प्रिलिम्स फैक्ट्स (19 Jul, 2025)



जैव उत्तेजक

स्रोत: इकोनॉमिक टाइम्स

हाल ही में आयोजित ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ में केंद्रीय कृषि मंत्री ने जैव-उत्तेजकों (बायोस्टिमुलेंट्स) की अनियंत्रित बिक्री के मुद्दे पर जोर दिया और घोषणा की कि केवल वही जैव-उत्तेजकों को मंज़ूरी दी जाएगी जो सभी आवश्यक मानदंडों को पूरा करते हैं और वैज्ञानिक रूप से किसानों के लिये लाभकारी सिद्ध होते हैं।

  • ये अनुमोदन पूर्णतः वैज्ञानिक सत्यापन के आधार पर प्रदान किये जायेंगे।

जैव उत्तेजक

  • परिचय: बायोस्टिमुलेंट्स ऐसे पदार्थ या सूक्ष्मजीव (जैसे लाभकारी बैक्टीरिया, फफूंद या पौधों से प्राप्त अर्क) होते हैं, जो जब बीजों, पौधों या मिट्टी पर लगाए जाते हैं, तो पौधों की प्राकृतिक प्रक्रियाओं को सक्रिय या प्रोत्साहित करते हैं।
    • जैव उत्तेजक पदार्थ पोषण दक्षता, अजैविक तनाव सहनशीलता, फसल की गुणवत्ता को बढ़ाते हैं।
  • सतत् कृषि में योगदान:
    • पौधों की अजैविक तनाव (abiotic stress) जैसे कि सूखा, अत्यधिक तापमान (ठंड, पाला और गर्मी) तथा लवणीयता (salinity) के प्रति सहनशीलता को बेहतर बनाना।
    • लागू किए गए और पहले से मौजूद पोषक तत्वों के अवशोषण और कुशल उपयोग को बढ़ाना।
    • लाभकारी मिट्टी सूक्ष्मजीवों को प्रोत्साहित करके मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार करना।
    • पौधों के स्वास्थ्य और शक्ति के माध्यम से फसल की गुणवत्ता में वृद्धि

फसल योग्य पैदावार में वृद्धि

जैव उत्तेजक का वर्गीकरण 

जैव उत्तेजक

विवरण

उदाहरण

ह्यूमिक और फुल्विक एसिड

पौधों, पशुओं और सूक्ष्मजीवी अवशेषों से प्राप्त मृदा कार्बनिक पदार्थ।

पीट, लियोनार्डाइट, सेमी-सॉफ्ट कोल

समुद्री शैवाल के अर्क

विभिन्न निष्कर्षण प्रक्रियाओं के माध्यम से व्युत्पन्न।

घुलनशील पाउडर या तरल अर्क

कम्पोस्ट खाद कम्पोस्ट

सूक्ष्मजीवों की वृद्धि को बढ़ावा देने के लिये खाद को स्वामित्व सामग्री के साथ मिलाया जाता है।

कम्पोस्ट खाद से तरल जैवउर्वरक

लाभकारी बैक्टीरिया और फफूंद/कवक

बैक्टीरिया और कवक जो जड़ों की वृद्धि में सहायता करते हैं।

बैसिलस, राइज़ोबियम कवक

  • भारत में बाज़ार परिदृश्य: भारत में जैव उत्तेजक बाज़ार का मूल्य वर्ष 2024 में लगभग 355-362 मिलियन अमेरिकी डॉलर था और वर्ष 2032 तक इसके 1.13 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 1.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बीच पहुँचने का अनुमान है।
  • संबंधित प्रावधान: भारत में, जैव उत्तेजक पदार्थों को उर्वरक (अकार्बनिक, कार्बनिक या मिश्रित) नियंत्रण आदेश (FCO), 1985 के माध्यम से विनियमित किया जाता है, जिसे हाल ही में वर्ष 2024 और 2025 में संशोधित किया गया है।
    • कृषि सहकारिता विभाग द्वारा प्रशासित उर्वरक (नियंत्रण) आदेश, 1985, आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के अंतर्गत जारी किया गया है।

जैविक खेती से संबंधित पहल


‘द रेज़िस्टेंस फ्रंट’ वैश्विक आतंकवादी संगठन के रूप में सूचीबद्ध

स्रोत: द हिंदू 

भारत ने अमेरिका द्वारा द रेज़िस्टेंस फ्रंट (TRF) को आधिकारिक रूप से विदेशी आतंकी संगठन (FTO) और विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी (SDGT) घोषित किये जाने के निर्णय का समर्थन किया है।

नोट: पहलगाम आतंकी हमले के बाद, भारत ने TRF के खिलाफ वैश्विक कार्रवाई की मांग करते हुए एक कूटनीतिक पहल शुरू की थी।

‘द रेज़िस्टेंस फ्रंट (TRF)’ क्या है?

  • परिचय: TRF एक पाकिस्तान-आधारित आतंकी संगठन है, जो जम्मू-कश्मीर में सक्रिय है। इसका गठन वर्ष 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद हुआ था। इसे व्यापक रूप से लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का प्रॉक्सी संगठन माना जाता है।
  • गठन का उद्देश्य: लश्कर-ए-तैयबा के नेतृत्व के कमज़ोर होने के बाद TRF का गठन किया गया ताकि आतंकवाद को एक स्थानीय और स्वदेशी स्वरूप दिया जा सके।
    • इसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय निगरानी से बचना (विशेषकर फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) द्वारा पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखे जाने के बाद) था। TRF कश्मीर में आतंकवाद को "स्थानीय जन आंदोलन" के रूप में दर्शाने की रणनीति के तहत बनाया गया।
  • कार्यप्रणाली (Modus Operandi): शुरुआत में TRF एक सोशल मीडिया-आधारित नेटवर्क था, लेकिन धीरे-धीरे यह एक पूर्ण आतंकी संगठन के रूप में विकसित हुआ। इसमें ऑनलाइन प्रचार, भर्ती अभियान और सूचना युद्ध शामिल हैं।
    • TRF, अपने मूल संगठन LeT के विपरीत, फिदायीन (आत्मघाती) हमलों से परहेज करता है।
  • भारत और TRF: वर्ष 2023 में, भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने TRF को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (UAPA) के तहत आतंकी संगठन घोषित किया था। TRF को आतंकी प्रचार, भर्ती, घुसपैठ और पाकिस्तान से जम्मू-कश्मीर में हथियारों व मादक पदार्थों की तस्करी में शामिल पाया गया।

लश्कर-ए-तैयबा (LeT)

  • उद्भव: 1990 के दशक की शुरुआत में लश्कर-ए-तैयबा का गठन "मरकज़-उद-दावा वल इरशाद" के सैन्य अंग के रूप में हुआ था। इसका प्रारंभिक उद्देश्य अफगानिस्तान में सोवियत सेनाओं का विरोध करना था।
    यह भारत केंद्रित सबसे बड़ा और सक्रिय आतंकी संगठन माना जाता है, विशेषकर जम्मू-कश्मीर में।
  • प्रमुख आतंकी हमले: वर्ष 2008 का मुंबई आतंकवादी हमला (26/11) – लश्कर-ए-तैयबा की सबसे कुख्यात साजिश। वर्ष 2006 का मुंबई लोकल ट्रेन धमाके तथा वर्ष 2010 का में पुणे जर्मन बेकरी विस्फोट, इन सभी हमलों में लश्कर की संलिप्तता पाई गई।
  • वैश्विक स्थिति: संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) और संयुक्त राष्ट्र (UN) ने लश्कर-ए-तैयबा को आतंकी संगठन के रूप में सूचीबद्ध किया है। पाकिस्तान ने वर्ष 2002 में इसे आधिकारिक रूप से प्रतिबंधित कर दिया था, परंतु इसके गुप्त संचालन अभी भी जारी हैं।
  • फ्रंट संगठनों का उपयोग: LeT चैरिटी और भर्ती के लिये निम्नलिखित संगठनों का उपयोग करता है:
    • जमात-उद-दावा (JuD)
    • फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (FiF)

ये दोनों संगठन अब लश्कर-ए-तैयबा के छद्म नाम (Aliases) के रूप में घोषित किये जा चुके हैं।

  •  संचालन अड्डे: LeT पाकिस्तान में प्रशिक्षण शिविर, शैक्षणिक संस्थान और क्लिनिक संचालित करता है। ये ढाँचे उसके आतंकी नेटवर्क को संगठित, प्रशिक्षित और विस्तारित करने में सहायक हैं।
  • रणनीति: LeT अपनी पहचान छुपाने और स्थानीय समर्थन पाने के लिये आतंकी गतिविधियों के साथ-साथ धार्मिक/सामाजिक कार्यों में भी संलग्न रहता है। यह रणनीति उसे जन समर्थन और वित्तीय संसाधन जुटाने में सहायता करती है, जिससे आतंकवाद का नेटवर्क चलता रहता है।

नोट: गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (UAPA): यह अधिनियम आतंकी संगठनों या व्यक्तियों को आतंकवादी घोषित करता है, आतंकी गतिविधियों को आपराधिक अपराध के रूप में चिन्हित करता है तथा जाँच व अभियोजन के लिये सक्षम अधिकारियों को अधिकार प्रदान करता है।

  • UAPA, 1967 के अंतर्गत 45 संगठनों को आतंकवादी संगठन के रूप में सूचीबद्ध तथा 23 संगठनों को गैरकानूनी संघ (Unlawful Associations) घोषित किया गया है। वर्ष 2019 के संशोधन के बाद यह प्रावधान जोड़ा गया कि अब व्यक्तियों को भी आतंकवादी घोषित किया जा सकता है, ताकि नए नाम से संगठनों के पुनर्गठन की संभावनाओं पर रोक लगाई जा सके।
  • राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण अधिनियम, 2008 (NIA) आतंकी गतिविधियों से संबंधित अपराधों की जाँच व अभियोजन के लिये एक केंद्रीय एजेंसी (NIA) की स्थापना करता है। 

भारत-केंद्रित प्रमुख आतंकवादी संगठन (पाकिस्तान में सक्रिय)

नाम

संक्षिप्त विवरण

भारत में स्थिति (UAPA, 1967 के अनुसार)

जैश-ए-मोहम्मद (JEM)

लश्कर-ए-तैयबा (LET) के साथ मिलकर इसने वर्ष 2001 में भारतीय संसद पर हमले की जिम्मेदारी ली थी

प्रतिबंधित

हरकत-उल-जिहाद-इस्लामी (HUJI)

प्रारंभ में सोवियत सेना के खिलाफ लड़ने के लिये गठित, बाद में इसने भारत के विरुद्ध गतिविधियाँ शुरू कीं। अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश और भारत में सक्रिय है। उद्देश्य: कश्मीर को पाकिस्तान में विलय करना

प्रतिबंधित

हरकत-उल-मुजाहिदीन (HUM)

मुख्य रूप से पाक-अधिकृत कश्मीर और पाकिस्तान के कुछ शहरों से संचालित होता है।

प्रतिबंधित

हिज्ब-उल-मुजाहिदीन (Hizb-ul Mujahideen)

पाकिस्तान की सबसे बड़ी इस्लामी राजनीतिक पार्टी का सैन्य अंगजम्मू-कश्मीर में सक्रिय सबसे बड़े और पुराने आतंकी संगठनों में से एक।

प्रतिबंधित

अल-कायदा (Al Qaeda)

मुख्य रूप से पूर्व संघीय प्रशासित जनजातीय क्षेत्र (FATA), कराची और अफगानिस्तान से संचालित होता है।

प्रतिबंधित

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ) 

प्रिलिम्स: 

प्रश्न. 'हैंड-इन-हैंड 2007' एक संयुक्त आतंकवाद विरोधी सैन्य प्रशिक्षण भारतीय और निम्नलिखित में से किस देश की सेना के अधिकारियों द्वारा आयोजित किया गया था? (2008)

(a) चीन
(b) जापान
(c) रूस
(d) अमेरिका

उत्तर: (a)


मेन्स

प्रश्न. भारत सरकार ने हाल ही में गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (यू.ए.पी.ए.), 1967 और एन.आई.ए. अधिनियम में संशोधन के द्वारा आतंकवाद-रोधी कानूनों को मज़बूत कर दिया है। मानवाधिकार संगठनों द्वारा गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम का विरोध करने के विस्तार और कारणों पर चर्चा करते समय वर्तमान सुरक्षा परिवेश के संदर्भ में परिवर्तनों का विश्लेषण कीजिये। (2019)


बैलिस्टिक और वायु रक्षा प्रणालियों में भारत की प्रगति

स्रोत: द हिंदू 

भारत ने ओडिशा के चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज से अपनी स्वदेशी बैलिस्टिक मिसाइलों पृथ्वी-II और अग्नि-I का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है।

  • यह परीक्षण भारतीय सेना द्वारा लद्दाख में स्वदेशी वायु रक्षा प्रणाली "आकाश प्राइम" के सफल परीक्षणों के बाद किया गया है। 

पृथ्वी-II

अग्नि-I

  • DRDO द्वारा विकसित, अग्नि-I एक परमाणु-सक्षम, अल्प-से-मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल है जिसकी मारक क्षमता 700-900 किलोमीटर है।
  • यह 1,000 किलोग्राम पेलोड का वहन कर सकती है, सड़क और रेल द्वारा संचालित है और भारत की विश्वसनीय न्यूनतम रोध रणनीति में पृथ्वी (मिसाइल) शृंखला तथा लंबी दूरी की अग्नि मिसाइलों के बीच का विकल्प है।

आकाश प्राइम

  • यह आकाश मिसाइल प्रणाली का एक उन्नत संस्करण है, जो विभिन्न मौसम और भू-स्थितियों में बेहतर सटीकता के लिये एक स्वदेशी सक्रिय रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF) सीकर युक्त है।
  • इसका पहला उपयोग पाकिस्तानी वायु खतरों के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर में किया गया था। यह एक मध्यम दूरी की, सतह-से-वायु में मार करने वाली प्रणाली है जिसे गतिशील और स्थिर संरचनाओं की रक्षा के लिये डिज़ाइन किया गया है।
    • आकाश प्राइम में उच्च स्वचालन, देश-दर-देश गतिशीलता और वास्तविक समय के बहु-सेंसर डेटा का उपयोग करके एक साथ कई लक्ष्यों पर निशाना साधने की क्षमता है।
  • यह 4,500 मीटर तक की ऊँचाई पर संचालन में सक्षम है और 25-30 किमी. दूर के खतरों को साध सकता है।

बैलिस्टिक मिसाइल

  • बैलिस्टिक मिसाइलें रॉकेट-चालित शस्त्र हैं जो प्रक्षेपण के बाद मुक्त-पतन प्रक्षेप पथ (Free-Fall Trajectory) का अनुसरण करते हैं। ये पारंपरिक या परमाणु आयुध का वहन कर सकते हैं और इन्हें ज़मीन, समुद्र या हवा से प्रक्षेपित किया जा सकता है।
  • दूरी के आधार पर, इन्हें अल्प (<1,000 किमी.), मध्यम (1,000-3,000 किमी.), मध्यवर्ती (3,000-5,500 किमी.), या लंबी दूरी या अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों (ICBM) (>5,500 किमी) में वर्गीकृत किया जाता है। अग्नि-V भारत की दीर्घतम दूरी की मिसाइल है, जो 5,000 किमी. से अधिक की दूरी वाली एक ICBM है।

और पढ़ें: भारत में सामरिक रक्षा प्रौद्योगिकियाँ


भारत का पहला डिजिटल नोमाड गाँव

स्रोत: द हिंदू

सिक्किम के पाक्योंग ज़िले का याकतेन गाँव आधिकारिक रूप से भारत का पहला डिजिटल नोमैड गाँव घोषित किया गया है। यह घोषणा ‘नोमैड सिक्किम’ पहल के तहत की गई है।

  • याकतेन नोमैड गाँव के बारे में: यह हिमालयी राज्य में स्थायी पर्यटन, दूरस्थ कार्य के अवसरों और ज़मीनी स्तर पर उद्यमशीलता को बढ़ावा देने की दिशा में एक कदम है।
    • यह स्थानीय उद्यमिता और युवा नवाचार को बढ़ावा देने के लिये सिक्किम के मुख्यमंत्री की "एक परिवार, एक उद्यमी" पहल के अनुरूप है।
  • उद्देश्य: इसका उद्देश्य सिक्किम में रणनीतिक स्थानों को भारत और विदेशों में डिजिटल पेशेवरों के लिये वर्ष भर के केंद्रों में बदलना है, साथ ही पर्यटन ऑफ-सीजन के दौरान होमस्टे मालिकों हेतु स्थायी आय के अवसर सुनिश्चित करना है, जो छह महीने तक चल सकता है।
  • नोमैड सिक्किम पहल के बारे में: यह पाकयोंग ज़िला प्रशासन और सर्वहिती NGO की एक संयुक्त पहल है, जिसका उद्देश्य दूरस्थ कार्य और शांतिपूर्ण जीवन का मिश्रण चाहने वाले पेशेवरों के लिये एक डिजिटल नोमैड हब बनाना है।
    • डिजिटल नोमैड वह व्यक्ति होता है जो तकनीक का उपयोग करके दूरस्थ (रिमोट) तरीके से काम करता है और ऑनलाइन कमाई करता है, जबकि वह अपनी पसंद के विभिन्न स्थानों पर घूमते हुए जीवन व्यतीत करता है।
  • सिक्किम राज्य को भारत का पहला पूर्ण रूप से जैविक (ऑर्गेनिक) राज्य (2016) होने का गौरव प्राप्त है। यह देश का पहला राज्य है जिसने जैविक मत्स्य पालन (ऑर्गेनिक एक्वाकल्चर) की शुरुआत की, और वर्ष 2016 में 100% खुले में शौच मुक्त (ODF) का दर्जा प्राप्त करने वाला पहला राज्य भी बना।

और पढ़ें: सिक्किम में भारत का प्रथम जैविक मत्स्य पालन क्लस्टर


गुजरात के बन्नी घास के मैदान चीता पुनःस्थापना के लिये तैयार

स्रोत: TH

गुजरात के बन्नी घास के मैदान, जो प्रोजेक्ट चीता के तहत एक नामित स्थल हैं, अब चीता पुनःस्थापना के लिये तैयार हैं। यहाँ 600 हेक्टेयर का सुरक्षित बाड़ा, घासभक्षी प्रजातियों की बढ़ती आबादी और आवश्यक आधारभूत संरचना उपलब्ध है।

बन्नी घासभूमि: एक आदर्श आवास स्थल

  • बन्नी घासभूमि का परिदृश्य अफ्रीका की प्राकृतिक घासभूमि, सवाना एवं झाड़ीदार भूमि से अत्यंत मेल खाता है, जो चीतों के लिये आदर्श आवास बनाता है।
  • गुजरात वन विभाग ने यहाँ एक प्रजनन केंद्र (Breeding Centre) की स्थापना तथा चीतों के लिये शिकार प्रजातियों (जैसे: चीतल और सांभर) की संख्या में वृद्धि की है।

बन्नी घासभूमि:

  • परिचय: बन्नी, एशिया की सबसे बड़ी घासभूमि है, जो गुजरात में ग्रेट रण ऑफ कच्छ के समीप स्थित है।
    •  यह घासभूमि टेक्टोनिक गतिविधियों के कारण समुद्र से उभरी है।
  • वनस्पति: यहाँ की वनस्पति विरल (sparse) है और मुख्यतः वर्षा पर निर्भर करती है। इसमें कम ऊँचाई वाली वनस्पतियाँ, फोर्ब्स (forbs), और घास वर्गीय पौधों (graminoids) का प्रभुत्व है, जिनमें कई लवण-सहिष्णु (halophytic) प्रजातियाँ हैं। इसके अतिरिक्त, झाड़ियाँ और कुछ विरल पेड़ भी पाए जाते हैं।
    • यह क्षेत्र “चिर बत्ती” (Chir Batti) के लिये भी प्रसिद्ध है, यह एक रहस्यमयी रात में दिखाई देने वाली प्रकाशीय घटना है, जिसे "भूतिया रोशनी" भी कहा जाता है।
  • पारिस्थितिकी तंत्र: बन्नी में आर्द्रभूमि और घास के मैदानों का अनूठा मिश्रण है, जो एक साथ मौजूद हैं। 
    • प्रमुख प्रजातियों में शामिल हैं: बन्नी भैंस, कांकरेज गाय, भारतीय जंगली गधा, ऊँट और घोड़े।
  • सांस्कृतिक महत्त्व: बन्नी कई अर्द्ध-घुमंतू समुदायों का निवास स्थान है, जिनमें मालधारी समुदाय प्रमुख है।
  • मालधारी (Maldharis): ये पारंपरिक चरवाहा जनजाति (silvipastoralists) हैं, जो बन्नी और गिर वन क्षेत्रों में रहते हैं। ये लोग भेड़, बकरी, गाय, भैंस और ऊँट जैसे पशुओं का पालन करते हैं। इनकी जीवनशैली घासभूमि पारिस्थितिकी से गहराई से जुड़ी है।
  • चीता: चीता, विश्व का सबसे तेज़ दौड़ने वाला स्तनपायी, भारत का एकमात्र बड़ा मांसाहारी है जो वर्ष 1952 में विलुप्त हो गया था।
    • यह अन्य बड़े बिल्ली प्रजातियों की तरह गर्जता (Roar) नहीं है, बल्कि अपनी उपस्थिति और क्षेत्र को चहक (chirps), भौंक (barks), और हकलाहट जैसी ध्वनियों (stutter barks) से दर्शाता है।
    • चीतों की प्रवृत्ति एकाकी (solitary) होती है और मूत्र छिड़काव (urine spray), गाल रगड़ना (cheek rubbing) और पेड़ों पर खरोंच (tree scratching) लगाकर  अपना क्षेत्र चिह्नित करते हैं। 

CHEETAH

Grassland

और पढ़ें: प्रोजेक्ट चीता का एक वर्ष


प्रधानमंत्री विरासत का संवर्द्धन (PM VIKAS) योजना

स्रोत: पी.आई.बी. 

चर्चा में क्यों?

अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय (MoMA) ने प्रधानमंत्री विरासत संवर्द्धन (PM VIKAS) योजना के अंतर्गत कौशल प्रशिक्षण और महिला उद्यमिता विकास परियोजना शुरू की।

  • इसके तहत 150 युवाओं को इंटरनेट ऑफ थिंग्स और 300 महिला प्रशिक्षुओं को नेतृत्व एवं उद्यमिता विकास का प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण के दौरान उम्मीदवारों को वजीफा (वृत्ति) दिया जाएगा और उन्हें रोज़गार एवं स्वरोज़गार के अवसरों के लिये सहायता दी जाएगी।

प्रधानमंत्री-विकास (PM-VIKAS) योजना क्या है?

  • परिचय: 
    • यह अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय (MoMA) की एक कौशल विकास पहल है, जो पूरे देश के अल्पसंख्यक और कारीगर समुदायों की कौशल प्रशिक्षण, उद्यमिता एवं नेतृत्व विकास की आवश्यकताओं पर केंद्रित है।
      • यह योजना स्किल इंडिया मिशन के साथ समन्वय में लागू की जाती है और स्किल इंडिया पोर्टल (SIP) के साथ एकीकृत है।
    • PM VIKAS योजना, मंत्रालय की पूर्ववर्ती कौशल और शिक्षा संबंधी पहलों को एकीकृत करके एक साझा मंच प्रदान करती है ताकि भारत के छह अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों - मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी (ज़रथुस्त्र) के सामाजिक-आर्थिक विकास को प्रोत्साहन दिया जा सके।
    • इस योजना के अंतर्गत, लाभार्थियों को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम (NMDFC) द्वारा दी जाने वाली ऋण योजनाओं से जोड़कर क्रेडिट लिंकिंग की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाती है।
  • क्रियान्वयन:
    • इस योजना के क्रियान्वयन हेतु मंत्रालय का उद्देश्य अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों (MCA) में कला और शिल्प समूहों का चयन करना है।
    • इस योजना का उद्देश्य पर्यटन मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, पंचायती राज मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय तथा कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय जैसे अन्य मंत्रालयों के साथ समन्वय स्थापित करना भी है, ताकि चिह्नित समूहों में अल्पसंख्यकों का समग्र विकास सुनिश्चित किया जा सके।
  • योजना के घटक:
    • कौशल एवं प्रशिक्षण घटक:
      • परंपरागत प्रशिक्षण (पूर्व में USTTAD और हमारी धरोहर): यह घटक अल्पसंख्यक कारीगर समुदायों एवं उनके परिवार के सदस्यों को पारंपरिक कला और शिल्प (विशेष रूप से लुप्तप्राय कला रूपों) में आवश्यकता-आधारित पाठ्यक्रमों के माध्यम से प्रशिक्षण प्रदान करता है।
      • गैर-पारंपरिक कौशल प्रशिक्षण (पूर्व में सीखो और कमाओ): इसका उद्देश्य अल्पसंख्यकों और कारीगर परिवारों को ऐसे क्षेत्रों में राष्ट्रीय कौशल योग्यता ढाँचा (नेशनल स्किल क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क- NSQF) के अनुरूप नौकरी से संबंधित भूमिकाओं में कौशल प्रशिक्षण देना है, जो कला और शिल्प से जुड़े हों और रोज़गार के अवसर प्रदान करते हों।
    • नेतृत्व एवं उद्यमिता घटक (पूर्व में नई रोशनी)
      • इसका उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदायों और हस्तशिल्प से जुड़े परिवारों के युवाओं के बीच नेतृत्व विकास और मूलभूत उद्यमिता को बढ़ावा देना है, जिसके लिये केंद्रित प्रशिक्षण मॉड्यूल्स तैयार किये गए हैं।
      • इस पहल के उद्यमिता उप-घटक का लक्ष्य नेतृत्व एवं उद्यमिता में प्रशिक्षित महिलाओं को विशेष सहयोग प्रदान करना है, जिसमें उन्हें गहन उद्यमिता प्रशिक्षण दिया जाएगा।
      • इसके अतिरिक्त, इस योजना के अंतर्गत प्रशिक्षित महिलाओं में से इच्छुक उद्यमियों का चयन कर उन्हें व्यवसाय मार्गदर्शक (योजना में जिन्हें ‘बिज़-सखिस’ (Biz-Sakhis) कहा जाएगा) बनाया जाएगा तथा उनके व्यक्तिगत या समूह आधारित उद्यमों की स्थापना को प्रोत्साहित किया जाएगा।
    • शिक्षा घटक (पूर्व में 'नई मंज़िल'):
      • इस घटक का उद्देश्य अल्पसंख्यक एवं हस्तशिल्पी समुदायों के स्कूल छोड़ चुके युवाओं को कक्षा 8वीं से 12वीं तक की मुक्त विद्यालयी शिक्षा प्राप्त करने हेतु एक शिक्षा सेतु कार्यक्रम प्रदान करना है। यह कार्यक्रम उन्हें राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (NIOS) या अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय (MoMA) द्वारा अनुमोदित किसी अन्य संस्था के माध्यम से प्रमाणन प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है।

अल्पसंख्यक समुदायों के उत्थान से संबंधित योजनाएँ:

कौशल विकास, उद्यमिता और प्रशिक्षण से संबंधित योजनाएँ