प्रिलिम्स फैक्ट्स (31 Aug, 2021)



प्रिलिम्स फैक्ट्स: 31 अगस्त, 2021

लैथम्स स्नाइप 

Latham’s Snipe 

शहरी विकास के कारण लैथम्स स्नाइप (Latham’s Snipe) के आवासों को खतरा बना हुआ है क्योंकि पूर्वी ऑस्ट्रेलिया में कई स्निप साइटों को आवासीय विकास और बड़ी बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं से खतरा है।

  • लैथम्स स्नाइप को पहले जापानी स्निप (Japanese Snipe) के नाम से जाना जाता था।

Latham-Snipe

प्रमुख बिंदु

  • विशेषताएँ:
    • लैथम्स स्नाइप ऑस्ट्रेलिया में भूरे रंग के पंखों वाला सबसे बड़ा स्निप है।
    • इनकी असाधारण दृष्टि इन्हें रात में खतरों को पहचानने में मदद करती है, जब ये खुले, गीले और कीचड़ वाले क्षेत्रों में चारा चुगते हैं।
  • आवास:
    • ये मई-जुलाई के दौरान उत्तरी जापान और पूर्वी रूस के कुछ हिस्सों में प्रजनन करते हैं  तथा गैर-प्रजनन मौसम  (सितंबर से मार्च) ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी तट पर बिताते हैं।
    • इसमें अन्य प्रवासी शोरबर्ड की तरह ही प्रजनन और गैर प्रजनन मैदानों के बीच समुद्र के ऊपर नॉन स्टॉप लंबी उड़ान भरने की अविश्वसनीय सहनशक्ति है।
  • संकट:
    • लैथम्स स्नाइप में गिरावट में 20वीं शताब्दी के दौरान दक्षिण-पूर्वी ऑस्ट्रेलिया में शिकार और आर्द्रभूमि के नुकसान ने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।
      • वर्ष 1981 में जापान-ऑस्ट्रेलिया प्रवासी पक्षी समझौते (Japan Australia Migratory Bird Agreement) पर हस्ताक्षर ने दोनों देशों में कुछ हद तक स्निप हंटिंग को रोक दिया है।
  • संरक्षण की स्थिति:

वेस्ट नाइल वायरस संक्रमण

West Nile Virus Infections

हाल ही में रूस ने इस शरद ऋतु में वेस्ट नाइल वायरस (West Nile Virus- WNV) के संक्रमण में संभावित वृद्धि की चेतावनी दी थी क्योंकि हल्के तापमान और भारी वर्षा इसके वाहक मच्छरों के लिये अनुकूल परिस्थितियों का निर्माण करते हैं।

West-Nile-Virus

प्रमुख बिंदु

  • वेस्ट नाइल वायरस के विषय में:
    • यह फ्लैविवायरस जीनस (Flavivirus Genus) का सदस्य है और फ्लैविविरिडे (Flaviviridae) परिवार के जापानी एन्सेफलाइटिस एंटीजेनिक कॉम्प्लेक्स (Japanese Encephalitis Antigenic Complex) से संबंधित है।
    • WNV आमतौर पर अफ्रीका, यूरोप, मध्य पूर्व, उत्तरी अमेरिका और पश्चिम एशिया में पाया जाता है।
    • इससे वृद्ध लोगों, बच्चों और कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों को सबसे अधिक खतरा होता है।
  • उत्पत्ति:
    • WNV को पहली बार वर्ष 1937 में युगांडा के वेस्ट नाइल ज़िले में एक महिला में पाया गया था।
    • इसकी पहचान वर्ष 1953 में नील डेल्टा क्षेत्र में पक्षियों (कौवे और कोलंबिफॉर्मिस) में की गई थी।
    • WNV को वर्ष 1997 से पहले पक्षियों के लिये रोगजनक नहीं माना जाता था, लेकिन इस समय इज़राइल में विषाणु के कारण विभिन्न पक्षी प्रजातियों की मृत्यु हो गई, जो एन्सेफलाइटिस और पक्षाघात के लक्षण दर्शाते थे।
    • कई देशों में 50 से अधिक वर्षों से WNV के कारण मानव संक्रमण की सूचना मिली  है।
  • प्रसार:
    • WNV एक संक्रामक रोग है जो संक्रमित मच्छरों द्वारा फैलता है। यह संक्रमित क्यूलेक्स मच्छर के काटने से पक्षियों से मनुष्यों में फैलता है। यह मनुष्यों में एक घातक स्नायविक (Neurological) रोग का कारण बन सकता है।
    • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, लगभग 20% मामलों में वायरस वेस्ट नाइल बुखार का कारण बनता है। यह जीका, डेंगू और येलो फीवर वायरस से संबंधित है।
  • लक्षण:
    • संक्रमित लोगों में सामान्यतः या तो कोई लक्षण नहीं या बहुत कम लक्षण दिखाई देते हैं।
    • इसके  लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, शरीर में दर्द, त्वचा पर लाल चकत्ते और सूजी हुई लिम्फ ग्रंथियाँ शामिल हैं। ये लक्षण कुछ दिनों से लेकर कई हफ्तों तक बने रह सकते हैं तथा अपने आप खत्म हो जाते हैं।
    • यदि वेस्ट नाइल वायरस मस्तिष्क में प्रवेश करता है, तो यह जीवन के लिये खतरा हो सकता है। यह मस्तिष्क की सूजन का कारण हो सकता है, जिसे एन्सेफलाइटिस कहा जाता है, या मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को घेरने वाले ऊतक की सूजन, जिसे मेनिन्जाइटिस कहा जाता है।
  • उपचार:
    • मानव में होने वाले WNV रोग के लिये कोई विशिष्ट टीका या उपचार नहीं है।
    • WNV से बचने का सबसे अच्छा तरीका है मच्छरों के काटने से बचाव।
    • न्यूरो-इनवेसिव वेस्ट नाइल वायरस वाले रोगियों के उपचार में अक्सर अस्पताल में भर्ती, अंतःस्राव तरल पदार्थ, श्वसन सहायता और द्वितीयक संक्रमणों की रोकथाम शामिल है।

किलाऊआ ज्वालामुखी: हवाई

Kilauea Volcano: Hawaii

हाल ही में हवाई के किलाऊआ ज्वालामुखी में भूकंप के झटके और क्रेटर के दक्षिणी भाग में ज़मीन में उभार देखा गया।

Kilauea-Volcano

प्रमुख बिंदु:

  • संदर्भ:
    • किलाऊआ, जिसे माउंट किलाऊआ (हवाई में "अधिक फैलाने वाला") भी कहा जाता है, संयुक्त राज्य अमेरिका के हवाई द्वीप के दक्षिण-पूर्वी भाग पर हवाई ज्वालामुखी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित है।
      • किलाऊआ के पश्चिमी और उत्तरी ढलान इसके पास के ज्वालामुखी मौनालोआ के साथ विलय होते हैं।
    • यह एक केंद्रीय गड्ढा और पूर्व तथा दक्षिण-पश्चिम दरारों, या दरारों के साथ फैले गड्ढों की रेखाओं से लावा विस्फोट से बना एक लम्बा गुंबद है। ज्वालामुखी का 4,090-फुट (1,250-मीटर) शिखर क्षतिग्रस्त हो गया है जिससे एक काल्डेरा का निर्माण हुआ है।
      • काल्डेरा, क्रेटर (यह ज्वालामुखी शंकु के ऊपर सामान्यतः कीपाकार गर्तनुमा आकृति है) का ही विस्तृत रूप है। यह क्रेटर में धँसाव अथवा विस्फोटक उदगार से निर्मित स्थलरूप माना जाता है। क्रेटर के धँसाव से उसका आकार बड़ा हो जाता है व काल्डेरा का निर्माण होता है। 
  • विस्फोट की घटनाएँ: 
    • काल्डेरा 19वीं शताब्दी के दौरान और 20वीं शताब्दी के शुरुआती भाग में लगभग निरंतर सक्रिय रहने वाला स्थल था।
    • किलाऊआ में वर्ष 1952 से अब तक  लगभग 34 बार विस्फोट हो चुका है।
      • ज्वालामुखी के पूर्वी रिफ्ट ज़ोन के साथ वर्ष 1983 से 2018 तक विस्फोट की गतिविधि लगभग जारी रहीं। दिसंबर 2020 में इसके क्रेटर में विस्फोट हुआ जिससे 10 हूवर बाँधों को भरने के लिये पर्याप्त लावा के साथ एक झील बन गई। वह विस्फोट मई 2021 में समाप्त हुआ।
  • हाल ही में विस्फोट हुए ज्वालामुखी:
  • भारत में ज्वालामुखी:
    • बैरन द्वीप, अंडमान द्वीप समूह (भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी)
    • नारकोंडम, अंडमान द्वीप समूह
    • बारातांग, अंडमान द्वीप समूह
    • डेक्कन ट्रैप्स, महाराष्ट्र
    • धिनोधर हिल्स, गुजरात
    • धोसी हिल, हरियाणा

दारा शिकोह

(Dara Shikoh)

हाल ही में संस्कृति मंत्रालय ने ‘दारा शिकोह’ की कब्र का पता लगाने के लिये ‘भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण’ (ASI) के सात सदस्यीय पैनल का गठन किया है।

  • माना जाता है कि उन्हें दिल्ली में हुमायूँ के मकबरे परिसर में कहीं दफनाया गया था, जो मुगल वंश की 140 कब्रों में से एक है।

Dara-Shikoh

प्रमुख बिंदु

  • दारा शिकोह
    • वह (1615-59) शाहजहाँ के सबसे बड़े पुत्र थे। उन्हें इतिहासकारों द्वारा एक ‘उदार मुस्लिम’ के रूप में वर्णित किया जाता है, जिन्होंने हिंदू और इस्लामी परंपराओं के बीच समानताएँ खोजने की कोशिश की।
    • उन्हें भारत में अंतर-धार्मिक समझ के लिये अकादमिक आंदोलन के अग्रणी के रूप में जाना जाता है। उन्हें प्रमुख धर्मों, विशेष रूप से इस्लाम और हिंदू धर्म की गहरी समझ व ज्ञान था।
      • अपने भाई औरंगज़ेब की तुलना में दारा शिकोह का झुकाव सैन्य गतिविधियों के विपरीत दर्शन और रहस्यवाद की ओर अधिक था।
    • वर्ष 1655 में उनके पिता शाहजहाँ ने उन्हें युवराज घोषित कर दिया, लेकिन शाहजहाँ के बीमार पड़ने के बाद वर्ष 1657 में उनके छोटे भाई औरंगज़ेब ने उन्हें हरा दिया।
    • औरंगज़ेब ने 30 अगस्त, 1659 को 44 वर्ष की आयु में दारा शिकोह की हत्या कर दी।
  • कार्य
    • हिंदू धर्म और इस्लाम के बीच संबंध:
      • उनकी सबसे महत्त्वपूर्ण रचनाएँ- ‘मजमा-उल-बहरीन’ (दो महासागरों का मिलन) और ‘सिर-ए-अकबर’ (महान रहस्य), हिंदू धर्म तथा इस्लाम के बीच संबंध स्थापित करने के लिये समर्पित हैं।
    • भारतीय संस्कृति का प्रचार
      • उन्होंने संस्कृत और फारसी में दक्षता हासिल की तथा भारतीय संस्कृति एवं हिंदू धार्मिक विचारों को लोकप्रिय बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की।
      • उन्होंने उपनिषदों और हिंदू धर्म तथा आध्यात्मिकता के अन्य महत्त्वपूर्ण स्रोतों का संस्कृत से फारसी में अनुवाद किया। इन अनुवादों के माध्यम से उन्होंने हिंदू संस्कृति और आध्यात्मिक परंपराओं को यूरोप एवं पश्चिमी देशों तक पहुँचाया।
        • भारत की बौद्धिक और धार्मिक विरासत में उनका उत्कृष्ट योगदान है।

दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे

Darjeeling Himalayan Railways

हाल ही में दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे (DHR) ने केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित मुद्रीकरण को लेकर चिंता व्यक्त की है।

Darjeeling-Himalayan-Railways

प्रमुख बिंदु:

  • संदर्भ:
    • DHR का निर्माण ब्रिटिश काल में वर्ष 1879 और 1881 के बीच किया गया था।
    • यह पश्चिम बंगाल में हिमालय की तलहटी में स्थित है।
    • यह पहाड़ी यात्री रेलवे का सबसे उत्कृष्ट उदाहरण है। इसका डिज़ाइन पहाड़ी इलाके में एक प्रभावी रेल लिंक स्थापित करने की समस्या के लिये साहसिक और सरल इंजीनियरिंग समाधान लागू करता है।
    • इसे वर्ष 1999 में यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन) विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था।
  • अन्य पर्वतीय रेलवे जिन्हें विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया:

यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल

  • विश्व धरोहर स्थल एक ऐसा स्थान होता है जिसे यूनेस्को द्वारा अपने विशेष सांस्कृतिक या भौतिक महत्त्व के लिये सूचीबद्ध किया जाता है।
  • विश्व धरोहर स्थलों की सूची का रखरखाव यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति द्वारा प्रशासित अंतर्राष्ट्रीय 'विश्व विरासत कार्यक्रम' द्वारा किया जाता है।
  • यह एक अंतराष्ट्रीय संधि में सन्निहित है जिसे विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत के संरक्षण से संबंधित कन्वेंशन कहा जाता है, इसे वर्ष 1972 में यूनेस्को द्वारा अपनाया गया था।
  • भारत में 40 विश्व धरोहर स्थल हैं- 32 सांस्कृतिक, 7 प्राकृतिक और 1 मिश्रित।

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 31 अगस्त, 2021

बुद्धदेब गुहा 

‘मधुकरी’ जैसी कई उल्लेखनीय रचनाओं के रचयिता प्रख्यात बांग्ला लेखक ‘बुद्धदेब गुहा’ का हाल ही में 85 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। प्रधानमंत्री ने बुद्धदेब गुहा के निधन पर शोक व्यक्त किया है। 29 जून, 1936 को कलकत्ता में जन्मे बुद्धदेब गुहा ने अपना बचपन मुख्यतः पूर्वी बंगाल (अब बांग्लादेश) के रंगपुर और बारीसाल ज़िलों में बिताया था। उनके बचपन के अनुभवों और यात्राओं ने उन पर गहरी छाप छोड़ी, जो बाद में उनकी रचनाओं में परिलक्षित हुई। उनके उपन्यासों और लघु कथाओं की आलोचकों द्वारा अत्यधिक प्रशंसा की गई है और उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिसमें वर्ष 1976 में आनंद पुरस्कार, शिरोमन पुरस्कार और शरत पुरस्कार आदि शामिल हैं। 'मधुकरी' के अलावा उनकी  महत्त्वपूर्ण कृतियों में 'कोयलर कच्छे' (कोयल नदी के पास) और 'सोबिनॉय निबेदों' (विनम्र भेंट) भी शामिल हैं। बुद्धदेब गुहा की तमाम रचनाएँ पूर्वी भारत की प्रकृति और जंगलों के साथ उनकी निकटता को दर्शाती हैं। उनकी दो कृतियों- 'बाबा होवा' (बीइंग ए फादर) और 'स्वामी होवा' (बीइंग ए हसबैंड) पर एक पुरस्कार विजेता बंगाली फिल्म 'डिक्शनरी' भी बनाई गई थी। इसके अलावा बुद्धदेब गुहा एक सफल चार्टर्ड अकाउंटेंट, प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीत गायक और कुशल चित्रकार भी थे।

परमाणु परीक्षण के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय दिवस

परमाणु हथियारों के परीक्षण के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता लाना और ऐसे परीक्षणों के विरुद्ध आमजन की भावना को मज़बूत करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 29 अगस्त को ‘परमाणु परीक्षण के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ (International Day against Nuclear Tests) का आयोजन किया जाता है। ‘परमाणु परीक्षण के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ की स्थापना 2 दिसंबर, 2009 को ‘संयुक्त राष्ट्र महासभा’ द्वारा अपने 64वें सत्र के दौरान की गई थी। वर्ष 1991 में कज़ाखस्तान में यूएसएसआर-नियंत्रित ‘सेमिपालाटिंस्क परमाणु परीक्षण’ स्थल के बंद होने की 18वीं वर्षगाँठ के अवसर पर कज़ाखस्तान ने इस दिवस के आयोजन का प्रस्ताव दिया था। ज्ञात हो कि पहला परमाणु परीक्षण (जिसे ‘ट्रिनिटी’ कहा जाता है) संयुक्त राज्य अमेरिका की सेना द्वारा न्यू मैक्सिको के एक रेगिस्तान में 16 जुलाई, 1945 को किया गया था। इसके बाद अमेरिका ने अगस्त 1945 में जापान के हिरोशिमा और नागासाकी में पहली बार इसका प्रयोग किया। इस हमले के कारण अनुमानतः 2,00,000 लोगों की मृत्यु हुई और जीवित बचे हुए लोग विकिरण-प्रेरित कैंसर से ग्रसित हो गए। इस विनाशकारी घटना के बावजूद वर्ष 1945 से वर्ष 1996 के बीच कुल 2000 परमाणु परीक्षण किये गए। इसके अलावा वर्ष 2013 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) द्वारा ‘26 सितंबर’ को ‘अंतर्राष्ट्रीय परमाणु हथियार पूर्ण उन्मूलन दिवस’ के रूप में घोषित किया गया था।

फिट इंडिया मोबाइल एप

हाल ही में केंद्रीय खेल मंत्री ने ‘राष्ट्रीय खेल दिवस’ के अवसर पर ‘फिट इंडिया मोबाइल एप’ का शुभारंभ किया है। फिट इंडिया एप एंड्रॉइड और आईओएस दोनों प्लेटफॉर्म पर अंग्रेज़ी एवं हिंदी में निःशुल्क उपलब्ध है। ‘फिट इंडिया मोबाइल एप’ प्रत्येक भारतीय को मोबाइल के माध्यम से फिटनेस स्तर की जाँच करने की सुविधा प्रदान करता है। इस एप में फिटनेस स्कोर, एनिमेटेड वीडियो, गतिविधि ट्रैकर्स और व्यक्तिगत विशिष्ट ज़रूरतों को पूरा करने संबंधी अनूठी विशेषताएँ हैं। साथ ही एप्लीकेशन की ‘एक्टिविटी ट्रैकर’ सुविधा दैनिक गतिविधि पर नज़र रखने में मदद करती है। वास्तविक समय पर स्टेप ट्रैकर व्यक्तियों को उनके दैनिक कार्यों की जानकारी प्राप्त करने में मदद करता है और उन्हें उच्च लक्ष्य निर्धारित करने के लिये प्रोत्साहित करता है। यह एप व्यक्तियों को दैनिक स्तर पर जल की मात्रा, कैलोरी मात्रा और नींद के घंटों की भी निगरानी रखने में मदद करता है। ध्यातव्य है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 अगस्त, 2019 को ‘राष्ट्रीय खेल दिवस’ के अवसर पर ‘फिट इंडिया मूवमेंट’ की शुरुआत की थी, जिसका उद्देश्य फिटनेस को प्रत्येक भारतीय के जीवन का अभिन्न अंग बनाना था। 

अवनि लेखरा

भारतीय पैरालिंपियन और राइफल शूटर ‘अवनि लेखरा’ ने हाल ही में पैरालंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीत कर इतिहास रच दिया है और वे स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गई हैं। अवनि लेखरा ने वर्ष 2016 के रियो खेलों के स्वर्ण पदक विजेता चीन के क्यूपिंग झांग को पीछे छोड़ दिया है। जयपुर की 19 वर्षीय अवनि लेखरा, जिन्हें वर्ष 2012 में एक कार दुर्घटना के दौरान रीढ़ की हड्डी में चोट का सामना करना पड़ा था, ने कुल 249.6 अंक अर्जित किये, जो कि स्वयं में एक पैरालंपिक विश्व रिकॉर्ड है। इसके अलावा वह तैराक मुरलीकांत पेटकर (1972), भाला फेंकने वाले देवेंद्र झाझरिया (2004 और 2016) और हाई जम्पर मरियप्पन थंगावेलु (2016) के बाद पैरालंपिक स्वर्ण पदक जीतने वाली चौथी भारतीय एथलीट भी हैं। यह अवनि लखेरा का पहला बड़ा अंतर्राष्ट्रीय पदक भी है। वर्ष 2019 में पिछली विश्व चैंपियनशिप में वह चौथे स्थान पर रही थीं।