएगा या उन्हें बंद कर दिया जाएगा या दूसरे PSE में उसका विलय कर दिया जाएगा या उसकी सहायक बना दी जाएगी। रणनीतिक क्षेत्रों के अतिरिक्त दूसरे क्षेत्रों के मौजूदा PSE का निजीकरण कर दिया जाएगा या अगर व्यावहारिक हुआ, तो उन्हें बंद कर दिया जाएगा।

नई नीति केंद्रीय PSE और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों तथा बीमा कंपनियों पर लागू होगी। यह बिना लाभ के कंपनियों (Not-For-Profit Companies) के रूप में काम करने वाले, कमज़ोर वर्गों को मदद देने वाले, विकासपरक या नियामक भूमिका निभाने वाले या राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करने वाले महत्त्वपूर्ण डेटा का रखरखाव करने वाले जैसे कुछ PSE पर लागू नहीं होगी। 


इलेक्ट्रॉनिक्स एवं इन्फॉरमेशन टेक्नोलॉजी

सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती संस्‍थानों के लिये दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता), 2021 

सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती संस्‍थानों के लिये दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) 2021 को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (IT अधिनियम) के अंतर्गत अधिसूचित किया गया है।

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उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सूचना प्रौद्योगिकी (Information Technology- IT) हार्डवेयर के लिये उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (Production Linked Incentive- PLI) योजना को मंज़ूरी दी।  इसका उद्देश्य IT हार्डवेयर की वैल्यू चेन में घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना और उसमें व्यापक निवेश को आकर्षित करना है। इस योजना में IT हार्डवेयर से निम्नलिखित शामिल होंगे:

(i) लैपटॉप्स। 
(ii) टैबलेट्स। 
(iii) ऑल इन वन पर्सनल कंप्यूटिंग डिवाइस। 
(iv) सर्वर। PLI योजना के अंतर्गत कंपनियों को घरेलू स्तर पर उत्पादों की वृद्धिशील बिक्री पर प्रोत्साहन प्राप्त होता है। 

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इस बात पर गौर किया कि भारत में लैपटॉप और टैबलेट्स की मांग व्यापक रूप से आयात के ज़रिये पूरी की जाती है। लैपटॉप और टैबलेट्स के निर्यात की लागत वर्ष 2019-20 में क्रमशः 4.21 बिलियन अमेरिकी डॉलर और 0.41 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी।  चार वर्षों के दौरान प्रस्तावित योजना की कुल लागत लगभग 7,350 करोड़ रुपए है। 

ब्लॉकचेन पर मसौदा राष्ट्रीय रणनीति 

इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने ब्लॉकचेन पर मसौदा राष्ट्रीय रणनीति जारी की है। ब्लॉकचेन एक वितरित खाता-बही तकनीक (Ledger Technology) होती है जो कि कारोबारी लेन-देन के सभी पक्षों के बीच साझा खाता-बही पर आधारित होती है। ब्लॉकचेन में उपयोग होने वाली डेटा संरचना एक निश्चित समय में हुए लेन-देन का अपरिवर्तनीय रिकॉर्ड रखती है। यह लेन-देन को सत्यापित करने के लिये किसी केंद्रीय संस्था की आवश्यकता को समाप्त करती है। 

मंत्रालय ने कहा कि प्रौद्योगिकी लेन-देन में पारदर्शिता, अपरिवर्तनीयता और उसके प्रबंधन की कुशलता बढ़ाती है। इसे विभिन्न डोमेन में उपयोग किया जा सकता है, जैसे- संपत्ति रिकॉर्ड प्रबंधन, पहचान प्रबंधन, आपूर्ति शृंखला और ई-वोटिंग। मंत्रालय ने यह भी कहा कि ब्लॉकचेन ई-गवर्नेंस में मूल्य को जोड़ सकती है। उसने ब्लॉकचेन के उपयोग में निम्नलिखित चुनौतियों को स्पष्ट किया: 

(i) मापन और लेन-देन की गति। 
(ii) डेटा सुरक्षा और गोपनीयता। 
(iii) मानकीकरण और अंतर। 
(iv) कुशल जनशक्ति। 

मसौदा रणनीति की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:


संचार

5जी के लिये भारत की तैयारी 

सूचना प्रौद्योगिकी पर स्थायी समिति (अध्यक्ष: डॉ. शशि थरूर) ने 5जी के लिये भारत की तैयारी पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। समिति के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:


वाणिज्य एवं उद्योग

भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेश 

वाणिज्य संबंधी स्थायी समिति ने कोविड के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेश को आकर्षित करने, चुनौतियाँ और अवसर पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है। समिति ने लॉजिस्टिक्स, ऑटोमोबाइल, फार्मास्यूटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, स्टील जैसे क्षेत्रों की समस्याओं पर गौर किया। समिति के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं: 

समिति ने निम्नलिखित सुझाव दिये: 

(i) लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को मज़बूत करने और उसे औपचारिक बनाने के उपायों को लागू करना। 
(ii) रेलवे और आंतरिक जलमार्ग संबंधी अवसंरचना में सुधार। 
(iii) क्षेत्र में प्रभावी विकास के लिये राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति को अंतिम रूप देना। 


श्रम

प्रवासी श्रमिकों के लिये सामाजिक सुरक्षा और कल्याणकारी उपाय

श्रम संबंधी स्थायी समिति ने अंतर-राज्यीय प्रवासी श्रमिकों के लिये सामाजिक सुरक्षा और कल्याणकारी उपाय पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है। 

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स्वास्थ्य

चिकित्सा उपकरण नियम, 2017 

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने चिकित्सा उपकरण नियम, 2017 में मसौदा संशोधन जारी किये। 2017 के नियम चिकित्सा उपकरण के मानकों और लाइसेंसिंग का प्रावधान करते हैं। नियमों में कहा गया है कि चिकित्सा उपकरणों को भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards- BIS) या समय-समय पर मंत्रालय द्वारा निर्दिष्ट मानदंडों का पालन करना चाहिये। यदि BIS या मंत्रालय के कोई मानदंड उपलब्ध न हों तो उपकरण को अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन या अंतर्राष्ट्रीय इलेक्ट्रो-तकनीकी आयोग (International Organisation for Standardisation or International Electro-Technical Commission) के मानदंडों का पालन करना चाहिये। 

मसौदा संशोधनों में यह भी कहा गया है कि BIS और मंत्रालय के मानकों के अभाव में चिकित्सा उपकरणों के परीक्षण के लिये अमेरिकी मानक परीक्षण विधि के मानक भी स्वीकार्य होंगे।


रक्षा

रक्षा अधिग्रहण परिषद 

रक्षा अधिग्रहण परिषद ने सशस्त्र बलों के लिये 13,700 करोड़ रुपए मूल्य के उपकरणों की खरीद को मंज़ूरी दी है। यह खरीद रक्षा अधिग्रहण खरीद, [भारतीय-IDDM (देसी स्तर पर डिज़ाइन के विकास और निर्माण)] श्रेणी के अंतर्गत की गई है। 

इस खरीद में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन द्वारा डिज़ाइन और विकसित प्लेटफॉर्म तथा सिस्टम्स भी शामिल हैं। खरीद (भारतीय-IDDM) का अर्थ है, भारतीय विक्रेता से उत्पादों की खरीद, जो न्यूनतम 50% स्वदेशी सामग्री (Indigenous Content) के साथ देसी स्तर पर डिज़ाइन, विकसित और निर्मित है। स्वदेशी सामग्री आधार अनुबंध मूल्य में स्वदेशी सामग्री की लागत का प्रतिशत होता है। खरीद (भारतीय-IDDM) रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया, 2020 के अंतर्गत खरीद की एक श्रेणी है।


महिला एवं बाल विकास

किशोर न्याय (बच्चों की देख रेख एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने किशोर न्याय (बच्चों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 में संशोधनों को मंज़ूरी दी। अधिनियम में कानून से संघर्षरत बच्चों और देख रेख तथा संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों से संबंधित प्रावधान है। संशोधनों में बाल संरक्षण को मज़बूत करने के उपायों को पेश किया गया है। मुख्य संशोधनों में निम्नलिखित शामिल हैं: 


कॉरपोरेट मामले

छोटी कंपनियों की कैपिटल और टर्नओवर की सीमा बढ़ाई 

कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (Ministry of Corporate Affairs- MCA) ने कंपनी अधिनियम, 2013 के अंतर्गत छोटी कंपनियों के तौर पर वर्गीकृत होने के लिये कैपिटल और टर्नओवर की सीमा बढ़ा दी है।  पेड-अप कैपिटल की सीमा 50 लाख रुपए से बढ़ाकर दो करोड़ रुपए कर दी गई है। टर्नओवर की सीमा दो करोड़ रुपए से बढ़ाकर 20 करोड़ रुपए की गई है। वर्ष 2021-22 के बजट भाषण में घोषित ये बदलाव 1 अप्रैल, 2021 से लागू होंगे।

इस परिवर्तन से दो लाख से ज़्यादा कंपनियों के अब छोटी कंपनियों के तौर पर वर्गीकृत होने की उम्मीद है। इससे इनके लिये प्रकटीकरण की कम आवश्यकता होगी और फीस और जुर्माने भी कम भरना पड़ेगा। 


ऊर्जा

बिजली की खरीद के लिये प्रतिस्पर्द्धी बिडिंग प्रक्रिया 

ऊर्जा मंत्रालय ने मिश्रित स्रोतों (अक्षय ऊर्जा स्रोतों तथा अन्य ऊर्जा स्रोतों से ऊर्जा सम्मिश्रण) से राउंड द क्लॉक (Round-The-Clock- RTC) बिजली की खरीद के लिये टैरिफ आधारित प्रतिस्पर्द्धी बिडिंग प्रक्रिया के दिशा-निर्देशों में संशोधन किया है। इन दिशा-निर्देशों को जुलाई 2020 में जारी किया गया था ताकि अक्षय ऊर्जा तथा दूसरे स्रोतों (जो अक्षय ऊर्जा स्रोत नहीं हैं) की बंडलिंग की जा सके। इससे अक्षय ऊर्जा की अनिरंतर प्रकृति की चुनौतियों से निपटा जा सकता है। संशोधनों की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:


रसायन एवं उर्वरक

उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन योजना

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वर्ष 2020-21 से वर्ष 2028-29 की अवधि में फार्मास्यूटिकल्स के लिये उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन योजना (Production Linked Incentive Scheme-PLI) को मंज़ूर कर लिया है। योजना फार्मास्यूटिकल उद्योग के विकास के लिये अंब्रेला योजना (Umbrella Scheme) का हिस्सा है। योजना का उद्देश्य निवेश और उत्पादन बढ़ाकर तथा उत्पाद विविधीकरण में योगदान देकर फार्मास्यूटिकल क्षेत्र में भारत की विनिर्माण क्षमता को बढ़ाना है। मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं: 

MSME उद्योग के लिये एक उप समूह इस समूह के भीतर बनाया जाएगा।  


पृथ्वी विज्ञान

नीली अर्थव्यवस्था   

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने भारत की ब्लू इकॉनमी यानी नीली अर्थव्यवस्था के लिये मसौदा नीतिगत रूपरेखा जारी की। नीली अर्थव्यवस्था में समुद्री संसाधन और समुद्री तथा तटवर्ती तटीय क्षेत्रों में मानव निर्मित आर्थिक अवसंरचनाएँ शामिल होती हैं। इस नीति में ऐसी रणनीति प्रस्तुत की गई है, जिसे अपनाकर सरकार सतत् विकास के लिये समुद्री संसाधनों का उपयोग कर सकती है। रणनीति निम्नलिखित का प्रयास करती है: 

(i) GDP में नीली अर्थव्यवस्था के योगदान को बढ़ाना। 
(ii) तटीय समुदायों के जीवन में सुधार। 
(iii) समुद्री जैव विविधता का संरक्षण। 
(iv) समुद्री क्षेत्रों और संसाधनों की सुरक्षा को बरकरार रखना। 

मसौदा नीति के मुख्य सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं: