छठा पूर्वी एशिया शिक्षा मंत्री शिखर सम्मेलन
प्रिलिम्स के लिये:राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, पीएम श्री योजना, पीएम- ईविद्या, पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन मेन्स के लिये:भारत में शिक्षा और संबंधित मुद्दे, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत ने वियतनाम के हनोई में आयोजित छठे पूर्वी एशिया शिक्षा मंत्री शिखर सम्मेलन की बैठक में भाग लिया।
पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (EAS):
- परिचय:
- वर्ष 2005 में स्थापित यह भारत-प्रशांत क्षेत्र के सामने आने वाली प्रमुख राजनीतिक, सुरक्षा संबंधी और आर्थिक चुनौतियों पर रणनीतिक बातचीत एवं सहयोग के लिये 18 क्षेत्रीय नेताओं का एक मंच है।
- पूर्वी एशिया समूह की अवधारणा को पहली बार वर्ष 1991 में तत्कालीन मलेशियाई प्रधानमंत्री महाथिर बिन मोहम्मद द्वारा बढ़ावा दिया गया था।
- EAS के ढाँचे के भीतर क्षेत्रीय सहयोग के छह प्राथमिकता वाले क्षेत्र हैं।
- ये हैं - पर्यावरण और ऊर्जा, शिक्षा, वित्त, वैश्विक स्वास्थ्य मुद्दे एवं महामारी , प्राकृतिक आपदा प्रबंधन तथा आसियान कनेक्टिविटी।
- सदस्य:
- इसमें आसियान (दक्षिणपूर्व एशियाई राष्ट्र संघ) के दस सदस्य देशों ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्याँमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम के साथ-साथ 8 अन्य देशों ऑस्ट्रेलिया, चीन, जापान, भारत, न्यूीज़ीलैंड, कोरिया गणराज्य, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं।
- यह आसियान-केंद्रित मंच है इसलिये इसकी अध्यक्षता केवल आसियान सदस्य ही कर सकते हैं।
- ब्रुनेई दारुस्सलाम वर्ष 2021 के लिये अध्यक्ष है।
- यह आसियान-केंद्रित मंच है इसलिये इसकी अध्यक्षता केवल आसियान सदस्य ही कर सकते हैं।
- इसमें आसियान (दक्षिणपूर्व एशियाई राष्ट्र संघ) के दस सदस्य देशों ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्याँमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम के साथ-साथ 8 अन्य देशों ऑस्ट्रेलिया, चीन, जापान, भारत, न्यूीज़ीलैंड, कोरिया गणराज्य, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं।
- EAS बैठकें और प्रक्रियाएँ:
- EAS कैलेंडर वार्षिक नेताओं के शिखर सम्मेलन में समाप्त होता है, जो आमतौर पर प्रत्येक वर्ष की चौथी तिमाही में आसियान नेताओं की बैठकों के साथ आयोजित किया जाता है।
- EAS विदेश मंत्रियों और आर्थिक मंत्रियों की बैठकें भी प्रतिवर्ष आयोजित की जाती हैं।
- भारत और EAS:
- भारत पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के संस्थापक सदस्यों में से एक है।
- नवंबर 2019 में बैंकॉक में पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भारत ने भारत की इंडो-पैसिफिक ओशन इनिशिएटिव (IPOI) का अनावरण किया था, जिसका उद्देश्य एक सुरक्षित और स्थिर समुद्री डोमेन बनाने के लिये साझेदारी बनाना है।
भारत में शिक्षा क्षेत्र से संबंधित मुद्दे:
- विद्यालयों में अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा: यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इन्फॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन (UDISE) 2019-20 के अनुसार, भारत में केवल 12% विद्यालयों में इंटरनेट की सुविधा है और 30% विद्यालयों में कंप्यूटर की सुविधा है।
- उच्च ड्रॉपआउट दर: प्राथमिक और माध्यमिक स्तरों में विद्यालय छोड़ने की(ड्रॉपआउट) दर बहुत अधिक है। 6-14 आयु वर्ग के अधिकांश छात्र अपनी शिक्षा पूरी करने से पहले विद्यालय छोड़ देते हैं। इससे वित्तीय और मानव संसाधनों की बर्बादी होती है।
- ब्रेन ड्रेन/प्रतिभा पलायन की समस्या: IIT और IIM जैसे शीर्ष संस्थानों में प्रवेश पाने के लिये कड़ी प्रतिस्पर्धा के कारण, भारत में बड़ी संख्या में छात्रों के लिये शैक्षणिक वातावरण काफी चुनौतीपूर्ण हो जाता है, इसलिये वे विदेश जाना पसंद करते हैं, जिससे हमारा देश अच्छी प्रतिभा से वंचित हो जाता है।
- व्यापक निरक्षरता: शिक्षा को बढ़ाने के उद्देश्य से संवैधानिक निर्देशों और प्रयासों के बावजूद, लगभग 25% भारतीय अभी भी निरक्षर हैं जिस कारण वे सामाजिक और डिजिटल रूप से पिछड़े हुए है।
- तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा का अभाव: तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा का विकास काफी असंतोषजनक है, जिसके कारण शिक्षित बेरोज़गारों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।
- लैंगिक असमानता: हमारे समाज में पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिये शिक्षा के अवसर की समानता सुनिश्चित करने के सरकार के प्रयासों के बावजूद, भारत में महिलाओं की साक्षरता दर, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी बहुत दयनीय है।
भारत द्वारा की गई शिक्षा संबंधी पहलें:
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020:
- NEP 2020 शिक्षा हेतु एक समग्र, लचीले एवं बहु-विषयक दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करती है और यह पहुँच, समानता, गुणवत्ता, सामर्थ्य तथा जवाबदेही के मूलभूत स्तंभों पर आधारित होने के साथ ही सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) 2030 के साथ संरेखित है।
- PM SHRI योजना:
- यह नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy NEP) के लिये एक प्रयोगशाला होगी और पहले चरण के तहत कुल 14,500 विद्यालयों को अपग्रेड किया जाएगा।
- ये विद्यालय अपने आसपास के अन्य विद्यालयों को मेंटरशिप देंगे।
- PM ई-विद्या:
- केंद्र सरकार ने ऑनलाइन लर्निंग को बढ़ावा देने के लिये वर्ष 2020 में पीएम ई-विद्या कार्यक्रम शुरू किया।
- सीखने की प्रक्रिया के दौरान होने वाली समस्यायों को कम करने के लिये प्रौद्योगिकी का उपयोग करके मल्टी-मोड एक्सेस को सक्षम करने हेतु डिजिटल/ऑनलाइन/ऑन-एयर शिक्षा से संबंधित सभी प्रयासों को एकीकृत करता है।
- ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म: सरकार ने DIKSHA, SWAYAM MOOCS प्लेटफॉर्म, वर्चुअल लैब्स, ई-पीजी पाठशाला और नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी जैसे विभिन्न ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म भी लॉन्च किये हैं।
आगे की राह:
- विद्यालयी पाठ्यक्रम में समस्या-समाधान और निर्णय लेने से संबंधित विषयों को शामिल करने की आवश्यकता है ताकि छात्रों को व्यावहारिक ज्ञान सीखने का अनुभव प्रदान किया जा सके और उन्हें कार्यबल में प्रवेश करने पर बाहरी दुनिया का सामना करने के लिये तैयार किया जा सके।
- यह सुनिश्चित करने के लिये कि छात्रों को आरंभ से ही सही दिशा में ले जाया जा रहा है और वे करियर के अवसरों से अवगत हैं, भारत की शैक्षिक प्रणाली को मुख्यधारा की शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा को एकीकृत करके और विद्यालय में (विशेषकर सरकारी विद्यालयों में) सही सलाह प्रदान करके सुधार करने की आवश्यकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 सतत् विकास लक्ष्य -4 (2030) के अनुरूप है। इसका उद्देश्य भारत में शक्षा प्रणाली का पुनर्गठन और पुनर्रचना करना है। कथन की समालोचनात्मक समीक्षा कीजिये। (2020) |
दिल्ली में इंटरपोल महासभा की बैठक
प्रिलिम्स के लिये:अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संगठन (इंटरपोल), CBI, इंटेपोल के नोटिस। मेन्स के लिये:इंटरपोल के साथ भारत का सहयोग, इंटरपोल में मुद्दे, CBI की कार्यप्रणाली। |
चर्चा में क्यों?
भारत, अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संगठन, इंटरपोल की 90वीं महासभा की मेजबानी कर रहा है। यह महासभा 18 से 21 अक्टूबर तक दिल्ली में आयोजित की जाएगी।
- वर्ष 1997 के बाद से यह दूसरी बार है जब 195 सदस्यीय निकाय भारत में इतना बड़ा सम्मेलन आयोजित कर रहा है।
इंटरपोल
- यह वर्ष 1923 में सुरक्षित सूचना-साझाकरण मंच के रूप में स्थापित किया गया था, जो विभिन्न पुलिस बलों से प्राप्त सूचनाओं के संग्रह और प्रसार के माध्यम से दुनिया भर में पुलिस बलों की आपराधिक जाांँच की सुविधा प्रदान करता है।
- इसका मुख्यालय फ्राँस के लियॉन में है।
- यह विभिन्न क्षेत्रों में अपराधियों और पुलिस के रडार के तहत आने वाले लोगों की गतिविधियों पर नज़र रखता है और उन पुलिस बलों को सुझाव देता है जिन्होंने या तो इंटरपोल की सहायता मांगी थी या जो उसकी राय में उसके पास उपलब्ध विवरणों से लाभान्वित होंगे।
- इसका उद्देश्य आपराधिक पुलिस बलों के बीच व्यापक संभव पारस्परिक सहायता को बढ़ावा देना है।
इंटरपोल की संरचना
- इंटरपोल का प्रमुख अध्यक्ष होता है जिसे महासभा द्वारा चुना जाता है। वह सदस्य देशों में से होता है और चार साल के लिये पद धारण करता है।
- दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों की देखरेख महासभा द्वारा चुने गए पूर्णकालिक महासचिव द्वारा की जाती है, जो पाँच साल के लिये पद धारण करता है।
- महासभा अपने सचिवालय द्वारा निष्पादन के लिये नीति निर्धारित करती है जिसमें साइबर अपराध, आतंकवाद, मादक पदार्थों की तस्करी, वित्तीय अपराध, पर्यावरण अपराध, मानव तस्करी आदि के लिये कई विशेष निदेशालय हैं।
- प्रत्येक सदस्य देश उस देश में इंटरपोल का प्रतिनिधित्त्व करता है।
- इंटरपोल के साथ किसी देश की कानून प्रवर्तन एजेंसी के सभी संपर्क देश के सर्वोच्च जाँच निकाय के माध्यम से होते हैं।
- केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) भारत में इस भूमिका को अपने वरिष्ठ अधिकारियों में से एक के साथ ग्रहण करता है, जो विश्व निकाय के साथ सूचना और संपर्क के संयोजन के लिये अपने विशेष इंटरविंग (राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो) का नेतृत्त्व करता है।
इंटरपोल नोटिस:
- विषय: इंटरपोल द्वारा जारी किया जाने वाला नोटिस सदस्य देशों में पुलिस को अपराध से संबंधित महत्त्वपूर्ण जानकारी साझा करने में सहयोग या अलर्ट (Alert) के लिये अंतर्राष्ट्रीय अनुरोध होता है।
- सदस्य देश के इंटरपोल राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो के अनुरोध पर प्रधान सचिवालय द्वारा नोटिस जारी किये जाते हैं और ये नोटिस सभी सदस्य देशों को नोटिस डेटाबेस में परामर्श करने के लिये उपलब्ध कराए जाते हैं।
विभिन्न नोटिस:
- नोटिस का उपयोग संयुक्त राष्ट्र, अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायाधिकरण और अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय द्वारा उन व्यक्तियों की तलाश के लिये भी किया जा सकता है जो अपने अधिकार क्षेत्र में अपराध करते हैं, विशेष रूप से नरसंहार, युद्ध अपराध और मानवता के खिलाफ अपराध।
इंटरपोल की भविष्य की चुनौतियाँ:
- अंतर्राष्ट्रीय, साइबर और संगठित अपराध के बढ़ते खतरे के लिये विश्व स्तर पर समन्वित कानून प्रवर्तन प्रतिक्रिया की आवश्यकता है।
- इंटरपोल की विश्वसनीयता का अपना एक इतिहास है। इसे उस देश के विरुद्ध मंज़ूरी की शक्तियाँ हासिल करने की आवश्यकता है जो रेड नोटिस को लागू करने में सहयोग करने से इनकार करता है। हालाँकि, इसकी बहुत कम संभावना है कि सदस्य राष्ट्र कभी भी अपनी कुछ संप्रभुता को सौंपने और इंटरपोल को ऐसी शक्ति देने के लिए सहमत होंगे।
स्रोत: द हिंदू
डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम
प्रिलिम्स के लिये:डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम, पुरा (ग्रामीण क्षेत्रों को शहरी सुविधाएं प्रदान करना), मेन्स के लिये:डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम, महत्वपूर्ण व्यक्तित्व। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री ने पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को उनकी 90वीं जयंती पर श्रद्धांजलि दी।
डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम
- परिचय:
- डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्तूबर, 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था।
- उनकी जयंती को राष्ट्रीय नवाचार दिवस और विश्व छात्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।
- उन्होंने वर्ष 1954 में सेंट जोसेफ कॉलेज, त्रिची से विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और वर्ष 1957 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) से वैमानिकी इंजीनियरिंग में विशेषज्ञता हासिल की।
- वह भारत और विदेशों से 48 विश्वविद्यालयों एवं संस्थानों से मानद डॉक्टरेट प्राप्त करने के अद्वितीय सम्मान के साथ भारत के सबसे प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों में से एक हैं।
- उन्होंने वर्ष 2002 में भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली और वर्ष 2007 में पूरा कार्यकाल पूरा किया।
- उन्होंने कई सफल मिसाइलों के निर्माण के लिये कार्यक्रमों की योजना बनाई, जिससे उन्हें "भारत का मिसाइल मैन" कहा जाता है।
- प्राप्त पुरस्कार:
- उन्हें प्रतिष्ठित नागरिक पुरस्कार - पद्म भूषण (1981) और पद्म विभूषण (1990) तथा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न (1997) से सम्मानित किया गया।
- साहित्यिक रचनाएँ:
- "विंग्स ऑफ फायर", "इंडिया 2020 - ए विजन फॉर द न्यू मिलेनियम", "माई जर्नी" और "इग्नाइटेड माइंड्स - अनलीशिंग द पावर इन इंडिया", "इंडोमेबल स्पिरिट", "गाइडिंग सोल्स", "एनविजनिंग ए एम्पावर्ड नेशन" , "प्रेरणादायक विचार" आदि।
- मृत्यु:
- 27 जुलाई 2015 शिलांग, मेघालय में उनकी मृत्यु हो गई।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का योगदान:
- योगदान:
- ‘फाइबरग्लास’ तकनीक में अग्रणी
- वह ‘फाइबरग्लास’ प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अग्रणी थे और उन्होंने इसरो में इसे डिज़ाइन करने तथा इसके विकास कार्य को शुरू करने हेतु एक युवा टीम का नेतृत्त्व किया था, जिससे ‘कंपोज़िट रॉकेट मोटर’ का निर्माण संभव हो पाया।
- सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SLV-3):
- उन्होंने भारत के पहले स्वदेशी ‘सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल’ (SLV-3) को विकसित करने हेतु परियोजना निदेशक के रूप में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया, जिसने जुलाई 1980 में ‘रोहिणी उपग्रह’ का नियर-अर्थ ऑर्बिट में सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया और भारत को स्पेस क्लब का एक विशेष सदस्य बनाया।
- वह इसरो के प्रक्षेपण यान कार्यक्रम, विशेष रूप से PSLV कॉन्फिगरेशन के विकास हेतु उत्तरदायी थे।
- स्वदेशी निर्देशित मिसाइलें:
- इसरो में दो दशकों तक काम करने और प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकियों में महारत हासिल करने के बाद उन्होंने ‘रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन’ में स्वदेशी निर्देशित मिसाइलों को विकसित करने की ज़िम्मेदारी ली।
- वह ‘एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम’ (IGMDP) के मुख्य कार्यकारी थे।
- उन्होंने परमाणु ऊर्जा विभाग के सहयोग से सामरिक मिसाइल प्रणालियों और पोखरण-द्वितीय परमाणु परीक्षणों का नेतृत्त्व किया, जिसने भारत को एक परमाणु हथियार संपन्न राष्ट्र बना दिया।
- इसरो में दो दशकों तक काम करने और प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकियों में महारत हासिल करने के बाद उन्होंने ‘रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन’ में स्वदेशी निर्देशित मिसाइलों को विकसित करने की ज़िम्मेदारी ली।
- प्रौद्योगिकी विज़न 2020:
- वर्ष 1998 में उन्होंने ‘टेक्नोलॉजी विज़न-2020’ नामक एक देशव्यापी योजना को सामने रखा, जिसे उन्होंने 20 वर्षों में भारत को ‘अल्प-विकसित’ से विकसित समाज में बदलने के लिये एक रोडमैप के रूप में पेश किया।
- योजना में अन्य उपायों के अलावा कृषि उत्पादकता में वृद्धि, आर्थिक विकास के वाहक के रूप में प्रौद्योगिकी पर ज़ोर देना और स्वास्थ्य देखभाल एवं शिक्षा तक पहुँच को व्यापक बनाना भी शामिल है।
- वर्ष 1998 में उन्होंने ‘टेक्नोलॉजी विज़न-2020’ नामक एक देशव्यापी योजना को सामने रखा, जिसे उन्होंने 20 वर्षों में भारत को ‘अल्प-विकसित’ से विकसित समाज में बदलने के लिये एक रोडमैप के रूप में पेश किया।
- चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवा:
- एपीजे अब्दुल कलाम ने हृदय रोग विशेषज्ञ बी. सोमा राजू के सहयोग से कोरोनरी हृदय रोग के लिये 'कलाम-राजू-स्टेंट' विकसित किया, जिससे स्वास्थ्य सेवा सभी के लिये सुलभ हो पाई।
- इस उपकरण से भारत में आयातित कोरोनरी स्टेंट की कीमतों में 50% से अधिक की कमी आई है।
- लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट प्रोजेक्ट:
- वे लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट प्रोजेक्ट से विशेष रूप से जुड़े हुए थे।
- वह एवियोनिक्स से जुड़े हुए थे। वह लड़ाकू विमान उड़ाने वाले पहले भारतीय राष्ट्राध्यक्ष भी बने।
- अन्य
- उन्होंने ‘PURA’ (प्रोवाइडिंग अर्बन एमेनिटीज़ टू रूरल एरियाज़) के माध्यम से ग्रामीण समृद्धि सुनिश्चित करने पर ज़ोर दिया, जिसमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी की महत्त्वपूर्ण भूमिका अभिकल्पित की गई थी।
- अपने विविध अनुभवों के आधार पर उन्होंने ‘विश्व ज्ञान मंच’ की अवधारणा का प्रचार किया, जिसके माध्यम से 21वीं सदी की चुनौतियों के लिये संगठनों और राष्ट्रों की मुख्य दक्षताओं को नवप्रवर्तन एवं समाधान तथा उत्पाद बनाने हेतु समन्वित किया जा सकता है।
- ‘फाइबरग्लास’ तकनीक में अग्रणी
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. “जहाँ हृदय में शुचिता है, वहाँ चरित्र में सुन्दरता है । जब चरित्र में सौन्दर्य है, तब घर में समरसता है। जब घर में समरसता है, तब राष्ट्र में सुव्यवस्था है । जब राष्ट्र में सुव्यवस्था है, तब विश्व में शांति है।" - ए. पी. जे. अब्दुल कलाम (2019) प्रश्न. "अगर किसी देश को भ्रष्टाचार मुक्त होना है और सुन्दर मन वाले लोगों का देश बनाना है, तो मेरा दृढ़तापूर्वक मानना है कि तीन प्रमुख सामाजिक सदस्य यह कर सकते हैं। वे पिता, माता और शिक्षक हैं।" - ए.पी.जे. अब्दुल कलाम. (2022) |
स्रोत: पी.आई.बी.
दक्षिण चीन सागर
प्रमुख बिंदु
- भौतिक भूगोल:
- पश्चिमी प्रशांत महासागर की एक शाखा जो दक्षिण पूर्व एशियाई मुख्य भूमि की सीमा बनाती है।
- ब्रुनेई, कंबोडिया, चीन, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस सिंगापुर, ताइवान, थाईलैंड और वियतनाम से घिरा हुआ है।
- यह ताइवान जलसंधि द्वारा पूर्वी चीन सागर और लूजॉन जलसंधि द्वारा फिलीपीन सागर (प्रशांत महासागर के दोनों सीमांत समुद्र) से जुड़ा हुआ है।
- इसमें तीन द्वीपसमूह शामिल हैं, अर्थात्, स्प्रैटली द्वीप समूह, पार्सल द्वीप समूह, प्रतास द्वीप समूह और मैकल्सफ़ील्ड बैंक तथा स्कारबोरो शोल।
- विवाद:
- चीन की नाईन डैश लाइन: यह समुद्र के अब तक के सबसे बड़े हिस्से पर चीन द्वारा दावा किये गए क्षेत्र को परिभाषित करता है।
- स्कारबोरो सोल: इस पर पर फिलीपींस और चीन दोनों द्वारा दावा किया जाता है। (इसे चीन में हुआंगयान द्वीप के रूप में जाना जाता है) ।
- स्प्रैटली: दावेदारों द्वारा अधिगृहीत, जिसमें ताइवान, वियतनाम, फिलीपींस, चीन और मलेशिया शामिल हैं।
- पार्सल द्वीपसमूह: चीन, वियतनाम और ताइवान द्वारा अतिव्यापी दावों का विषय।
- द्वीप श्रृंखला रणनीति: 1940 के दशक में चीन और सोवियत संघ की समुद्री महत्वाकांक्षाओं को रोकने के लिये संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा तैयार की गई एक भौगोलिक सुरक्षा अवधारणा।
- हाल की संबंधित घटनाएँ:
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा)
प्रिलिम्स के लिये:महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा), न्यूनतम मज़दूरी अधिनियम (1948). मेन्स के लिये:गरीबी, सरकार की नीतियाँ और हस्तक्षेप, विकास से संबंधित मुद्दे, MGNREGA और संबंधित मद्दे |
चर्चा में क्यों?
अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय द्वारा चार राज्यों (बिहार, कर्नाटक, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश) में किये गए एक अध्ययन के अनुसार, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) ने कोविड-19 प्रेरित लॉकडाउन के कारण हुए आय नुकसान में 20-80% की भरपाई करने में मदद की।
- हालाँकि, सर्वेक्षण किये गए 39% परिवारों को कोविड-19 वर्ष में एक भी दिन का काम नहीं मिला, क्योंकि पर्याप्त कार्य का सृजन नहीं हो रहा था।
मनरेगा:
- परिचय: मनरेगा दुनिया के सबसे बड़े कार्य गारंटी कार्यक्रमों में से एक है।
- योजना का प्राथमिक उद्देश्य किसी भी ग्रामीण परिवार के सार्वजनिक कार्य से संबंधित अकुशल शारीरिक कार्य करने के इच्छुक वयस्क सदस्यों को प्रत्येक वित्तीय वर्ष में 100 दिनों के रोज़गार की गारंटी देना है।
- वर्ष 2022-23 तक मनरेगा के तहत 15.4 करोड़ सक्रिय श्रमिक हैं।
- कार्य का कानूनी अधिकार: पहले की रोज़गार गारंटी योजनाओं के विपरीत मनरेगा का उद्देश्य अधिकार-आधारित ढाँचे के माध्यम से चरम निर्धनता के कारणों का समाधान करना है।
- लाभार्थियों में कम-से-कम एक-तिहाई महिलाएँ होनी चाहिये।
- मज़दूरी का भुगतान न्यूनतम मज़दूरी अधिनियम, 1948 के तहत राज्य में कृषि मज़दूरों के लिये निर्दिष्ट वैधानिक न्यूनतम मज़दूरी के अनुरूप किया जाना चाहिये।
- मांग-प्रेरित योजना: मनरेगा की रूपरेखा का सबसे महत्त्वपूर्ण अंग यह है कि इसके तहत किसी भी ग्रामीण वयस्क को मांग करने के 15 दिनों के भीतर काम पाने की कानूनी रूप से समर्थित गारंटी प्राप्त है, जिसमें विफल होने पर उसे 'बेरोज़गारी भत्ता' प्रदान किया जाता है।
- यह मांग-प्रेरित योजना श्रमिकों के स्व-चयन (Self-Selection) को सक्षम बनाती है।
- विकेंद्रीकृत योजना: इन कार्यों के योजना निर्माण और कार्यान्वयन में पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) को महत्त्वपूर्ण भूमिकाएँ सौंपकर विकेंद्रीकरण की प्रक्रिया को सशक्त करने पर बल दिया गया है।
- अधिनियम में आरंभ किये जाने वाले कार्यों की सिफारिश करने का अधिकार ग्राम सभाओं को सौंपा गया है और इन कार्यों को कम-से-कम 50% उनके द्वारा ही निष्पादित किया जाता है।
योजना के कार्यान्वयन से संबद्ध समस्याएँ:
- धन के वितरण में देरी और अपर्याप्तता: अधिकांश राज्य मनरेगा द्वारा निर्दिष्ट 15 दिनों के भीतर अनिवार्य रूप से मज़दूरी भुगतान करने में विफल रहे हैं। इसके साथ ही मज़दूरी भुगतान में देरी हेतु श्रमिकों को मुआवज़ा भी नहीं दिया जाता है।
- इसने योजना को एक आपूर्ति-आधारित कार्यक्रम में बदल दिया है और इसके परिणामस्वरूप श्रमिक इसके तहत काम करने में रुचि नहीं ले रहे हैं।
- इस बात के पर्याप्त साक्ष्य मिलते रहे हैं और इसे स्वयं वित्त मंत्रालय द्वारा स्वीकार किया गया है कि मज़दूरी भुगतान में देरी धन की अपर्याप्तता का परिणाम है।
- जाति आधारित पृथक्करण: भुगतान में देरी के मामले में जाति के आधार पर भी उल्लेखनीय भिन्नताएँ नज़र आई हैं, जबकि निर्दिष्ट सात दिनों की अवधि के अंदर अनुसूचित जाति के श्रमिकों के लिये 46% और अनुसूचित जनजाति के श्रमिकों के लिये 37% भुगतान सुनिश्चित होता नज़र आया था, गैर-एससी/एसटी श्रमिकों के लिये यह मात्र 26% था।
- मध्य प्रदेश, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल जैसे गरीब राज्यों में जाति-आधारित पृथक्करण का नकारात्मक प्रभाव तीव्र रूप से महसूस किया गया है।
- पंचायती राज संस्थाओं की अप्रभावी भूमिका: बेहद कम स्वायत्तता के कारण ग्राम पंचायतें इस अधिनियम को प्रभावी और कुशल तरीके से लागू करने में सक्षम नहीं हैं।
- बड़ी संख्या में अधूरे कार्य: मनरेगा के तहत कार्यों को पूरा करने में देरी हुई है और परियोजनाओं का निरीक्षण अनियमित रहा है। इसके साथ ही मनरेगा के तहत संपन्न कार्य की गुणवत्ता व परिसंपत्ति निर्माण समस्याजनक रही है।
- जॉब कार्ड में धांधली: फर्जी जॉब कार्ड, कार्ड में फर्जी नाम शामिल करने, अपूर्ण प्रविष्टियाँ और जॉब कार्डों में प्रविष्टियाँ करने में देरी जैसी भी कई समस्याएँ मौजूद हैं।
आगे की राह
- विभिन्न सरकारी विभागों और कार्य आवंटन तथा कार्य प्रणाली के बीच बेहतर समन्वय की आवश्यकता है।
- भुगतान अदायगी के मामले में व्याप्त कुछ विसंगतियों को भी दूर करने की ज़रूरत है। उल्लेखनीय है कि इस क्षेत्र की महिलाओं को अपने पुरुष समकक्षों की तुलना में औसतन 22.24% कम आय प्राप्त होती है।
- राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि हर गाँव में सार्वजनिक कार्य शुरू हो। कार्यस्थल पर आने वाले श्रमिकों को बिना किसी देरी के तुरंत काम दिया जाना चाहिये।
- ग्राम पंचायतों को कार्यों को मंज़ूरी देने, कार्य की मांग पर इसकी पूर्ति करने और समयबद्ध मज़दूरी भुगतान सुनिश्चित करने हेतु पर्याप्त संसाधन, शक्तियाँ तथा उत्तरदायित्व सौंपे जाने की आवश्यकता है।
- मनरेगा को सरकार की अन्य योजनाओं, जैसे- ग्रीन इंडिया पहल, स्वच्छ भारत अभियान आदि के साथ संबद्ध किया जाना भी उपयुक्त होगा।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न:प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन "महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम" से लाभान्वित होने के पात्र हैं? (2011) (a) केवल अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति परिवारों के वयस्क सदस्य उत्तर: (d) व्याख्या:
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स्रोत: द हिंदू
मंगलयान मिशन की समाप्ति
प्रिलिम्स के लिये:ISRO, NASA, MOM, Roscosmos, MOM-2, गगनयान, चंद्रयान -3 और आदित्य - L1। मेन्स के लिये:मंगलयान मिशन की समाप्ति के कारण। |
चर्चा में क्यों?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने पुष्टि की है कि मार्स ऑर्बिटर यान का संपर्क टूट गया है और इसकी पुनर्प्राप्ति नहीं की जा सकती है, अतः मंगलयान मिशन की समाप्ति हो गई है।
- प्रौद्योगिकी प्रदर्शक के रूप में छह महीने के जीवन-काल के लिये डिज़ाइन किये जाने के बावजूद मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM) मंगल की कक्षा में लगभग आठ वर्षों तक रहा है।
मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM) के समापन का कारण:
- प्रणोदक (ईंधन) की कमी के कारण निरंतर वांछित विद्युत् उत्पादन नहीं किया जा सका और इसने ग्राउंड स्टेशन से संचार खो दिया।
- हाल ही में एक के बाद एक ग्रहण हुए, जिनमें से एक साढ़े सात घंटे तक रहा।
- चूँकि उपग्रह बैटरी को केवल एक घंटे और 40 मिनट की ग्रहण अवधि को संभालने के लिये डिज़ाइन किया गया था, अर्थात् ग्रहण की लंबी अवधि बैटरी की सुरक्षा के लिये हानिकारक थी।
मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM)
- परिचय:
- मार्स ऑर्बिटर मिशन जिसकी लागत 450 करोड़ रुपए थी, 5 नवंबर, 2013 को PSLV-C25 द्वारा लॉन्च किया गया था और मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM) को सितंबर, 2014 में अपने पहले प्रयास में सफलतापूर्वक मंगल की कक्षा में स्थापित किया गया था।
- मंगलयान भारत का पहला अंतरग्रहीय मिशन था।
- मिशन ने भारत को राॅसकाॅसमाॅस, नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के बाद मंगल ग्रह पर पहुँचने वाला पहला एशियाई और दुनिया में चौथा देश बना दिया।
- चीन ने भारत के सफल मंगलयान को 'प्राइड ऑफ एशिया' कहा है।
- विवरण:
- यह मार्स कलर कैमरा (MCC) सहित 850 किलोग्राम ईंधन और 5 विज्ञान संबंधी पेलोड ले गया, जिसका उपयोग वह सफलतापूर्वक कक्षा में प्रवेश करने के बाद से मंगल ग्रह की सतह और वातावरण का अध्ययन करने के लिये कर रहा था।
- MOM की अत्यधिक अण्डाकार कक्षा ज्यामिति ने MCC को अपने सबसे दूर के बिंदु पर मंगल की 'पूर्ण डिस्क' का स्नैपशॉट लेने और निकटतम बिंदु से बारीक विवरण लेने में सक्षम बनाया।
- MCC ने 1000 से अधिक चित्र लिये और एक मंगल एटलस प्रकाशित किया है।
- अन्य उपकरण हैं: थर्मल इन्फ्रारेड इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर (TIS), मंगल के लिये मीथेन सेंसर (MSM), मार्स एक्सोस्फेरिक न्यूट्रल कंपोजिशन एनालाइजर (MENCA) और लाइमैन अल्फा फोटोमीटर (LAP)।
- यह मार्स कलर कैमरा (MCC) सहित 850 किलोग्राम ईंधन और 5 विज्ञान संबंधी पेलोड ले गया, जिसका उपयोग वह सफलतापूर्वक कक्षा में प्रवेश करने के बाद से मंगल ग्रह की सतह और वातावरण का अध्ययन करने के लिये कर रहा था।
- उद्देश्य:
- मंगल ग्रह के वातावरण का अध्ययन करना।
- स्वदेशी वैज्ञानिक उपकरणों का उपयोग करते हुए मंगल ग्रह की सतह की विशेषताओं, खनिज , आकृति और वातावरण का पता लगाना।
- MOM का एक महत्त्वपूर्ण उद्देश्य अंतरग्रहीय मिशन की योजना, डिजाइन, प्रबंधन और संचालन में आवश्यक तकनीकों का विकास करना था।
भविष्य का भारतीय मंगल मिशन:
- इसरो ने वर्ष 2016 में भविष्य के मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM-2) के लिये 'अवसर की घोषणा' (AO) की थी , लेकिन 'गगनयान', 'चंद्रयान-3' और 'आदित्य - L1' परियोजनाएँ वर्तमान प्राथमिकता सूची में हैं।
- मंगलयान-2 केवल एक ऑर्बिटर मिशन होगा।
विभिन्न मंगल मिशन:
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न:प्रिलिम्सप्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016) इसरो द्वारा प्रक्षेपित मंगलयान
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (a) केवल उत्तर: (c) मेन्सप्रश्न. अन्तरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों की चर्चा कीजिये। इस प्रौद्योगिकी का प्रयोग भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में किस प्रकार सहायक हुआ है? (2016) |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
भारत में 75 नई डिजिटल बैंकिंग इकाइयाँ
प्रिलिम्स के लिये:डिजिटल बैंक, वित्तीय समावेशन मेन्स के लिये:डिजिटल बैंकिंग इकाइयाँ, डिजिटल बैंकिंग इकाइयों के लाभ और सेवाएँ |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने 75 ज़िलों में 75 डिजिटल बैंकिंग इकाइयाँ (DBU) राष्ट्र को समर्पित की हैं।
- वर्ष 2022-23 के केंद्रीय बजट भाषण के हिस्से के रूप में वित्त मंत्री ने हमारे देश की आज़ादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में 75 ज़िलों में 75 DBU स्थापित करने की घोषणा की।
डिजिटल बैंकिंग इकाइयाँ (DBU)
- परिचय:
- डिजिटल बैंकिंग इकाइयाँ अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों द्वारा स्थापित एक विशिष्ट फिक्स्ड पॉइंट बिजनेस यूनिट या हब है, जो डिजिटल बैंकिंग उत्पादों और सेवाओं को वितरित करने के साथ-साथ मौजूदा वित्तीय उत्पादों और सेवाओं को किसी भी समय डिजिटल रूप से स्वयं-सेवा मोड में सेवा देने के लिये कुछ न्यूनतम डिजिटल बुनियादी ढाँचे को स्थापित करता है।
- DBU की स्थापना इस उद्देश्य से की जा रही है कि डिजिटल बैंकिंग का लाभ देश के कोने-कोने तक पहुँचे और यह सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को कवर करेगा।
- लाभ:
- DBU उन लोगों को सक्षम बनाएगा जिनके पास सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) बुनियादी ढाँचा नहीं है, वे बैंकिंग सेवाओं को डिजिटल रूप से एक्सेस कर सकते हैं।
- वे उन लोगों की भी सहायता करेंगे जो डिजिटल बैंकिंग अपनाने के लिये तकनीकी रूप से सक्षम नहीं हैं।
- DBU सेवाएँ:
- इन डिजिटल बैंकिंग इकाइयों में ग्राहकों को अपना बचत खाता खोलने, खाते में शेष राशि पता करने, पासबुक प्रिंट कराने, पैसे भेजने, सावधि जमा निवेश के अलावा क्रेडिट-डेबिट कार्ड और कर्ज के लिये आवेदन जैसे काम करने के साथ ही कर व बिलों के भुगतान की पूरी सुविधा होगी।
- DBU जन समर्थ पोर्टल के माध्यम से सरकारी क्रेडिट लिंक योजनाओं और एमएसएमई / खुदरा ऋणों के एंड-टू-एंड डिजिटल प्रसंस्करण की सुविधा भी प्रदान करेंगे।
- DBU और पारंपरिक बैंकों के बीच अंतर:
- DBU 24 x 7 नकद ज़मा और निकासी सहित बैंकिंग सेवाएँ प्रदान करेगा।
- DBU की सेवाएँ डिजिटल रूप से प्रदान की जाएँगी।
- जिन लोगों के पास कनेक्टिविटी या कंप्यूटिंग डिवाइस नहीं हैं, वे DBU से पेपरलेस मोड में बैंकिंग लेनदेन कर सकते हैं।
- बैंक कर्मचारी सहायता प्राप्त मोड में बैंकिंग लेनदेन के लिये उपयोगकर्त्ताओं की सहायता और मार्गदर्शन के लिये उपलब्ध रहेंगे।
- DBU डिजिटल वित्तीय साक्षरता प्रदान करने और डिजिटल बैंकिंग अपनाने के लिये जागरूकता पैदा करने में मदद करेगा।
- डिजिटल बैंकों और DBU के बीच अंतर:
- बैलेंस शीट/कानूनी मान्यता:
- DBU के पास कानूनी मान्यता नहीं है और उन्हें बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के तहत लाइसेंस नहीं दिया गया है।
- कानूनी रूप से वे "बैंकिंग आउटलेट" अर्थात्, शाखाओं के समकक्ष हैं।
- डिजिटल बैंकों, बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के तहत विधिवत लाइसेंस प्राप्त एक बैंक है, जिनके पास एक बैलेंस शीट और कानूनी अस्तित्व है।
- DBU के पास कानूनी मान्यता नहीं है और उन्हें बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के तहत लाइसेंस नहीं दिया गया है।
- नवाचार/प्रतिस्पर्द्धा का स्तर:
- DBU डिजिटल चैनलों को नियामक मान्यता प्रदान करके मौजूदा चैनल बैंकिंग व्यवस्था में सुधार करते हैं। हालाँकि, वे प्रतिस्पर्द्धा पर चुप्पी साधे हुए हैं।
- DBU दिशा-निर्देश स्पष्ट रूप से बताते हैं कि केवल मौज़ूदा वाणिज्यिक बैंक DBU स्थापित कर सकते हैं।
- इसके विपरीत यहाँ प्रस्तावित डिजिटल बैंकों के लिये लाइसेंसिंग और नियामक ढाँचा प्रतिस्पर्द्धा/नवाचार आयामों के साथ अधिक सक्षम है।
- बैलेंस शीट/कानूनी मान्यता:
वित्तीय समावेशन से संबंधित अन्य पहलें:
- प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY)
- यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI)
- प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT)
- फिनटेक
- इंडिया स्टैक
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न. बैंक खाते से वंचित लोगों को संस्थागत वित्त के दायरे में लाने के लिये प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) आवश्यक है। क्या आप भारतीय समाज के गरीब वर्ग के वित्तीय समावेशन के लिये इससे सहमत हैं? अपने मत की पुष्टि के लिये उचित तर्क दीजिये। (2016) |