कार्यबल के डिजिटल कौशल उन्नयन की आवश्यकता | 06 May 2023

यह एडिटोरियल 02/05/2023 को ‘हिंदू बिज़नेसलाइन’ में प्रकाशित “A Digitally Unprepared Workforce” लेख पर आधारित है। इसमें विश्व आर्थिक मंच (WEF) द्वारा रोज़गार सृजन के लिये मुख्य रूप से तकनीकी-उन्नति पर ज़ोर दिए जाने और इस संदर्भ में डिजिटल स्किलिंग, अपस्किलिंग एवं रीस्किलिंग को पर्याप्त प्रोत्साहन नहीं दिए जाने पर भारत के पीछे रह जाने के खतरे के बारे में चर्चा की गई है।

प्रिलिम्स के लिये:

NSS 2020-21, PLFS 2020-21, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशीन लर्निंग, PMKVY, PMKVY 4.0, डिजिटल साक्षरता, विश्व आर्थिक मंच- फ्यूचर ऑफ जॉब्स रिपोर्ट 2023

मेन्स के लिये:

डिजिटल साक्षरता, डिजिटल कौशल को बढ़ाने की आवश्यकता, संबंधित पहलें एवं डिजिटल कौशल संवर्द्धन से जुड़े मुद्दे

तकनीकी परिवर्तन की गति में तेज़ी और ऐसे कौशल की मांग में उनकी आपूर्ति की तुलना में वृद्धि की स्थिति में अब डिजिटल साक्षरता और कौशल उन्नयन (अपस्किलिंग) केवल वैकल्पिक नहीं रह गया है बल्कि एक आवश्यकता बन गया है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (NSS) 2020-21 और आवधिक श्रमबल सर्वेक्षण (PLFS) 2020-21 विभिन्न क्षेत्रों में आईटी या कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण के कवरेज को व्यापक बनाने की आवश्यकता को इंगित करते हैं।

विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum- WEF) द्वारा हाल ही में जारी की गई ‘फ्यूचर ऑफ़ जॉब्स 2023 रिपोर्ट’ (चौथा संस्करण; जिसे पहली बार वर्ष 2016 में जारी किया गया था) में भी इसी बात पर बल दिया गया है जहाँ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) एवं अन्य क्षेत्रों में तकनीकी प्रगति के आधार पर वर्ष 2025 तक 97 मिलियन नई नौकरियों के सृजन को रेखांकित किया गया है।

डिजिटल साक्षरता के लिये विभिन्न पहलों के बावजूद, भारत को अत्यधिक कुशल कार्यबल वाले देशों के स्तर पर पहुँचने के लिये अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है।

मौजूदा डिजिटल अंतराल को भरने और वैश्विक बाज़ार में प्रतिस्पर्द्धी एवं प्रासंगिक बने रहने के लिये भारत सरकार, भारतीय व्यवसायों और शैक्षणिक संस्थानों को डिजिटल अपस्किलिंग पहलों में निवेश करने की तत्काल आवश्यकता है।

तकनीकी-उन्नति और नौकरी सृजन के बारे में WEF रिपोर्ट क्या कहती है?

  • आशावादी लेकिन सतर्क प्रक्षेपण: WEF ने अनुमान लगाया है कि वर्ष 2025 तक 85 मिलियन नौकरियाँ अनुपयोगी या अप्रचलित हो जाएँगी, लेकिन AI और अन्य क्षेत्रों में तकनीकी उन्नति से 97 मिलियन नई नौकरियों का सृजन होगा।
    • हालाँकि, श्रम विभाजन में मशीनों की भूमिका में वृद्धि होती रहेगी, विशेष रूप से दोहरावपूर्ण एवं नियमित प्रकृति के कार्यों के लिये।
    • भविष्य की नौकरियाँ का डेटा-संचालित और मशीन-संचालित प्रक्रियाओं पर अधिक निर्भर होना अपेक्षित है।
  • भारत में तकनीक-संचालित बदलाव: WEF ने अगले 5 वर्षों में भारत में श्रम बाज़ारों के लिये 23% के वैश्विक औसत की तुलना में नौकरियों में कुछ निम्न मंथन (churn) का अनुमान लगाया है। भारत में यह मंथन मुख्यतः तकनीक-संचालित होगा जिसमें AI एवं ML (मशीन लर्निंग) (38%) जैसे क्षेत्रों और डेटा विश्लेषकों एवं वैज्ञानिकों (33%) तथा डेटा एंट्री क्लर्कों (32%) का योगदान होगा।
    • अनुमानतः सबसे कम मंथन अर्थव्यवस्था के श्रम-गहन क्षेत्रों में होगा।
    • हालाँकि, रिपोर्ट में भारत और चीन में नियोक्ताओं के भविष्य की प्रतिभा उपलब्धता के मामले में सबसे अधिक उत्साहित रहने की भी बात कही गई है।

कौन-से कारक इंगित करते हैं कि भारत का कार्यबल डिजिटल रूप से तैयार नहीं है?

  • मांग-आपूर्ति का विशाल अंतर: Nasscom, Draup एवं Salesforce की एक रिपोर्ट के अनुसार 420,000 के वर्तमान प्रतिभा आधार को ध्यान में रखते हुए भी AI एवं ML तथा बिग डेटा एनालिटिक्स (BDA) की प्रतिभा मांग एवं आपूर्ति में 51% का अंतर मौजूद है।
    • ML इंजीनियर, डेटा साइंटिस्ट, DevOps इंजीनियर और डेटा आर्किटेक्ट के लिये यह अंतराल और भी बदतर है जहाँ मांग-आपूर्ति का अंतर 60-73% तक है।
  • अपस्किलिंग में व्याप्त कमियाँ: उपलब्ध प्रतिभा की गुणवत्ता से समस्या और बढ़ जाती है; इंजीनियरिंग स्नातकों की एक बड़ी संख्या अपने वर्तमान स्तर के कौशल के साथ नियुक्ति-योग्य नहीं है।
    • विभिन्न क्षेत्रों में लगभग 30% प्रशिक्षित कर्मचारियों के पास IT प्रशिक्षण है, फिर भी इस तरह के प्रशिक्षण वाले 29% व्यक्ति नियुक्ति-योग्य नहीं हैं। यह या तो अपर्याप्त प्रशिक्षण सामग्री या खराब प्रशिक्षण गुणवत्ता की ओर इंगित करते हैं जिसके परिणामस्वरूप निम्न नियुक्ति-योग्यता उत्पन्न होती है।
    • IT क्षेत्र के अलावा, अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों में भी समग्र कौशल प्रयास आवश्यकता से बहुत कम है।
  • कंप्यूटर के बुनियादी ज्ञान की कमी: NSS 2020-21 से उजागर हुआ कि देश के लगभग 42% युवाओं को फाइलों को कॉपी करने या स्थानांतरित करने या कंप्यूटर पर कॉपी एंड पेस्ट टूल का उपयोग करने की बुनियादी समझ ही है।
    • इसके अतिरिक्त, क्रमशः केवल 10% और 8.6% युवाओं को एक स्प्रेडशीट में बुनियादी अंकगणितीय सूत्रों का और प्रेजेंटेशन सॉफ्टवेयर का उपयोग करके एक इलेक्ट्रॉनिक प्रेजेंटेशन तैयार करने का ज्ञान है। केवल 2.4% युवाओं के पास प्रोग्रामिंग स्किल है।
  • निम्न निवेश: मिड-करियर अपस्किलिंग में भी भारत का निवेश बेहद औसत रहा है जो उन्नत शिक्षा संपन्न लोगों के बीच उच्च बेरोज़गारी दर में परिलक्षित होता है।

भारत अपने कार्यबल को डिजिटल रूप से कैसे तैयार कर सकता है?

  • कौशल और निवेश में सुधार: बदलते रोज़गार बाज़ार के अनुकूल होने के लिये, संपूर्ण कौशल विकास प्रणाली का पुनर्गठन करना और उभरती प्रौद्योगिकियों एवं कार्य भविष्य पर नज़र रखते हुए कार्यबल के कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करना महत्त्वपूर्ण है।
    • अपनी बड़ी कार्यशील आयु आबादी और वृहत युवा जनसांख्यिकीय के कारण भारत अन्य देशों की तुलना में लाभ की स्थिति रखता है।
    • हालाँकि, यदि रणनीतिक निवेश पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जाता है (विशेष रूप से डिजिटल रूपांतरण के अनुकूल बनने के लिये कार्यबल के पुनर्कौशल में रणनीतिक निवेश) तो जनसांख्यिकी का पूर्ण लाभ नहीं उठाया जा सकता है।
  • IT कौशल पर विशेष ध्यान देना: वैश्विक बाज़ार में प्रतिस्पर्द्धी बने रहने के लिये, सभी क्षेत्रों में कार्यरत व्यक्तियों के लिये विशिष्ट IT या कंप्यूटर कौशल प्राप्त करना अनिवार्य हो गया है।
    • सरकार ने इसे चिह्नित करते हुए स्किल इंडिया मिशन और प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY 4.0) जैसे कई कौशल कार्यक्रम कार्यान्वित किये हैं।
      • इन पहलों का उद्देश्य आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मेक्ट्रोनिक्स और रोबोटिक्स जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों पर ध्यान देने के साथ ही IT एवं डिजिटल कौशल सहित विभिन्न व्यावसायिक कौशल में लाखों व्यक्तियों को प्रशिक्षित एवं प्रमाणित करना है।
  • वैकल्पिक प्रतिभा पूल: हमें छोटे शहरों में डिजिटल क्षमताओं का निर्माण करने, हाइब्रिड वर्क नॉर्म्स के साथ कार्यबल में अधिकाधिक महिलाओं को शामिल करने तथा औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों एवं पॉलिटेक्निक द्वारा प्रदत्त व्यावसायिक शिक्षा में सुधार लाने की ज़रूरत है।
    • इन कार्यक्रमों के लिये उद्योगों से प्राप्त कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) फंडिंग का लाभ उठाया जा सकता है ।
    • डिजिटल लर्निंग की बढ़ती आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये सरकारों को नियोक्ताओं, प्रशिक्षण प्रदाताओं और कामगारों के साथ मिलकर कार्य करना चाहिये।

अभ्यास प्रश्न: भारत के पास अपने जनसांख्यिकीय लाभांश को साकार करने का वृहत अवसर मौजूद है, लेकिन इसके लिये विशेष रूप से प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक सुदृढ़ स्किलिंग एवं अपस्किलिंग रणनीति को प्राथमिकता देना अत्यंत आवश्यक है। टिप्पणी करें।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs) 

प्रिलिम्स

प्र. जनसांख्यिकीय लाभांश का पूर्ण लाभ प्राप्त करने के लिये भारत को क्या करना चाहिये? (2013)

(a) कौशल विकास को बढ़ावा देना
(b) अधिक सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की शुरुआत
(c) शिशु मृत्यु दर में कमी
(d) उच्च शिक्षा का निजीकरण

उत्तर: (a)


प्रश्न. प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. यह श्रम और रोज़गार मंत्रालय की प्रमुख योजना है।
  2. अन्य बातों के अलावा यह सॉफ्ट स्किल्स, उद्यमिता, वित्तीय एवं डिजिटल साक्षरता में प्रशिक्षण भी प्रदान करती है।
  3. इसका उद्देश्य देश के अनियमित कार्यबल की दक्षताओं को राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क के अनुरूप बनाना है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1और 3
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: c


प्रश्न. राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क (NSQF)’ के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (2017)

  1. NSQF के अधीन शिक्षार्थी सक्षमता का प्रमाणपत्र केवल औपचारिक शिक्षा के माध्यम से ही प्राप्त कर सकता है।
  2. NSQF के क्रियान्वयन का एक प्रत्याशित परिणाम व्यावसायिक और सामान्य शिक्षा के मध्य संचरण है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (b)


प्रश्न. पूर्व अधिगम की मान्यता स्कीम (रिकग्निशन ऑफ प्रायर लर्निंग स्कीम)’ का कभी-कभी समाचारों में किस संदर्भ में उल्लेख किया जाता है? (2017)

(a) निर्माण कार्य में लगे कर्मकारों के पारंपरिक मार्गों से अर्जित कौशल का प्रमाणन
(b) दूरस्थ अधिगम कार्यक्रमों के लिये विश्वविद्यालयों में व्यक्तियों को पंजीकृत करना
(c) सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ उपक्रमों में ग्रामीण और नगरीय निर्धन लोगों के लिये कुछ कुशल कार्य आरक्षित करना
(d) राष्ट्रीय कौशल विकास कार्यक्रम के अधीन प्रशिक्षणार्थियों द्वारा अर्जित कौशल का प्रमाणन

उत्तर: (a)


मेन्स

प्र. क्या ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष रूप से, डिजिटल साक्षरता ने सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आई.सी.टी.) की अल्प-उपलब्धता के साथ मिलकर सामाजिक-आर्थिक बाधा उत्पन्न किया है? औचित्य सहित परीक्षण कीजिये। (2021)

प्र. “भारत में जनांकिकीय लाभांश तब तक सैद्धांतिक ही बना रहेगा जब तक कि हमारी जनशक्ति अधिक शिक्षित, जागरूक, कुशल और सृजनशील नहीं हो जाती।” सरकार ने हमारी जनसंख्या को अधिक उत्पादनशील और रोज़गार-योग्य बनने की क्षमता में वृद्धि के लिये कौन-से उपाय किये हैं? (2016)