मॉरीशस में PASSEX और EEZ निगरानी
- भारतीय नौसेना के प्रथम प्रशिक्षण स्क्वाड्रन (1TS) (INS तीर, ICGS सारथी और INS शार्दुल) के जहाज़ों ने अपनी लंबी दूरी की प्रशिक्षण तैनाती के हिस्से के रूप में ला रियूनियन (फ्राँस) और पोर्ट लुईस (मॉरीशस) में बंदरगाहों का दौरा किया।
- फ्राँस: ला रियूनियन में, INS तीर और ICGS सारथी ने फ्राँसीसी नौसेना के साथ एक जलयात्रा अभ्यास (पासेक्स) किया तथा क्षेत्रीय सुरक्षा तथा भारत-फ्राँस नौसैनिक साझेदारी को मज़बूत करने पर चर्चा की।
- मॉरीशस: पोर्ट लुईस में INS शार्दुल ने मॉरीशस के साथ संयुक्त अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) गश्त, प्रशिक्षण और आउटरीच का आयोजन किया, जिससे भारत-मॉरीशस संबंधों को बढ़ावा मिला।
- महत्त्व: ला रियूनियन और मॉरीशस में एक साथ होने वाले 1TS बंदरगाह दौरे, समुद्री सहयोग, क्षेत्रीय स्थिरता और हिंद महासागर क्षेत्र में महासागर (MAHASAGAR) विज़न के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को उजागर करते हैं।
पोत का नाम |
विवरण |
INS तीर |
भारतीय नौसेना का पहला समर्पित कैडेट प्रशिक्षण पोत। नौसेना द्वारा डिज़ाइन किया गया और मझगाँव डॉक लिमिटेड, मुंबई द्वारा निर्मित। कोच्चि में स्थित। इसमें डेका कोलिज़न अवॉइडेंस प्लॉट (Decca Collision Avoidance Plot) और सैटनेव (Satellite Navigation System) लगा है। |
भारतीय तटरक्षक पोत सारथी (ICGS Sarathi) |
गोवा शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा स्वदेशी रूप से निर्मित तीसरा अपतटीय गश्ती पोत (Offshore Patrol Vessel - OPV)। यह भारत के पश्चिमी तट और द्वीपीय क्षेत्रों में तटरक्षक की परिचालन क्षमता को बढ़ाता है। |
INS शार्दुल |
अपने उभयचर युद्ध वर्ग का प्रमुख पोत। कोच्चि में स्थित। इसने कैडेट प्रशिक्षण, हिंद महासागर निगरानी और मानवीय मिशन संचालित किये। वर्ष 2020 में मेडागास्कर को राहत पहुँचाई, जो किसी भारतीय युद्धपोत द्वारा भेजा गया सबसे बड़ा राहत भार था। |
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नियोक्ता एवं कर्मचारी पंजीकरण प्रोत्साहन योजना (SPREE)- 2025
कर्मचारी राज्य बीमा निगम (Employees’ State Insurance Corporation- ESIC) ने दो प्रमुख पहलों - SPREE-2025 और AMNESTY योजना की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य सामाजिक सुरक्षा ढाँचे को सुदृढ़ करना और उद्योगों के लिये अनुपालन को सरल बनाना है।
SPREE-2025
- परिचय: ESIC द्वारा अनुमोदित नियोक्ता एवं कर्मचारी पंजीकरण प्रोत्साहन योजना (Scheme for Promoting Registration of Employers and Employees- SPREE)- 2025 का उद्देश्य कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948 के तहत सामाजिक सुरक्षा कवरेज का विस्तार करना है।
- 1 जुलाई से 31 दिसंबर, 2025 तक सक्रिय, यह अस्थायी और संविदा श्रमिकों सहित अपंजीकृत नियोक्ताओं तथा कर्मचारियों को निरीक्षण या पिछले बकाया का सामना किये बिना नामांकन करने का एक बार का अवसर प्रदान करता है।
- प्रमुख विशेषताएँ:
- नियोक्ता ESIC, श्रम सुविधा (Shram Suvidha), और MCA पोर्टलों के माध्यम से डिजिटल रूप से पंजीकरण कर सकते हैं और पंजीकरण उनकी घोषित तिथि से मान्य होगा।
- पंजीकरण से पहले की अवधि के लिये कोई योगदान या लाभ लागू नहीं होगा और उस अवधि के लिये कोई निरीक्षण या पिछले रिकॉर्ड की मांग नहीं की जाएगी।
- यह पूर्वव्यापी दंड के भय को दूर करता है तथा प्रक्रिया को सरल बनाता है तथा स्वैच्छिक अनुपालन को प्रोत्साहित करता है।
AMNESTY योजना
- यह एक बार की विवाद समाधान पहल है जिसे ESI अधिनियम के तहत क्षति, ब्याज और कवरेज से संबंधित मुद्दों को निपटाने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- यह 1 अक्तूबर ,2025 से 30 सितंबर, 2026 तक प्रभावी रहेगा।
- इस योजना का उद्देश्य नियोक्ताओं को लंबित विवादों को सुलझाने और अनुपालन को मज़बूत करने का अवसर प्रदान करना है, जिससे मुकदमों की संख्या कम होगी तथा कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा लाभों का सुचारू वितरण सुनिश्चित होगा।
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आदि कर्मयोगी अभियान पर राष्ट्रीय सम्मेलन
जनजातीय कार्य मंत्रालय ने भारत मंडपम, नई दिल्ली में एकीकृत जनजातीय विकास अभिकरणों (ITDA) के परियोजना अधिकारियों के साथ आदि कर्मयोगी अभियान पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया।
- इस कार्यक्रम का केंद्रबिंदु आदि कर्मयोगी अभियान, PM-जनमान, और धरती आबा अभियान जैसी प्रमुख जनजातीय विकास पहलें थीं, जिनका उद्देश्य ज़मीनी स्तर पर नेतृत्व और सेवा वितरण को सशक्त बनाना है।
- आदि कर्मयोगी अभियान: विश्व का सबसे बड़ा ज़मीनी स्तर का जनजातीय नेतृत्व कार्यक्रम, जिसके अंतर्गत 1 लाख गाँवों में 20 लाख परिवर्तनकारी नेताओं को सामाजिक परिवर्तन के उत्प्रेरक के रूप में तैयार किया जा रहा है।
- धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान: यह एक अभिसरण-आधारित मिशन है, जिसका लक्ष्य समन्वित योजना के माध्यम से जनजातीय गाँवों में आवश्यक सेवाएँ, योजनाएँ और अवसंरचना व्यापक रूप से उपलब्ध कराना है।
- प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान (PM-JANMAN): एक लक्षित पहल, जिसका उद्देश्य विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTG) को आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल, विद्युतीकरण और आजीविका सुनिश्चित करना है।
- एक प्रमुख आकर्षण आदि संस्कृति का शुभारंभ था। इसे जनजातीय समुदायों की संस्कृति और पारंपरिक ज्ञान को संरक्षित एवं प्रोत्साहित करने के लिए विश्व का पहला डिजिटल विश्वविद्यालय के रूप में परिकल्पित किया गया है, साथ ही यह एक ऑनलाइन बाज़ार भी होगा जहाँ विश्व भर के लोग जनजातीय कारीगरों द्वारा बनाए गए उत्पादों तक पहुँच सकेंगे। यह मंच तीन प्रमुख घटकों को एकीकृत करता है:
- आदि विश्वविद्यालय (डिजिटल जनजातीय कला अकादमी): वर्तमान में जनजातीय नृत्य, चित्रकला, शिल्पकला, संगीत और लोककथाओं पर 45 गहन पाठ्यक्रम प्रदान कर रहा है।
- आदि संपदा (सामाजिक-सांस्कृतिक भंडार): पाँच विषयों में फैले 5,000 से अधिक चयनित दस्तावेज़ों का संग्रह, जिसमें चित्रकला, नृत्य, वस्त्र एवं परिधान, कलाकृतियाँ और आजीविका शामिल हैं।
- आदि हाट (ऑनलाइन बाज़ार): वर्तमान में TRIFED से जुड़ा हुआ है और आगे चलकर यह जनजातीय कारीगरों के लिये एक समर्पित ऑनलाइन बाज़ार बनेगा, जो उन्हें सतत् आजीविका और उपभोक्ताओं तक सीधी पहुँच प्रदान करेगा।
- समेकित आदिवासी विकास एजेंसियाँ (ITDAs): वर्ष 1970 और 1980 के दशक में स्थापित की गईं, ये विशेषीकृत संस्थाएँ अनुसूचित जनजातियों तक सार्वजनिक सेवाओं और विकास कार्यक्रमों की प्रभावी पहुँच सुनिश्चित करने के लिये बनाई गई हैं।
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