भारत में स्टार्टअप क्रांति | 18 Sep 2025
प्रिलिम्स के लिये: स्टार्टअप इंडिया, डिजिटल इंडिया, आधार, यूपीआई, भारतनेट, स्टार्टअप्स के लिये फंड ऑफ फंड्स, आईडेक्स, एडीआईटीआई, बौद्धिक संपदा अधिकार, डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023, स्किल इंडिया।
मेन्स के लिये: भारतीय अर्थव्यवस्था के परिवर्तन में स्टार्टअप इंडिया की भूमिका, संबंधित चुनौतियाँ और आगे की राह।
चर्चा में क्यों?
स्टार्टअप इंडिया पहल भारत के नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को बदलने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही है, जिससे कई स्टार्टअप्स के विकास को बढ़ावा मिला है।
- फ्यूचर यूनिकॉर्न रिपोर्ट 2025 के अनुसार, 2025 में 11 नए स्टार्टअप भारत के यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हो गए हैं।
स्टार्टअप इंडिया ने भारत के नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को किस प्रकार परिवर्तित किया है?
- नवाचार ढाँचे का निर्माण: डिजिटल इंडिया, आधार, यूपीआई और भारतनेट ने एक डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढाँचा तैयार किया है, जो स्टार्टअप की बाधाओं को कम करता है, पहुँच का विस्तार करता है, लागत में कटौती करता है और एक समावेशी नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को गति प्रदान करता है।
- स्टार्टअप्स के लिये फंड ऑफ फंड्स और क्रेडिट गारंटी योजनाओं ने शुरुआती चरण के स्टार्टअप्स, जैसे कि फशिन्ज़ा (परिधान और फैशन आपूर्ति शृंखला को सुव्यवस्थित करने वाला B2B मार्केटप्लेस) के लिये महत्त्वपूर्ण पूंजीगत सहायता प्रदान की है।
- ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस सुधारों जैसे सिंगल-विंडो क्लियरेंस और ऑनलाइन प्रणालियों ने अनुमोदनों को सरल बनाया है, जिससे व्यवसाय शुरू करने में लगने वाला समय और लागत काफी कम हो गई है।
- इन सुधारों ने एक स्तरित नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र या नवाचार स्टैक का निर्माण किया है, जिससे स्टार्टअप्स को तेज़ी से विस्तार करने में मदद मिली है।
- यूनिकॉर्न वृद्धि: वर्ष 2025 के मध्य तक भारत में 118 यूनिकॉर्न थे (2014 में केवल 4), जिनमें ज़ोमैटो, फोनपे, रेज़रपे, ओला, मीशो और डेल्हीवरी जैसी कंपनियाँ शामिल हैं, जो स्थानीय चुनौतियों का समाधान करते हुए वैश्विक स्तर पर भी पहुँचीं।
- यूनिकॉर्न एक ऐसा निजी स्वामित्व वाला स्टार्टअप है, जिसकी वैल्यूएशन 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक होती है।
- विविधीकृत स्टार्टअप इकोसिस्टम:
- फिनटेक: यूपीआई ने भारत को डिजिटल पेमेंट्स में वैश्विक नेतृत्व दिलाया।
- स्पेसटेक: 2020 के बाद के सुधारों ने स्काईरूट एयरोस्पेस और अग्निकुल कॉसमॉस जैसी निजी कंपनियों को सक्षम बनाया, भारत में अब 300+ स्पेस स्टार्टअप्स हैं।
- डिफेंसटेक: iDEX और ADITI जैसी योजनाओं के अंतर्गत 600 से अधिक स्टार्टअप्स रक्षा निर्माण में स्वदेशीकरण को आगे बढ़ा रहे हैं।
- स्टार्टअप डिविडेंड: स्टार्टअप्स ने 12 लाख से अधिक प्रत्यक्ष नौकरियाँ और लाखों अप्रत्यक्ष अवसर उत्पन्न किये हैं, साथ ही आयात निर्भरता को कम किया, निर्यात को बढ़ावा दिया और भारत की वैश्विक आर्थिक स्थिति को मज़बूत किया।
स्टार्टअप इंडिया पहल क्या है?
- परिचय: स्टार्टअप इंडिया पहल वर्ष 2016 में शुरू की गई थी। इस पहल का लक्ष्य नवाचार और उद्यमशीलता के लिये एक ऐसा सुदृढ़ पारिस्थितिकी तंत्र निर्मित करना है जो कर लाभ, सरल अनुपालन और वित्तपोषण के अभिगम जैसे उपायों के माध्यम से स्टार्टअप्स की सहायता कर आर्थिक विकास और रोज़गार को बढ़ावा दे।
- मुख्य विशेषताएँ:
- स्टार्टअप इंडिया के अंतर्गत प्रमुख योजनाएँ:
- स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम (SISFS): SISFS के तहत स्टार्टअप्स को संकल्पना के प्रमाण, प्रोटोटाइप विकास और उत्पाद परीक्षण के लिये वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
- स्टार्टअप्स के लिये क्रेडिट गारंटी योजना (CGSS): CGSS के अंतर्गत ऋण अभिगम सुनिश्चित करने के लिये स्टार्टअप्स को संपार्श्विक-मुक्त ऋण की सुविधा प्रदान की जाती है।
- स्टार्टअप बौद्धिक संपदा संरक्षण (SIPP): SIPP के तहत स्टार्टअप को कम लागत पर पेटेंट फाइलिंग, ट्रेडमार्क पंजीकरण और बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) संरक्षण में सहायता प्रदान की जाती है।
- प्रमुख उपलब्धियाँ:
- स्टार्टअप्स में वृद्धि: DPIIT- मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स की संख्या 500 (2016) से बढ़कर 1.59 लाख (2025) हो गई।
- स्टार्टअप इकोसिस्टम: भारत अब अमेरिका और चीन के बाद विश्व स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है, जिसमें 100 से अधिक यूनिकॉर्न हैं।
- रोज़गार सृजन: 31 अक्तूबर, 2024 तक स्टार्टअप्स द्वारा 16.6 लाख से ज़्यादा प्रत्यक्ष रोज़गार उत्पन्न किये गए।
- महिला उद्यमियों का उदय: 73,151 मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स में कम-से-कम एक महिला निदेशक हैं, जो लैंगिक समावेशिता में प्रगति को दर्शाता है।
भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम के समक्ष प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?
- वित्तपोषण की बाधाएँ: टियर-II और टियर-III शहरों में स्टार्टअप्स को वित्तपोषण की समस्या का सामना करना पड़ रहा है, जो जुलाई 2024 में 2,202 करोड़ रुपए से घटकर अगस्त 2024 में 630 करोड़ रुपए रह गया है।
- नियामक जटिलता: भारत का जटिल नियामक वातावरण स्टार्टअप्स के लिये चुनौतियाँ पेश करता है, मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के तहत ऐप-आधारित कैब वर्गीकरण और डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 के तहत अनुपालन पर बहस के कारण कानूनी तथा प्रशासनिक बोझ बढ़ रहा है।
- विकास संबंधी चुनौतियाँ: सुदृढ़ प्रारंभिक वृद्धि के बावजूद, लगभग 90% स्टार्टअप पाँच वर्षों के भीतर असफल हो जाते हैं। इसका कारण है विस्तार की कठिनाइयाँ, संचालन में अक्षम्यता और नए बाज़ारों में प्रवेश से जुड़ी बाधाएँ।
- बाज़ार संतृप्ति: एडटेक क्षेत्र में तीव्र प्रतिस्पर्द्धा ने बाज़ार को संतृप्त कर दिया है, जिससे लाभांश कम हो रहे हैं और अस्थिर नकदी खर्च बढ़ रहा है। महामारी के बाद की गिरावट ने इस क्षेत्र में एकीकरण के जोखिम को और अधिक उजागर किया है।
भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम को सुदृढ़ करने हेतु किन उपायों की आवश्यकता है?
- कर लाभों में वृद्धि: कर प्रोत्साहनों को 3 से बढ़ाकर 5 वर्ष तक किया जाए। डीप-टेक स्टार्टअप्स और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को संबोधित करने वाले स्टार्टअप्स के लिये अतिरिक्त रियायतें दी जाएँ, जैसे इज़राइल का टेक कंपनियों के लिये 12% कॉर्पोरेट टैक्स मॉडल।
- बाज़ार तक पहुँच को बढ़ावा देना: सरकारी खरीद का एक निश्चित प्रतिशत स्टार्टअप्स से प्राप्त करना अनिवार्य किया जाए, जिससे उनके लिये पर्याप्त बाज़ार अवसर उत्पन्न हों।
- विकेंद्रीकृत स्टार्टअप इकोसिस्टम: टियर-2 और टियर-3 शहरों को स्टार्टअप हब के रूप में विकसित किया जाए, जिसमें बेहतर अवसंरचना तथा प्रोत्साहन दिये जाएँ। ‘हब-एंड-स्पोक’ मॉडल अपनाया जाना चाहिये, जहाँ बड़े शहर आसपास के छोटे शहरों को सहयोग दें।
- कौशल विकास: स्किल इंडिया के अंतर्गत क्षेत्र-विशिष्ट कौशल कार्यक्रमों का विस्तार किया जाना चाहिये। विशेषकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), ब्लॉकचेन और IoT जैसी उभरती तकनीकों पर ध्यान दिया जाए, ताकि भविष्य के लिये तैयार स्टार्टअप कार्यबल विकसित हो सके।
निष्कर्ष
भारत की स्टार्टअप कहानी आत्मविश्वास के एक सभ्यतागत पुनर्संयोजन का प्रतीक है। स्टार्टअप इंडिया से यूनिकॉर्न नेशन तक की यात्रा नए भारत का सार प्रस्तुत करती है: साहसी, नवाचारी और वैश्विक स्तर पर महत्त्वाकांक्षी। स्टार्टअप इंडिया ने भारत को नौकरी खोजने वाली अर्थव्यवस्था से नौकरी देने वाली अर्थव्यवस्था में परिवर्तित कर दिया है। इसने फिनटेक, स्पेसटेक और डिफेंसटेक जैसे क्षेत्रों में नवाचार, यूनिकॉर्न वृद्धि तथा रोज़गार को बढ़ावा दिया है, जिसे कर प्रोत्साहन, फंडिंग, कौशल विकास एवं विकेंद्रीकृत इकोसिस्टम जैसे उपायों से दीर्घकालिक सफलता हेतु समर्थन मिला है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. यूनिकॉर्न बूम जहाँ सफलता को दर्शाता है, वहीं भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम फंडिंग और रेगुलेशन में गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है। सतत् और समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक उपायों पर चर्चा कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रिलिम्स
प्रश्न. उद्यम पूंजी का क्या अर्थ है? (2014)
(a) उद्योगों को प्रदान की जाने वाली एक अल्पकालिक पूंजी।
(b) नए उद्यमियों को प्रदान की गई एक दीर्घकालिक स्टार्ट-अप पूंजी।
(c) हानि की स्थिति में उद्योगों को प्रदान की जाने वाली धनराशि।
(d) उद्योगों के प्रतिस्थापन और नवीनीकरण के लिये प्रदान की गई धनराशि।
उत्तर: (b)
मेन्स
प्रश्न. भारतीय विश्वविद्यालयों में वैज्ञानिक अनुसंधान का स्तर गिरता जा रहा है, क्योंकि विज्ञान में करियर उतना आकर्षक नहीं है जितना कि वह कारोबार संव्यवसाय, इंजीनियरी या प्रशासन में है और विश्वविद्यालय उपभोक्ता-उन्मुखी होते जा रहे हैं। समालोचनात्मक टिप्पणी कीजिये। (2014)