एडिटोरियल (28 Aug, 2025)



भारत के ऑनलाइन गेमिंग उद्योग का विनियमन

यह एडिटोरियल 25/08/2025 को द इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित "Blanket Ban on Online Money Gaming: The Wrong Answer," लेख पर आधारित है। लेख में तर्क दिया गया है कि यद्यपि सरकार की गेमिंग की लत, वित्तीय हानि और धोखाधड़ी संबंधी चिंताएँ उचित हैं, परंतु प्रतिबंध सबसे प्रभावी समाधान नहीं है। इसमें एक अधिक संतुलित विनियामक दृष्टिकोण की वकालत की गई है। 

ऑनलाइन गेमिंग प्रोत्साहन एवं विनियमन विधेयक, 2025 के पारित होने से भारत में ऑनलाइन मनी गेमिंग पर पूर्ण प्रतिबंध को लेकर चिंताएँ उठी हैं। यद्यपि सरकार का उद्देश्य गेमिंग की लत, मानसिक स्वास्थ्य और वित्तीय हानियों जैसे मुद्दों का समाधान करना है, किंतु ऐसा प्रतिबंध सबसे प्रभावी समाधान नहीं हो सकता। जैसे-जैसे भारत अपनी उभरती डिजिटल अर्थव्यवस्था के साथ एक महत्त्वपूर्ण गेमिंग हब के रूप में सामने आ रहा है, तो प्रतिबंध की बजाय विनियमन पर केंद्रित एक संतुलित दृष्टिकोण इन मुद्दों का समाधान करेगा और उद्योग की निरंतर वृद्धि को भी प्रोत्साहित करेगा। 

भारत में गेमिंग उद्योग की वृद्धि को बढ़ाने वाले कारक कौन से हैं? 

  • प्रौद्योगिकी प्रेरक:  
    • बेहतर इंटरनेट अवसंरचना और कनेक्टिविटी: भारतनेट और राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड मिशन (NBM) जैसी पहलें ग्रामीण और दूरदराज़ क्षेत्रों में उच्च गति इंटरनेट उपलब्ध कराने पर केंद्रित हैं 
      • 5जी रोलआउट ने इंटरनेट गति को और बढ़ाया है तथा लैटेंसी को कम किया है, जो बेहतर गेमिंग अनुभव के लिये अत्यावश्यक है। 
      • मॉर्डर इंटेलिजेंस रिपोर्ट (2023) के अनुसार, भारत का गेमिंग बाज़़ार 2023 में 2.2 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँचा और 2028 तक इसके 8.6 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने की संभावना है, जो 27.4% की CAGR को दर्शाता है 
    • डेटा और स्मार्टफोन्स तक किफायती पहुँच: इस तकनीकी लोकतांत्रीकरण ने विभिन्न सामाजिक-आर्थिक वर्गों में ऑनलाइन गेमिंग के व्यापक प्रसार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 
      • सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) के हालिया सर्वेक्षण के अनुसार, भारत के 85% से अधिक घरों में अब स्मार्टफोन हैं और 86.3% घरों में इंटरनेट की पहुँच उपलब्ध है। 
      • अमेरिका और चीन में क्रमशः 37% और 62% की तुलना में भारत में मोबाइल फोन गेमिंग बाज़़ार का 90% हिस्सा है। 
    • उन्नत तकनीकों का बढ़ता एकीकरण: ऑगमेंटेड रियलिटी (AR), वर्चुअल रियलिटी (VR), क्लाउड गेमिंग और ब्लॉकचेन जैसी तकनीकों का एकीकरण गेमिंग अनुभव को अत्यधिक बेहतर बना रहा है एवं नवाचार की नई संभावनाओं को खोल रहा है।
      • AR और VR खंड के 2029 तक 9.74% की CAGR हासिल करने की संभावना है।
  • नीतिगत एवं सांस्कृतिक परिवर्तन:  
    • सरकारी समर्थन और विनियामक उपाय: आईटी (मध्यस्थ दिशा-निर्देश एवं डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम 2021 जैसी पहल ने ऑनलाइन गेमिंग के लिये एक विनियामक ढाँचा उपलब्ध कराया है, जिसमें हानिकारक सामग्री और लत से संबंधित चिंताओं का समाधान किया गया है। 
      • स्व-नियामक निकायों की स्थापना तथा एनीमेशन, विज़ुअल इफेक्ट्स, गेमिंग और कॉमिक्स (AVGC) प्रोत्साहन टास्क फोर्स ने उद्योग की वृद्धि और विकास को प्रोत्साहित करने का कार्य किया है। 
      • साथ ही, हाल ही में सरकार द्वारा कॉन्टेंट क्रिएटर्स अवार्ड में गेमर्स को मान्यता दिया जाना गेमिंग क्षेत्र को मज़बूत बनाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। 
        • ‘क्रिएट इन इंडिया’ अभियान का उद्देश्य भारत में कंटेंट क्रिएटर्स और नवाचारकर्त्ताओं को सशक्त करना है।
    • सांस्कृतिक बदलाव और धारणा में परिवर्तन: कोविड-19 लॉकडाउन ऑनलाइन गेमिंग को वर्चुअल मनोरंजन और सामाजिक संपर्क के रूप में अपनाने में तेजी लाया। 
      • महामारी लॉकडाउन के दौरान भारत के ऑनलाइन गेमिंग उद्योग का कारोबार 50% बढ़ा और राष्ट्रीय औसत गेमिंग समय 2.5 घंटे प्रतिदिन से बढ़कर 4.1 घंटे प्रतिदिन हो गया। 
        • इस संलग्नता में परिवर्तन ने धीरे-धीरे धारणा को भी बदला, जिससे ऑनलाइन गेमिंग एक साधारण गतिविधि से एक वैध करियर विकल्प में बदल गई 
      • ई-स्पोर्ट्स का उदय और मान्यता:कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 और एशियाई खेलों में ई-स्पोर्ट्स को पदक प्रतियोगिता के रूप में शामिल करने से इसकी स्थिति में उल्लेखनीय वृद्धि हुई और इसे एक वैध खेल गतिविधि के रूप में स्थापित किया। 
        • भारतीय टीमों और खिलाड़ियों की वैश्विक ई-स्पोर्ट्स मंचों पर सफलता ने न केवल उद्योग की प्रतिष्ठा को बढ़ाया, बल्कि नई पीढ़ी के महत्त्वाकांक्षी गेमर्स को भी प्रेरित किया। 
        • ड्रीमहैक हैदराबाद 2024 में विभिन्न खेलों की प्रतियोगिताएँ आयोजित हुईं, जिसने देशभर से प्रतिभागियों को आकर्षित किया और ई-स्पोर्ट्स पारिस्थितिकी तंत्र को प्रोत्साहित किया।
  • आर्थिक प्रेरक: 
    • फलता-फूलता स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र और निवेश प्रवाह: भारत का जीवंत स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र स्टार्टअप इंडिया और आत्मनिर्भर भारत रूपरेखा द्वारा समर्थित, अनेक गेमिंग कंपनियों एवं प्लेटफॉर्मों की वृद्धि को प्रोत्साहित कर रहा है। 
      • ये स्टार्टअप्स नवाचार को आगे बढ़ा रहे हैं और भारतीय उपभोक्ताओं की विविध गेमिंग प्राथमिकताओं को पूरा कर रहे हैं, जिससे देश में गेमिंग उद्योग के विस्तार एवं विकास में मदद मिल रही है। 
        • भारत ने Games24X7, Dream11 और Mobile Premier League जैसे कई गेमिंग यूनिकॉर्न पैदा किये हैं। 
      • पिछले कुछ वर्षों में, गेमिंग कंपनियों ने घरेलू और वैश्विक निवेशकों से 2.8 अरब अमेरिकी डॉलर जुटाए, जो भारत में कुल स्टार्टअप फंडिंग का लगभग 3% है। 
      • सरकार ने भी सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क्स ऑफ इंडिया (STPI) जैसी पहलों के माध्यम से गेमिंग उद्योग का समर्थन किया है।
    • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI): गेमिंग क्षेत्र में 100% एफडीआई की अनुमति ने अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों से फंडिंग प्राप्त करने के रास्ते खोल दिये हैं। 
      • एनवीडिया (NVIDIA) ने नवंबर 2025 में भारत में अपनी क्लाउड गेमिंग सेवा शुरू करने की घोषणा की है। 

भारत में गेमिंग उद्योग का विनियमन कैसे किया जाता है? 

  • सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 और संबंधित नियम: 
    • आईटी (मध्यस्थ दिशा-निर्देश एवं डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021, जिसे अप्रैल 2023 में संशोधित किया गया, ने ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्मों के लिये मानदंड निर्धारित किये। 
      • ऑनलाइन गेमिंग मध्यस्थों को सुनिश्चित करना होता है कि उनके नेटवर्क पर अवैध या गैर-कानूनी सामग्री साझा न हो 
      • मनी गेम्स की पेशकश करने वाले मध्यस्थों को स्व-नियामक निकायों (SRBs) के साथ पंजीकरण कराना आवश्यक है, जो यह सत्यापित करते हैं कि कोई खेल अनुमेय है या नहीं। 
    • आईटी अधिनियम की धारा 69A सरकार को अवैध वेबसाइटों या लिंक्स तक पहुँच को अवरुद्ध करने का अधिकार देती है। 
      • 2022 से जून 2025 के बीच 1,524 सट्टेबाज़ी और जुआ वेबसाइटें व मोबाइल एप्स को ब्लॉक किया गया है।
  • भारतीय न्याय संहिता, 2023: 
    • धारा 111 अवैध आर्थिक गतिविधियों और साइबर अपराधों के लिये दंडित करती है। 
    • धारा 112 अनधिकृत सट्टेबाज़ी और जुए के लिये दंड का प्रावधान करती है। 
      • दोषियों को न्यूनतम एक वर्ष का कारावास होगा, जो सात वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है तथा जुर्माना भी देना पड़ सकता है। 
  • एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 (IGST): अवैध और विदेशी गेमिंग प्लेटफॉर्म IGST अधिनियम के अंतर्गत विनियमित किये जाते हैं। 
    • ऑनलाइन मनी गेमिंग आपूर्तिकर्त्ताओं को सरलीकृत पंजीकरण योजना के अंतर्गत पंजीकरण कराना आवश्यक है। 
    • जीएसटी खुफिया महानिदेशालय (DG-GSTI) को यह अधिकार है कि वह मध्यस्थों को गैर-पंजीकृत या अनुपालनहीन गेमिंग प्लेटफॉर्म तक पहुँच अवरुद्ध करने का निर्देश दे। 
      • इससे यह सुनिश्चित होता है कि डिजिटल संस्थाएँ भौतिक व्यवसायों जैसे ही कर नियमों का पालन करें। 
      • उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019: 
    • भ्रामक और परोक्ष विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाता है। 
    • केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) को अपराधियों की जाँच करने, दंडित करने और उनके विरुद्ध आपराधिक कार्रवाई करने की शक्ति प्राप्त है। 
      • CCPA ने मशहूर हस्तियों और इन्फ्लुएंसर्स को सट्टेबाज़ी प्लेटफॉर्म का समर्थन करने से रोकने के लिये सलाह जारी की है। 

भारत में गेमिंग उद्योग से संबंधित चिंताएँ क्या हैं? 

  • नियामकीय अस्पष्टता और विखंडित नीतियाँ: भारत में गेमिंग उद्योग के लिये एक एकीकृत और व्यापक नियामक ढाँचे की कमी ने हितधारकों के लिये अस्पष्टता और अनिश्चितता उत्पन्न कर दी है। 
    • राज्यों में अलग-अलग कानूनों और नियमों के कारण नीति का परिदृश्य विखंडित हो गया है। 
      • तेलंगाना ने सभी ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध लगा दिया है, वहीं आंध्र प्रदेश ने ऑनलाइन जुआ पर रोक लगाई है तथा तमिलनाडु ने रम्मी एवं पोकर जैसे खेलों पर प्रतिबंध लगा दिया है। 
    • कर्नाटक भी छत्तीसगढ़ जैसे मॉडल पर विचार कर रहा है, जिसमें कौशल आधारित गेमिंग की अनुमति होगी लेकिन सट्टेबाज़ी और भाग्य आधारित खेलों पर प्रतिबंध रहेगा। 
    • इसके अतिरिक्त, कौशल आधारित गेमिंग और जुआ के बीच स्पष्ट अंतर न होने के कारण नियामक अनिश्चितता उत्पन्न होती है, जिससे नैतिक बहसें और गतिविधियों की भिन्न व्याख्याएँ सामने आती हैं। 
  • ऑनलाइन जुआ और मनी लॉन्ड्रिंग: अपर्याप्त विनियमन ने अवैध विदेशी जुआ बाज़ारों को विकसित होने का अवसर दिया है, जिससे उपभोक्ताओं को नुकसान पहुँच रहा है और सरकार को बड़े स्तर पर आर्थिक क्षति हो रही है। 
    • ऑनलाइन जुआ को मनी लॉन्ड्रिंग के साधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, जहाँ खिलाड़ी बड़ी रकम ऑनलाइन खातों में जमा कर सकते हैं और बाद में इस धन को वैध रूप में निकाल लेते हैं। 
      • संयुक्त राष्ट्र के नशीले पदार्थ और अपराध कार्यालय (UNODC) द्वारा वर्ष 2021 में प्रकाशित खेल में भ्रष्टाचार पर वैश्विक रिपोर्ट के अनुसार अवैध सट्टेबाज़ी बाज़ार का मूल्य लगभग 350 अरब अमेरिकी डॉलर है, जबकि अवैध जुए का बाज़ार लगभग 1.7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का है। 
    • वित्त पर संसदीय स्थायी समिति की 59वीं रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि अवैध सट्टेबाज़ी ऐप्स राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये खतरा बन सकते हैं, जैसे अपारदर्शी भुगतान मार्गों का उपयोग, उदारीकृत प्रेषण योजना (LRS) का दुरुपयोग और आपराधिक गतिविधियों को वित्तपोषण। 
  • नशे की लत के समान ऑनलाइन गेमिंग व्यवहार: ऑनलाइन गेमिंग ऐप्स मस्तिष्क के  "रिवार्ड सिस्टम" को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे बड़ी जीत मिलने पर तीव्र "उत्साह की अनुभूति होती है और "हानि की भरपाई" करने की प्रवृत्ति में फँसा देते हैं। 
    • यह तंत्रिका संबंधी प्रभाव वित्तीय हानि, मानसिक तनाव और आत्मघाती विचारों का कारण बन सकता है। 
      • एक राष्ट्रव्यापी अध्ययन में पाया गया कि 23% युवा ऑनलाइन गेमिंग के कारण तनाव और नकारात्मक विचारों का अनुभव करते हैं, जबकि 87% विद्यार्थी नियमित रूप से ऑनलाइन गेम खेलते हैं। 
    • यद्यपि ऑनलाइन गेमिंग प्रोत्साहन एवं विनियमन विधेयक, 2025 भारत में ऑनलाइन गेमिंग से जुड़ी चुनौतियों के समाधान हेतु महत्त्वपूर्ण प्रगति का आश्वासन देता है, फिर भी सुरक्षित गेमिंग वातावरण सुनिश्चित करने तथा संवेदनशील उपभोक्ताओं की सुरक्षा से संबंधित मुद्दे अब भी यथावत् बने हुए हैं। 
  • बढ़ते साइबर हमले: ऑनलाइन गेम्स खिलाड़ियों से उनके व्यक्तिगत विवरण और वित्तीय जानकारी जैसी संवेदनशील सूचनाएँ एकत्र करते हैं, जिससे पहचान की चोरी और डेटा लीक होने की आशंका रहती है। 
    • साइबर हमलों का जोखिम उपयोगकर्त्ता की सुरक्षा और डेटा संरक्षण को खतरे में डालता है, वहीं उपयोगकर्त्ता VPN और जियो-ब्लॉकर्स का उपयोग करके अवैध गेम्ब्लिंग साइटों तक पहुँचते हैं। 
      • वर्ष 2024 में 1.1 करोड़ से अधिक गेमिंग अकाउंट की सूचनाएँ डेटा उल्लंघनों में उजागर हुईं, जिसने इस क्षेत्र की साइबर हमलों के प्रति अत्यधिक संवेदनशीलता को स्पष्ट कर दिया। 
  • ऑनलाइन गेमिंग में वित्तीय जोखिम: व्यक्ति, विशेषकर कमज़ोर वर्ग को ऑनलाइन गेमिंग पर अत्यधिक व्यय के कारण बढ़ते हुए ऋण और आर्थिक संकट जैसे जोखिमों का सामना करना पड़ रहा है। 
    • यह स्थिति ज़िम्मेदार उपभोक्ता संलग्नता की आवश्यकता को दर्शाती है और गेमिंग उद्योग की नीतियों एवं व्यवहार में नैतिक पक्षों के समावेश के महत्त्व को रेखांकित करती है। 
      • उदाहरणस्वरूप वर्ष 2020 में एक 17 वर्षीय किशोर ने PUBG खेलने में 17 लाख रुपए खर्च कर दिये, जिसके परिणामस्वरूप गम्भीर वित्तीय और मानसिक तनाव उत्पन्न हुआ। 
      • अनुमानों के अनुसार, लगभग 45 करोड़ भारतीय लोग हर वर्ष  20,000 करोड़ रुपए ऑनलाइन रियल-मनी गेमिंग प्लेटफॉर्मों पर गँवा देते हैं। 
  • कराधान संबंधी चिंताएँ और स्थिरता की चुनौतियाँ: दाँव (bets) की कुल अंकित राशि पर 28% वस्तु एवं सेवा कर (GST) लगाने से गेमिंग उद्योग की दीर्घकालिक व्यवहार्यता, विशेषकर छोटे स्टार्टअप्स और प्रतिभागियों के लिये, गंभीर चिंता का विषय बन गई है। 
    • उच्च कर दरें अनेक छोटे गेमिंग व्यवसायों को बाज़ार से बाहर कर सकती हैं, जिससे नवाचार पर अंकुश लगता है और समग्र उद्योग की वृद्धि बाधित होती है। 

भारत में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग को सशक्त बनाने के लिये किन उपायों की आवश्यकता है? 

  • ऑनलाइन गेमिंग में सुदृढ़ विनियमन की आवश्यकता: ऑनलाइन गेमिंग उद्योग में व्यापक विनियमन की तत्काल आवश्यकता है।  
    • यद्यपि कुछ राज्य सरकारों ने ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास किया है, लेकिन इंटरनेट की सीमापार प्रकृति के कारण इन प्रयासों को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। 
      • ऑनलाइन गेमिंग संवर्द्धन एवं विनियमन विधेयक, 2025 एक सकारात्मक कदम है, किंतु इसे विकसित हो रहे गेमिंग उद्योग और भारत के आर्थिक परिदृश्य के अनुरूप संशोधित किया जाना चाहिये। 
      • इसके अतिरिक्त, नियामकीय स्पष्टता में, विशेषकर सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2023 के अंतर्गत अनिवार्य स्व-नियामक निकायों के प्रभावी क्रियान्वयन के संदर्भ में सुधार आवश्यक है। 
    • UK जैसे केंद्रीय निकाय की स्थापना, विनियमों के मानकीकरण की दिशा में एक सकारात्मक कदम होगा और उद्योग के लिये नियामक परिदृश्य को और स्पष्ट बनाएगा। 
    • ऑनलाइन रियल-मनी गेमिंग के लिये कठोर विनियमन लागू किया जाना चाहिये, जिसमें आयु-सीमा निर्धारण के उपाय, ज़िम्मेदार गेमिंग सुविधाएँ (जैसे व्यय सीमा और स्वैच्छिक बहिष्करण उपकरण) तथा मज़बूत आयु-पुष्टि प्रणाली सम्मिलित हों, ताकि उपयोगकर्त्ताओं के लिये एक अधिक सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित किया जा सके। 
      • मानसिक स्वास्थ्य सहायता को गेमिंग पारिस्थितिकी तंत्र में एकीकृत किया जाना चाहिये, जिसमें प्लेटफॉर्म परामर्श संसाधन और मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों के साथ सहयोग प्रदान किया जाना चाहिये। 
    • इसके अतिरिक्त, जन-जागरूकता अभियान खिलाड़ियों और अभिभावकों को गेमिंग से जुड़े जोखिमों के प्रति शिक्षित करने हेतु आयोजित किये जाने चाहिये। 
  • श्वेतसूची (Whitelist) का निर्माण और उपभोक्ता सुरक्षा सुनिश्चित करना: वैध ऑनलाइन रियल-मनी गेमिंग (RMG) परिचालकों की एक श्वेतसूची प्रकाशित की जानी चाहिये और उसे नियमित रूप से अद्यतन किया जाना आवश्यक है, ताकि केवल नियमों का पालन करने वाले परिचालकों को ही संचालन की अनुमति मिले। 
    • यह श्वेतसूची भुगतान गेटवे, होस्टिंग प्रदाताओं और इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (ISP) को केवल अधिकृत प्लेटफॉर्म को सेवा प्रदान करने में सक्षम बनाएगी, जिससे अवैध और अनियमित साइटों को प्रभावी ढंग से अवरुद्ध किया जा सकेगा। 
    • यह उपाय उपभोक्ता सुरक्षा को प्रोत्साहित करेगा, धोखाधड़ी संबंधी गतिविधियों को कम करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि खिलाड़ी ऐसे प्लेटफॉर्म से जुड़े रहें जो कानूनी मानकों और निष्पक्ष प्रक्रियाओं का पालन करते हैं। 
      • इस प्रणाली को लागू करने से नियामक प्राधिकरण प्रवर्तन प्रक्रिया को सरल बना सकेंगे, पारदर्शिता को बढ़ावा दे सकेंगे और एक अधिक सुरक्षित तथा विश्वसनीय गेमिंग वातावरण का निर्माण कर सकेंगे। 
  • अवैध जुआ एवं मनी लॉन्ड्रिंग से निपटना: बैंकों और भुगतान सेवा प्रदाताओं के साथ सहयोग आवश्यक है, ताकि ज्ञात अवैध जुआ परिचालकों को किये जाने वाले लेन-देन को अवरुद्ध करने हेतु प्रोटोकॉल स्थापित किये जा सकें। 
    • साझा प्रयासों के माध्यम से नियामक संस्थाएँ और वित्तीय संस्थान रियल-टाइम निगरानी प्रणाली विकसित कर सकते हैं, जो बिना लाइसेंस वाले प्लेटफार्मों की ओर निर्देशित वित्तीय लेन-देन की पहचान कर उन्हें रोक सके। 
    • यह कदम अवैध जुआ गतिविधियों पर अंकुश लगाने में सहायक होगा और यह सुनिश्चित करेगा कि उपयोगकर्त्ता अनजाने में धोखाधड़ी करने वाले परिचालकों का समर्थन न करें। 
      • इसके अतिरिक्त, ऐसा सहयोग नियामकीय ढाँचों के प्रवर्तन को सुदृढ़ करेगा, धन शोधन-निवारण (AML) कानूनों के अनुपालन को प्रोत्साहित करेगा और उपभोक्ताओं को अविनियमित जुए से जुड़े वित्तीय जोखिमों से सुरक्षित रखेगा। 
    • साथ ही, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों एवं अन्य देशों के साथ बहुपक्षीय समझौते विकसित करने के प्रयासों का नेतृत्व किया जाना चाहिये, जिससे अवैध ऑनलाइन जुए से निपटने में वैश्विक सहयोग को और सुदृढ़ किया जा सके। 
  • ऑनलाइन गेमिंग में साइबरसुरक्षा को प्रोत्साहन प्रदान करना: ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र में साइबर हमलों और डेटा उल्लंघनों की बढ़ती चिंता को देखते हुए, यह आवश्यक है कि एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाया जाए, जिसमें नियमित सिस्टम ऑडिट, बहु-कारक प्रमाणीकरण, उन्नत घुसपैठ पहचान प्रणाली और सुदृढ़ एन्क्रिप्शन प्रोटोकॉल शामिल हों। 
    • गेमिंग प्लेटफाॅर्म को सुरक्षित भुगतान प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिये वित्तीय संस्थानों के साथ सहयोग करना चाहिये और समय-समय पर कमियों का आकलन कराने हेतु तृतीय-पक्ष सुरक्षा विशेषज्ञों (third-party security experts) के साथ मिलकर कार्य करना चाहिये। 
      • साथ ही, उपयोगकर्त्ताओं को साइबरसुरक्षा की सर्वोत्तम प्रथाओं के संबंध में शिक्षित करना और यूरोपीय संघ के GDPR जैसे डेटा संरक्षण नियमों का अनुपालन करना, संवेदनशील डेटा की सुरक्षा और पहचान की चोरी को रोकने के लिये आवश्यक कदम हैं। इससे खिलाड़ियों के लिये एक अधिक सुरक्षित वातावरण का निर्माण होता है। 
  • विशेष गेमिंग हब और इनक्यूबेटर: गेमिंग उद्योग में नवाचार, सहयोग और प्रतिभा विकास को प्रोत्साहन प्रदान करने हेतु प्रमुख शहरों में विशेष गेमिंग हब और इनक्यूबेटर स्थापित किये जाएँ। 
    • मॉन्ट्रियल के गेमिंग हब, सिंगापुर के गेम इनक्यूबेटर और दक्षिण कोरिया के G-STAR जैसी वैश्विक प्रथाओं से प्रेरणा लेते हुए, ये हब गेम डेवलपर्स, स्टार्टअप्स और आकांक्षी पेशेवरों के लिये अत्याधुनिक अवसंरचना, मार्गदर्शन और संसाधन उपलब्ध कराएँगे। 
    • यह पहल गेमिंग इकोसिस्टम की वृद्धि को प्रोत्साहित करने में सहायक होगी, स्थानीय प्रतिभा को संवर्द्धित करेगी और भारत को वैश्विक गेमिंग उद्योग में एक प्रतिस्पर्द्धी भागीदार के रूप में स्थापित करेगी।

निष्कर्ष 

भारत में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग एक उभरते हुए (सनराइज़) उद्योग के रूप में सामने आया है, इसलिये इसके नियमन के लिये संतुलित दृष्टिकोण आवश्यक है, जिसमें GAME- Governance (सुशासन), Awareness (जागरूकता), Monitoring (निगरानी) और Engagement (सक्रिय सहभागिता)- पर विशेष ध्यान दिया जाए। स्पष्ट नियमों को सुनिश्चित करके, जनता को गेमिंग जोखिमों के संबंध में शिक्षित करके, सुरक्षा हेतु दृढ़ निगरानी प्रणालियाँ लागू करके तथा सभी हितधारकों के बीच सहयोग को बढ़ावा देकर, भारत एक सशक्त एवं सतत् गेमिंग इकोसिस्टम का निर्माण कर सकता है। यह दृष्टिकोण न केवल वर्तमान चुनौतियों का समाधान करेगा बल्कि आर्थिक और सामाजिक संभावनाओं को भी उजागर करेगा, जिससे भारत वैश्विक गेमिंग बाज़ार में अग्रणी के रूप में स्थापित हो सकेगा। 

दृष्टि मेन्स प्रश्न 

प्रश्न. भारत में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग की वृद्धि के लिये आवश्यक चुनौतियों और विनियामक उपायों का मूल्यांकन कीजिये। 

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)

प्रिलिम्स

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा/से भारत सरकार के ‘डिजिटल इंडिया’ योजना का/के उद्देश्य है/हैं?  (2018) 

  1. भारत की अपनी इंटरनेट कंपनियों का गठन, जैसा कि चीन ने किया। 
  2. एक नीतिगत ढाँचे की स्थापना जिससे बड़े आँकड़े एकत्रित करने वाली समुद्रपारीय बहु-राष्ट्रीय कंपनियों को प्रोत्साहित किया जा सके कि वे हमारी राष्ट्रीय भौगोलिक सीमाओं के अंदर अपने बड़े डेटा केंद्रों की स्थापना करें। 
  3. हमारे अनेक गाँवों को इंटरनेट से जोड़ना तथा हमारे बहुत से विद्यालयों, सार्वजनिक स्थलों एवं प्रमुख पर्यटक केंद्रों में वाई-फाई की सुविधा प्रदान करना। 

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: 

(a) केवल 1 और 2 
(b) केवल 3  
(c) केवल 2 और 3 
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)


मेन्स

प्रश्न. चर्चा कीजिये कि किस प्रकार उभरती प्रौद्योगिकियाँ और वैश्वीकरण मनी लॉन्ड्रिंग में योगदान करते हैं । राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर मनी लॉन्ड्रिंग की समस्या से निपटने के लिये किये जाने वाले उपायों को विस्तार से समझाइएँ। (2021)