परिवहन क्षेत्र के डिकार्बोनाइज़ेशन के लिये फोरम | 26 Aug 2021

प्रिलिम्स के लिये

नीति आयोग, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन,  वायु प्रदूषण, पेरिस जलवायु समझौते, राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान, जैव विविधता कन्वेंशन

मेन्स के लिये

परिवहन क्षेत्र के डिकार्बोनाइज़ेशन फोरम की स्थापना का उद्देश्य एवं अपेक्षित लाभ तथा इससे संबंधित विभिन्न पहलें

चर्चा में क्यों?

हाल ही में नीति आयोग (NITI Aayog) और वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट (World Resources Institute-WRI), द्वारा संयुक्त रूप से भारत में ‘फोरम फॉर डिकार्बोनाइज़िग ट्रांसपोर्ट’ (Forum for Decarbonizing Transport) को लॉन्च किया गया था।

  • WRI इंडिया विधिक रूप से इंडिया रिसोर्स ट्रस्ट के रूप में पंजीकृत एक स्वतंत्र चैरिटी है जो पर्यावरण की दृष्टि से स्वस्थ और सामाजिक रूप से न्यायसंगत विकास को बढ़ावा देने के लिये वस्तुनिष्ठ जानकारी और व्यावहारिक प्रस्ताव प्रदान करता है।
  • नीति आयोग सरकार के लिये एक सलाहकार थिंक टैंक के रूप में कार्य करता है और इसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री करता है। इसने योजना आयोग का स्थान लिया।

प्रमुख बिंदु 

परिचय :

  • यह मंच राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC)- एशिया के लिये परिवहन पहल  (NDC-TIA) परियोजना का एक हिस्सा है, जो प्रभावी नीतियों की एक सुसंगत रणनीति विकसित करने और क्षेत्र में कार्बन मुक्त परिवहन की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिये एक बहु-हितधारक मंच के गठन पर केंद्रित है।
    • NDC-TIA सात संगठनों का एक संयुक्त कार्यक्रम है जो चीन, भारत और वियतनाम को अपने-अपने देशों में परिवहन को कार्बन मुक्त करने के लिये एक व्यापक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने में संलग्न करेगा। यह परियोजना अंतर्राष्ट्रीय जलवायु पहल (IKI) का हिस्सा है।
    • IK जर्मनी के जलवायु वित्तपोषण और जैव विविधता कन्वेंशन के फ्रेमवर्क में वित्तपोषण प्रतिबद्धताओं का एक प्रमुख तत्त्व है।
  • भारत में परिवहन क्षेत्र को स्वच्छ बनाने के लिये यह विविध विचारों को साथ लाने और एक एकीकृत दृष्टिकोण अपनाने हेतु माध्यम के रूप में कार्य करेगा।

उद्देश्य :

  • इस परियोजना का उद्देश्य एशिया में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन (परिवहन क्षेत्र) के चरम स्तर (दो डिग्री से नीचे के लक्ष्य के अनुरूप) को नीचे लाना है जिसके परिणामस्वरूप  ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की वजह से संकुलन और वायु प्रदूषण जैसी समस्याएँ होती हैं।

अपेक्षित लाभ :

  • यह व्यापार के एक अभिनव मॉडल के विकास में मदद करेगा जिससे लक्षित परिणाम प्राप्त होंगे और भारत में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी क्षेत्र का समग्र विकास होगा। 
  • यह फोरम समान नीतियों के विकास के लिये संवाद शुरू करने और परिवहन क्षेत्र में उत्सर्जन को कम कर विशिष्ट परिणाम प्राप्त करने में मदद हेतु भी एक मंच  प्रदान करेगा।

आवश्यकता:

  • भारत में एक विशाल और विविध परिवहन क्षेत्र है, जो कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) का उत्सर्जन करने वाला तीसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है।
  • अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA), 2020 और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, 2018 के डेटा से पता चलता है कि परिवहन क्षेत्र में शामिल सड़क परिवहन, कॉर्बन डाइऑक्साइड के कुल उत्सर्जन में 90% से अधिक का योगदान देता है।
  • बढ़ते शहरीकरण के साथ वाहनों का आकार यानी वाहनों की बिक्री की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है। अनुमान है कि 2030 तक वाहनों की कुल संख्या दोगुनी हो जाएगी।
  • इसलिये 2050 के लिये निर्धारित पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु भारत में परिवहन क्षेत्र को एक डिकार्बोनाइज़ेशन पथ की ओर अग्रसर होना आवश्यक है।

संबंधित पहलें:

  • फेम योजना
    • यह ‘नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन’ प्लान का एक हिस्सा है। इसका मुख्य उद्देश्य सब्सिडी प्रदान करके इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित करना है।
    • हाल ही में केंद्र सरकार ने इको-फ्रेंडली वाहनों को बढ़ावा देने के मद्देनज़र ‘फेम-II’ (फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स) योजना के तहत इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स पर सब्सिडी को 50% बढ़ाने का फैसला किया है।
  • PLI योजना के तहत प्रोत्साहन:
    • यह योजना पिछले वर्ष विभिन्न उद्योगों के लिये शुरू की गई थी, जिसमें पाँच वर्ष की अवधि में ऑटोमोबाइल और ऑटो-कंपोनेंट उद्योग के लिये 57,00 करोड़ रुपए से अधिक का परिव्यय शामिल था।
    • इसके तहत ‘एडवांस सेल केमिस्ट्री बैटरी स्टोरेज’ निर्माण के लिये लगभग 18,000 करोड़ रुपए स्वीकृत किये गए हैं।
    • इन प्रोत्साहनों का उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) के स्वदेशी विकास को प्रोत्साहित करना है, ताकि उनकी अग्रिम लागत को कम किया जा सके।
  • नवीकरणीय मोटर वाहन उद्योग:
    • भारत वर्तमान में दुनिया का सबसे बड़ा इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण और आपूर्ति केंद्र बनने के उद्देश्य से एक घरेलू नवीकरणीय मोटर वाहन उद्योग के निर्माण में लगा हुआ है।
      • बैटरी चालित इलेक्ट्रिक वाहन और ईंधन-सेल वाहन प्रौद्योगिकियाँ वर्ष 2050 तक देश में जीवाश्म से चलने वाले वाहनों को पीछे छोड़ने के लिये पूरी तरह तैयार हैं।

आगे की राह

  • भारत के पास अपने शहरी परिवहन क्षेत्र को कार्बन मुक्त करने का एक महत्त्वपूर्ण अवसर है। मोटर वाहनों के विद्युतीकरण के साथ-साथ पैदल, साइकिल और सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देकर देश के लिये सही रणनीति अपनाई जानी चाहिये।
  • देश भर में इलेक्ट्रिक वाहनों का लाभ उठाने और उन्हें कारगर बनाने हेतु विभिन्न हितधारकों के लिये एक अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की आवश्यकता है।
  • इन हितधारकों के बीच एक समन्वित प्रयास निवेश को सक्षम बनाने, प्रोत्साहित करने और उद्योग का उचित संचालन सुनिश्चित करने में मदद करेगा।

स्रोत: पीआईबी