डेली न्यूज़ (04 Sep, 2025)



भारत की संदिग्ध रजिस्ट्री और साइबर सुरक्षा पहल

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

चर्चा में क्यों? 

भारत की ऑनलाइन संदिग्ध रजिस्ट्री ने 13 लाख धोखाधड़ी वाले लेनदेन को रोककर लगभग 5,100 करोड़ रुपए बचाए हैं और यह भारत के साइबर सुरक्षा प्रयासों में एक केंद्रीय भूमिका निभा रहा है 

संदिग्ध रजिस्ट्री क्या है? 

  • परिचय: वर्ष 2024 में शुरू की गई संदिग्ध रजिस्ट्री को राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) के आधार पर तैयार किया गया है और इसे भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) ने विकसित किया है। 
    • इसमें लगभग 1.4 मिलियन साइबर अपराधियों का डेटा शामिल है, जो वित्तीय धोखाधड़ी और अन्य साइबर अपराधों से जुड़े हैं तथा यह सभी बैंकों के साथ साझा किया गया है। 
    • यह डेटा राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों, केंद्रीय जाँच एवं खुफिया एजेंसियों के लिये भी उपलब्ध कराया गया है। 
  • उद्देश्य: यह रजिस्ट्री बैंकों और वित्तीय संस्थानों को ग्राहक की पहचान सत्यापित करने तथा संदिग्ध खातों में वास्तविक समय में लेनदेन की निगरानी करने में सहायता करती है। 
    • NCRP से प्राप्त डेटा का उपयोग करके यह धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन को सुदृढ़ करता है और संभावित साइबर अपराधियों को चिह्नित करता है। 
  • संदिग्ध रजिस्ट्री की आवश्यकता: भारत को साइबर धोखाधड़ी से हर महीने 1,000 करोड़ रुपए से ज़्यादा का नुकसान होता है। 80% से ज़्यादा साइबर अपराध के मामले वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़े होते हैं। 
    • डिजिटल लेनदेन के बढ़ते पैमाने के लिये मज़बूत धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन और वास्तविक समय निगरानी की आवश्यकता है। 
  • प्रभाव: दिसंबर 2024 तक लगभग 1,800 करोड़ रुपए मूल्य के 6.1 लाख से अधिक धोखाधड़ी वाले लेनदेन अवरुद्ध कर दिये गए। 
    • बैंकों ने 8.67 लाख म्यूल खाते, 7 लाख सिम और 1.4 लाख डिवाइस फ्रीज कर दिये। वर्ष 2021 से अब तक, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के तहत लगभग 3,850 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी पकड़ी गई है और संदिग्ध ऑनलाइन सामग्री को ब्लॉक किया गया है। 

भारत में साइबर अपराध की प्रवृत्तियाँ 

  • बढ़ते साइबर अपराध से नुकसान: NCRP के अनुसार, भारत में साइबर धोखाधड़ी में भारी बढ़ोतरी हुई है, जिसमें वर्ष 2021 से 2024 के बीच लगभग 33,165 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। 
  • टियर 2 और 3 साइबर अपराध हॉटस्पॉट का विकास: देवघर, जयपुर, नूह, मथुरा, कोलकाता, सूरत, बेंगलुरु शहरी और कोझिकोड जैसे शहर साइबर अपराध हॉटस्पॉट के रूप में पहचाने गए हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि साइबर अपराधी अब छोटे शहरों को भी तेज़ी से निशाना बना रहे हैं।

Cyber_Crimes

भारत की साइबर सुरक्षा पहल क्या हैं? 

  • संवैधानिक संदर्भ: पुलिस और लोक-व्यवस्था राज्य विषय हैं। राज्य/केंद्रशासित प्रदेश साइबर अपराध सहित अन्य अपराधों को संभालते हैं, जबकि केंद्र मार्गदर्शन, समन्वय और वित्तपोषण प्रदान करता है। 
  • नीति तंत्र: 
    • सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000: इसमें फिशिंग, स्मिशिंग और विशिंग जैसे साइबर अपराधों को दंड (जुर्माना और कारावास) सहित शामिल किया गया है। 
    • नए आपराधिक कानून: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), 2023, भारतीय न्याय संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 आधुनिक साइबर खतरों का समाधान करते हैं। 
    • राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति, 2013: इसका उद्देश्य साइबर स्पेस की रक्षा करना, साइबर सुरक्षा क्षमता का निर्माण करना, कमज़ोरियों को कम करना और राष्ट्रीय डिजिटल सुरक्षा को सशक्त करना है। 
  • संस्थागत तंत्र: 
    • भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C): गृह मंत्रालय (MHA) के अंतर्गत स्थापित कार्यालय, जिसका उद्देश्य साइबर अपराध के प्रति समन्वित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करना है। 
      • I4C के अंतर्गत राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) जनता को सभी प्रकार के साइबर अपराधों की रिपोर्ट करने में सक्षम बनाता है, जिसमें महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराधों पर विशेष ध्यान दिया जाता है। 
      • I4C के अंतर्गत साइबर धोखाधड़ी शमन केंद्र (CFMC) बैंकों, वित्तीय मध्यस्थों, दूरसंचार सेवा प्रदाताओं, IT मध्यस्थों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों (LEA) को वास्तविक समय पर कार्रवाई हेतु एक ही मंच पर लाता है। 
      • समन्वय प्लेटफार्म पूरे देश में कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच साइबर अपराध डेटा, विश्लेषण, मानचित्रण और समन्वय हेतु एक वेब-आधारित पोर्टल है। 
      • हेल्पलाइन 1930 के माध्यम से वित्तीय साइबर धोखाधड़ी की शिकायतों पर तत्काल कार्रवाई हेतु नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग एवं प्रबंधन प्रणाली (CFCFRMS) प्लेटफॉर्म 
    • CERT-In (भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया दल): साइबर सुरक्षा घटनाओं, कमज़ोरियों और समन्वित प्रतिक्रिया से निपटने के लिये IT अधिनियम, 2000 के तहत राष्ट्रीय एजेंसी। 
      • CERT-In राष्ट्रीय साइबर समन्वय केंद्र (NCCC) का संचालन करता है, जो साइबर खतरों की स्थिति-जागरूकता सुनिश्चित करता है। साथ ही यह साइबर स्वच्छता केंद्र (Cyber Swachhta Kendra) चलाता है, जो मैलवेयर का पता लगाकर उसे हटाने का कार्य करता है और नागरिकों तथा संगठनों को निशुल्क उपकरण एवं साइबर सुरक्षा संबंधी मार्गदर्शन प्रदान करता है। 
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) इंटरपोल के नेतृत्व वाली साइबर अपराध सहयोग पहल में भाग लेता है। 
    • CBI, G-7 24/7 नेटवर्क की नोडल एजेंसी है, जो साइबर अपराध से संबंधित मामलों में डेटा संरक्षित करने के अनुरोध हेतु एक सुरक्षित माध्यम उपलब्ध कराती है। 
  • डिजिटल तंत्र 
    • ‘.bank.in’ बैंकों के लिये डोमेन: भारतीय बैंकों के लिये विशेष इंटरनेट डोमेन, जिसका उद्देश्य साइबर धोखाधड़ी को कम करना और डिजिटल विश्वास को सशक्त करना है। 
    • ई-ज़ीरो FIR (e-Zero FIR): 10 लाख रुपए से अधिक की साइबर वित्तीय अपराध शिकायतों को स्वचालित रूप से प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) में परिवर्तित करता है। 
    • MuleHunter.AI: चोरी की गई धनराशि को स्थानांतरित करने के लिये उपयोग किये जाने वाले म्यूल अकाउंटों का पता लगाने के लिये RBI द्वारा विकसित AI उपकरण। 
    • ASTR: दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा विकसित टेलीकॉम SIM सब्सक्राइबर सत्यापन के लिये आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और फेस रिक्गनीशन से लैस प्रौद्योगिकी संचालित समाधान (ASTR) का उपयोग एक ही व्यक्ति द्वारा विभिन्न नामों से लिये गए संदिग्ध मोबाइल कनेक्शनों की पहचान करने हेतु किया जाता है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. साइबर अपराध को रोकने और उसका जवाब देने के लिये भारत द्वारा स्थापित संस्थागत तथा डिजिटल तंत्रों पर चर्चा कीजिये।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ) 

प्रिलिम्स

प्रश्न. भारत में व्यक्तियों के लिये साइबर बीमा के तहत धन की हानि और अन्य लाभों के भुगतान के अलावा, निम्नलिखित में से कौन से लाभ आम तौर पर कवर किये जाते हैं? (2020)  

  1. किसी के कंप्यूटर तक पहुँच को बाधित करने वाले मैलवेयर के मामले में कंप्यूटर सिस्टम की बहाली की लागत।   
  2. एक नए कंप्यूटर की लागत अगर ऐसा साबित हो जाता है कि कुछ असामाजिक तत्त्वों ने जानबूझकर इसे नुकसान पहुँचाया है।   
  3. साइबर जबरन वसूली के मामले में नुकसान को कम करने के लिए एक विशेष सलाहकार को काम पर रखने की लागत।   
  4. यदि कोई तीसरा पक्ष मुकदमा दायर करता है तो न्यायालय में बचाव की लागत 

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: 

(A) केवल 1, 2 और 4 
(B) केवल 1, 3 और 4 
(C) केवल 2 और 3 
(D) 1, 2, 3 और 4 

उत्तर: (b)

प्रश्न.  भारत में निम्नलिखित में से किसके लिये साइबर सुरक्षा घटनाओं पर रिपोर्ट करना कानूनी रूप से अनिवार्य है?  (2017) 

  1. सेवा प्रदाता
  2. डेटा केंद्र
  3. निगमित निकाय

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: 

(A) केवल 1 
(B) केवल 1 और 2 
(C) केवल 3 
(D) 1, 2 और 3 

उत्तर: (d)


मेन्स

प्रश्न: साइबर सुरक्षा के विभिन्न घटक क्या हैं? साइबर सुरक्षा में चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए जाँच करें कि भारत ने व्यापक राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति को किस हद तक सफलतापूर्वक विकसित किया है। (2022)


अगली पीढ़ी के सुधारों के साथ GST 2.0

प्रिलिम्स के लिये: वस्तु एवं सेवा कर (GST), अनुच्छेद 279A, मूल्य-योजित कर 

मेन्स के लिये: भारत में GST का विकास और महत्त्व, वृद्धि एवं विकास

स्रोत: पी.आई.बी

चर्चा में क्यों?

56वीं वस्तु एवं सेवा कर (GST) परिषद ने कर व्यवस्था को नागरिक-केंद्रित बनाने, कृषि, स्वास्थ्य, विनिर्माण को बढ़ावा देने और व्यवसाय को आसान बनाने हेतु अगली पीढ़ी के सुधारों के साथ GST 2.0 का अनावरण किया। 

  • सेवाओं पर GST दरों में किये गए परिवर्तन 22 सितंबर 2025 से प्रभावी होंगे।

GST 2.0 के अंतर्गत प्रमुख कर सुधार क्या हैं? 

  • सरलीकृत GST संरचना: GST 2.0 चार GST स्लैब (5%, 12%, 18% और 28%) को दो-स्लैब प्रणाली (आवश्यक वस्तुओं के लिये 5% (मेरिट दर) और अन्य के लिये 18% (मानक दर)) के साथ प्रतिस्थापित करता है, साथ ही तंबाकू व पान मसाला जैसी विलासी, हानिकारक और अवगुण वस्तुओं के लिये 40% डिमेरिट दर भी शामिल है। 
  • आवश्यक वस्तुओं पर कर राहत: व्यक्तिगत जीवन और स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों पर पूर्ण GST छूट। अल्ट्रा-हाई टेम्परेचर (UHT) दूध, पनीर और भारतीय ब्रेड जैसी आवश्यक वस्तुओं पर अब शून्य GST लगेगा। 
  • उपभोक्ता वस्तुएँ: छोटी कारों, टीवी, एयर कंडीशनर, सीमेंट और ऑटो पार्ट्स पर GST 28% से घटाकर 18% कर दिया गया है। नवीकरणीय ऊर्जा उपकरणों पर GST 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है। 
    • इन कटौतियों से विनिर्माण को प्रोत्साहन मिलने, हरित ऊर्जा अपनाने को बढ़ावा मिलने तथा घरेलू मांग में वृद्धि होने की उम्मीद है। 
  • चिकित्सा एवं स्वास्थ्य उपकरण: 33 जीवन रक्षक दवाओं पर GST 12% से घटाकर शून्य कर दिया गया है। कैंसर और दुर्लभ बीमारियों में इस्तेमाल होने वाली तीन महत्त्वपूर्ण दवाओं पर GST 5% से घटाकर शून्य कर दिया गया है, जिससे स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच मज़बूत हुई है। 
  • कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों के लिये सहायता: ट्रैक्टर, हार्वेस्टर और कंपोस्टर जैसी मशीनरी: GST 12% से घटाकर 5% कर दिया गया। 
    • उर्वरक इनपुट जैसे सल्फ्यूरिक एसिड, नाइट्रिक एसिड और अमोनिया: GST 18% से घटाकर 5% कर दिया गया। 
    • हस्तशिल्प, संगमरमर और चमड़े की वस्तुओं जैसी श्रम-प्रधान वस्तुओं पर GST 12% से घटाकर 5% कर दिया गया। 
  • व्यापार सुविधा और विवाद समाधान: वस्तु एवं सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण (GSTAT) दिसंबर 2025 तक चालू हो जाएगा। 
    • रिफंड और पंजीकरण के लिये प्रक्रियागत सुधारों से विवाद समाधान में सुधार होगा, मुकदमेबाजी में कमी आएगी तथा व्यवसायों, विशेषकर MSME के लिये पूर्वानुमानशीलता उपलब्ध होगी। 

GST 2.0

वस्तु एवं सेवा कर (GST) क्या है? 

  • परिचय: 101वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2017 द्वारा प्रस्तुत यह भारत में वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाने वाला एक व्यापक अप्रत्यक्ष कर है। 
    • यह एक मूल्य-योजित कर (VAT) है जिसने केंद्र और राज्यों द्वारा पहले लगाए जाने वाले अनेक अप्रत्यक्ष करों का स्थान ले लिया है।

  • मुख्य विशेषताएँ: 
    • दोहरी GST संरचना: इसमें केंद्रीय GST (CGST) और राज्य GST (SGST) शामिल हैं। एकीकृत GST (IGST) अंतर्राज्यीय लेनदेन के लिये लागू है। 
    • GST परिषद: यह GST नीतिनिर्धारण और कर दरों के फैसलों के लिये प्रमुख निकाय है 
      • संविधान के अनुच्छेद 279A के तहत स्थापित GST परिषद, केंद्र और राज्यों का एक संयुक्त मंच है। 
      • इसकी अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री करते हैं, इसमें राजस्व/वित्त राज्य मंत्री सदस्य होते हैं तथा प्रत्येक राज्य सरकार द्वारा नामित वित्त, कराधान या अन्य संबंधित मंत्री सदस्य के रूप में शामिल होते हैं। 
    • वस्तु एवं सेवा कर नेटवर्क (GSTN): भारत में करदाताओं को रिटर्न तैयार करने, दाखिल करने, अप्रत्यक्ष कर देनदारियों का भुगतान करने और अन्य अनुपालनों को पूरा करने में सहायता करता है। 
    • सीमांत छूट (Threshold Exemption): जिन छोटे व्यवसायों का वार्षिक कारोबार एक निश्चित सीमा से कम है, उन्हें GST से छूट दी गई है। इससे अनुपालन सरल हो जाता है और सूक्ष्म उद्यमों को अत्यधिक कागज़ी कार्रवाई से सुरक्षा मिलती है। 
  • GST के लाभ: 
    • गंतव्य-आधारित कर (Destination-Based Tax): कर वस्तुओं/सेवाओं के उपभोग स्थान पर वसूला जाता है, जिससे व्यवसायों को बेहतर नकदी प्रवाह और कार्यशील पूंजी का लाभ मिलता है। 
    • व्यवसाय करने में सुगमता (Ease of Doing Business): प्रौद्योगिकी-आधारित प्रणाली, न्यूनतम मानव हस्तक्षेप, अनुपालन, रिफंड और पंजीकरण को सरल बनाती है। 
    • मेक इन इंडिया को बढ़ावा (Boost to Make in India): घरेलू वस्तुओं को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी बनाता है। 
    • निर्यात (Exports): विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) को वस्तुओं या सेवाओं या दोनों की आपूर्ति को GST के तहत शून्य-दर (Zero-rated) माना जाता है, जिससे शीघ्र रिफंड मिलता है। यह अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देता है और भुगतान संतुलन में सुधार करता है। 
    • & Compliance: Expands tax base, increases government revenue, improves transparency, and enhances GDP by 1.5–2%.  राजस्व एवं अनुपालन (Revenue & Compliance): कर आधार का विस्तार करता है, सरकारी राजस्व बढ़ाता है, पारदर्शिता में सुधार करता है और GDP को 1.5–2% तक बढ़ाता है। 
  • GST की उपलब्धि: वर्ष 2024–25 में GST ने अब तक का सबसे अधिक सकल संग्रह ₹22.08 लाख करोड़ दर्ज किया, जो 9.4 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि को दर्शाता है। औसत मासिक संग्रह ₹1.84 लाख करोड़ रहा। 

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. भारत के अप्रत्यक्ष कर ढाँचे को सरल बनाने और व्यापार करने में आसानी में सुधार करने में GST के महत्त्व की जाँच कीजिये।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ) 

प्रिलिम्स

प्रश्न. निम्नलिखित मदों पर विचार कीजिये: (2018) 

  1. छिलका उतरे हुए अनाज 
  2. मुर्गी के अंडे पकाए हुए 
  3. संसाधित और डिब्बाबंद मछली  
  4. विज्ञापन सामग्री युक्त समाचार पत्र 

उपर्युक्त मदों में से कौन-सी वस्तु/वस्तुएँ जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) के अंतर्गत छूट प्राप्त है/हैं? 

(a) केवल 1 
(b) केवल 2 और 3 
(c) केवल 1, 2 और 4 
(d) 1, 2, 3 और 4 

उत्तर: (c)

प्रश्न2. 'वस्तु एवं सेवा कर (गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स/GST)' के क्रियान्वित किये जाने का/के सर्वाधिक संभावित लाभ क्या है/हैं? (2017) 

  1. यह भारत में बहु-प्राधिकरणों द्वारा वसूल किये जा रहे बहुल करों का स्थान लेगा और इस प्रकार एकल बाज़ार स्थापित  करेगा। 
  2. यह भारत के 'चालू खाता घाटे' को प्रबलता से कम कर विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने हेतु इसे सक्षम बनाएगा। 
  3. यह भारत की अर्थव्यवस्था की संवृद्धि और आकार को वृहद् रूप से बढ़ाएगा और उसे निकट भविष्य में चीन से आगे निकलने में सक्षम बनाएगा। 

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: 

(a) केवल 1 
(b) केवल 2 और 3 
(c) केवल 1 और 3 
(d) 1, 2 और 3 

उत्तर: (a) 


मेन्स

प्रश्न. वस्तु एवं सेवा कर (राज्यों को क्षतिपूर्ति) अधिनियम, 2017 के तर्काधार की व्याख्या कीजिये। कोविड-19 ने कैसे वस्तु एवं सेवा कर क्षतिपूर्ति निधि को प्रभावित किया है और नए संघीय तनावों को उत्पन्न किया है? ( 2020) 

प्रश्न. उन अप्रत्यक्ष करों को गिनाइये जो भारत में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में सम्मिलित किये गए हैं। भारत में जुलाई 2017 से क्रियान्वित जीएसटी के राजस्व निहितार्थों पर भी टिप्पणी कीजिये। ( 2019)


गिग वर्कर्स: अदृश्य कार्यबल

प्रिलिम्स के लिये: गिग एंड प्लेटफॉर्म इकोनॉमी, विश्व आर्थिक मंच, ई-श्रम पोर्टल। 

मेन्स के लिये: भारत की आर्थिक वृद्धि में गिग इकोनॉमी की भूमिका, भारत में गिग इकोनॉमी से जुड़े प्रमुख मुद्दे।

स्रोत: TH 

चर्चा में क्यों? 

भारत की गिग और प्लेटफॉर्म इकोनॉमी तेज़ी से बढ़ रही है, जिसके 2024-25 में 1 करोड़ कर्मचारियों से बढ़कर 2029-30 तक 2.35 करोड़ हो जाने का अनुमान है। हालाँकि यह अनुकूलता और नए अवसर प्रदान करती है, लेकिन गिग वर्कर्स काफी हद तक अदृश्य श्रम करते हैं, फिर भी उन्हें कम वेतन, नौकरी की असुरक्षा और एल्गोरिथम-संचालित प्रबंधन के दबाव का सामना करना पड़ता है।

गिग इकोनॉमी क्या है? 

  • परिचय: विश्व आर्थिक मंच (WEF) के अनुसार गिग इकोनॉमी वह व्यवस्था है, जिसमें श्रम का आदान-प्रदान धन के बदले व्यक्तियों या कंपनियों के बीच डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से होता है। ये प्लेटफॉर्म सेवा प्रदाताओं को ग्राहकों से अल्पकालिक और प्रति-कार्य भुगतान (payment-by-task) के आधार पर सक्रिय रूप से जोड़ते हैं। 
    • सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 के अनुसार गिग वर्कर वह व्यक्ति है, “जो पारंपरिक नियोक्ता-कर्मचारी संबंध से बाहर किसी कार्य का निष्पादन करता है या किसी कार्य व्यवस्था में भाग लेता है और ऐसी गतिविधियों से आय अर्जित करता है। 
  • गिग वर्कर्स के प्रकार: 
    • प्लेटफॉर्म-आधारित कर्मचारी: डिजिटल ऐप या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से कार्य करते हैं। जैसे- फूड डिलीवरी (ज़ोमैटो, स्विगी), राइडशेयरिंग (ओला, उबर), ई-कॉमर्स डिलीवरी (अमेज़न, डंज़ो)। 
    • नॉन-प्लेटफॉर्म कर्मचारी: पारंपरिक क्षेत्रों में अंशकालिक या पूर्णकालिक, अस्थायी या स्व-नियोजित कर्मचारी। उदाहरणों में अंशकालिक ट्यूटर, फ्रीलांस डिज़ाइनर, स्व-नियोजित घरेलू सहायक, अस्थायी निर्माण श्रमिक शामिल हैं। 
  • गिग इकोनॉमी के लाभ: 
    • श्रमिकों के लिये: अनुकूल कार्य समय अवधि, आय के अनेक स्रोत, स्वतंत्र रूप से कार्य करने का अवसर, कौशल विकास। 
    • उपभोक्ताओं के लिये: तीव्र सेवाएँ, सुविधा, प्रतिस्पर्द्धी मूल्य निर्धारण, व्यापक विकल्प। 
    • व्यवसायों/प्लेटफॉर्म्स के लिये: विस्तार योग्य कार्यबल तक पहुँच, निम्न परिचालन लागत, बदलती मांग को प्रभावी ढंग से पूरा करने की क्षमता। 

गिग इकोनॉमी के विकास चालक क्या हैं? 

  • डिजिटल पहुँच का विस्तार: डिजिटल इंडिया के तहत, भारत में इंटरनेट कनेक्शन वर्ष 2014 में 25.15 करोड़ से बढ़कर 2024 में 96.96 करोड़ हो गए, जिसमें 85.5% घरों में स्मार्टफोन है। डिजिटल पहुँच में इस वृद्धि ने श्रमिकों और नियोक्ताओं को जोड़कर गिग इकोनॉमी के विकास को बढ़ावा दिया है। 
  • ई-कॉमर्स और स्टार्टअप बूम: ऑनलाइन व्यवसायों और स्टार्टअप्स के बढ़ने से लॉजिस्टिक्स, डिलीवरी, मार्केटिंग और कंटेंट निर्माण में गिग वर्कर्स की मांग बढ़ रही है। 
  • सुविधा के लिये शहरी मांग: उपभोक्ता तेज़ी से सेवाओं की अपेक्षा कर रहे हैं, जिससे खाद्य वितरण, राइडशेयरिंग और ग्राहक सहायता के अवसर बढ़ रहे हैं। 
  • कम लागत वाले श्रम की उपलब्धता: बढ़ती बेरोज़गारी और अर्द्ध-कुशल श्रमिकों की अधिकता के कारण कई लोग आय के स्रोत के रूप में गिग कार्य को स्वीकार करने लगे हैं। 
  • बदलती कार्य प्राथमिकताएँ: युवा पीढ़ी अनुकूलता, दूरस्थ कार्य और परियोजना-आधारित कार्यों को महत्त्व देती हैं, जिससे गिग भूमिकाएँ अधिक आकर्षक हो जाती हैं।

गिग इकोनॉमी के समक्ष क्या चुनौतियाँ हैं?

  • कम वेतन और आय अस्थिरता: गिग वर्कर्स को कम, अप्रत्याशित वेतन का सामना करना पड़ता है, उन्हें निश्चित वेतन के बजाय प्रति कार्य कमाई होती है, अक्सर लंबे समय तक काम करना पड़ता है तथा लक्ष्यों को पूरा करने के लिये दबाव का सामना करना पड़ता है जो "अनुकूलता" और पूर्णकालिक रोज़गार के बीच की रेखा को कर देता है। 
  • सीमित कानूनी और सामाजिक सुरक्षा: न्यूनतम कानूनी सहायता और श्रम कानूनों में अपर्याप्त मान्यता के कारण गिग वर्कर्स असुरक्षित हो जाते हैं।  
  • सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 गिग वर्कर्स को स्वीकार करती है, लेकिन न्यूनतम मज़दूरी की गारंटी और विनियमित कार्य घंटे जैसे पूर्ण श्रम अधिकार प्रदान करने में विफल रहती है।   
  • गर्मी, बीमारी या दुर्घटनाओं जैसे संकटों के दौरान, जब कोई औपचारिक सुरक्षा व्यवस्था नहीं होती, कमजोरियां बढ़ जाती हैं । 
    • गिग वर्कर्स को कर्मचारी नहीं बल्कि "स्वतंत्र ठेकेदार" माना जाता है, जिससे उन्हें नियमित घंटों और सवेतन अवकाश से वंचित रहना पड़ता है, जबकि वे अक्सर पूर्णकालिक कार्य करते हैं। 
  • एल्गोरिथम नियंत्रण और निगरानी: डिजिटल प्लेटफॉर्म श्रमिकों के स्थान को ट्रैक करते हैं, प्रदर्शन की निगरानी करते हैं तथा कभी-कभी सेवा के दौरान उपयोग किये जाने वाले प्रत्येक उत्पाद की स्कैनिंग की भी आवश्यकता होती है। 
    • एल्गोरिदम कठोर कार्यक्रम निर्धारित करते हैं, देरी पर दंड लगाते हैं तथा बिना किसी मानवीय निगरानी के कर्मचारियों के ब्लॉक कर सकते हैं। इससे लगातार दबाव बनता है, जिससे कर्मचारियों पर अनुपालन करने का दबाव बनता है, अन्यथा उनकी आय कम होने का जोखिम रहता है। 
  • सामाजिक सुरक्षा और लाभों का अभाव: गिग श्रमिकों को आमतौर पर स्वास्थ्य बीमा, दुर्घटना कवर, मातृत्व लाभ, भविष्य निधि और पेंशन जैसे लाभों से वंचित रखा जाता है । 
    • गर्मी की लहरों, बीमारी या दुर्घटनाओं जैसी आपदाओं के समय, उनके पास कोई औपचारिक सुरक्षा तंत्र न होने के कारण उनकी संवेदनशीलता और बढ़ जाती है। 
  • लिंग-विशिष्ट कमज़ोरियाँ: महिलाओं को, विशेष रूप से सफाई या सौंदर्य सेवाओं जैसी भूमिकाओं में, ग्राहकों से उत्पीड़न और घर पर घरेलू हिंसा का सामना करना पड़ता है। 
    • कार्य के लिये निजी घरों में प्रवेश करने से असुरक्षित परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। प्लेटफॉर्म की रेटिंग और दंड प्रणाली अक्सर महिलाओं को असुरक्षित बना देती है तथा उनके पास कानूनी सहारा बहुत कम होता है। 
  • शारीरिक दबाव: गिग कार्य का कोई निश्चित समय नहीं होता; "अनुकूलता" (flexibility) का अर्थ अक्सर 24 घंटे कार्य पर उपलब्ध रहना होता है। 
    • इससे लंबे कार्य घंटे, सख्त समय-सीमाएँ (deadlines) और निरंतर लक्ष्य-आधारित दबाव उत्पन्न होता है, जो शारीरिक और मानसिक थकान का कारण बनता है। 

भारत गिग इकोनॉमी की चुनौतियों का समाधान कैसे कर रहा है? 

  • सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020: इसमें गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को कानूनी मान्यता दी गई है तथा उन्हें सामाजिक सुरक्षा लाभ प्रदान किये गए हैं। इस संहिता में गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के कल्याण के लिये राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा बोर्ड गठित करने का प्रावधान भी है। 
  • नीति आयोग का RAISE फ्रेमवर्क गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करता है। यह पाँच मुख्य बिंदुओं पर केंद्रित है: 
    • R – Recognise: कार्य विविधता को मान्यता देना 
    • A – Augment: वित्तीय सहयोग बढ़ाना 
    • I – Incorporate: प्लेटफॉर्म और वर्कर्स के हितों को शामिल करना 
    • S – Support: जागरूकता को समर्थन देना
    • E – Ensure: लाभ तक पहुँच सुनिश्चित करना 
  • ई-श्रम पोर्टल (e-Shram Portal): वर्ष 2021 में शुरू किया गया यह पोर्टल असंगठित और गिग वर्कर्स का एक राष्ट्रीय डाटाबेस तैयार करता है। इसके माध्यम से श्रमिकों को यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) प्रदान किया जाता है तथा उन्हें सरकारी कल्याणकारी योजनाओं तक पहुँच उपलब्ध कराई जाती है। इस पोर्टल का उद्देश्य कार्यबल का औपचारिकरण (formalisation) करना और सामाजिक सुरक्षा तक पहुँच में सुधार लाना है। 
    • अगस्त 2025 तक 3.37 लाख से अधिक प्लेटफॉर्म और गिग वर्कर्स इस पोर्टल पर पंजीकृत हो चुके हैं। 
  • राज्य-स्तरीय उपाय: राजस्थान के प्लेटफॉर्म-आधारित गिग श्रमिक अधिनियम (2023) के तहत नियोक्ताओं को कल्याण उपकर जमा करना आवश्यक है। 
    • कर्नाटक ने गिग वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड (2024) का प्रस्ताव रखा है तथा तेलंगाना ने गिग वर्कर्स के पंजीकरण, सामाजिक सुरक्षा और कल्याण के लिये एक विधेयक का मसौदा तैयार किया है।

कौन से उपाय भारत की गिग अर्थव्यवस्था को मज़बूत कर सकते हैं?

  • व्यापक कानूनी ढाँचा: गिग वर्कर्स के अधिकारों और ज़िम्मेदारियों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करना। न्यूनतम वेतन, विनियमित कार्य घंटे, अनुचित बर्खास्तगी से सुरक्षा और सामूहिक सौदेबाजी के प्रावधान शामिल किये जाए। 
  • महिला-केंद्रित उपाय: सुनिश्चित करना कि महिलाएँ सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 के तहत मातृत्व लाभ प्राप्त कर सकें। देखभाल और घरेलू ज़िम्मेदारियों को समायोजित करने के लिये दूरस्थ और परियोजना-आधारित भूमिकाओं को बढ़ावा देना। 
    • ऐप्स पर पैनिक बटन, ग्राहकों और डिलीवरी पॉइंट्स का बैकग्राउंड सत्यापन तथा महिला गिग वर्कर्स के लिये समर्पित हेल्पलाइन शुरू करना। 
  • एल्गोरिदम संबंधी निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करना: मनमाने ढंग से आय की हानि को रोकने के लिये कार्य आवंटन, रेटिंग और दंड निर्धारित करने वाले प्लेटफॉर्म एल्गोरिदम को विनियमित करना। 
    • स्वचालित निर्णयों से प्रभावित श्रमिकों के लिये शिकायत निवारण, मानवीय निरीक्षण और अपील तंत्र को अनिवार्य बनाना। 
  • डिजिटल साक्षरता और सशक्तीकरण को बढ़ावा देना: गिग अर्थव्यवस्था में भागीदारी को सक्षम करने के लिये ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में डिजिटल पहुँच का विस्तार करना। 
  • अस्पष्ट कॉर्पोरेट नीतियों पर निर्भरता कम करने के लिये श्रमिकों को अधिकारों, सामाजिक सुरक्षा योजनाओं और सुरक्षित मंच प्रथाओं के बारे में शिक्षित करना। 
  • प्लेटफॉर्म अनुपालन को प्रोत्साहित करना: कर छूट, सब्सिडी या अधिमान्य सरकारी अनुबंध जैसे प्रोत्साहनों को कल्याणकारी कानूनों और निष्पक्ष भुगतान प्रथाओं के पालन से जोड़ना। 
    • प्लेटफार्मों को स्वेच्छा से अनुपालन करने और एक स्थायी गिग पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने के लिये प्रोत्साहित करना। 
  • ई-श्रम पोर्टल के माध्यम से औपचारिकता: गिग श्रमिकों को डिजिटल पहचान और कल्याणकारी योजनाओं, रोज़गार बीमा और स्वास्थ्य कवरेज तक पहुँच प्रदान करने के लिये ई-श्रम पोर्टल एकीकरण का विस्तार करना।  
  • सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों में समावेशन सुनिश्चित करने के लिये गिग श्रमिकों पर औपचारिक रूप से नज़र रखना। 

निष्कर्ष

भारत की गिग और प्लेटफॉर्म अर्थव्यवस्था सामाजिक सुरक्षा संहिता (2020) और ई-श्रम पोर्टल जैसी पहलों के साथ श्रम बाज़ार को तेज़ी से नया रूप दे रही है। गिग कर्मचारियों को सम्मान, सुरक्षा और उचित अवसर के साथ कार्य करने में सक्षम बनाने के लिये निरंतर समर्थन तथा प्रभावी नीतियाँ अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं।

दृष्टि मेन्स प्रश्न: 

प्रश्न. भारत की गिग और प्लेटफॉर्म अर्थव्यवस्था के विकास तथा श्रमिकों, उपभोक्ताओं व व्यवसायों पर इसके प्रभावों की चर्चा कीजिये।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ) 

प्रिलिम्स

प्रश्न. भारत में नियोजित अनियत मज़दूरों के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-(2021)   

  1. सभी अनियत मज़दूर, कर्मचारी भविष्य निधि सुरक्षा के हकदार हैं। 
  2.  सभी अनियत मज़दूर नियमित कार्य-समय एवं समयोपरि भुगतान के हकदार हैं।  
  3.  सरकार अधिसूचना के द्वारा यह विनिर्दिष्ट कर सकती है कि कोई प्रतिष्ठान या उद्योग केवल अपने बैंक खातों के माध्यम से मज़दूरी का भुगतान करेगा। 

उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं? 

(a) केवल 1 और 2             
(b)  केवल 2 और 3 
(c) केवल 1 और 3   
(d) 1, 2 और 3 

उत्तर: (b)


मेन्स

प्रश्न. भारत में महिलाओं के सशक्तीकरण की प्रक्रिया में 'गिग इकॉनमी' की भूमिका का परीक्षण कीजिये। (2021)