सैटेलाइट इंटरनेट
चर्चा में क्यों?
स्टारलिंक को भारत में उपग्रह-आधारित इंटरनेट (सैटेलाइट इंटरनेट) सेवाएँ प्रदान करने के लिये एकीकृत लाइसेंस मिल गया है।
सैटेलाइट इंटरनेट किस प्रकार कार्य करता है?
- परिचय: सैटेलाइट इंटरनेट कक्षा में घूमने वाले उपग्रहों या मेगा-कान्स्टलेशन (तारामंडलों) — यानी सैकड़ों से लेकर हज़ारों उपग्रहों का उपयोग करता है, जो अलग-अलग ऊँचाइयों पर स्थापित होते हैं। ये उपग्रह पृथ्वी पर स्थित यूज़र टर्मिनलों और अंतरिक्ष-आधारित अवसंरचना के बीच डेटा का संचार करते हैं।
- कार्य प्रणाली: सैटेलाइट इंटरनेट दो खंडों की प्रणाली पर कार्य करता है —अंतरिक्ष खंड (Space Segment) भू-खंड (Ground Segment)
- अंतरिक्ष खंड (Space Segment): इसमें विभिन्न कक्षाओं (orbits) में स्थित उपग्रह शामिल होते हैं, जिन्हें डेटा संचार (data transmission) के लिये संचार पेलोड्स से सुसज्जित किया जाता है।
- उपग्रह उपयोगकर्त्ता टर्मिनलों या ग्राउंड स्टेशनों से डेटा सिग्नल प्राप्त करते हैं, उन्हें संसाधित (process) या रिले (relay) करते हैं और फिर उन्हें पुनः पृथ्वी पर प्रसारित कर देते हैं।
- LEO मेगा-तारामंडल (mega-constellations) में ऑन-बोर्ड सिग्नल प्रोसेसिंग और ऑप्टिकल इंटर-सैटेलाइट लिंक्स शामिल होते हैं, जिससे उपग्रह-से-उपग्रह सीधा संचार संभव होता है और ग्राउंड स्टेशनों पर निर्भरता कम हो जाती है।
- भू-खंड (Ground Segment):
इसमें उपयोगकर्ता टर्मिनल (जैसे एंटेना, मॉडेम) और ग्राउंड स्टेशन शामिल होते हैं, जो उपग्रहों से संचार करते हैं।- टर्मिनल उपग्रहों को अनुरोध भेजते हैं, और उपग्रह डेटा को तारामंडल या भू-आधारित अवसंरचना के माध्यम से रूट करके इंटरनेट बैकबोन तक पहुँचाते हैं।
- कक्षीय तैनाती: उपग्रहों को 3 मुख्य कक्षाओं में तैनात किया जाता है:
- भूस्थिर पृथ्वी कक्षा (GEO): भूमध्य रेखा से लगभग 35,786 कि.मी. ऊपर स्थित है। एक GEO उपग्रह पृथ्वी की सतह का लगभग एक-तिहाई भाग कवर करता है।
- इसका कवरेज व्यापक तथा विलंबता (लेटेंसी) अधिक होती है, इसलिये यह रीयल-टाइम अनुप्रयोगों के लिये उपयुक्त नहीं है।
- मध्यम पृथ्वी कक्षा (MEO): 2,000–35,786 कि.मी. की ऊँचाई पर स्थित है। इसकी विलंबता GEO की तुलना में कम है, लेकिन वैश्विक कवरेज के लिये इसे तारामंडलों की आवश्यकता होती है। उदाहरण: O3b MEO।
- निम्न पृथ्वी कक्षा (LEO): यह पृथ्वी से 2,000 कि.मी. से कम ऊँचाई पर स्थित होती है। इसमें बहुत कम लेटेंसी, छोटे आकार के उपग्रह और तेज़ी से तैनाती की सुविधा होती है, लेकिन प्रत्येक उपग्रह की कवरेज क्षेत्र अपेक्षाकृत छोटा होता है।
- LEO उपग्रह वैश्विक पहुँच के लिये “मेगा-कान्स्टलेशन (तारामंडल)” (Mega-Constellations) का निर्माण करते हैं। उदाहरण: Starlink, जिसके पास 7,000 से अधिक उपग्रह हैं।
- भूस्थिर पृथ्वी कक्षा (GEO): भूमध्य रेखा से लगभग 35,786 कि.मी. ऊपर स्थित है। एक GEO उपग्रह पृथ्वी की सतह का लगभग एक-तिहाई भाग कवर करता है।
- अंतरिक्ष खंड (Space Segment): इसमें विभिन्न कक्षाओं (orbits) में स्थित उपग्रह शामिल होते हैं, जिन्हें डेटा संचार (data transmission) के लिये संचार पेलोड्स से सुसज्जित किया जाता है।
सैटेलाइट इंटरनेट के प्रमुख संभावित अनुप्रयोग क्या हैं?
- संपर्क एवं संचार: कॉम्पैक्ट उपयोगकर्त्ता टर्मिनलों के माध्यम से दूरदराज के क्षेत्रों में इंटरनेट प्रदान करता है।
- भविष्य की प्रत्यक्ष-से-स्मार्टफोन सेवाओं का लक्ष्य स्मार्ट उपकरणों में कनेक्टिविटी को एकीकृत करना है, जो इंटरनेट और एव्रीथिंग (IOE) को सक्षम बनाता है।
- परिवहन, रसद और सार्वजनिक सेवाएँ: नेविगेशन को बढ़ाता है, स्वायत्त वाहनों का समर्थन करता है, रसद में सुधार करता है, स्मार्ट शहरों को सशक्त बनाता है, प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली प्रदान करता है तथा समन्वित आपदा प्रतिक्रिया को सक्षम बनाता है।
- स्वास्थ्य देखभाल और कृषि: टेलीमेडिसिन और दूरस्थ रोगी निगरानी की सुविधा प्रदान तथा परिशुद्ध कृषि, फसल स्वास्थ्य निगरानी और अनुकूलित संसाधन उपयोग का समर्थन करता है।
- सामरिक, औद्योगिक और पर्यावरणीय उपयोग: रक्षा संचालन, पर्यावरण निगरानी, ऊर्जा अन्वेषण और पर्यटन में सहायता करता है, जबकि इसके दोहरे उपयोग की प्रकृति के लिये राष्ट्रीय अनुकूलन योजनाओं में एकीकरण, डिजिटल विभाजन के अंतर को कम करना तथा रणनीतिक लाभ के लिये अंतर्राष्ट्रीय शासन को आकार देना आवश्यक है।
- आपदा प्रतिक्रिया और आपातकालीन संचार: यह आपदा प्रभावित क्षेत्रों में कनेक्टिविटी की तीव्र तैनाती की अनुमति देता है, जिससे आपातकालीन प्रबंधन को सहायता मिलती है।
- 2017 में हरिकेन हार्वे (Hurricane Harvey) के दौरान जब स्थलीय नेटवर्क विफल हो गए थे, उस समय सैटेलाइट इंटरनेट ने बचाव कार्यों को संभव बनाया।
नोट:
- स्टारलिंक (Starlink): यह स्पेसएक्स (SpaceX) द्वारा विकसित एक सैटेलाइट इंटरनेट कान्स्टलेशन(satellite internet constellation) है, जो वैश्विक स्तर पर हाई-स्पीड और लो-लेटेंसी इंटरनेट प्रदान करता है।
- भारत में वाणिज्यिक सैटेलाइट इंटरनेट सेवाएँ अभी संचालित नहीं हैं।
- यूटेलसैट वनवेब (Eutelsat OneWeb), रिलायंस जियो-SES और स्टारलिंक को आवश्यक अनुमति प्राप्त हो चुकी है और सरकार इसके वाणिज्यिक शुभारंभ के लिये स्पेक्ट्रम आवंटन को अंतिम रूप दे रही है।
प्रमुख उपग्रह आधारित इंटरनेट परियोजनाएँ:
- प्रोजेक्ट काइपर (Project Kuiper - Amazon): 3,200 से अधिक उन्नत LEO उपग्रह तैनात करने की योजना है, ताकि वैश्विक स्तर पर सस्ती और हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड सेवा उपलब्ध कराई जा सके।
- स्टारलिंक (Starlink - SpaceX): 2019 में शुरू हुआ, जिसका लक्ष्य 42,000 उपग्रहों वाला एक LEO मेगा-कान्स्टलेशन स्थापित करना है।
- वनवेब (OneWeb - यूटेलसैट, फ्राँस): स्टारलिंक के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा सैटेलाइट कान्स्टलेशन संचालित करता है।
- क़ियानफान या G60 स्टारलिंक नक्षत्र (Qianfan / G60 Starlink Constellation - चीन): शंघाई स्पेसकॉम सैटेलाइट टेक्नोलॉजी (SSST) द्वारा प्रस्तावित LEO मेगा-नक्षत्र, जिसका उद्देश्य वैश्विक इंटरनेट कवरेज प्रदान करना है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. भारत के डिजिटल बुनियादी ढाँचे और अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में बदलाव लाने में उपग्रह इंटरनेट सेवाओं की क्षमता का परीक्षण कीजिये। इनके क्रियान्वयन में प्रमुख नियामक और परिचालन चुनौतियाँ क्या हैं? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रिलिम्स:
प्रश्न. निम्नलिखित में से किसका/किनका मापन/आकलन करने के लिये उपग्रह चित्रों/सुदूर संवेदी आँकड़ों का इस्तेमाल किया जाता है? (2019)
1. किसी विशेष स्थान की वनस्पति में पर्णहरित का अंश
2. किसी विशेष स्थान के धान के खेतों से ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन
3. किसी विशेष स्थान का भूपृष्ठ तापमान
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d)
प्रश्न. भारत के उपग्रह प्रमोचित करने वाले वाहनों के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
- PSLV से वे उपग्रह प्रमोचित किये जाते हैं जो पृथ्वी के संसाधनों के मानीटरन में उपयोगी हैं, जबकि GSLV को मुख्यत: संचार उपग्रहों को प्रमोचित करने के लिये अभिकल्पित किया गया है।
- PSLV द्वारा प्रमोचित उपग्रह आकाश में एक ही स्थिति में स्थायी रूप में स्थिर रहते प्रतीत होते हैं जैसा कि पृथ्वी के एक विशिष्ट स्थान से देखा जाता है।
- GSLV Mk III, एक चार-स्टेज वाला प्रमोचन वाहन है, जिसमें प्रथम और तृतीय चरणों में ठोस रॉकेट मोटरों का तथा द्वितीय और चतुर्थ चरणों में द्रव रॉकेट इंजनों का प्रयोग होता है।
उपर्युत्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) 2 और 3
(c) 1 और 2
(d) केवल 3
उत्तर: (a)
प्रश्न. वेब 3.0 के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2022)
- वेब 3.0 प्रौद्योगिकी से व्यक्ति अपने स्वयं के आँकड़ों पर नियंत्रण कर सकते हैं।
- वेब 3.0 संसार में, ब्लॉकचेन आधारित सामाजिक नेटवर्क हो सकते हैं।
- वेब 3.0 किसी निगम द्वारा परिचालित होने की बजाय प्रयोक्ताओं द्वारा सामूहिक रूप से परिचालित किया जाता है।
उपर्युक्त कथनों में कौन-से सही हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d)
मेन्स
प्रश्न: अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों पर चर्चा कीजिये। इस तकनीक के अनुप्रयोग ने भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में किस प्रकार सहायता की? (2016)
प्रश्न. क्या ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष रूप से, डिजिटल निरक्षरता ने सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आइ० सी० टी०) कीअल्प-उपलब्धता के साथ मिलकर सामाजिक-आर्थिक विकास में बाधा उत्पन्न किया है? औचित्य सहित परीक्षण कीजिये। (2021)
अमेरिका- रूस अलास्का शिखर सम्मेलन
अमेरिका- रूस अलास्का शिखर सम्मेलन बिना किसी अंतिम समझौते के समाप्त हो गया, जिससे रूस-यूक्रेन विवाद अनसुलझा रह गया। इसकी विफलता ने भारत के रूसी तेल आयात पर शुल्कों को लेकर अमेरिका-भारत संबंधों में संभावित चुनौतियों को उजागर कर दिया है।
- अमेरिकी टैरिफ पर भारत की चिंताएँ: अमेरिका ने भारतीय निर्यात पर संयुक्त रूप से 50% टैरिफ लगाने की घोषणा की है, जिसमें मौज़ूदा 25% टैरिफ और अतिरिक्त 25% टैरिफ शामिल है।
- इससे भारत के व्यापारिक संबंधों में भारी व्यवधान उत्पन्न हो सकता है, अमेरिकी बाज़ार में भारतीय वस्तुओं की लागत बढ़ सकती है तथा आर्थिक वार्ताएँ जटिल हो सकती हैं।
- अमेरिका का लक्ष्य भारत जैसे आयातकों (जो अपने कच्चे तेल का 35-40% रूस से आयात करता है) पर दबाव डालकर रूस के तेल राजस्व में कटौती करना है। अमेरिकी कॉन्ग्रेस में एक विधेयक में रूस की युद्ध अर्थव्यवस्था में मदद करने वाले देशों पर 500% तक टैरिफ लगाने का प्रस्ताव है।
- भारत की सामरिक स्वायत्तता: भारत का लक्ष्य सामरिक स्वायत्तता बनाए रखना, रूस और अमेरिका के साथ संबंधों को संतुलित करना तथा अपने व्यापार, ऊर्जा सुरक्षा और रक्षा विकल्पों को राष्ट्रीय हित से प्रेरित रखना है।
- भू-राजनीतिक प्रभाव: अमेरिका-रूस अलास्का शिखर सम्मेलन में शांति समझौते को अंतिम रूप देने में विफलता से रूस-यूक्रेन संघर्ष के आसपास अनिश्चितता बनी हुई है, वैश्विक कूटनीतिक प्रयास जटिल हो रहे हैं तथा सुरक्षा गारंटी, क्षेत्रीय रियायतें और उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) की भूमिका पर चिंताएँ बढ़ रही हैं।
और पढ़ें: रूस-यूक्रेन संघर्ष |
‘गोल्डन डोम’ मिसाइल रक्षा प्रणाली
अमेरिकी ने ‘गोल्डन डोम’ मिसाइल रक्षा प्रणाली के डिज़ाइन को अंतिम रूप दे दिया गया है।
‘गोल्डन डोम’ मिसाइल रक्षा प्रणाली
- परिचय: यह एक उन्नत बहुस्तरीय मिसाइल रक्षा प्रणाली है जिसमें अंतरिक्ष-आधारित सेंसर और इंटरसेप्टर लगे हैं जो विदेशी मिसाइल हमलों से अमेरिका की सुरक्षा के लिये विकसित की गई है।
- यह हाइपरसोनिक, बैलिस्टिक, क्रूज़ मिसाइलों और ड्रोन का मुकाबला करने के लिये डिज़ाइन की गई है, जो उपग्रह-आधारित सेंसर के माध्यम से वैश्विक स्तर पर कार्य करती है।
- यह इज़राइल के आयरन डोम और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति रीगन के वर्ष 1983 के रणनीतिक रक्षा पहल (स्टार वार्स कार्यक्रम) से प्रेरित है।
- यह मौजूदा अमेरिकी मिसाइल रक्षा प्रणालियों के घटकों को एकीकृत करेगी, जिसमें पैट्रियट बैटरी, THAAD, एजिस BMD और ग्राउंड-बेस्ड मिडकोर्स डिफेंस (GMD) शामिल हैं।
- कार्यप्रणाली: सैकड़ों उपग्रहों के नेटवर्क का उपयोग करते हुए, यह मिसाइलों को बूस्ट चरण में लक्षित करती है, लॉन्च के तुरंत बाद, उन्हें अंतरिक्ष में प्रवेश करने से पहले या उसके तुरंत बाद रोक देती है।
वैश्विक मिसाइल रक्षा प्रणालियाँ
प्रणाली |
रेंज (कि.मी.) |
विशेषताएँ |
आयरन डोम (इज़रायल) |
70 |
आबादी वाले क्षेत्रों को लक्षित करने वाले रॉकेट और ड्रोन को रोकती है; रडार-आधारित पहचान |
एस-400 ट्रायम्फ (रूस) |
400 |
बहु-मिसाइल प्रणाली; स्टेल्थ विमान, क्रूज़ मिसाइल तथा कई लक्ष्यों को निशान बनाती है |
बराक-8 (इज़रायल/भारत) |
70–100 |
भूमि और नौसेना प्रणाली; विमान, मिसाइल, और UAV के विरुद्ध 360° सुरक्षा |
HQ-9 (चीन) |
125 |
S-300 से प्रेरित: UAV, विमान, बैलिस्टिक और क्रू मिसाइलों को अवरोध करती है |
और पढ़ें: भारत में सामरिक रक्षा प्रौद्योगिकियाँ |
अरबिंदो घोष
श्री अरबिंदो - एक राजनीतिक विचारक, नेता, कार्यकर्त्ता-पत्रकार और भारतीय सभ्यता और संस्कृति के विद्वान - की जयंती 15 अगस्त, 2025 को मनाई गई।
अरबिंदो घोष
- परिचय: अरबिंदो घोष का जन्म 15 अगस्त, 1872 को कलकत्ता में हुआ था। वह एक योगी, द्रष्टा, दार्शनिक, कवि और भारतीय राष्ट्रवादी थे। उनका निधन 5 दिसंबर, 1950 को पुद्दुुचेरी में हुआ था।
- उन्होंने भारतीय सिविल सेवा (ICS) की परीक्षा उत्तीर्ण की थी, लेकिन घुड़सवारी की परीक्षा में शामिल नहीं हुए या असफल रहे, जिसके कारण उन्होंने ब्रिटिश राज की नौकरशाही में कॅरियर बनाने से इनकार कर दिया।
- योगदान:
- क्रांतिकारी जीवन: गांधीजी के नेतृत्व से पहले उन्होंने उग्र राष्ट्रवाद का समर्थन किया बड़े पैमाने पर लामबंदी का आह्वान किया।
- न्यू लैम्प्स फॉर ओल्ड, अरबिंदो घोष द्वारा लिखे गए लेखों की एक शृंखला थी जिसमें कॉन्ग्रेस की उदारवादी नीतियों की आलोचना की गई थी।
- उन्हें अलीपुर बम कांड (1908) में गिरफ्तार किया गया और चित्तरंजन दास ने उनका सफलतापूर्वक बचाव किया।
- आध्यात्मिक और दार्शनिक: उन्होंने पुद्दुुचेरी में श्री अरबिंदो आश्रम (1926) की स्थापना की और मीरा अल्फासा (माँ) के साथ सहयोग किया, जिन्होंने बाद में एक सार्वभौमिक टाउनशिप ऑरोविले की स्थापना की।
- साहित्यिक योगदान: उन्होंने कई महत्त्वपूर्ण रचनाएँ लिखीं, जिनमें द लाइफ डिवाइन, सावित्री, एस्सेज़ ऑन द गीता, द सिन्थेसिस ऑफ योगा, और डिफेन्स ऑफ इंडियन कल्चर शामिल हैं।
- उन्होंने बंदे मातरम, युगांतर और कर्मयोगी जैसी क्रांतिकारी पत्रिकाओं की स्थापना की और उनमें योगदान दिया तथा अनुशीलन समिति जैसे युवा संगठनों से भी जुड़े रहे।
- उन्हें साहित्य में नोबेल पुरस्कार (1943) और नोबेल शांति पुरस्कार (1950) के लिये नामांकित किया गया था।
- क्रांतिकारी जीवन: गांधीजी के नेतृत्व से पहले उन्होंने उग्र राष्ट्रवाद का समर्थन किया बड़े पैमाने पर लामबंदी का आह्वान किया।
- विरासत और प्रभाव: वह भारत को विश्वगुरु के रूप में देखने वाले प्रारंभिक विचारकों में से थे। उन्होंने आध्यात्मिक नेतृत्व, उपनिवेशवाद से मुक्ति और भारतीय सभ्यता पर गर्व की भावना को विशेष रूप से महत्त्व दिया।
और पढ़ें: श्री अरबिंदो |
डिब्रू-सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान
असम स्थित डिब्रू-सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान (Dibru-Saikhowa National Park- DSNP) में देशी और आक्रामक पौधों की प्रजातियों के कारण महत्त्वपूर्ण पारिस्थितिक परिवर्तन हो रहे हैं।
प्रमुख खतरे:
- आक्रामक पौधे: क्रोमोलेना ओडोराटा, एगेरेटम कोनीज़ोइड्स, पार्थेनियम हिस्टेरोफोरस और मिकानिया माइक्रांथा जैसी प्रजातियाँ देशी वनस्पतियों को प्रतिस्थापित कर देती हैं, घास के मैदानों को क्षति पहुँचाती हैं, और उन पर निर्भर जीव-जंतुओं के लिये खतरा पैदा करती हैं।
- देशी घासभूमि के अतिक्रमणकर्त्ता: बॉम्बैक्स सीबा (सिमालू) और लैगरस्ट्रोमिया स्पेशिओसा (अजार) प्राकृतिक वनस्पति को परिवर्तित कर देते हैं, जिससे झाड़ीदार भूमि और क्षतिग्रस्त वन क्षेत्र में वृद्धि होती है।
- बाढ़ और मानवीय दबाव: ब्रह्मपुत्र नदी में बार-बार आने वाली बाढ़, वन ग्राम की मौजूदगी, चराई और संसाधनों का दोहन मृदा अपरदन (Soil Erosion), आवासों का विखंडन (Fragmentation) और जैव विविधता की हानि को तेज़ी से बढ़ा रहे हैं।
- भूमि उपयोग और आवरण में परिवर्तन (2000–2024): घासभूमियों और अर्द्ध-सदाबहार वनों का झाड़ीदार भूमि और क्षतिग्रस्त वनों में रूपांतरण हुआ है, जिससे स्थानीय और घासभूमि पर निर्भर प्रजातियों — जैसे बंगाल फ्लोरिकन, हॉग डियर, और स्वैम्प ग्रास बैबलर — के आवास घटते जा रहे हैं। इसके अलावा लगभग 200 बचे हुए स्थानीय जंगली घोड़ों (Feral Horses) के अस्तित्व पर भी संकट मंडरा रहा है।
डिब्रू-सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान (DSNP)
- स्थिति: DSNP असम में स्थित है, यह ब्रह्मपुत्र और लोहित नदियों (उत्तर) और डिब्रू नदी (दक्षिण) से घिरा हुआ है।
- बायोस्फीयर रिज़र्व: वर्ष 1997 में यूनेस्को ने इस क्षेत्र को बायोस्फीयर रिज़र्व के रूप में नामित किया।
- वनस्पति एवं जलवायु: अर्द्ध-सदाबहार, पर्णपाती, तटीय, दलदली और आर्द्र सदाबहार वन, जिनमें पूर्वोत्तर भारत का सबसे बड़ा सैलिक्स दलदली वन भी शामिल है।
- यहाँ उष्णकटिबंधीय मानसूनी जलवायु पाई जाती है, जिसमें उष्ण और आर्द्र ग्रीष्मकाल तथा शीत और शुष्क शीत काल होती हैं।
- वनस्पति एवं जीव-जंतु:
- वनस्पति: डिलेनिया इंडिका, बिशोफिया जावानिका, बॉम्बैक्स सीबा, लेगरस्ट्रोमिया परविफ्लोरा।
- जीव-जंतु: बाघ, हाथी, तेंदुआ, जंगली बिल्ली, भालू, छोटा भारतीय सिवेट, गिलहरी, गंगा डॉल्फिन, स्लो लोरिस, असमिया मकाक।
- यह एक महत्त्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र (IBA) है, जिसमें 382 से अधिक पक्षी प्रजातियाँ हैं, जिनमें बड़े और छोटे एडजुटेंट स्टॉर्क, बड़े क्रेस्टेड ग्रीब शामिल हैं।
नोट:
- असम में 7 राष्ट्रीय उद्यान हैं:
एस्चेरिचिया कोलाई बैक्टीरिया
शोधकर्त्ताओं ने जेनेटिकली इंजीनियर्ड एस्चेरिचिया कोली बैक्टीरिया (E. coli) को सफलतापूर्वक स्व-चालित रासायनिक सेंसर में परिवर्तित कर दिया है।
- ई. कोलाई (E. coli) एक ग्राम-नेगेटिव, छड़ी-आकार का बैक्टीरिया है, जो एंटरोबैक्टीरेसी (Enterobacteriaceae) परिवार से संबंधित है। यह मनुष्य और पशुओं की आंतों में पाया जाता है। यह आंतों की सूक्ष्मजीव संतुलन (gut microbiota balance) बनाए रखने में मदद करता है तथा जल में मल प्रदूषण का संकेतक भी है।
इंजीनियर्ड ई. कोलाई
- विषय में: इंजीनियर्ड ई. कोली एक बायो-सेंसर के रूप में कार्य करता है, जो रसायनों का पता लगाने, संकेतों को संसाधित करने और विद्युत आउटपुट का उत्पादन करने में सक्षम है।
- महत्व: एंज़ाइम-आधारित बायोसेंसर जैसे पारंपरिक बायोसेंसर जटिल वातावरण में नाज़ुक, महँगे और धीमे होते हैं। जीवित सूक्ष्मजीवों का उपयोग करने वाले संपूर्ण-कोशिका बायोसेंसर दूषित नमूनों में स्वयं मरम्मत और कार्य कर सकते हैं।
- इसे पारंपरिक एंज़ाइम-आधारित बायोसेंसर के एक सस्ते, मज़बूत और प्रोग्रामेबल विकल्प के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
- अनुप्रयोग: बायोसेंसर जल विषाक्त पदार्थों का पता लगाते हैं, प्रदूषण को नियंत्रित करते हैं, सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिमों की चेतावनी देते हैं, पोर्टेबल इलेक्ट्रॉनिक्स के साथ कार्य करते हैं तथा प्रोग्रामेबल बायोइलेक्ट्रॉनिक्स को आगे बढ़ाते हैं।
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