भारत ने दूसरा अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में भेजा | 27 Jun 2025

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

भारत ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है, जहाँ ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला वर्ष 1984 में राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले दूसरे भारतीय बने हैं और अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर कदम रखने वाले पहले भारतीय बन गए हैं।

  • वह Axiom-4 (Ax-4) मिशन का हिस्सा हैं, जो अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिये एक वाणिज्यिक अंतरिक्ष यात्रा है।

एक्सिओम-4 (Axiom-4) मिशन क्या है?

  • परिचय: Axiom-4 (Ax-4) अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिये चौथी निजी अंतरिक्ष यात्रा है, जिसका संचालन अमेरिका स्थित अंतरिक्ष अवसंरचना कंपनी एक्सिओम स्पेस (Axiom Space) द्वारा किया जा रहा है। यह NASA और एक्सिओम स्पेस के बीच चौथा सफल सहयोग है, जो इससे पहले Ax-1, Ax-2 और Ax-3 मिशनों की सफलता के बाद हुआ है।
  • चालक दल की संरचना:
    • पैगी व्हिटसन (संयुक्त राज्य अमेरिका): मिशन कमांडर और पूर्व NASA अंतरिक्ष यात्री, जिन्हें अंतरिक्ष में 675+ दिनों का अनुभव है।
    • ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला (भारत)
    • स्लावोस्ज़ उज़्नान्स्की-विल्निविस्की (Sławosz Uznański-Wiśniewski) (पोलैंड): ESA के रिज़र्व अंतरिक्ष यात्री।
    • टिबोर कापू (हंगरी): पेलोड विशेषज्ञ।
  • Axiom-4 के प्रमुख उद्देश्य:
    • वाणिज्यिक अंतरिक्ष पहल: यह मिशन स्पेस टूरिज्म और निजी अनुसंधान को प्रोत्साहित करता है, विशेष रूप से लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में। इसका उद्देश्य एक्सिओम स्पेस के पहले वाणिज्यिक अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण और ISS से निजी अवसंरचना की ओर संचालन के परिवर्तन को समर्थन देना है।
    • वैज्ञानिक अनुसंधान और प्रयोग: यह मिशन सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण (Microgravity) में सामग्री विज्ञान, जीवविज्ञान, पृथ्वी अवलोकन और अंतरिक्ष कृषि के क्षेत्र में अनुसंधान को सक्षम बनाता है। प्रमुख अध्ययन क्षेत्रों में शामिल हैं:
      • मानवीय कारक: सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में स्क्रीन एक्सपोजर का प्रभाव।
      • एस्ट्रोबायोलॉजी (अंतरिक्ष जीवविज्ञान): अंतरिक्ष में टार्डिग्रेड (वॉटर बेयर्स) के जीवित रहने की क्षमता का अध्ययन।
      • अंतरिक्ष कृषि: छह फसल किस्मों (जिसमें मूंग दाल भी शामिल है) और सायनोबैक्टीरिया पर अंतरिक्ष वातावरण के प्रभावों का अध्ययन, जो जीवन समर्थन प्रणालियों के लिये महत्त्वपूर्ण है।
    • वैश्विक सहयोग: यह मिशन 31 देशों (भारत, अमेरिका, पोलैंड, हंगरी सहित) के 60 वैज्ञानिक प्रयोगों को शामिल करता है, जिससे यह अब तक का सर्वाधिक अनुसंधान-प्रधान एक्सिओम मिशन बन गया है और यह अंतरिक्ष विज्ञान में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को उजागर करता है।

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भारत के लिये Axiom-4 मिशन का क्या महत्त्व है?

  • गगनयान के लिये समर्थन: Axiom-4 भारत के प्रस्तावित गगनयान मिशन के लिये विशेष रूप से क्रू संचालन, माइक्रोग्रैविटी अनुसंधान और अंतरिक्ष जीवविज्ञान के क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण व्यावहारिक अनुभव प्रदान करता है, जो भविष्य के स्वतंत्र मानव अंतरिक्ष मिशनों के लिये आधार तैयार करता है। 
  • रणनीतिक एवं तकनीकी श्रेष्ठता: मानव अंतरिक्ष उड़ान चंद्रमा, मंगल तथा उससे आगे के भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिये एक प्रमुख रणनीतिक क्षमता है। Axiom-4 में भारत की भागीदारी वैश्विक अंतरिक्ष क्षेत्र में उसकी स्थिति को मज़बूत करती है और वर्ष 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन तथा वर्ष 2040 तक मानव चंद्र मिशन जैसे दीर्घकालिक लक्ष्यों को समर्थन प्रदान करती है।
  • वैश्विक प्रतिष्ठा एवं आर्थिक वृद्धि: मिशन योजना और क्रियान्वयन में इसरो की सक्रिय भागीदारी भारत की तकनीकी क्षमता को प्रदर्शित करती है और उसकी अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा को सुदृढ़ करती है।
    • यह निजी क्षेत्र की भागीदारी और विदेशी निवेश के मार्ग भी खोलता है, जो वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
  • युवा सहभागिता और STEM प्रोत्साहन: यह मिशन युवाओं को प्रेरित करता है, STEM शिक्षा को बढ़ावा देता है, और भारत के विस्तारशील अंतरिक्ष क्षेत्र के लिये एक कुशल प्रतिभा आधार का निर्माण करता है, जिससे सतत् नवाचार और राष्ट्रीय क्षमताओं का विकास सुनिश्चित होता है।

अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से संबंधित प्रमुख तथ्य क्या हैं?

  • परिचय: अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में स्थित सबसे बड़ा मानव-निवास योग्य कृत्रिम उपग्रह है, जो वैज्ञानिक अनुसंधान और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिये एक विशिष्ट अंतरिक्ष प्रयोगशाला के रूप में कार्य करता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: यह 15 देशों का एक संयुक्त उपक्रम है, जिसका नेतृत्व 5 अंतरिक्ष एजेंसियाँ (नासा, रोस्कोस्मोस, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी, JAXA, और कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसी) करती हैं।
  • माइक्रोग्रैविटी प्रयोगशाला: ISS 108 से अधिक देशों के 3,000 से अधिक प्रयोगों को संचालित करता है, जो विज्ञान, चिकित्सा और पृथ्वी अवलोकन जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान को सक्षम बनाते हैं। इसकी माइक्रोग्रैविटी मानव अनुकूलन के अध्ययन और पृथ्वी से संबंधित नवाचारों के विकास में सहायक होती है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के थेमिस मिशन, जो हाल ही में खबरों में था, का उद्देश्य क्या है? (2008)

(a) मंगल ग्रह पर जीवन की संभावना का अध्ययन करना।
(b) शनि के उपग्रहों का अध्ययन करना।
(c) उच्च अक्षांश पर आकाश के रंगीन प्रदर्शन का अध्ययन करना।
(d) तारकीय विस्फोटों का अध्ययन करने के लिये एक अंतरिक्ष प्रयोगशाला का निर्माण करना।

उत्तर: (c)


प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)

ISRO द्वारा प्रमोचित मंगलयान

  1. को मार्स ऑर्बिटर मिशन भी कहा जाता है
  2. ने भारत को, USA के बाद, मंगल के चारों ओर अंतरिक्ष यान को चक्रमण कराने वाला दूसरा देश बना दिया है
  3. ने भारत को एकमात्र ऐसा देश बना दिया है, जिसने अपने अंतरिक्ष यान को मंगल के चारों ओर चक्रमण कराने में पहली बार में ही सफलता प्राप्त कर ली

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)